PHOTOSYNTHESIS IN HINDI: क्या प्रकाश संश्लेषण के बारे में जानना चाहते हैं। यदि हां, तो आप बिल्कुल सही पोस्ट में आये हैं। जब मैंने पहली बार प्रकाश संश्लेषण के बारे में सर्च किया था तो मुझे सही जानकारी नहीं मिल पाई थी जिसका नुकसान मुझे बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में उठाना पड़ा। जैसी परेशानी मुझे हुई ऐसी परेशानी किसी और को न हो इसलिए मैंने Photosynthesis की प्रक्रिया हिंदी में | प्रकाश संश्लेषण Process in Hindi का यह पोस्ट तैयार किया है।
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) हिंदी में
प्रकाश संश्लेषण क्या है?
मानव अपने आहार के लिए पौधों पर निर्भर होते हैं लेकिन पौधे अपना भोजन कहाँ से लेते हैं। पौधे अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं जिस प्रक्रिया द्वारा पौधे अपना भोजन निर्मित करते हैं, उसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
प्रकाश संश्लेषण जिसे अंग्रेजी में फोटोसिन्थेसिस(Photosynthesis) कहा जाता है। फोटोसिन्थेसिस (Photosynthesis) शब्द ग्रीक भाषा के ‘फोटो’ अर्थात 'प्रकाश' और सिंथेसिस अर्थात संश्लेषण से बना है जिसका मतलब "एक साथ रखना" होता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के सबसे प्रमुख प्रकाश है। सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) को जल से बाहर निकालते और वायुमंडल में मुक्त कर देते हैं।
प्रकाश संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिस पर पूरी पृथ्वी के जीवधारियों का जीवन निर्भर करता है। इस प्रक्रिया द्वारा हरे पौधे, शैवाल तथा हरित लवक-धारी जीवाणु, अकार्बनिक अणुओं से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं। प्रकाश संश्लेषण केवल पादपों में ही संभव है।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया-
पौधे द्वारा सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरोफिल की सहायता से कार्बन डाई ऑक्साइड और जल की क्रिया से ग्लूकोज,ऑक्सीजन और जल बनाते हैं जिसे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कहते हैं। ग्लूकोज पौधों के लिए भोजन का कार्य करती है।
6CO2 + 12H2O = C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
प्रकाश संश्लेषण के दौरान बनने वाले कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज का पौधों द्वारा अधिकतर उपयोग पत्तियां, फूल, फल और बीज का निर्माण करने के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।
प्रकाश संश्लेषण कहाँ होता है?
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रमुख रूप से हरी पत्तियों में होती है। इसके अलावा पौधे के सभी हरे भागों में भी होती है। पत्तों में मेसोफिल कोशिकाएं होती हैं जिनमे अत्यधिक मात्रा में क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है। सामान्यत: क्लोरोप्लास्ट मेसोफिल कोशिकाओं की भित्ति के साथ पंक्तिबद्ध होता है। जिससे कि इष्टतम मात्रा में आपतित प्रकाश प्राप्त कर सकें। क्लोरोप्लास्ट में एक झिल्ली तंत्र होता है। जिसमें ग्रेना, स्ट्रोमा लैमेले और स्ट्रोमा तरल होता है। क्लोरोप्लास्ट में सुस्पष्ट श्रम विभाजन होता है। झिल्ली तंत्र प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करता है और ATP और NDPH का संश्लेषण करता है। स्ट्रोमा में एंजाईमैटिक प्रतिक्रिया होती है, जो शर्करा का संश्लेषण करता है, जो बाद में स्टार्च में परिवर्तित हो जाता है। पहली वाली प्रतिक्रिया को प्रकाश अभिक्रिया किया जाता है। चूँकि यह पूर्णत: प्रकाश पर आधारित है। दूसरी प्रतिक्रिया प्रकाश अभिक्रिया के उत्पाद पर निर्भर करती है। अर्थात ATP और NDPH जो अँधेरे में संपन्न होती है, अत: इसे अप्रकाशी अभिक्रिया कहते हैं।
प्रकाश संश्लेषी वर्णक -
किसी भी हरे पादप के पर्णवर्णकों को पेपर क्रोमेटोग्राफी द्वारा अलग कर सकते हैं। क्रोमेटोग्राफी से पता लगता है कि पत्तियों में स्थित वर्णक के कारण जो हरापन दिखाई देता है। वह किसी एक वर्णक के कारण नहीं बल्कि चार वर्णकों : क्लोरोफिल ए (क्रोमेटोग्राफी में चमकीला अथवा नीला हरा), क्लोरोफिल बी (पीला हरा), कैरोटिनॉइड्स अर्थात् कैरोटीन एवं जेन्थोफिल, जिसमें कैरोटीन नारंगी और पीले रंग के होते हैं। हरे पौधों में β-कैरोटीन प्रमुखता से पाया जाता है। जन्तु β-कैरोटीन को विटामिन-A में बदल देते हैं। जैन्थोफिल पौधों के हरे भागों में कैरोटीन के साथ पाए जाते हैं। वर्णक वे पदार्थ हैं जिनमे प्रकाश के तरंग्दैर्ध्यों को अवशोषित करने की क्षमता होती है।
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक -
प्रकाश संश्लेषण की दर पौधों एवं फसली पादपों के उत्पादन जानने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। प्रकाश संश्लेषण कई कारकों से प्रभावित होता है। जो बाह्य तथा आंतरिक दोनों ही हो सकते हैं पादप कारकों में संख्या, आकृति, आयु तथा पत्तियों का विन्यास, पर्ण मध्योतक कोशिकाएं तथा क्लोरोप्लास्ट आंतरिक CO2 की सांद्रता और क्लोरोफिल की मात्रा आदि है। पादप अथवा आंतरिक कारक पौधे की वृद्धि तथा आनुवंशिक पुर्वानुकुलता पर निर्भर करते हैं।
बाह्य कारक हैं सूर्य का प्रकाश , ताप , CO2 की सांद्रता तथा जल। पादप की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में ये सभी कारक एक ही समय में साथ-साथ ही प्रभाव डालते हैं। यद्यपि, बहुत सारे कारक परस्पर क्रिया करते हैं तथा साथ- साथ प्रकाश संश्लेषण अथवा CO2 के योगिकीकरण को प्रभावित करते हैं। फिर भी प्राय: इनमें से कोई भी एक कारक इसकी दर को प्रभावित अथवा सीमित करने का एक मुख्य कारण बन जाता है। अत: किसी भी समय पर उपानुकुलतम स्तर पर उपलब्ध कारक द्वारा प्रकाश संश्लेषण की दर का निर्धारण होगा। वायुमण्डलीय प्रदूषक SO2, ओजोन, CO आदि प्रकाश-संश्लेषण दर को कम करता है।
प्रकाश
कम प्रकाश तीव्रता पर आपतित प्रकाश तथा CO2 यौगिकीकरण की दर के बीच एक रेखीय सम्बन्ध है। उच्च प्रकाश तीव्रता होने पर, इस दर में कोई वृद्धि नहीं होती है, अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। इसमें ध्यान देने वाली रोचक बात यह है कि प्रकाश संतृप्ति पूर्ण प्रकाश के 10 प्रतिशत पर होती है। छाया अथवा सघन जंगलों में उगने वाले पौधों को छोडकर प्रकाश शायद ही प्रकृति में सीमाकारी कारक हो। एक सीमा के बाद आपतित प्रकाश क्लोरोफिल के विघटन का कारण होती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है।
कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाई ऑक्साइड एक प्रमुख सीमाकारी कारक है। वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता बहुत कम है। कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता में 0.05 प्रतिशत तक वृद्धि के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की यौगिकीकरण की दर में वृद्धि हो सकती है। लेकिन इससे अधिक की मात्रा लम्बे समय के तक के लिए हानिकारक हो सकता है।
ताप
अप्रकाशी अभिक्रिया एंजायम पर निर्भर करती है, इसलिए ताप द्वारा नियंत्रित होता है। यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया भी ताप संवेदी होता है, लेकिन उस पर प्रकाश का काफी कम प्रभाव होता है। C4 पौधे उच्च ताप पर अनुक्रिया करते हैं तथा उनमें प्रकाश संश्लेषण की दर भी ऊंची होती है। जबकि C3 पौधे के लिए इष्टतम ताप कम होता है।
जल
यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया में जल एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया अभिकारक है तथापि कारक के रूप में जल का प्रभाव पुरे पादप पर पड़ता है, न कि सीधे प्रकाश संश्लेषण पर । जल तनाव रंध्र को बंद कर देता है। अत: कार्बन डाई ऑक्साइड की उपलब्धता घट जाती है। इसके साथ ही जल तनाव से पत्तियां मुरझा जाती हैं, जिससे पत्ती का क्षेत्रफल कम हो जाता है और इसके साथ ही साथ उपापचयी क्रियाएं भी कम हो जाती है।
प्रकाश संश्लेषण का महत्व -
- हरे पौधों में एक वर्णक जिसे हरितलवक कहते है, पाया जाता है। यह ऊर्जा को ग्रहण, परिवर्तित एवं स्थानांतरित करके इसे पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए उपलब्ध करा सकता है।
- प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया में प्रकाश ऊर्जा का रूपांतरण रासायनिक ऊर्जा में होता है।
- हरे पौधो के अलावा कोई भी जीव सौर ऊर्जा का सीधा उपयोग नहीं कर सकता है अतः सभी प्राणी अपने जीवन निर्वाह हेतु हरे पौधों पर निर्भर रहते हैं।
- हरे पौधे अकार्बनिक पदार्थों से अपना कार्बनिक भोजन स्वयं बनाते हैं अतः उन्हें स्वपोषी कहते हैं जबकि अन्य जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते अतः उन्हें विषमपोषी कहते हैं।
- हरे पौधे एवं इनके उत्पाद सभी जीवधारियों के मुख्य भोजन हैं।
- प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया के दौरान वातावरण में ऑक्सीजन मुक्त होती हैं जिससे पर्यावरण अन्य जीवों के जीवित रहने लायक बन पाता है।
इस पोस्ट में हमने Photosynthesis की प्रक्रिया के बारे में जाना। परीक्षा में पूछे जा रहे प्रश्नों की प्रकृति को ध्यान में रखकर यह पोस्ट संग्रहित किया गया है।
उम्मीद करता हूँ कि Photosynthesis की प्रक्रिया हिंदी में का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा ,अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।
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