पादप रोग का अध्ययन तथा प्रकार - Study of Plant disease and its Types 2022

पादप रोग का अध्ययन तथा प्रकार - Study of Plant disease and Types 2022

आज के इस जानकारी भरी पोस्ट में जानेंगे की पादप रोग क्या हैं? पादप रोग के कौन कौन से उदाहरण हैं? साथ ही विभिन्न प्रकार के पादप रोगों के नाम के बारे में।

वैसे तो आपने पादप रोग के बारे स्कूल या कॉलेज में पढ़ा ही होगा की किस प्रकार से पौधे में रोग लग जाते हैं | यदि आप ग्रामीण क्षेत्र से हैं तो आपको पता होगा की कई बार हमारे फ़सल कैसे पादप रोग के कारण ख़राब हो जाते हैं।

पादप रोग का अध्ययन तथा प्रकार - Study of Plant disease and its Types 2022

Table of content:-

  • पादप रोग क्या हैं ? (What is Plant disease)
  • पादप रोगों के मुख्य उदाहारण ( Some Example of Plant disease)
  • पादप रोगों का क्या महत्व है? 
  • विषाणुजनित पादप रोग
  • जीवाणुजनित पादप रोग
  • कवकजन्य पादप रोग
  • कृमिजन्य रोग पौध कीट 
  • पौधे कीट
  • पादप रोग का अध्ययन तथा प्रकार
  • पादप रोग नियंत्रण की विधियां

पादप रोग का महत्व, उनके द्वारा होने वाली हानियों के कारण बहुत ही ब़ढ़ गया है। रोगों द्वारा हानि खेत से भण्डारण तक अथवा बीज बोने से लेकर फसल काटने के बीच किसी भी समय हो सकती है पौधे के जीवन काल में बीज सड़न, आर्द्रमारी, बालपौध झुलसा, तना सडन, पर्णझुलसा, पर्ण-दाग, पुष्प झुलसा तथा फल सड़न ब्याधियॉ उत्पन्न होती है।

पादप रोग क्या हैं ? (What is Plant disease)

पादप रोग को यदि  एक लाइन में समझना हो तो हम बोल सकते हैं पादपो में होने वाले रोग | पौधे के जीवन काल में बीज सड़न, आर्द्रमारी, बालपौध झुलसा, तना सडन, पर्णझुलसा, पर्ण-दाग, पुष्प झुलसा तथा फल सड़न आदि |

अन्य शब्दों में पादप रोग क्या हैं- 

पादप रोगविज्ञान या फायटोपैथोलोजी (plant pathology या phytopathology) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक के तीन शब्दों जैसे पादप, रोग व ज्ञान से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "पादप रोगों का ज्ञान (अध्ययन)"। जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत रोगों के लक्ष्णों, कारणों, हेतु की, रोगचक्र, रागों से हानि एवं उनके नियंत्रण का अध्ययन किया जाता हैं।

पादप रोगों के मुख्य उदाहारण - ( Some Example of Plant disease)

  • गन्ने में का लाल सड़न रोग - उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों तथा बिहार के निकटस्थ क्षेत्रों में,
  • गन्ने का लाल सड़न या कंड - समस्त भारत में,
  • आम का चूर्णिल आसिता व गुच्छा शीर्ष रोग
  • अमरूद का उकठा
  • मध्य एवं दक्षिणी भारत में सुपारी को महाली अथवा कोलिरोगा रोग,
  • गेहूं के किटट,
  • अरहर तथा चने का उकठा,
  • नेमाटोड से उत्पन्न गेहूं को गेगला या सेहूं रोग
  • सब्जियों का जडग्रन्थि व मोजेक,
  • काफी एवं चाय का किटट,

पादप रोगों का क्या महत्व है? 

पौधों की बीमारियों का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि वे पौधे के साथ-साथ पौधों की उपज को भी नुकसान पहुंचाते हैं । खेत में, भंडारण में या बुवाई और उपज की खपत के बीच किसी भी समय विभिन्न प्रकार के नुकसान होते हैं। रोग प्रत्यक्ष मौद्रिक हानि और भौतिक हानि के लिए जिम्मेदार हैं।

विषाणुजनित पादप रोग : 

  1. केला का बंची टॉप 
  2. आलू मोजेइक, 
  3. तंबाकू मोजेइक, 
  4. आलू का लीफ रोल, 
  5. तंबाकू, टमाटर और पपीता का पर्ण-संकुचन, 
  6. गाजर का रेड लीफ ।

जीवाणुजनित पादप रोग : 

  1. गेहूँ का तुंदु रोग, 
  2. धान का ब्लाइट, 
  3. कपास का उँगलीदार पर्ण धब्बा या ब्लैक आर्म, 
  4. सेब, अलमंद, बेर, चेरी, आडू, नाशपाती आदि का क्राउन गाल रोग, 
  5. आलू का भूरा रूट, 
  6. आलू का चक्रीय रूट।

कवकजन्य पादप रोग : 

  1. गेहूँ का रस्ट- काला, भूरा, पीला, 
  2. तिल्ली पर्ण धब्बा या भूरा पर्ण धब्बा, 
  3. बाजरा का ग्रीन ईअर रोग, 
  4. बाजरा का स्मट रोग, 
  5. मूँगफली का टिक्का रोग, 
  6. गन्ने का रेड रूट, 
  7. बाजरा का अरगोट, 
  8. धान का ब्लास्ट रोग, 
  9. मूली, शलगम, पत्ता गोभी, फूल गोभी आदि का सफेद रस्ट, 
  10. गेहूँ का चूर्ण मिल्ड्यू. 
  11. गेहूँ का कर्नल बंट, 
  12. कहवा का रस्ट, 
  13. आलू का लेट ब्लाइट, 
  14. अंगूर, बाजरा, पत्ता गोभी, सरसों फूलगोभी, का डाउनी मिल्ड्यू, 
  15. पपीता का फूटरूट, 
  16. काला चना, राजमा आदि का बीन रस्ट, 
  17. कपास का विल्ट, 
  18. मटर का विल्ट, 
  19. धान का फूटरूट, 
  20. जौ का लूज स्मट।

कृमिजन्य रोग पौध कीट : 

  • नींबू का डाई बैक, 
  • टमाटर का रूट नॉट, 
  • गेहूँ का ईयर कोकल  

पौधे कीट : 

  • कपास का धब्बेदार गोलकृमि, 
  • चावल का स्टेम बोरर, 
  • कपास का भूरा पौध होपर,
  • कपास का गुलाबी गोलकृमि, 
  • गंधी बग या धान्य बग, 
  • नारियल का कीड़ा।

Study of Plant Disease and its Types 2022

लघु कृषक व्यापार संघ की स्थापना 1994 में हुई। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आय और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रयास करता है। इसके प्रबंधन बोर्ड का पदेन अध्यक्ष कृषि मंत्री और इसका पदेन उपाध्यक्ष भारत सरकार के कृषि और सहकारिता विभाग का सचिव होता है। 

चीन और अमेरिका के बाद भारत विश्व में उर्वरकों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।  भारत यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर है, जबकि डी.ए.पी. के मामले में उसकी आत्मनिर्भरता 95 प्रतिशत है। पूरे देश में उर्वरकों की खपत 89.9 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। 

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पादप रोग का अध्ययन तथा प्रकार

उर्वरकों के उपभोग में पंजाब तथा हरियाणा क्रमश: पहले तथा दूसरे स्थान पर हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड तथा सिक्किम 10 किग्रा / हेक्टेयर भी उपभोग नहीं करते हैं| देश में बिजली की प्रति व्यक्ति सबसे अधिक खपत पंजाब में है।

तो आज के इस पोस्ट में हमने पादप रोग का अध्ययन तथा प्रकार के बारे पूरी जानकारी देखा आशा करते हैं की आपको Study of Plant Disease and its Types की यह जानकारी पसंद आई होगी और आपको कुछ नए पादप रोगों के बारे में जानने सिखने को मिला होगा |

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पादप रोग नियंत्रण की विधियां

ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है। ट्राइकोडर्मा एक कवक फफूंद है । यह लगभग सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में पाया जाता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा जनित पादप रोगों के नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक किया जा सकता है।

पादप रोग की खोज किसने की थी?

पादप रोग की खोज लॉर्ड प्लिनी (100 ई.) उन्होंने पौधों के रोगों का वर्णन किया और कुछ उपाय सुझाए। उनका मानना था कि रोग पौधों से या पर्यावरण से उत्पन्न होता है।

इस आर्टिकल में हमने पादप रोंगों, पादप रोगों के प्रकार, पादप रोगों का महत्त्व और पादप रोंगों के नियंत्रण के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पादप रोगों से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

आशा करता हूँ कि पादप रोंगों की यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,यदि आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।


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