Quantum Physics की जानकारी : अगर आप विज्ञान के विद्यार्थी हैं या नहीं भी हैं तो आपने क्वांटम फिजिक्स के बारे में जरुर सुना होगा, अगर नहीं भी सुना है आपको इस लेख में क्वांटम फिजिक्स के बारे में पता चल जायेगा।
क्वांटम फिजिक्स का नाम सुनते ही विज्ञान के विद्यार्थियों के पसीने छूटने लगते हैं। क्वांटम फिजिक्स समझने के बाद रुचिकर लगने लगता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics) क्या होता है।
क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi)
क्वांटम फिजिक्स को हिंदी में सूक्ष्म भौतिक विज्ञान कहते हैं। क्वांटम फिजिक्स भौतिक विज्ञान का वह भाग है जिसके अंतर्गत बहुत ही छोटे कणों जैसे अणु, परमाणु, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जैसे सब अटॉमिक कणों का अध्ययन किया जाता है। इन सभी कणों का आकार बहुत ही छोटा होता है। जिन्हें माइक्रोस्कोप की सहायता से देखा जा सकता है। 14 सितंबर 1900 को "मैक्स प्लांक" ने क्वांटम फिजिक्स की नींव डाली थी। इनके अनुसार प्रकाश और अन्य विद्युत् चुंबकीय विकिरण ऊर्जा (Magnetic Field ) का प्रवाह ना होकर ऊर्जा छोटे-छोटे हिस्से में चलती है। "मैक्स प्लांक" को क्वांटम फिजिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। इसी परिकल्पना को समझ कर आइंस्टाइन ने प्रकाश विद्युत प्रभाव को समझा था।
20वीं सदी तक माना जाता था कि परमाणु ब्रह्माण्ड की सबसे छोटी इकाई है सभी चींजे परमाणु से ही मिलकर बनी हैं।
लेकिन वर्ष 1900 में मैक्स प्लान्क ने ब्लेक बॉडी रेडियेशन का प्रयोग किया। इस प्रयोग में प्लान्क को एक अजीब चीज दिखी। कि परमाणु भी अन्य छोटे कणों से मिलकर बना है। उस समय प्रकाश को तरंग से मिलकर बना माना जाता था लेकिन मैक्स प्लांक ने देखा कि प्रकाश कणों की भांति व्यवहार कर रहा है।
इसी प्रयोग से प्लांक ने निष्कर्ष निकाला कि प्रकाश पूरी तरह ऊर्जा से न बनकर ऊर्जा छोटे- छोटे भागों से मिलकर बना है। ऊर्जा के इन छोटे छोटे पैकेट को क्वान्टा कहते हैं। हर क्वांटा की उर्जा निष्य होती है। यह प्रकाश की आवृत्ति ( frequency ) पर निर्भर करती है। इसे इस प्रकार प्रदर्शित करते हैं-
E = HV
जहाँ H प्लांक नियतांक (constant), E ऊर्जा (energy) और V आवृत्ति (frequency) है।
इस प्रकार क्वांटम फिजिक्स प्रारंभ हुआ । आगे चलकर बहुत सारे वैज्ञानिकों ने क्वांटम फिजिक्स में सक्रिय योगदान दिया और बहुत सारी चीजें खोजी गयी जैसे- प्रोटोन, न्यूट्रान फोटोन और इलेक्ट्रान आदि। जिनसे पता चलता है कि परमाणु सबसे छोटा कण न होकर ये कण सबसे छोटे हैं जिनसे मिलकर परमाणु बनता है।
दैनिक जीवन में जो भी ऊर्जा से चलती है और ऊर्जा क्वांटम फिजिक्स के कारण है। नए ग्रहों की खोज , सूरज का अस्त होना ,इन सभी बातों की जानकारी क्वांटम फिजिक्स के द्वारा पता चलता है। ब्रह्माण्ड के बारे में जो भी जानकारी वर्तमान में हमारे पास मौजूद है वो सब क्वांटम फिजिक्स से ही संभव हुआ है।
क्वांटम का डबल स्लिट प्रयोग (Quantum's Double Slit Experiment):
Double slit के प्रयोग से ज्ञात हुआ कि प्रकाश कण और तरंग दोनों तरह से व्यवहार करता है। 1805 में एक प्रयोग हुआ जिसमें एक बोर्ड लीया जिसके सामने प्रकाश निकालने वाल गन रखी, और बीच में दो तिराडे (Slit) वाली प्लेट रखी। अब उन्होने प्रकाश को निकाला तो देखा कि प्रकार तिराड से निकलकर बोर्ड पर पहुंच रहा है।
प्रयोग में देखा गया कि प्रकाश तिराड जितनी जगह में न रहकर आसपास विस्तार में फैल गया जिससे साबित हुआ कि प्रकाश तरंग का स्वभाव प्रदर्शित करता है। लेकिन प्लांक ने इसे कण का स्वभाव बताया। तब इस प्रयोग को दुबारा किया और प्लेट के पहले सेंसर रखा। इस बार देखा की प्रकार कण की भांति व्यवहार कर रहा है। इससे सिद्ध हुआ की प्रकाश तरंग और कण दोनों का व्यवहार प्रदर्शित करता है। इसे प्रकाश की द्वैती प्रकृति भी कहा जाता है।
अनिश्चितता सिद्धांत (uncertainty Principle):
क्वांटम फिजिक्स में अनिश्चितता सिद्धांत (Uncertainty Principle) वास्तव में क्या हो रहा है इससे अनभिज्ञता का आभास कराता है। हाईजेनबर्ग ने अनिश्चितता का सिद्धांत दिया।
अनिश्चितता सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु के दो गुण, जैसे उसकी स्थिति और वेग, दोनों को एक ही समय में ठीक-ठीक नहीं जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम एक इलेक्ट्रॉन की स्थिति को सटीक रूप से मापते हैं, तो हम इसकी गति को इतने सटीक रूप से नहीं जान पाएंगे। इसी सिद्धांत को हाईजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत कहते हैं।
क्वांटम इंटेंगलमेंट (quantum entanglement):
क्वांटम इंटेंगलमेंट कण ऐसे कण होते हैं जिनके गुण आपस में उलझे हुए रहते है। ऐसे में जब किसी एक के ऊपर कोई भी क्रिया की जाती है तो दूसरे इंटेंगलमेंट कण पर उसका प्रभाव होता है। कण के बीच दूरी बढ़ा देने के बाद भी यह प्रभाव बना रहता है। इसका प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि इंटेंगलमेंट कणअगर दूसरे ग्रह पर भी हो तो भी एक कण की प्रक्रिया करने पर दूसरा प्रभावित जरूर होगा। आइंस्टीन के लिए भी इसे मानना आसान नहीं रहा था। लेकिन आइंस्टीन के अनुसार यह दुनिया वास्तव मे होती है और इससे जुड़े जितने भी शोध किए हुए' हैं उनका जवाब सटीक मिलता है।
क्वांटम के कोई दो कण (electron, photon) एक दूसरे के संपर्क में आते है तो वो एक दूसरे से जुड़ जाते है।अब अगर इन दोनों कणो को एक दुसरे से अलग करते है तब भी वो एक दूसरे से जुड़े हुए ही रहते है।
जब हम उनमे से किसी एक कण पर कोई परिवर्तन करते है तो वो परिवर्तन' दूसरे कण पर भी होगा। चाहे दोनों कणो के बीच की दूरी हजारों किलोमीटर ही हो। क्वांटम फिजिक्स (Quantum physics in hindi) की इस घटना का प्रयोग करके एक फोटोन को 213 किलोमीटर दूर टेलीपोर्ट किया गया था।
इस पोस्ट में हमें क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi) के बारे में जाना। क्वांटम फिजिक्स एक बहुत ही रोचक टॉपिक है जो हमें ब्रहमांड से अनभिज्ञ तथ्यों से अवगत कराता है।
उम्मीद करता हूँ कि क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi) का यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा , अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लग अहो तो इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें।
0 Comments:
Post a Comment
हमें अपने प्रश्नों और सुझावों को कमेंट करके बताएं...