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40+ America GK in Hindi | अमेरिका का सामान्य ज्ञान 2023 | USA GK IN HINDI

Important GK Facts About America (USA) in Hindi

USA GK IN HINDI : नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको अमेरिका से जुडी सभी सामान्य ज्ञान के बारे में बहुविकल्पी प्रश्न और अमेरिका के राष्ट्रपति से जुड़े प्रश्नों को दिया है। अमेरिका को महाशक्ति के रूप में जाना जाता है। America GK in Hindi 2023

USA GK IN HINDI

अमेरिका का सामान्य ज्ञान 2023 (USA GK IN HINDI 2023)

अमेरिका विश्व के विकसित देशों में से एक है। जबकि भारत अभी तक एक विकासशील देश है।अमेरिका राज्यों का एक संघ है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सामान्य ज्ञान से सम्बंधित सवाल पूछे जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें। America GK in Hindi

40+ America GK in Hindi 2023

प्रश्न 1:- अमेरिका के 46वें President या राष्ट्रपति कौन बने हैं?

उत्तर :-जो बाइडेन।

प्रश्न 2:- जो बाइडेन को कुल कितनी सीटें मिली?

उत्तर :- 290 सीटें।

प्रश्न 3:- डोनाल्ड ट्रंप को कुल कितनी सीटें मिली?

उत्तर :- 214 सीटें।

प्रश्न 4:- रिपब्लिकन पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?

उत्तर :- हाथी।

प्रश्न 5:- डेमोक्रेटिक पार्टी का चुनाव चिन्ह क्या है?

उत्तर :- गधा।

प्रश्न 6:- किस देश का संविधान विश्व का सबसे प्रथम लिखित संविधान है?

उत्तर :- अमेरिका का।

प्रश्न 7:- हाल ही में अमेरिका की नई उपराष्ट्रपति कौन बनी है?

उत्तर :- कमला देवी हैरिस।

प्रश्न 8:- हाल ही में कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद के लिए किसे हराया है?

उत्तर :- माइक पैंन्स को।

प्रश्न 9:- कनाडा और अमेरिका के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (8891 KM) का क्या नाम है?

उत्तर :- 49 वीं समांतर रेखा।

प्रश्न 10:- अमेरिका के वर्तमान प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप किस पार्टी से संबंधित हैं?

उत्तर :- रिपब्लिकन पार्टी।

प्रश्न 11:- जो बाइडेन किस पार्टी से संबंधित हैं?

उत्तर :- डेमोक्रेटिक पार्टी।

प्रश्न 12:- कमला हैरिस किस पार्टी से संबंधित हैं?

उत्तर :- डेमोक्रेटिक पार्टी।

प्रश्न 13:- अमेरिका भूमि क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में कौन से स्थान पर है?

उत्तर :- चौथे स्थान पर।

प्रश्न 14:- अमेरिका जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में कौन से स्थान पर है?

उत्तर :- तीसरे नंबर पर।

प्रश्न 15:- व्हाइट हाउस का नाम किसने दिया था?

उत्तर :- अमेरिका के 26 वें क्रम के राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने सन् 1901 में व्हाइट हाउस का नाम दिया था।

प्रश्न 16:- अमेरिका का संविधान कब लागू हुआ था?

उत्तर :- 4 मार्च 1789 को।

प्रश्न 17:- अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? और वे राष्ट्रपति कब बने? 

उत्तर :- अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन थे। और वे 30 अप्रैल 1789 को अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बने थे।

प्रश्न 18:- विश्व की सबसे मीठे जल की झील सुपीरियर झील कहां स्थित है?

उत्तर :- अमेरिका और कनाडा में।

प्रश्न 19:- अमेरिका में राष्ट्र का प्रमुख कौन होता है?

उत्तर :- अमेरिका का राष्ट्रपति।

प्रश्न 20:- अमेरिका किस महाद्वीप में स्थित है?

उत्तर :- उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में।

प्रश्न 21:- अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?

उत्तर :- 4 वर्षों का।

प्रश्न 22:- अमेरिका में एक व्यक्ति अधिकतम कितनी बार राष्ट्रपति बन सकता है?

उत्तर :- केवल दो बार।

प्रश्न 23:- डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष कौन हैं?

उत्तर :- टॉम पैरेज।

प्रश्न 24:- रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष कौन हैं?

उत्तर :- Ronna McDaniel

प्रश्न 25:- अमेरिका अपने स्वतंत्रा दिवस मनाता है?

उत्तर :- प्रत्येक वर्ष 4 जुलाई को।

प्रश्न 26:- अमेरिका की मुद्रा क्या है? 

उत्तर :- अमेरिका की मुद्रा डॉलर है।

प्रश्न 27:- क्षेत्रफल की दृष्टि से अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?

उत्तर :- अलास्का।

प्रश्न 28:- क्षेत्रफल की दृष्टि से अमेरिका का सबसे छोटा राज्य कौन सा है?

उत्तर :- रोड आईसलैंड।

प्रश्न 29:- जनसंख्या की दृष्टि से अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?

उत्तर :- कैलिफ़ोर्निया।

प्रश्न 30:- जनसंख्या की दृष्टि से अमेरिका का सबसे छोटा राज्य कौन सा है?

उत्तर :- Wyoming।

प्रश्न 31:- अमेरिका की खोज किसने की थी?

उत्तर :- क्रिस्टोफर कोलंबस ने।

प्रश्न 32:- अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने कब की थी?

उत्तर :- सन् 1492 में।

प्रश्न 33:- अमेरिका में कुल कितने राज्य हैं?

उत्तर :- अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं।

प्रश्न 34:- स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी अमेरिका के किस शहर में स्थित है?

उत्तर :- न्यूयॉर्क में।

प्रश्न 35:- अमेरिका के झंडे में कितने तारे एवं पट्टियां होती हैं?

उत्तर :- अमेरिका के झंडे में 50 तारे एवं 13 पट्टियां होती हैं।

प्रश्न 36:- अमेरिका की राजधानी क्या है?

उत्तर :- वाशिंगटन डीसी

प्रश्न 37:- अमेरिका की संसद ऊपरी व नीचली सदन का क्या नाम है?

उत्तर :- अमेरिका के ऊपरी सदन का नाम "सीनेट" है तथा निचली सदन का नाम *हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव* है।

प्रश्न 38:- अमेरिका के संसद का क्या नाम है? और इसमें कितने सदन होते हैं?

उत्तर :- कांग्रेस तथा इसमें दो सदन होते हैं।

प्रश्न 39:- अमेरिका का पूरा नाम क्या है?

उत्तर :- संयुक्त राज्य अमेरिका

प्रश्न 40:- अमेरिका में एक व्यक्ति अधिकतम कितनी बार राष्ट्रपति बन सकता है?

उत्तर :- केवल दो बार।

इन्हें भी पढ़ें

200+ संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी 2022

अमेरिका सामान्य ज्ञान ( America General Knowledge ) – संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) को अमेरिका या अमरीका बोला जाता है। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में स्थित एक देश है)

तो ये थी जानकारी संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी 2023 | USA GK Question in Hindi की आशा करते हैं की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में शेयर जरुर करें |

USA GK Question in Hindi (FAQs)

प्रश्न :- अमेरिका की राजधानी क्या है?
उत्तर :- वाशिंगटन डीसी।

प्रश्न :- अमेरिका में कुल कितने राज्य हैं?
उत्तर :- अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं।

जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची (List of names of animals and their babies)

जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची (List of names of animals and their babies)

हेलो दोस्तों, studypointandcareer.com में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची (List of names of animals and their babies) के बारे में जानने वाले हैं। इस पृथ्वी पर 84 लाख प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं। सभी जीव जंतुओं के अलग अलग नाम हैं। कभी कभी ऐसा भी होता है कि जीव और उसकी बच्चो को अलग अलग नाम से जाना जाता है। 

आज के इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ जंतुओं और उनके बच्चों के नामों के बारे में बताया जा रहा है। जिसे हमें सामान्य जानकारी की नजर से जरुर जानना चाहिये। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची (List of names of animals and their babies) से जुड़े सवाल अक्सर पूछे जाते हैं।

 
names of animals and their babies

जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची: -

जन्तु का नाम (animal name)जंतुओं के बच्चों का नाम (animal baby names)
भालू (Bear)पशुशावक (cub)
चिड़िया (bird)हैचलिंग, लड़की (चूज़ा) (hatchling, chick)
भैंस (Buffalo)बछड़ा (बछड़ा) (calf )0000
तितली (butterfly)प्यूपा, कमला (pupa, caterpillar)
ऊँट (camel)बछड़ा (calf)
बिल्ली (cat)बिल्ली का बच्चा (बिलौटा, बिल्ली का बच्चा) (kitten)
गाय (cow)बछड़ा (calf)
हिरण (Deer)फौन (हिरण का बच्चा) (Fawn)
कुत्ता (dog)पिल्ला (puppy)
गधा (donkey)बछेड़ा (Colt)
बतख (Duck)बत्तख़ का बच्चा (duckling)                               पढ़ें- जीवों का वर्गीकरण।
हाथी (elephant)गाय का बच्चा (calf)
मेंढक (frog)मेढक का डिंभकीट (frog larva)
बकरी (goat)बच्चा (baby)
घोड़ा (horse)बछेड़ा, बछेड़ा (पुरुष), बछेड़ी (महिला) (colt, colt (male), colt (female))
कंगारू (Kangaroo)कंगारू का बच्चा (kangaroo baby)
बंदर (monkey)बंदर का बच्चा (monkey baby)
सिंह (Lion)पशुशावक (cub)
भेड़ (lamb)भेड़ का बच्चा (मेमना) (lamb)
शेर (Lion)पशुशावक (cub)

जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची 

इस आर्टिकल में हमने जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची (List of names of animals and their babies) के बारे में जाना। इस ब्रह्माण्ड में इतने सारे जीव जंतु है, अगर अनके नाम न हों तो उन्हें पहचानना मुश्किल हो जायेगा। इसलिए सभी जीव जंतुओं के अलग अलग नाम दिए गए हैं पर कभी कभी उनके बच्चों के नाम में भी भिन्नता पाई जाती है।

उम्मीद करता हूँ कि जंतुओं और उनके बच्चों के नाम की सूची (List of names of animals and their babies) का  यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी सबित होगी, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इस आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects)

विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects in Hindi)

नमस्कार, आपका studypoiandcareer.com में स्वागत है। इस लेख में हम विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects in Hindi) के बारे में जानने वाले हैं। वर्तमान समय में जो शिक्षा पद्धति चल रही है, उनमे जो विषय पढाये जाते हैं। उन विषयों की खोज किसी न किसी व्यक्ति ने ही की है या  किसी विषय विशेष में किसी व्यक्ति का अभूतपूर्व योगदान होता है। उस व्यक्ति को उस विषय का पिता या जनक कहा जाता है।

Father of the Subjects

आज के इस लेख में ऐसे ही कुछ विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects in Hindi) के बारे में बताया जा रहा है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, CDS ,SSC, TEACHER इत्यादि में  विषयों के जनकों के बारे में अक्सर पूछा जाता है। तो चलिए जानते हैं विभिन्न विषयों के जनकों के नाम के बारे में- 

Father of the Subjects in Hindi

विषयविषयों के जनक
आयुर्वेद के जनक चरक
जीव विज्ञान के जनक अरस्तु
भौतिकी के पिता अल्बर्ट आइंस्टीन
सांख्यिकी के जनक रोनाल्ड फिशर
जूलॉजी के जनक अरस्तू
इतिहास के पिता हेरोडोटस
माइक्रोबायोलॉजी के जनक लुई पाश्चर
वनस्पति विज्ञान के जनक थियोफ्रेस्टस
बीजगणित के जनक डायोफैंटस
रक्त समूहों के जनक लैंडस्टीनर
बिजली के जनक बेंजामिन फ्रैंकलिन
त्रिकोणमिति के जनक हिप्पार्कस
ज्यामिति के जनक यूक्लिड
आधुनिक रसायन विज्ञान के जनक एंटोनी लावोसियर
रोबोटिक्स के जनक निकोला टेस्ला
इलेक्ट्रॉनिक्स के पिता रे टॉमलिंसन
इंटरनेट के जनक विंटन सेर्फ़
अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ
वीडियो गेम के पिता थॉमस टी। गोल्डस्मिथ, जूनियर
वास्तुकला के जनक इम्होटेप
आनुवंशिकी के जनक ग्रेगर जोहान मेंडेल
नैनो टेक्नोलॉजी के जनकरिचर्ड स्माली
रोबोटिक्स के जनक;अल-जज़ारी
सी भाषा के पिता डेनिस रिची
वर्ल्ड वाइड वेब के जनक टिम बर्नर्स-ली
सर्च इंजन के जनक एलन एमटेज
आवर्त सारणी के जनक दिमित्री मेंडेलीव
टैक्सोनॉमी के जनक कैरोलस लिनिअस
सर्जरी के पिता प्रारंभिक सुश्रुत
गणित के जनक आर्किमिडीज
चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स
होम्योपैथी के जनक सैमुअल हैनीमैन
कानून के पिता सिसरो
अमेरिकी संविधान के पिता जेम्स मैडिसन
भारतीय संविधान के पिता अम्बेडकर
हरित क्रांति के जनक नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग

इन्हें भी पढ़ें-

>>भारत के उपराष्ट्रपति की सूची।

विषयों के जनकों की सूची in English

SubjectFather of the Subjects
Father of Ayurveda Charaka
Father of BiologyAristotle
Father of PhysicsAlbert Einstein
Father of StatisticsRonald Fisher
Father of ZoologyAristotle
Father of HistoryHerodotus
Father of MicrobiologyLouis Pasteur
Father of BotanyTheophrastus
Father of AlgebraDiophantus
Father of Blood groupsLandsteiner
Father of ElectricityBenjamin Franklin
Father of TrigonometryHipparchus
Father of GeometryEuclid
Father of Modern ChemistryAntoine Lavoisier
Father of RoboticsNikola Tesla
Father of ElectronicsRay Tomlinson
Father of InternetVinton Cerf
Father of EconomicsAdam Smith
Father of Video gameThomas T. Goldsmith, Jr.
Father of ArchitectureImhotep
Father of GeneticsGregor Johann Mendel
Father of NanotechnologyRichard Smalley
Father of RoboticsAl-Jazari
Father of C language Dennis Ritchie
Father of World Wide Web Tim Berners-Lee
Father of Search engine Alan Emtage
Father of Periodic table Dmitri Mendeleev
Father of Taxonomy Carolus Linnaeus
Father of Surgery early Sushruta
Father of Mathematics Archimedes
Father of Medicine Hippocrates
Father of Homeopathy Samuel Hahnemann
Father of Law Cicero
Father of the American Constitution James Madison
Father of the Indian Constitution Dr. B.R. Ambedkar
Father of the Green Revolution Norman Ernest Borlaug
Father of the Green Revolution in India M.S Swaminathan


इस लेख में हमने विभिन्न विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects) के बारे में जाना। किसी विषय विशेष की खोज करने वाले या किसी विषय विशेष में अहम योगदान देने वाले व्यक्ति को उस विषय का जनक या पिता कहा जाता है। विभिन्न परीक्षाओं में विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects in Hindi) से सम्बन्धित प्रश्न प्राय: पूछे जाते रहते हैं।
 
आशा  करता हूँ कि विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects in Hindi) का यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा, यदि आपको विषयों के जनकों की सूची (Father of the Subjects in Hindi) का यह लेख अच्छा लगा हो तो इस लेख को शेयर जरुर करें।

विश्व के प्रमुख खेल और उनके खिलाड़ियों की संख्या (Major sports and their number of players)

विश्व के प्रमुख खेल और उनके खिलाड़ियों की संख्या (Major sports of the world and their number of players)

हेलो दोस्तों, आपका studypointandcareer.com में स्वागत है। इस आर्टिकल में हम विश्व के प्रमुख खेल और उनके खिलाड़ियों की संख्या (Major sports of the world and their number of players) के बारे में जानने वाले हैं। कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है साथ शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी खेल बहुत आवश्यक है। खेल और खिलाड़ियों की संख्या | List Of Number Of Players In Sports

Major sports and their number of players

खेल और खिलाड़ियों की संख्या | List Of Number Of Players In Sports

खेल (Sports)खिलाड़ियों की संख्या (number of players)
हॉकी (Hockey)11
क्रिकेट (Cricket)11
बास्केटबाल (Basketball)5
कबड्डी (Kabaddi)7
खो खो (Kho Kho)9
बैडमिंटन (Badminton)1 or 2 (Singles & Doubles respectively)
टेनिस (Tennis)1 or 2 (Singles & Doubles respectively)
टेबल टेनिस (Table Tennis)1 or 2 (Singles & Doubles respectively)
मुक्केबाज़ी (Boxing)1
शतरंज (Chess)1
बेसबॉल (Baseball)9
वालीबाल (Volleyball)6
फुटबॉल सॉकर) (Football (Soccer))11
रग्बी फुटबॉल (Rugby football)15
पोलो (Polo)4
वाटर पोलो (Water Polo)7
नेटबॉल (Netball)7
व्यायाम (Gymnastic)Several individuals compete simultaneously
बिलियर्ड्स/स्नूकर (Billiards/Snooker)1
पुल (Bridge)2
क्रोक्वेट (Croquet)13 or 15
गोल्फ़ (Golf)Several individuals compete simultaneously
लाक्रोस (Lacrosse)12

List of world's major sports and their number of players in Hindi

विभिन्न देशों के राष्ट्रीय खेलों की सूची (List of National Games of different country)

विभिन्न देशों के राष्ट्रीय खेलों की सूची (List of National Games of different country)

नमस्कार, studypointandcareer.com में आपका स्वागत है।  इस लेख में हम विभिन्न देश के राष्ट्रीय खेलों की सूची के बारे में जानेंगे। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। खेल एक ऐसा तरीका है जिससे मनोरंजन के साथ-साथ मानव का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

खेलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों ने अपने राष्टीय खेल घोषित किये हुए हैं जिससे लोंगो की खेलों में रूचि बढ़ सके। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे - UPSC, STATE PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, CDS, BANKING PO, BANKING CLERK इत्यादि में विभिन्न देश के राष्ट्रीय खेलों से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

List of National Games of different country

विभिन्न देशों के राष्ट्रीय खेलों की सूची (List of National Games of different country)

देश का नामराष्ट्रीय खेल
संयुक्त राज्य अमेरिकाबेसबॉल
इंग्लैण्डक्रिकेट
स्पेनमानव युद्ध, सांड-युद्ध
जापानजूडो
कनाडाआइस हॉकी
ऑस्ट्रेलियाक्रिकेट
रूसचैस
मलेशियाबैडमिन्टन
चीनटेबल टेनिस
भारतफील्ड हॉकी
पाकिस्तानफील्ड हॉकी
ब्राज़ीलफुटबॉल
फ्रांसफुटबॉल
इंडोनेशियाबैडमिन्टन
भूटानतीरंदाजी
अफगानिस्तानबुज़काशी
एंटीगुआ और बारबुडाक्रिकेट
अर्जेटिनापाटो
बांग्लादेशकबड्डी
बारबाडोसक्रिकेट
बरमुडाक्रिकेट
बुल्गारियाभारोतोलन
चिलीचिली रोडियो
क्यूबाबेसबॉल
हंगरीवाटर पोलो
ईरानकुश्ती
जमैकाक्रिकेट
मैक्सिकोचैरेरिया
न्यूज़ीलैंडरग्बी यूनियन
नॉर्वेक्रास कंट्री स्काईंग
दक्षिण कोरियाताईकावांडो
श्रीलंकाबॉलीबॉल
नेपालदांडी बियो
उरुग्वेफुटबॉल
कोलंबियातेजो
फिलीपींसअर्निस
एस्तोनियाबास्केटबॉल
जॉर्जियारग्बी यूनियन
ग्रेनाडाक्रिकेट
गयाना या गुयानाक्रिकेट या वाटर पोलो
आइसलैंडहैंडबॉल
इजराइलफुटबॉल
जमैकाक्रिकेट
लाटवियाबास्केटबॉल (गर्मी), आइस हॉकी (सर्दी)
लिथुआनियाबास्केटबॉल
मेडागास्कर, या ‘मेडागास्कर गणराज्यरग्बी यूनियन
मॉरिशसफुटबॉल
मंगोलियातीरंदाजी, मंगोलियन रेसलिंग, घोड़ो की दौड़
स्कॉटलैंडगोल्फ
टर्कीआयल रेसलिंग
वेल्सरग्बी यूनियन
वेनेज़ुएलाबेसबॉल

इस लेख में हमने विभिन्न देश के राष्ट्रीय खेलों की सूची के बारे में जाना। समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय , राष्ट्रीय, राज्यीय, तथा जिला स्तर पर विभिन्न खेल प्रतियोगिता आयोजित किये जाते हैं और विजयी टीम या व्यक्ति के प्रोत्साहन के लिए पुरस्कार भी दिए जाते हैं ,जिससे अन्य व्यक्ति भी खेलों में रूचि दिखाएँ।

आशा करता हूँ कि विभिन्न देश के राष्ट्रीय खेलों की सूची का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा , यदि आपको यह लेख अच्छा लगे तो लेख को शेयर जरुर करें।  

महत्वपूर्ण तथ्य - पृथ्वी | सामान्य जानकारी | facts of earth in hindi

पृथ्वी के महत्वपूर्ण तथ्य | पृथ्‍वी के बारे में सामान्य जानकारी | General information about Earth

आज के इस लेख में हम महत्वपूर्ण तथ्य - पृथ्वी | सामान्य जानकारी के बारे में जानेंगे। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, SSC,RRB, NTPC, RAILWAY CDS BANKING इत्यादि में पृथ्वी के  महत्वपूर्ण तथ्य से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। हम जहाँ पर रहते हैं उसे पृथ्वी कहते हैं जो सौरमंडल का एक ग्रह है जो सूर्य की परिक्रमा करता है। महत्वपूर्ण तथ्य - पृथ्वी: पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन है. धरती का घनत्व पूरे सौरमंडल में सबसे ज्यादा है।

facts of earth

पृथ्वी के बारे में कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्य:

  1. पृथ्वी की अनुमानित आयु - 454,300,000,000 वर्ष (4.543 billion years)
  2. सम्पूर्ण धरातलीय क्षेत्रफल- 51,01,00,800 वर्ग किमी. (510.1 million km²)
  3. पृथ्वी का भूमि क्षेत्रफल (29%) - 510,100,000 वर्ग कि. मी. (510.1 million km²)
  4. पृथ्वी का जलीय क्षेत्रफल (71%)- 36,11,49,700 वर्ग कि. मी.
  5. पृथ्वी का औसत घनत्व - 5.52 ग्राम प्रति घन सेमी
  6. विषुवतीय रेखीय व्यास- 12,755 किमी
  7. ध्रुवीय व्यास -12,712 किमी
  8. गुरुत्वाकर्षण से बहार निकलने के लिए आवश्यक निर्गमन गति -11.2 किमी/सेकण्ड
  9. पृथ्वी का आयतन -10,83,20,88,40,00 घन किमी
  10. समुद्र तल से पृथ्वी की सर्वाधिक ऊंचाई - 8,848 मीटर (माउंट एवरेस्ट )
  11. समुद्र तल से सागर की सर्वाधिक गहराई - 11,033 मीटर (मेरियाना ट्रेंच)प्रशांत महासागर,फिलिपीन्स के पूर्व में
  12. धरातल का सर्वाधिक निचला स्थान - 396 मीटर मृत सागर
  13. अपने अक्ष पर घूर्णन अवधि - 23 घंटे, 56 मिनट, 40.11 सेकण्ड
  14. पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा की अवधि - 356 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 45.51 सेकण्ड
  15. सूर्य से माध्य दूरी पर -4,94,07,00 किमी
  16. भूमध्य रेखा पर परिधि -40,075 किमी
  17. ध्रुवीय परिधि -40,024 किमी
  18. सतह पर दाब - 101.325 किलो पास्कल
  19. पृथ्वी का उपग्रह -चंद्रमा
  20. पृथ्वी का ग्रहों में स्थान 3rd (तीसरा)
  • सूर्य से दूरी : 149,597.900 (लगभग 15 करोड़) कि.मी.
  • चंद्रमा से दूरी : 3,82,200 कि.मी.
  • आयु : 4.5 अरब वर्ष
  • द्रव्यमानः 5.97 x 1024 किलोग्राम
  • आयतन : 1.08 x 1024 लीटर
  • औसत घनत्वः 5.52 ग्राम / घन सेमी.
  • औसत तापमान : 61 डिग्री फॉरेनाइट (16°C)
  • क्षेत्रफलः 509,700,000 वर्ग कि.मी.
  • (भूमि का क्षेत्रफल- 148,400,000 वर्ग कि.मी. तथा जल का क्षेत्रफल-लगभग 361,300,00 वर्ग कि.मी.)
  • उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक की लंबाई (ध्रुवीय व्यास) : 12,713.54 कि.मी.
  • विषुवत रेखा पर पृथ्वी की लंबाई (विषुवतीय व्यास) 12,756.32 कि.मी
  • ध्रुवीय परिधिः 40,008.00 कि.मी.
  • विषुवत रेखीय परिधि : 40,075.16 कि.मी.
  • परिभ्रमण गतिः 356 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेंड ( पृथ्वी द्वारा सूर्य का एक चक्कर लगाना)
  • घूर्णन गतिः 23 घंटे 56 मिनट 4.09 सेकेंड ( पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना)
  • उच्चतम भूमि : माउंट एवरेस्ट (8,850 मीटर)
  • निम्नतम भूमि : मृत सागर तट (399 मीटर)
  • सबसे गहरा क्षेत्र : प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त (समुद्र तल से 11033 मीटर नीचे, फिलीपीन्स के पास स्थित)
  • वायुमंडलः ऊँचाई- धरातल से 1,600 कि.मी. की ऊंचाई तक
  • नक्षत्र दिवस की अवधिः 23 घंटे, 56 मिनट
  • सौर दिवस की अवधिः 24 घंटे
  • उच्चतम तापमानः 58° सेंटीग्रेड-अल अजीजीया (लीबिया)
  • निम्नतम तापमान : -89.6° सेंटीग्रेड, वोस्तोक स्टेशन (अंटार्कटिका)
  • सतह का औसत तापमानः 15°C
  • सबसे नीचा स्थानः मृत सागर (इजराइल, जॉर्डन)
  • भूपर्पटी का संघटनः ऑक्सीजन-46.8%, सिलिकन-27.7%, एल्यूमिनियम-8.1%, लोहा-5.0%, कैल्सियम-3.6%, सोडियम-2.8%, पोटेशियम-2.5% तथा मैग्नीशियम-20%

पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Earth's internal structure in Hindi)

पृथ्वी का आंतरिक भाग अत्यंत गर्म हैपृथ्वी की सतह से नीचे की ओर तापमान में वृद्धि रामान नहीं होती है। ऊपर के 100 किमी तक तापमान 12° से प्रति किमी की दर से बढ़ता हैअगले 300 किमी तक यह दर 20 से. प्रति किमीहोती है और उसके बाद 1 से प्रति किमी रह जाती है। 

पृथ्वी की मुख्य तीन परतें हैं :- 

  1. भूपर्पटी (Crust), 
  2. प्रवार (Mantle),
  3. क्रोड (Core)।

1. भूपर्पटी (Earth's crust):- यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है, जिसकी मोटाई लगभग 70-100 कि.मी. है। यह पटल पृथ्वी के आयतन का मात्र 0.s प्रतिशत है। इस पटल की बाह्य परत अवसादी पदार्थों से बनी है जिसके नीचे विभिन्न प्रकार की चट्टानें पायी जाती हैं। समुद्रों का निर्माण भारी सिलिकेट (सिलिका मैग्नीशियम) से हुआ है, जिसे स्याम भी कहते हैं। स्याम पृथ्वी के कोर के एक भाग की भी रचना करते हैं। महाद्वीप हल्के सिलिकेट से बने हैं ( सिलिका +एल्यूमीनियम), जिसे स्याल कहते हैं। 

2. मैंटल (Mantle):- यह पृथ्वी की सतह से 700-2900 कि.मी. के बीच में पाया जाता है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 16 प्रतिशत है। इसकी आंतरिक परत सिलिका चट्टानों से बनी होती है। 

3. कोर (Core):- यह पृथ्वी की सतह से 2900-6500 कि.मी. के बीच है व पृथ्वी के कुल आय का 83 प्रतिशत है। यह मुख्यतया निकिल व आयरन से बना होता है। इसके व बाहा परतों के मध्य भारी धातुओं व सिलिPage का मिश्रण पाया जाता है।

पृथ्वी की भूपर्पटी का संघटन इस प्रकार है :-

लोहा (35.0% ), ऑक्सीजन (30.0%), सिलिकन ( 15.0%), मैग्नीशियम ( 13.0% ), निकल (2.4%) एवं 6. सल्फर (1.9% ) ।

विश्व के प्रमुख मैदान (Major plains of the world)

नामस्थिति / देश
पेटागोनिया का मैदानदक्षिणी अमेरिका
अमेजन का मैदानदक्षिणी अमेरिका
मध्यवर्ती मैदान (ग्रेट प्लेन)अमेरिका तथा कनाडा
सहारा का मैदानअफ्रीका
फ्रांस का मैदानफ्रांस
यूरोप का बड़ा मैदानयूरोप
मालागासी का मैदानमालागासी
पंपास का मैदानदक्षिणी अमेरिका
नील नदी का मैदानमिस्र (अफ्रीका)
अफ्रीका का पूर्वी तटीय मैदानअफ्रीका
अफ्रीका का पश्चिमी तटीय मैदानअफ्रीका
दक्षिणी साइबेरिया का मैदानएशिया एवं यूरोप
गंगा-यमुना का मैदानभारत
सिंधु का मैदानभारत-पाकिस्तान
अरब का बड़ा मैदानसऊदी अरब
ब्रह्मपुत्र का मैदानभारत-बांग्लादेश
चीन का मैदानचीन

विश्व के 10 सबसे बड़े मरुस्थल (The 10 Biggest Deserts on Earth)

नामक्षेत्रफल (वर्ग मील में)विस्तार क्षेत्र
1. सहारा8,400,000दक्षिणी अफ्रीका
2. अरबी मरुस्थल1,000,000मध्य-पूर्व
3. ग्रेट विक्टोरिया250,000ऑस्ट्रेलिया
4. रूब अल खली250,000मध्य-पूर्व
5. कालाहारी मरुस्थल225,000दक्षिणी अफ्रीका
6. सीरियाई मरुस्थल200,000मध्य-पूर्व
7 चिहुआहुआन175,000मैक्सिको
8. थार175,000भारत-पाकिस्तान
9. ग्रेट सिडनी150,000आस्ट्रेलिया
10.गिब्सन120,000आस्ट्रेलिया

दुनिया की सबसे बड़ी झीलें (largest lakes in the world)

नामदेशक्षेत्रफल (वर्ग कि.मी. में)क्षेत्रफल (वर्ग मील मेंगहराई (फुट में)
कैस्पियन सागरकजाकिस्तान371,000143,2443,363
सुपीरियरयूएसए कनाडा82,10031,7001,330
विक्टोरियायुगांडा-कीनिया- तंजानिया69,40026,828270
अरल सागररूस64,50024,904220
ह्यूरनयू.एस.ए. कनाडा59,60023,000750
मिशीगनसंयुक्त राज्य अमेरिका57,80022,300923
टंगानिकाबुरुंडी-तंजानिया- जाबिया32,90012,7004,823
बैकालरूस31,50012,1625,315
ग्रेट बियरकनाडा31,30012,0961,463
न्यासा या मलावीमलावी28,90011,1502,317
ग्रेट स्लेव कनाडाकनाडा28,56811,0312,015
लेक इरी कनाडायूएसए कनाडा25,6679,910210
विनिपेगकनाडा24,3879,41760
ओंटारियो यूएसएयूएसए कनाडा19,5297,340802
बाल्खासकजाकिस्तान18,3007,11485

जानें- विश्व की प्रमुख फसलें और फसलों के उत्पादक देश।

बादल (Clouds) 

पृथ्वी के धरातल से विभिन्न ऊँचाइयों पर वायुमंडल में मौजूद जल वाष्पों के संघनन से निर्मित हिमकणों या जल-सीकरों की राशि को मेघ या बादल कहते हैं। 

धरातल से जल का निरंतर वाष्पीकरण होता है। यह जलवाष्प ऊपर जाकर ठंडी हो जाती हैतथा बादलों के रूप में परिवर्तित हो जाती है। बादल किसी भी स्थान के मौसम पर प्रभाव डालते हैं। सामान्यतया भूमध्य रेखा पर बादल अधिक ऊँचाई पर स्थित होते हैं, जबकि ध्रुवों की ओर इनकी ऊँचाई कम होती जाती है

कपासी वर्षा मेघ में तेज बौछारों के रूप में बारिश होती है। साथ ही ओले और तड़ित झंझा भी उत्पन्न होते हैं।

कपासी मेघ देखने में आकाश में रुई के ढेर जैसे दिखते हैं।

तापमान (Temperature) 

किसी स्थान पर मानक अवस्था में मापी गई भू-तल से लगभग एक मीटर ऊँची 'वायु' की गर्मी को उस स्थान का तापमान कहते हैं।  

वह काल्पनिक रेखा, जो मानचित्र पर समान तापमान वाले स्थानों को मिलाती हैसमताप रेखा कहलाती है। ये रेखायें पूर्व-पश्चिमी दिशा में अक्षांशों के लगभग समानांतर खींची जाती हैं। 

विश्व के अधिकांश भागों में जनवरी तथा जुलाई के महीनों में न्यूनतम अथवा अधिकतम तापमान दर्ज किया जाता है। 

जनवरी के माह में सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित मकर रेखा पर लंबवत् पड़ती हैं, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है। इसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान कम तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में तापमान अधिक होता है।

उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित साइबेरिया तथा ग्रीनलैंड में न्यूनतम तापमान पाया जाता है। विश्व में सबसे ठंडा स्थान साइबेरिया में स्थित बरखोयांस्क है, जिसका तापमान 50° सेल्सियस है। 

दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित पूर्वी मध्य अफ्रीका, बोर्निया, उत्तर-पश्चिमी अर्जेंटीना और मध्य • आस्ट्रेलिया में तापमान 30° सेल्सियस से भी अधिक होता है। विश्व का सबसे गर्म स्थान लीबिया का अल अजीजिया माना गया है। 

अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान का अंतर तापांतर कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है- 

  1. दैनिक तापांतर एवं 
  2. वार्षिक तापांतर।

ग्लोब को विभिन्न तापक्रम के कटिबंधों में बाँटा गया है, जो इस प्रकार हैं- 

  1. विषुवत रेखीय कटिबंघ (0° से लेकर 5" अक्षांश तक),
  2. अंतरा उष्ण कटिबंध (50 से 12° अक्षांश तक),
  3. उष्ण कटिबंध (120 से 25° अक्षांशों के बीच यहाँ पृथ्वी का उच्चतम तापमान प्राप्त होता है),
  4. उपोष्ण कटिबंध (25° से 45° अक्षांशों के बीच),
  5. शीतोष्ण कटिबंध ( 45° से 66° अक्षांश के बीच) तथा
  6. शीत कटिबंध (66° से 90° अक्षांश के बीच)

यहाँ का तापमान बहुत कम होता है। छह महीने दिन या रात की अवधि होती है। अतः यह क्षेत्र वर्ष भर बर्फ से ढंका रहता है। रूस का बरखोयांस्क तथा टुंड्रा प्रदेश भी इसी कटिबंध में हैं

वायुमंडल (Atmosphere) 

पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल की वायु रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन है। 

वायुमंडल की ऊँचाई 32,000 किमी. से भी अधिक है। वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें, जलवाष्प, धूलकण आदि पाए जाते हैं। सबसे ऊपर वाली गैसें अत्यन्त विरल तथा हल्की हैं।

वायुमंडल में जलवाष्प की औसत मात्रा 2% हैogle Docs ऊंचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा कम होती है। जलवाष्प सूर्य से आने वाले सूर्यातप के कुछ भाग को अवशोषित कर लेता है तथा पृथ्वी द्वारा विकिरित ऊष्मा को संजोए रखता है। इस प्रकार यह कंबल का काम करता है, जिससे पृथ्वी न तो अत्यधिक गर्म और न ही अत्यधिक ठंडी हो सकती है। इसे ही ग्रीन हाउस इफैक्ट (हरित गृह प्रभाव) कहते हैं। इसके कारण ही ओस, इंद्रधनुष कोहरा, बादल आदि बनते हैं और वर्षा होती है। 

आकाश का नीला रंग धूल के कणों के कारण ही दिखाई देता है। दिन के समय आकाश का नीला रंग सूर्य किरणों के प्रकीर्णन के कारण होता है। सूर्य किरणों के प्रकीर्णन न होने की स्थिति में सूर्य के क्षितिज पर ऊँचा होने पर आकाश काला दिखाई देगा। 

वायुमंडल में उपस्थित गैसें एवं उनकी प्रतिशत मात्रा इस प्रकार हैं- 

नाइट्रोजन (78.03%), ऑक्सीजन (20.99%), आर्गन ((0.94%) कार्बन डाइ ऑक्साइड (0.03%). हाइड्रोजन (0.01%), नियॉन (0.0018%), हीलियम (0.000536)क्रिप्टॉन (0.0001%), जेनान (0.000009%) तथा ओजोन (0.000001% ) |

ज्वालामुखी (Volcanoes)

ज्वालामुखी पृथ्वी पर होने वाली एक आकस्मिक घटना है। इससे भू-पटल पर अचानक विस्फोट होता है, जिसके द्वारा लावा, गैस, धुँआ, राख, कंकड़, पत्थर आदि बाहर निकलते हैं। 

ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसों में 80-90 प्रतिशत भाग वाष्प एवं शेष भाग अन्य चीजों का होता है। वाष्प में ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन गैसें होती हैं। 

सभी ज्वालामुखी मैग्मा से बनते हैं। मैग्मा धरातल के नीचे का पिघला पदार्थ है, जो धरातल पर लावा या ज्वालामुखीय चट्टानी टुकड़ों के रूप में बाहर आता है। लावा का तापमान 800 से 1,300 डिग्री सेल्सियस तक होता है। 

इन सभी वस्तुओं का निकास एक प्राकृतिक नली द्वारा होता है जिसे निकास नलिका (Vent or Neck) कहते हैं। लावा धरातल पर आने के लिए एक छिद्र बनाता है जिसे विवर या क्रेटर (Crater) कहते हैं।

लावा अपने विवर के आस-पास जम जाता है। और एक शंकु के आकार का पर्वत बनाता है। इसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं।

क्रेटर झील ज्वालामुखी शंकु के शीर्ष पर एक क्रेटर होता है, जिसका आकार कीप जैसा होता है। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद इस क्रेटर में वर्षा का जल भर जाता है। इससे एक झील का निर्माण होता है, जिसे क्रेटर झील कहते हैं। उत्तरी सुमात्रा की तोबा झील, अमेरिका में ऑरीगन झील, आइसलैंड में ओस्कजुएटन तथा महाराष्ट्र की लोनार झील इसके उदाहरण हैं

इक्वाडोर का कोटोपैक्सी ज्वालामुखी विश्व का सर्वाधिक ऊँचा ( 5900 मी.) जागृत Q + ज्वालामुखी है।

भूकंप (Earthquake)

भूकंप का साधारण अर्थ है 'भूमि का काँपना' अर्थात् 'पृथ्वी का हिलना'। अचानक झटके से प्रारंभ हुए पृथ्वी के कंपन को भूकंप कहते हैं। 

विश्व में एक वर्ष में 8,000 से 10,000 तक भूकंप आते हैं अर्थात हर एक घंटे के बाद विश्व के किसी-न-किसी भाग में भूकंप आ जाता है। विश्व के अधिकांश भूकंप भू-तल से 50 से 100 किमी. की गहराई में उत्पन्न होते हैं। 

भूकंपों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को सिस्मोलॉजी (Seismology) कहते हैं । 

भूकंप के के मूल उद्गम स्थल को उद्गम केंद्र (Focus) कहते हैं। इस केंद्र के ठीक ऊपर भूतल पर स्थित स्थान को भूकंप का अधिकेंद्र (Epicentre) कहते हैं। भूकंप की तथा इससे होने वाली हानि अधिकेंद्र पर अधिकतम होती है और इससे दूर जाने पर हानि कम हो जाती है।

समान भूकंप तीव्रता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को समभूकंप रेखा (Isoseismal line) तथा एक समय पर पहुँचने वाली तरंगों को मिलाने वाली रेखा को सहभूकंप-रेखा (Homoseismal line) कहते हैं । 

भूकंप आने के कई कारण होते हैं, जैसे-ज्वालामुखी विस्फोट, पृथ्वी का सिकुड़ना, वलन तथा भ्रंश, भू-संतुलन, बड़े बाँधों का निर्माण, प्लेट विर्वतन (प्लेट टैक्टॉनिक) आदि।

सबसे अधिक ज्वालामुखी तथा भूकम्प प्रशांत महासागर के तटों के साथ सक्रिय हैं, जिस कारण • इसे अग्नि वलय ( Ring of Fire) कहते हैं । 

चट्टानें या शैल (Rocks)

वे सभी पदार्थ जिनसे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है, चट्टान कहलाते हैं। सामान्य रूप में चट्टान का अर्थ है-पत्थर जैसा पदार्थ । 

भूपर्पटी का ऊपरी भाग स्थलमंडल का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। धरातल से 16 किमी. की गहराई तक 95% भूपर्पटी चट्टानों की बनी हुई है| 

चट्टानों और खनिजों का गहरा संबंध है। प्रत्येक चट्टान में 2 से लेकर 12 तक सामान्य खनिज पाये जाते हैं। 

भूपर्पटी के 87% खनिज सिलिकेट हैं। क्वार्ट्ज के दो तत्व सिलीकॉन तथा ऑक्सीजन हैं। एक प्रकार की चट्टान से दूसरे प्रकार की चट्टान का बनना चट्टानी चक्र (Rock Cycle) कहलाता है। उदाहरणार्थ-लावा से आग्नेय चट्टानों का बनना आग्नेय चट्टानों के अपरदन से अवसादी चट्टानों का बनना फिर आग्नेय और अवसादी चट्टानें से रूपांतरित चट्टानों का बनना।

इस लेख में हमने पृथ्वी के महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जाना जो अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहते हैं। पृथ्वी सौरमंडल का एक ऐसा ग्रह जिस पर जीवन पाया जाता है। आजतक कोई ऐसा ग्रह नहीं मिल पाया जिस जीवन पाया जाता हो।

आशा करता हूँ कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगी , अगर आपको यह लेख पसंद आये तो लेख को शेयर अवश्य करें। 

विश्व में परिवहन GK | Transport in the World in Hindi 2022

विश्व में परिवहन (Transport in the World)

हेलो दोस्तों, studypointandcareer.com में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में हम विश्व में परिवहन GK के बारे के बारे में जानेंगे। किसी व्यक्ति को एक स्थान से दुसरे स्थान तक जाने के लिए एक मार्ग की आवश्यकता होती है,जिस मार्ग से वह अपनी मंजिल तक पहुंच पाता है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना को परिवहन कहा जाता है। जिस मार्ग से जाते हैं उसे परिवहन मार्ग कहा जाता है। हम पृथ्वी पर रहते हैं और पूरी पृथ्वी पर अरबों लोग रहते हैं और अलग अलग भू भाग पर रहते हैं, अगर हम पूरी पृथ्वी की पैदल यात्रा करें तो एक जन्म भी कम पढ़ जायेगा। इसलिए मानव द्वारा विभिन्न परिवहन मार्ग खोजे गए जिससे वर्तमान में परिवहन आसान हो गया है। विश्व में परिवहन के लिए मार्ग निर्धारित होते हैं जो जल, स्थल एवं वायु से होकर गुजरते हैं। इनमें जल परिवहन सबसे सस्ता है।

Transport in the World in Hindi

विश्व में परिवहन | Transport in the World in Hindi

परिवहन के तीन मुख्य साधन हैं-

  1. सड़क परिवहन,
  2. जल परिवहन एवं
  3. वायु परिवहन।

इनमें जल परिवहन सबसे सस्ता है। विश्व व्यापार में अधिकांश परिवहन जलमार्ग से ही होता है।

सड़क परिवहन (RoadTransport in the World):

  • सड़क परिवहन में रेल परिवहन भी आता विश्व के महामार्गों में ट्रांस कैनेडियन महामार्ग प्रमुख है। 
  • यह कनाडा के पूर्वी तट पर स्थित न्यूफाउण्डलैंड के सैंट जॉन नगर को बैंकूवर से जोड़ता है। 
  • कनाडा का अलास्का महामार्ग एवं ऑस्ट्रेलिया का स्टुआर्ट महामार्ग भी प्रमुख हैं।
  • रेलमार्ग की लंबाई की दृष्टि से अमेरिका का विश्व में प्रथम स्थान है। 
  • इसके बाद रूस, चीन और भारत का स्थान आता है।
  • विश्व की सर्वप्रथम रेलगाड़ी 27 सितंबर, 1825 को स्टॉकटन शहर से डार्लिंगटन के बीच चली थी।
  • यूरोप, स्वतंत्र राष्ट्रकुल के देश एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में समस्त विश्व के 65 प्रतिशत रेल मार्ग हैं। 
  • भारत, चीन, जापान आदि एशिया में 12 प्रतिशत, लैटिन अमेरिका में 12 प्रतिशत, अफ्रीका में 5 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में 3 प्रतिशत रेल मार्ग हैं।
  • ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग, विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग है, जो लेनिनग्राद से ब्लादिवोस्तक तक 9,560 कि.मी. लंबा है।

जल परिवहन (WaterTransport in the World): 

  • जल परिवहन में समुद्री परिवहन एवं आंतरिक परिवहन दोनों आते हैं।
  • उत्तरी अटलांटिक जलमार्ग, विश्व का सबसे अधिक व्यस्त एवं महत्वपूर्ण जलमार्ग है। 
  • यह पश्चिमी यूरोपीय देशों और उत्तरी अमेरिका के बीच स्थित है। 
  • विश्व के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लगभग चौथाई भाग इसी से होता है।
  • भूमध्यसागरीय-हिंद-सामुद्रिक मार्ग, विश्व का सबसे अधिक लंबा व्यापारिक मार्ग है।
  • स्वेज नहर जलमार्ग का निर्माण 1869 में हुआ। 
  • यह नहर लाल सागर को भूमध्यसागर से जोड़ती है। इस नहर की लंबाई 162 कि.मी., औसत चौड़ाई 60 मीटर और गहराई 10 मीटर है।
  • पनामा नहर जलमार्ग पूर्व में अटलांटिक महासागर को पश्चिम में स्थित प्रशांत महासागर से जोड़ती है। 
  • इस नहर का निर्माण 1906 में शुरू किया गया और यह जलपोतों के लिए 15 अगस्त, 1914 को खोल दी गयी।

वायु परिवहन (Air Transport in the World):

  • विश्व में सर्वाधिक हवाई अड्डे संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं।
  •  इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा ब्राजील का स्थान है।
  • अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, चीन तथा ऑस्ट्रेलिया विश्व में सबसे अधिक लोगों को विमान यात्रा कराने वाले शीर्ष देश हैं।

विश्व में छः प्रकार के वायुमार्ग पाये जाते हैं:

  1. अंतरमहाद्वीपीय भूमंडलीय वायुमार्ग,
  2. महाद्वीपीय वायुमार्ग,
  3. राष्ट्रीय वायुमार्ग,
  4. प्रादेशिक वायुमार्ग,
  5. स्थानीय वायुमार्ग एवं
  6. राजनीतिक महत्व के वायुमार्ग।

विश्व में परिवहन GK | General Knowledge Transport in the World in Hindi

Que. - ट्रांस साइबेरियन मार्ग कहाँ से कहाँ तक जाता है?
Ans. - लेनिनग्राड से ब्लाडीवोस्टक तक

Que. - संसार का सबसे व्यस्त महासागरीय मार्ग कौन-सा है?
Ans. - उत्तरी अटलांटिक सामुद्रिक जलमार्ग

Que. - विश्व की सबसे लंबी सड़क कौन-सी है?
Ans. - ट्रांस कैनेडियन राजमार्ग

Que. - सड़कों की दृष्टि से ब्राज़ील का विश्व में कौन-सा स्थान है?
Ans. - चौथा

Que. - विश्व में किस देश में सर्वप्रथम रेलमार्ग का निर्माण हुआ?
Ans. - ब्रिटेन में

Que. - विश्व का पहला रेलमार्ग कहाँ बनाया गया?
Ans. - उत्तरी-पूर्वी इंग्लैंड में कोयला खानों और न्यू कैमिल के मध्य

Que. - एशिया के किस देश में लंबा रेलमार्ग है?
Ans. - चीन में

Que. - विश्व की प्रथम रेलगाड़ी कब चली थी?
Ans. - 1825 ई. में

Que. - विश्व का प्रथम रेल कहाँ से कहाँ तक चली थी?
Ans. - स्टाकटन से डार्लिंगटन तक

Que. - विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग कौन-सा है?
Ans. - ट्रांस साइबेरियन

Que. - ट्रांस साइबेरियन मार्ग की कुल लंबाई कितनी है?
Ans. - 9, 332 किमी

Que. - कौन-सा ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग वैंकूवर को हैलीफैक्स से जोड़ता है?
Ans. - कैनीडियन नेशनल रेलमार्ग

Que. - आस्ट्रेलिया का सबसे लंबा रेलमार्ग ‘ट्रांस आस्ट्रेलियन’ रेलमार्ग किसे जोड़ता है?
Ans. - सिडनी को पर्थ से

Que. - संयुक्त राज्य अमेरिका में सेनफ्रांसिकों नगर से न्यूयार्क तक जाने वाला रेलमार्ग कौन-सा है?
Ans. - मध्य ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग

Que. - विश्व में रेलमार्ग की लंबाई सबसे अधिक किस देश में है?
Ans. - संयुक्त राज्य अमेरिका

Que. - ट्रांस साइबेरियन मार्ग कहाँ से कहाँ तक जाता है?
Ans. - लेनिनग्राड से ब्लाडिवोस्ट्क तक

Que. - संसार का सबसे व्यस्त महासागरीय मार्ग कौन-सा है?
Ans. - उत्तरी अटलांटिक सामुद्रिक जलमार्ग

Que. - स्वेज़ नहर के निर्माण से पूर्व महत्वपूर्ण जलमार्ग कौन-सा था?
Ans. - केप सामुद्रिक जलमार्ग

Que. - स्वेज़ नहर जलमार्ग में जलयानों को पार करने में कितना समय लगता है?
Ans. - 15 घंटे

Que. - कौन-सा जलमार्ग भूमध्य सागर और फारसकी खड़ी को जोड़ता है?
Ans. - स्वेज़ नहर जलमार्ग

Que. - विश्व की सबसे बड़ी पोतवाहक नहर कौन-सी है?
Ans. - स्वेज़ नहर

Que. - आंतरिक जल यातायात हेतु सबसे महत्वपूर्ण नदी कौन-सी है?
Ans. - राइन

Que. - विश्व का व्यस्तम अंत: स्थलीय जल मार्ग कौन-सा है?
Ans. - उत्तर अमेरिका का महान झील मार्ग

Que. - पनामा नहर जलमार्ग व्यापार की दृष्टि से स्वेज़ नहर राजमार्ग की तुलना में कम महत्वपूर्ण है, क्यों Ans. - घने आबाद देशों का व्यापार पनामा नहर राजमार्ग से नहीं होता है.

Que. - किस महाद्वीप में आंतरिक जलमार्ग का सर्वाधिक विकास हुआ है?
Ans. - यूरोप महाद्वीप में

Que. - विश्व में सबसे अधिक सड़कों का जाल किस देश में हैं?
Ans. - संयुक्त राज्य अमेरिका में

Que. - सड़क प्रणाली में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
Ans. - तीसरा

Que. - विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग कौन-सा है?
Ans. - ट्रांस साइबेरियन

Que. - कौन-सा ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग बैंकूवर को हैलीफैक्स से जोड़ता है?
Ans. - कैनेडियन नेशनल रेलमार्ग

Que. - ऑस्ट्रेलिया का सबसे लंबा रेलमार्ग ‘ट्रांस ऑस्ट्रेलियन’ रेलमार्ग किस जोड़ता है?
Ans. - सिडनी को पर्थ से

Que. - विश्व की सबसे लंबी सड़क कौन-सी है?
Ans. - ट्रांस कैनेडियन राजमार्ग

Que. - विश्व में सबसे अधिक सड़कों का जाल किस देश में है?
Ans. - संयुक्त राज्य अमेरिका में

Que. - सड़क प्रणाली में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
Ans. - तीसरा

Que. - सड़कों की दृष्टि से ब्राजील का विश्व में कौन-सा स्थान है?
Ans. - चौथा

Que. - विश्व में किस देश में सर्वप्रथम रेलमार्ग का निर्माण हुआ?
Ans. - ब्रिटेन

Que. - एशिया के किस देश में सबसे लंबा रेलमार्ग है?
Ans. - चीन

Que. - विश्व की सबसे बड़ी पोतवाहक नहर कौन-सी है?
Ans. - स्वेज नहर

Que. - आंतरिक जल यातायात हेतु सबसे महत्वपूर्ण नदी कौन-सी है?
Ans. - राइन

Que. - विश्व का व्यस्तम अंतः स्थलीय जलमार्ग कौन-सा है?
Ans. - उत्तरी अमेरिका का महान झील मार्ग

Que. - पनामा नहर जलमार्ग व्यापार की दृष्टि से स्वेज नहर जलमार्ग की तुलना में कम महत्वपूर्ण है क्यों?
Ans. - घने आबाद देशों का व्यापार पनामा नहर जलमार्ग से नही होता है

Que. - किस महाद्वीप में आंतरिक जलमार्ग का सर्वाधिक विकास हुआ है?
Ans. - यूरोप महाद्वीप

Que. - स्वेज नहर के निर्माण से पूर्व महत्वपूर्ण जलमार्ग कौन-सा था?
Ans. - केप सामुद्रिक जलमार्ग

Que. - स्वेज नहर जलमार्ग में जलयानों को पार करने में कितना समय लगता है?
Ans. - 15 घंटे

Que. - कौन-सा जलमार्ग भूमध्य सागर और फारस की खाड़ी को जोड़ता है?
Ans. - स्वेज नहर जलमार्ग

Que. - विश्व की प्रथम रेलगाड़ी कब चली?
Ans. - 1825 ई.

Que. - विश्व में रेलमार्ग की लंबाई सबसे अधिक किस देश में है?
Ans. - संयुक्त राज्य अमेरिका

Que. - विश्व का पहला रेलमार्ग कहाँ बनाया गया?
Ans. - उत्तरी-पूर्वी इंग्लैंड में कोयला खानों और न्यू कैमिल के मध्य

Que. - विश्व की प्रथम रेल कहाँ से कहाँ तक चली?
Ans. - स्टॉकटन से डार्लिंगटन तक

Que. - ट्रांस साइबेरियन मार्ग की कुल लंबाई कितनी है?
Ans. - 9332 किमी

Que. - संयुक्त राज्य अमेरिका में सेनफ्रांसिक्को नगर से न्यूयॉर्क तक जाने वाला रेलमार्ग कौन-सा है?
Ans. - मध्य ट्रांस महाद्वीपीय रेलमार्ग

इस आर्टिकल में हमने विश्व में परिवहन GK के बारे में विस्तार से जाना। व्यक्ति या वस्तु को एक स्थान से दूसरे से दुसरे स्थान तक ले जाने के लिए जिस मार्ग का उपयोग किया जाता है जिसे परिवहन मार्ग कहा जाता है।

उम्मीद करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा, अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगे तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।


Geological Structure of India - भारत की भूवैज्ञानिक संरचना

भारत की भूवैज्ञानिक संरचना (geological structure of india) | UPSC, RRB, Vyapam, PSC

नमस्कार दोस्तों, studypointandcareer.com में आपका स्वागत है। विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का 7वां  स्थान है। भारत विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% भाग घेरता है। इसलिए भारत के भू क्षेत्र में बहुत भिन्नतायें पाई जाती हैं । आज के इस आर्टिकल में हम भारत की भूगर्भिक सरंचना (Geological Structure of India) के बारे में जानेंगे। भारत के भूगर्भिक इतिहास के अनुसार यहाँ आर्कियन एवं प्री-कैम्ब्रियन युग की चट्टानें पाई जाती हैं। अनेक परीक्षाओं में भारत की भूगर्भिक सरंचना से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। भारत की भूगर्भिक सरंचना के बारे में पूरा जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।

geological structure of india

भारत की भूवैज्ञानिक संरचना में मुख्यतया तीन भाग हैं- 

  1. प्रायद्वीपीय भारत का प्राचीन भूखंड (यह गोंडवाना लैंड का भाग है), 
  2. हिमालय पर्वत और उससे संबंधित नवीन मोड़दार पर्वत श्रेणियाँ एवं 
  3. सिंध-गंगा का मैदान। इन तीनों भौतिक प्रदेशों का निर्माण एक के बाद एक हुआ है।

भारत की भौतिक संरचना (physical structure of india)

भारत की भौतिक संरचना में पर्वत, पठार, मैदान एवं तटीय प्रदेशों को सम्मिलित किया जाता है। भारत के संपूर्ण क्षेत्रफल का 43 प्रतिशत मैदानी, 28 प्रतिशत पठारी, 18 प्रतिशत पहाड़ी एवं 11 प्रतिशत भू-भाग पर्वतीय है।

पठार (Plateau- India)

यह देश का सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश है। भारत का पठारी प्रदेश 16 लाख वर्ग कि.मी. में फैला एक अत्यंत प्राचीन भू-भाग है। इनका विस्तार उत्तर में राजस्थान से लेकर दक्षिण में कुमारी अंतरीप तक 1,700 कि.मी. लंबाई में और 1,400 कि. मी. की चौड़ाई तक है। इसमें अरावली, कैमूर तथा राजमहल की पहाड़ियाँ हैं।

भारत में निम्न प्रमुख पठार हैं- 

  1. मालवा का पठार,
  2. छोटा नागपुर का पठार,
  3. बुंदेलखंड का पठार,
  4. दक्कन का पठार,
  5. मेघालय का पठार,
  6. तेलंगाना का पठार एवं,
  7. कर्नाटक का पठार,
  8. मध्य भारत पठार,
  9. मारवाड़ के पठार।

पर्वत (Mountain- India)

भारत में प्राचीन से लेकर नवीन पर्वत श्रेणियाँ तक पायी जाती हैं। प्राचीन पर्वत श्रेणियों में मुख्य रूप से अरावली, सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत हैं। अरावली सबसे प्राचीन एवं हिमालय सबसे नवीन पर्वत है। भारत के कुल क्षेत्रफल के 57 प्रतिशत भाग पर पर्वतमालाएँ फैली हुई हैं।

मैदान (Fields- India)

भारत के विशाल मैदान को निम्नलिखित उप- भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. पंजाब-हरियाणा का मैदान
  2. राजस्थान का मैदान
  3. गंगा का मैदान तथा
  4. ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान। 

गंगा का मैदान भारत का सबसे बड़ा मैदान है।

चट्टानों का वर्गीकरण

भारत में सामान्यतया निम्न प्रकार की चट्टानें पायी जाती हैं- 

  1. आर्कियन क्रम,
  2. धारवाड़ क्रम,
  3. कुडप्पा क्रम,
  4. विंध्यन क्रम,
  5. गोंडवाना क्रम,
  6. दक्कन ट्रैप्स,
  7. टरशियरी क्रम एवं
  8. नवजीव क्रम।

आर्कियन क्रमः 

यह भारत का सबसे प्राचीन  चट्टान समूह है, जो प्रायद्वीप के दो-तिहाई भाग (लगभग 1,87,500 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में) में फैला हुआ है। इस क्रम की चट्टाने खेदार होती हैं, किंतु इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते। इनका विस्तार तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार के पठारी क्षेत्र, मुख्य हिमालय के कुछ भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से में है। संगमरमर, क्वार्ट्ज, नीस, ग्रेनाइट, शिष्ट, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, फिलाइट आदि इस क्रम की चट्टानों के उदाहरण हैं।

धारवाड़ क्रमः 

इस क्रम की चट्टानों की उत्पत्ति कर्नाटक के धारवाड़ और शिमोगा जिले में हुई है। इनका निर्माण आर्कियन क्रम की चट्टानों के बाद हुआ। इनमें जीवाश्मों का अभाव होता है तथा इनमें अवशेष केवल निचली घाटियों या गर्तों में ही पाए जाते हैं। इस क्रम की चट्टानें मुख्य रूप से दक्षिण दक्कन प्रदेश में उत्तरी कर्नाटक से लेकर कावेरी तट तक विस्तृत हैं। इसके अलावा ये नागपुर, जबलपुर, बालाघाट, भटिंडा, सागर, हजारीबाग, दिल्ली, गुजरात और रीवा में भी पायी जाती हैं। अरावली तथा चंपानेर इसकी प्रमुख श्रेणियाँ हैं। इनमें विभिन्न धातुयें, जैसे-सोना, सीसा, अभ्रक, कोबाल्ट, फ्लोराइट, इल्मैनाइट, ग्रेनाइट, गारनेट, एस्बेस्टस, कोरंडम, संगमरमर, ताँबा, लोहा, मैगनीज, जस्ता, टंगस्टन, क्रोमियम आदि पाये जाते हैं। 

कुडप्पा क्रमः 

इनका निर्माण धारवाड़ क्रम की चट्टानों के बाद हुआ। आंध्र प्रदेश के कुडप्पा जिले के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। इनका विस्तार लगभग 22,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। ये चट्टानें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा हिमालय के कुछ क्षेत्रों में पायी जाती हैं। इनमें लोहा, मैगनीज, ताँबा, निकेल, कोबाल्ट, संगमरमर, जॉस्पर, एस्बेस्टस, डायमंड, चूने का पत्थर, बालू का पत्थर और सीसा आदि मिलते हैं। 

विंध्यन क्रमः 

इनका निर्माण कुडप्पा क्रम की चट्टानों के बाद हुआ। इसका नामकरण विध्याल पर्वत के नाम पर किया गया है ये पूर्व में बिहार के सासाराम एवं रोहतास से लेकर पश्चिम में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र तक तथा उत्तर में आगरा से लेकर दक्षिण में होशंगाबाद तक विस्तृत हैं। इनमें चूने का पत्थर, सेलखड़ी, ताँबा, निकेल, कोबाल्ट, एस्बेस्टस, कोयला, क्वार्टजाइट आदि मिलते हैं। इन्हीं चट्टानों से हीरा (म. प्र. और गोलकुंडा) व पन्ना मिलता है।

गोंडवाना क्रम: 

ये चट्टानें भारत में संकरी घाटियों में पाई जाती हैं। ये चट्टानें बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के विभिन्न भागों, यथा- दामोदर नदी की घाटी, नागपुर तक दक्कन के मुख्य पठारी भाग, कच्छ, काठियावाड़, राजमहल पहाड़ियां, महानदी की घाटी, गोदावरी नदी घाटी, वैनगंगा नदी घाटी, वर्धा नदी घाटी, पश्चिमी राजस्थान, चेन्नई, कटक, विजयवाड़ा, राजमुंदरी, तिरुचिरापल्ली और रामनाथपुरम में पायी जाती हैं। भारत का 98 प्रतिशत कोयला केवल इन्हीं चट्टानों में पाया जाता है।

दक्कन ट्रैप्स: 

इनका विस्तार प्रायद्वीपीय भारत में मध्य भारत, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के 5 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्र में है। काली मिट्टी का निर्माण इन्हीं चट्टानों से हुआ है। इसमें लोहा, मैगनीज, माणिक, अगेट और एल्यूमिना आदि के अंश पाये जाते हैं। भवन व सड़कों के निर्माण में इन्हीं चट्टानों का प्रयोग किया जाता है। 

टरशियरी क्रम: 

इनका निर्माण काल इंयोसीन युग से लेकर प्लायोसीन युग तक है। टरशियरी चट्टानें मुख्य रूप से भारत के बाह्य प्रायद्वीपीय भाग में पाई जाती हैं। इनमें बलुआ पत्थर, चीका, लाल व पीला गेरू तथा पेट्रोल के भंडार आदि पाये जाते हैं। 

नवजीव क्रमः 

इनका निर्माण प्लाइस्टोसीन हिम युग में हुआ। कश्मीर घाटी एवं पुरानी जलोढ़ मृदा का निर्माण इसी काल में हुआ।

हिमालय  

हिमालय पर्वत एक नवीन वलित पर्वत है, जो भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित है। हिमालय का आकार धनुषाकार है। हिमालय उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की दिशा में लगभग 2,400 किलोमीटर तक फैला है। इस पर्वत की चौड़ाई पश्चिम में 400 कि.मी. तथा पूरब में 160 कि.मी. है। पटकाई, नागा, मिजो, गारो, खासी, जयंतिया और लुशाई आदि पहाड़ियाँ हिमालय से ही संबंधित हैं। इसे नेपाल में सागरमाथा तथा चीन में क्योमोलांगमा कहते हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला के मुख्य पाँच भाग हैं- वृहत् हिमालय, लघु हिमालय और शिवालिक द्रास अथवा तिब्बत हिमालय एवं पूर्वांचल हिमालय |

  1. वृहत् हिमालयः अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यह सदा बर्फ से ढका रहता है, इसलिए इसे हिमाद्री भी कहा जाता है। कराकोरम श्रेणी में संसार की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी स्थित है, जिसका नाम K-2 या गॉडविन आस्टिन (8,611 मीटर) है। यह भारत की सबसे ऊँची चोटी भी है। वैसे यह पाक अधिकृत कश्मीर में है। वृहत हिमालय की औसत ऊँचाई 6,100 मीटर है। विश्व की उच्चतम चोटियाँ इस श्रेणी में स्थित हैं। कुछ प्रमुख चोटियाँ इस प्रकार हैं- एवरेस्ट (8,850 मीटर), कंचनजंगा (8,598 मीटर), धौलगिरि (8,172 मीटर), नंगा पर्वत (8.126 मीटर), नंदा देवी (7,817 मीटर) और नामचा बरवा (7,756 मीटर ) । 
  2. लघु हिमालयः इसकी ऊँचाई औसत 3,700 मीटर से लेकर 4,500 मीटर तक तथा चौड़ाई औसत 80 से लेकर 100 किलोमीटर तक है। इनकी प्रमुख श्रेणियाँ हैं- कश्मीर की पीर पंजाल श्रेणी और जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में विस्तृत धौलाधार श्रेणी एवं नाग हिब्बा तथा नेपाल में महाभारत श्रेणी। इसके दक्षिणी ढलानों पर ही भारत के कई पर्यटक स्थल, जैसे- नैनीताल, शिमला, मसूरी, दार्जिलिंग आदि पाये जाते हैं। इन पर्वत श्रेणियों के ढलान पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे घास के मैदानों को कश्मीर में मर्ग कहते है|

भारत के प्रमुख दर्रे 

राज्य दर्रा
मध्य प्रदेश असीरगढ़
जम्मू-कश्मीर बनिहाल, बारालाचा चांग्ला, फोतुला, खार्दुग, लुंगालाचा, नामिका, सासेर, तांग्लांगला, जोजिला, कराकोरम, आधिल।
हिमाचल प्रदेश देढ़सा, रोहतांग, सिक्की ला|
सिक्किम दोंगरवाला, गोएचा, जलेप ला . नाथुला।
उत्तराखंड नामा, सिनला ट्रेल्स, थांगला, लिपु।
अरुणाचल प्रदेश सेला बोम्डिला
राजस्थान हल्दीघाटी
केरल पलक्काड या पालघाट।
महाराष्ट्र थालघाट, भोरघाट|
  1. शिवालिकः यह श्रेणी लघु हिमालय के दक्षिण में समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुयी है। यह श्रेणी उप-हिमालय भी कहलाती है। इस हिमालय को अलग-अलग स्थलों पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे- जम्मू हिल- जम्मू और कश्मीर में आबोर और मिशमी- अरुणाचल प्रदेश में चूरिया मूरिया नेपाल में यह 15 से 50 किमी. चौड़ी शृंखला है। इसकी औसत ऊँचाई 600 से 1500 मी. है। 
  2. द्रास अथवा तिब्बत हिमालय : यह महान हिमालय के उत्तर में उसके समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैले हुए हैं। इसका अधिकांश भाग तिब्बत में है, इसलिए इसे तिब्बत हिमालय भी कहते हैं। इसकी ऊँचाई 3100 किमी है। लद्दाख, जास्कर, कैलाश व कराकोरम इसकी प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ हैं।
  3. पूर्वांचल हिमालयः हिमालय के पूर्व में स्थित होने के कारण इसे पूर्वांचल कहा जाता है। इस हिमालय में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर एवं मिजोरम राज्य स्थित हैं। इन्हें पूर्वी पहाड़ियाँ भी कहते हैं।

हिमालय के प्रादेशिक विभाजन के आधार पर निम्न भागों में बाँटा जाता है - पंजाब हिमालय, कुमाऊं हिमालय, नेपाल हिमालय तथा असम हिमालय।

  1. पंजाब हिमालयः यह सिंधु नदी और सतलज नदी के मध्य का विस्तृत भाग है, जो 560 कि. मी. की दूरी तक फैला है। इसका अधिकांश भाग हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर में है। इनकी पर्वत श्रेणियों में प्रमुख हैं- पीर पंजाल, लद्दाख, काराकोरम, धौलाधार और जॉस्कर। यहाँ पर जोजीला दर्रा भी स्थित है, जिसकी ऊँचाई 3,444 मीटर है। काँगड़ा, लाहुल और स्पीति इसकी प्रमुख घाटियाँ हैं। बड़ालच्या, बनिहाल, रोहतांग और बुर्जिल इसके प्रमुख दर्रे हैं।

शिखर ऊँचाई (मीटर में )
के-2 8611
कंचनजंगा 8,598
धौलागिरि 8,172
नंगा पर्वत 8,126
नंदा देवी 7,817
माशेर ब्रम 7, 806
राकापोशी 7,788
नामचा बरवा 7,756

सर्वोच्च भारतीय शिखर

  1. कुमाऊं हिमालयः यह सतलज और काली नदी के मध्य 320 कि.मी. की दूरी तक फैला है तथा उत्तराखंड में पाया जाता है। इसका पश्चिमी भाग गढ़वाल और पूर्वी भाग कुमाऊं हिमालय कहलाता है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशूल, माना, गंगोत्री, नंदादेवी तथा कामेत इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं। यमुना और भागीरथी नदी यहीं से निकलती है। नंदा देवी कुमाऊं हिमालय का सर्वोच्च शिखर है।
  2. नेपाल हिमालय: यह हिमालय का सबसे ऊँचा भाग है और यहीं सबसे ऊँची चोटियाँ पाई जाती हैं। यह काली नदी और तिस्ता नदी के बीच लगभग 800 कि.मी. तक फैला है। एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू, धौलगिरि तथा अन्नपूर्णा इसकी महत्वपूर्ण चोटियाँ हैं।
  3. असम हिमालय: यह तिस्ता नदी और दिहांग नदी के बीच 720 किलोमीटर लंबे भाग में फैला है। कुला, कांगड़ी चुमलहारी, कोबस, जांग सांगला पैहुनी और नामचा बरवा इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं। नागा, मिजो, मणिपुर, खासी, मिकिर आदि इसकी प्रमुख पहाड़ियाँ हैं। इस भाग से दिबांग, लोहित, ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ निकलती हैं।
आज के इस आर्टिकल में हमने भारत की भूगर्भिक सरंचना के बारे  में विस्तार से जाना। भारत विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% स्थान घेरता है। अत: भारत की भूगर्भिक सरंचना में विभिन्नताएं पाई जाती है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भारत की भूगर्भिक सरंचना से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।

आशा करता हूँ कि भारत की भूगर्भिक सरंचना का  यह आर्टिकल आपके लिए लाभकारी साबित होगा, यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगे तो इस आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार | Administrative-Judicial Reforms of the British

अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार (Administrative and Judicial Reforms of the British)

हेलो दोस्तों, इस लेख में हम अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS, RRB, NTPC, RAILWAY, SSC CGL, SSC CHSL, SSC MTS, BANKING PO, BANKING CLERK, CDS, VYAPAM इत्यादि में अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार से सम्बंधित सवाल पूछे जाते हैं। भारत में अंग्रेजों के शासन कल के दौरान बहुत से प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार हुए।  जो आज भी हमारी कानून व्यवस्था में दृष्टिगत है। प्रशासनिक मामलों में काफी सुधार आया था। ब्रिटिश प्रशासनिक नीति (British administrative policy) के अंतर्गत कानून के शासन तथा न्याय पालिका की स्वतंत्रता इस प्रणाली की विशेषता थी। स्वतंत्रता के बाद संविधान के आने से क़ानूनी मामलों को और भी ज्यादा ध्यान दिया गया। 


Administrative-Judicial Reforms of the British

अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार Administrative and Judicial Reforms of the British in Hindi

  • पुलिस व्यवस्था में सुधार का कार्य सर्वप्रथम लार्ड कार्नवालिस ने किया। उसने पुरानी पुलिस व्यवस्था का आधुनिकीकरण किया। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जमींदारों के पुलिस संबंधी अधिकार समाप्त कर दिए गए। प्रत्येक जिले को पुलिस अधीक्षक के अधीन रखा गया। 
  • पुलिस अधीक्षक, जिले का सबसे बड़ा पुलिस अधिकारी था। प्रत्येक थाने में दरोगा भी रखा गया। 
  • गर्वनर जनरल लार्ड मेयो ने 1808 में प्रत्येक डिवीजन के लिए एक एसपी. की नियुक्ति की तथा इसकी सहायता के लिए बहुत से गोयेंदा (Spies) नियुक्त किये गए। 
  • गर्वनर  जनरल बैंटिंक ने पुलिस अधीक्षक का कार्यालय समाप्त कर दिया तथा जिले का कलेक्टर या दंडाधिकारी को पुलिस विभाग का प्रमुख बना दिया। 
  • 1860 में पुलिस आयोग की सिफारिशों से भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 बनाया गया। 
  • 1902 में, पुलिस आयोग ने केंद्र में केंद्रीय जांच ब्यूरो एवं प्रांतों में सी. आई.डी. की स्थापना की सिफारिश की। 
  • न्यायिक सुधारों की दिशा में सबसे पहला प्रयास गवर्नर र जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने किया। उसने प्रत्येक जिले में एक जिला दीवानी अदालत व एक जिला फौजदारी अदालत की स्थापना की
  • 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई। 
  • लार्ड कार्नवालिस ने सदर निजामत अदालत को कलकत्ता स्थानांतरित कर दिया तथा जिला फौजदारी न्यायालय समाप्त कर दिए गए तथा इनके स्थान पर मुर्शिदाबाद, कलकत्ता, ढाका एवं पटना में चार भ्रमणकारी न्यायालयों की स्थापना की गई। 
  • लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को अंतिम रूप देकर उन्हें 1793 में एक संहिता (Code) के रूप में प्रस्तुत किया, जिसे कार्नवालिस संहिता कहते हैं। 
  • यह संहिता मुख्यतया 'शक्तियों के पृथक्करण' के सिद्धांत पर आधारित थी। इसके द्वारा राजस्व तथा न्याय प्रशासनों को पृथक् कर दिया गया यूरोपियों के मामलों को भी अदालतों के अधीन कर दिया गया। 
  • लार्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवा का जनक भी माना जाता है।
  • विलियम बैंटिंक ने कार्नवालिस द्वारा स्थापित चार प्रांतीय अपीलीय तथा भ्रमणकारी न्यायालय समाप्त कर दिए तथा इनका कार्य कलेक्टरों तथा दंडनायकों को दे दिया गया, जो राजस्व तथा भ्रमणकारी आयुक्तों के अधीन होते थे। 
  • इस समय न्यायालयों की भाषा फारसी थी। भारतीय विधि को संहिताबद्ध करने के लिए 1833 में मैकाले की अध्यक्षता में एक विधि आयोग का गठन किया गया। इसके परिणामस्वरूप, दीवानी नियम संहिता (1859), भारतीय दंड संहिता (1860) तथा फौजदारी नियम संहिता (1861) का निर्माण किया गया। 
  • 1865 में सुप्रीम कोर्ट तथा सदर अदालतों का कलकत्ता, बंबई एवं मद्रास में स्थित उच्च न्यायालयों में विलय कर दिया गया। 
  • 1935 में एक संघीय न्यायालय की स्थापना (1937 में) की गई, जो आगे चलकर भारत का उच्चतम न्यायालय बना। 
  • भारत परिषद अधिनियम 1861 ई. से स्थानीय शासन के विकास की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। 
  • 1870 ई. में लॉर्ड मेयो ने वित्त के विकेंद्रीकरण का प्रस्ताव तथा 1882 ई. में लॉर्ड रिपन ने अपना स्थानीय स्वशासन संबंधी प्रस्ताव पारित किया। 
  • 1908 ईमें स्थानीय स्वशासन की समीक्षा राजकीय आयोग द्वारा की गई। 
  • 1919 ई. के भारत शासन अधिनियम के तहत स्थानीय स्वशासन को लोकप्रिय सरकार के अधीन 'हस्तांतरित विषय' बना दिया गया।
  • 1935 ई. के भारत सरकार अधिनियम के तहत प्रांतीय तथा स्थानीय करों के बीच के पृथक्करण को समाप्त कर दिया गया।

अंग्रेजों की लगान नीति (British rent policy in Hindi)

अंग्रेजों ने देश की लगान व्यवस्था के बारे में चार प्रकार की लगान पद्धतियों को अपनाया-

इजारेदारी व्यवस्था: 

यह पद्धति 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल में प्रारंभ की। इसमें पंचवर्षीय ठेके की व्यवस्था थी तथा जो सबसे अधिक बोली लगाता था उसे ही भूमि ठेके पर दी जाती थी। 

स्थायी बंदोबस्तः 

इसे कार्नवालिस ने 1790 में लागू किया। इसे 'जमींदारी व्यवस्था' या 'इस्तमरारी व्यवस्था' भी कहते हैं। इसमें जॉन शोर एवं चार्ल्स ग्रांट की भी प्रमुख भूमिका थी। इसकी अवधि 10 वर्ष थी। 22 मार्च, 1793 में इसे स्थायी कर दिया गया। यह व्यवस्था बंगाल, बिहार, ओडिशाउत्तर प्रदेश के बनारस तथा उत्तरी . कर्नाटक में लागू की गई इस व्यवस्था के तहत ब्रिटिश भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 19 प्रतिशत भाग शामिल था। यह बंदोबस्त जमींदारों से किया गया। जमींदारों को वसूल किये गए लगान की कुल रकम का 10/11 भाग कम्पनी को देना था तथा 1/11 भाग स्वयं रखना था। 

पढ़ें- मगध साम्राज्य के राजवंश।

रैयतवाड़ी व्यवस्था : 

मद्रास के तत्कालीन गवर्नर (1820-27) टॉमस मुनरो द्वारा 1820 में प्रारंभ की गई इस व्यवस्था को मद्रास, बंबई एवं असम के कुछ भागों में लागू किया गया। बंबई में इस व्यवस्था को लागू करने में बंबई के गवर्नर एल्फिन्सटन ने महत्वपूर्ण सहायता की। इस व्यवस्था के अंतर्गत 51 प्रतिशत भूमि आयी। इस प्रणाली के अंतर्गत रैयतों से अलग-अलग समझौता कर लिया जाता था। 

महालवाड़ी व्यवस्था : 

लार्ड हेस्टिंग्स ने इसे मध्य प्रांत, यू.पी. (आगरा) एवं पंजाब में लागू किया। इसमें 30 प्रतिशत भूमि आयी। इस व्यवस्था में लगान बंदोबस्त एक पूरे गाँव या महाल में जमींदारों या प्रधानों के साथ किया गया, जो सामूहिक रूप से पूरे गाँव या महाल के प्रमुख थे।

इस पोस्ट में हमें अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार के बारे में विस्तृत रूप में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजों के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अत: परीक्षार्थियों को इसकी तैयारी अवश्य करनी चाहिए।

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भक्ति आंदोलन | भक्ति आंदोलन विशेषताएं , सिद्धांत और महापुरुष

भक्ति आंदोलन | भक्ति आंदोलन विशेषताएं , सिद्धांत और महापुरुष | Bhakti movement


आज हम इस पोस्ट के द्वारा  भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रश्न के बारे में जहाँ हमने भक्ति आंदोलन के विशेषताएं , सिद्धांत और महापुरुष बारे में जानेंगे और साथ ही भक्ति आन्दोलन को प्रेरणा प्रदान करने वाले महापुरुष के बारे में जानने वाले है , जैसे उनका जन्म कब हुआ, कहाँ हुआ, और पूरी घटना चक्र हम जानने वाले है।
Bhakti movement
  • भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रश्न
  • भक्ति आंदोलन का उद्भव और विकास
  • भक्ति आंदोलन के उदय की पृष्ठभूमि PDF
  • भक्ति आंदोलन कब शुरू हुआ
  • भक्ति आंदोलन के सिद्धांत 
  • भक्ति आंदोलन की प्रमुख विशेषताएं लिखिए

भक्ति आन्दोलन को प्रेरणा प्रदान करने वाले महापुरुष

शंकराचार्य (788-820) 

शंकराचार्य का ज्ञान मार्ग व अद्वैतवाद अब साधारण जनता के लिए बोधगम्य नहीं रह गया था। मुस्लिम शासकों द्वार आये दिन मूर्तियों को नष्ट एवं अपवित्र कर देने के कारण, बिना मूर्ति एवं मंदिर के ईश्वर की अराधना के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा, जिसके लिए उन्हें भक्ति मार्ग का सहारा लेना पड़ा। दक्षिण में वैष्णव संतों द्वारा 4 मतों की स्थापना की गई, जो निम्नलिखित हैं 

  • विशिष्टाद्वैतवाद की स्थापना 12वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की। द्वैतवाद की स्थापना 13वीं शताब्दी में मध्वाचार्य ने की। 
  • शुद्धाद्वैतवाद की स्थापना 13वीं सदी में विष्णुस्वामी ने की। द्वैताद्वैवाद की स्थापना 13वीं सदी में निम्बार्काचार्य ने की। 
  • इन सन्तों ने भक्ति मार्ग को ईश्वर प्राप्ति का साधन मानते हुए 'ज्ञान', 'भक्ति' और 'समन्वय' को स्थापित करने का प्रयास किया। इन संतो की प्रवृति 
  • सगुण भक्ति की थी। इन्होंने राम, कृष्ण, शिव, हरि आदि के रूप में आध्यात्मिक व्याख्याएं प्रस्तुत कीं। 14वीं एवं 15वीं शताब्दी में भक्ति आन्दोलन का नेतृत्व कबीरदास के हाथों में था । 
  • इस समय रामानन्द, नामदेव, कबीर, नानक, दादू, रविदास (रैदास), तुलसीदास एवं चैतन्य महाप्रभु जैसे लोगों के हाथ में इस आन्दोलन की बागडोर थी |
  • आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पीठ: ज्योतिष्पीठ बद्रीनाथ (उत्तराखण्ड), गोवर्धनपीठ पुरी (उड़ीसा), शारदापीठ द्वारिका (गुजरात), श्रृंगेरीपीठ मैसूर (कर्नाटक).

रामानुजाचार्य ( 1017-1137 ) – 

रामानुज का जन्म 1017 ई. में तिरुपति नामक स्थान पर हुआ था। माता का नाम 'कान्ति देवी' तथा 'पिता' का नाम 'असुर केशव सोमथजी' था। इनका बचपन का नाम 'लक्ष्मण' थाइनका दार्शनिक मत 'विशिष्टाद्वैतवाद' तथा सम्प्रदाय, श्री सम्प्रदाय था । चोल शासक कुलोत्तुंग द्वितीय से मतभेद के कारण 'रामानुज़' होयसल शासक विष्णुवर्धन के दरबार में चले गए और उसे वैष्णव सम्प्रदाय का अनुयायी बनाया। 

रामानन्द ( 14-15वीं सदी ई.) 

भक्ति आन्दोलन को दक्षिण से उत्तर में लाने का श्रेय रामानन्द को ही दिया जाता है। वे रामानुज की पीढ़ी के प्रथम संत थे। उन्होंने सभी जातियों एवं धर्म के लोगों को. अपना शिष्य बनाकर एक तरह से जातिवाद पर कड़ा प्रहार किया। उनके शिष्यों में कबीर (जुलाहा), सेना (नाई), रैदास ( चमार) आदि थे। उन्होंने एकेश्वरवाद पर बल देते हुए राम की उपासना की बात कही। सम्भवतः हिन्दी में उपदेश देने वाले प्रथम वैष्णव संत रामानन्द ही थे। 

कबीरदास ( 1398-1510 ई.) 

कबीर का जन्म 1440 ई. में वाराणसी में हुआ था। ये सुल्तान सिकन्दर शाह लोदी के समकालीन थे। सूरत गोपाल इनका मुख्य शिष्य था । मध्यकालीन संतों में कबीरदास का साहित्यिक एवं ऐतिहासिक योगदान निःसन्देह अविस्मरणीय है। 

गुरुनानक ( 1469-1538 ई.) 

गुरु नानक का जन्म 1469 में तुलवन्डी नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम कालू तथा माता का नाम तृता था। कबीर के बाद तत्कालीन समाज को प्रभावित करने वालों में नानक का महत्त्वपूर्ण स्थान है। गुरु का व्यक्तित्व असाधारण था। उनमें पैगम्बर, दार्शनिक, राजयोगी, गृहस्थ, त्यागी, धर्मसुधारक, समाज सुधारक, कवि, संगीतज्ञ, देशभक्त, विश्वबन्धु सभी के गुण उत्कृष्ट मात्रा में विद्यमान थे। उनकी रचना ' जपुजी' का सिक्खों के लिए वही महत्त्व है जो हिंदुओं के लिए गीता का है। 

सिक्ख संप्रदाय के दस गुरु 

* गुरु नानकदेव 1469-1539 ई. सिक्ख धर्म के प्रवर्तक 

* गुरु अंगद 1538-1552 ई. गुरुमुखी लिपि के जनक 

* गुरु अमरदास 1552-1574 ई. 

* गुरु रामदास 1574-1581 ई. अमृतसर के संस्थापक 

* गुरु अर्जुन देव 1581-1606 ई. स्वर्ण मंदिर की स्थापना 

*गुरु हरगोविंद सिंह 1606-1645 ई. अकाल तख्त की स्थापना 

* गुरु हरराय 1645-1661 ई. 

* गुरु हरि किशन 1661-1664 ई. 

* गुरु तेग बहादुर सिंह 1664-1675 ई. 

* गुरु गोविन्द सिंह 1675-1708 ई. खालसा सेना का संगठन 


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चैतन्य महाप्रभु ( 1486 से 1533 ई.) 

बंगाल में भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु "सगुण भक्ति मार्ग का अनुसरण करते हुए, कृष्ण भक्ति पर विशेष बल दिया। अन्य सन्तों की तरह चैतन्य ने भी जात-पात एवं अनावश्यक धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया । 

रैदास 

रैदास चमार जाति के थे। वे रामानन्द के बारह शिष्यों में से एक थे। ये बनारस में मोची का काम करते थे । निर्गुण ब्रह्मा के उपासक रैदास ने हिन्दू और मुसलमानों में कोई भेद नहीं माना। वे ईश्वर की एकता में विश्वास करते थे, किन्तु उन्होंने अवतारवाद का खण्डन किया। उन्होंने 'रायदासी सम्प्रदाय' की स्थापना की।

दादू दयाल ( 1544-1603) – 

अन्य सन्तों की तरह अन्ध विश्वास, मूर्ति पूजा, जात पात, तीर्थयात्रा आदि के विरोधी दादू दयाल ने आचरण एवं चरित्र की शुद्धता पर बल दिया। दादू द्वारा 'दादूपंथी' एक भेदभाव मुक्त पंथ है। उनके समय में 'निपक्ष' नामक आन्दोलन की शुरुआत की गई। अन्य संत कवियों, जैसे कबीर, नामदेव, रविदास (रैदांस) और हरिदास की रचनाओं के साथ भी किंचित परिवर्तित छंद संग्रह पंचवाणी में शामिल हैं। यह ग्रंथ दादू पंथ के . धार्मिक ग्रंथों में से एक है। 

सुन्दरदास 

सुन्दरदास दादू दयाल के शिष्य, एक कवि और सन्त थे । उनका जन्म राजस्थान के बनिया परिवार में हुआ था। उनके विचार 'सुन्दर विलास' नामक पुस्तक में मिलते हैं। 

वीरभान 

इनका जन्म पंजाब के 'नारनौल' के समीप हुआ। उन्होंने सतनामियों के सम्प्रदाय की स्थापना की। सतनामियों की धर्मपुस्तक का नाम 'पोथी' है। उन्होंने जातिवाद एवं मूर्तिपूजा का खण्डन किया । 

निम्बार्काचार्य ( 12वीं शताब्दी )  

निम्बार्काचार्य का जन्म तमिलनाडु के 'बेल्लारी' में हुआ था। इन्हें 'सुदर्शन चक्र' का अवतार माना जाता है। इन्होंने 'सनक सम्प्रदाय की स्थापना की तथा 'द्वैताद्वैतवाद' नामक दर्शन दिया। इनका जन्म दक्षिण भारत के गोदावरी नदी के तट पर स्थित वैदूर्यपत्तन के निकट अरुणाश्रम में हुआ था। 

सूरदास (1478-1583 ई.) 

सूरदास का जन्म 1478 ई. में रुनकता नामक ग्राम में हुआ था। वे बल्लभाचार्य के शिष्य थे। सूरदास को 'पुष्टिमार्ग' का जहाज़ कहा जाता है। वे 'अष्टछाप' के कवि थे। उन्होंने ब्रजभाषा में तीन ग्रन्थों की रचना की, जो 'सूरसागर', 'सूरसरावली' तथा 'साहित्य लहरी' के नाम से जानी जाती हैं। गोस्वामी हरिराय के भाव प्रकाश' के अनुसार सूरदास का जन्म दिल्ली के पास ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

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बल्लभाचार्य ( 1479-1531 ई.)  

बल्लभाचार्य ने कृष्णदेव राय के समय विजयनगर में वैष्णव सम्प्रदाय की प्रतिष्ठा की । वे द्वैतवाद में विश्वास करते थे औऱ ‘श्रीनाथजी' के रूप में उन्होंने कृष्ण भक्ति पर बल दिया। उनके महत्त्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थों में 'सुबोधिनी' और 'सिद्धान्त रहस्य' शामिल हैं। उनका अधिकतम समय काशी और वृंदावन में व्यतीत हुआ। इलाहाबाद में उन्होंने चैतन्य से भेंट की थी। 

तुलसीदास ('1532-1623 ई.) 

तुलसीदास का जन्म 1523 ई. में बाँदा जिले के 'राजापुर' नामक ग्राम में हुआ था। वे मुगल शासक . अकबर के समकालीन थे। उन्होंने ईश्वर के सगुण रूप को स्वीकार करते हुए राम को ईश्वर का अवतार मानकर उनकी भक्ति पर विशेष बल दिया। तुलसीदास ने अवधी भाषा में रामचरितमानस की रचना की, 'वैराग्य संदीपनी', 'श्रीकृष्ण गीतावली' तथा 'विनयपत्रिका' आदि प्रमुख हैं। इन्होंने समय को देखते हुए लोकभाषा में 'रामायणं' लिखा । 

मीराबाई ( 1498-1546 ई.)  

मीराबाई का जन्म 1498 ई. में मेड़ा जिले के 'कुदकी ' नामक ग्राम मे हुआ था। वे 'सिसोदिया वंश' की राजकुमारी थीं। इनका विवाह सिसोदिया वंश के राणा साँगा के पुत्र भोजराज से हुआ था। मीराबाई के ईष्ट देव श्रीकृष्ण थे । 

शंकरदेव ( 1499-1569ई.) 

 इन्हें असोम का चैतन्य भी कहा जाता है। इनके द्वारा | स्थापित सम्प्रदाय एकशरण सम्प्रदाय कहलाता शंकरदेव ने निरूकाम भक्ति पर बल दिया है| 

ज्ञानेश्वर (1211-96 ई.) 

इन्होंने श्रीमदभगवद्गीता का मराठी रूप में भावार्थ दीपिका लिखी। इन्हें महाराष्ट्र के रहस्यावादी संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है। 

नामदेव ( 1270-1350 ई.)  

यह ज्ञानेश्वर के शिष्य थे तथा माता का नाम गौनाबाई था। इनक संबंध वरकरी संप्रदाय से था। उनके शिष्यों में सभी जाति के लोग थे। इनके पद गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। ". 

एकनाथ (1538-99 ई.) 

 इनका जन्म औरंगाबाद के पैठन में हुआ था। इन्होंने कीर्तन, गायन को लोकप्रिय बनाया। इनकी प्रमुख लिखित पुस्तके भावार्थ रामायण, शक्तिमाणी स्वयंवर, गौलना, भरूद आदि हैं। 

तुकाराम ( 1598-1650 ई.)

इनका जन्म पूणा के देही में हुआ था। इन्होंने लोकप्रिय काव्य अभंग लिखा। यह शिवाजी के समकालीन थे। लोकप्रियता की दृष्टि से महानतम् संत थे। इन्होंने शिवाजी द्वारा भेजी गई भेंट को अस्वीकार कर दिया था । 

रामदास ( 1608-81 ई.) 

इन्होंने परकार्थ संप्रदाय की स्थापना की तथा महाराष्ट्र धर्म को राजनीतिक रूप प्रदान किया। इन्होंने दासबोध, आनंद भुवन इत्यादि पुस्तकों की रचना की। इन्हें धकरकरी संप्रदाय का प्रमुख संत माना जाता है।

भक्ति आन्दोलन की कुछ विशेषताएँ

  • यह आन्दोलन न्यूनाधिक पूरे दक्षिणी एशिया (भारतीय उपमहाद्वीप) में फैला हुआ था।
  • यह लम्बे काल तक चला।
  • इसमें समाज के सभी वर्गों (निम्न जातियाँ, उच्च जातियाँ, स्त्री-पुरुष, सनातनी, सिख, मुसलमान आदि) का प्रतिनिधित्व रहा।
  • इस आन्दोलन के परिणामस्वरूप संस्कृत के बजाय क्षेत्रीय भाषाओं में भारी मात्रा में हिन्दू साहित्य की रचना हुई जो मुख्यतः भक्ति काव्य एवं संगीत के रूप में है।

भक्ति आंदोलन के प्रभाव

  • भक्ति आन्दोलन के द्वारा हिन्दू समाज ने इस्लाम के प्रचार, जोर-जबरजस्ती एवं राजनैतिक हस्तक्षेप का कड़ा मुकाबला किया।
  • इसका इस्लाम पर भी प्रभाव पड़ा। (सूफीवाद)

भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्त

  • अलवर (लगभग २री शताब्दी से ८वीं शताब्दी तक; दक्षिण भारत में)
  • नयनार (लगभग ५वीं शताब्दी से १०वी शताब्दी तक; दक्षिण भारत में)
  • आदि शंकराचार्य (788 ई से 820 ई)
  • रामानुज (1017 - 1137)
  • बासव (१२वीं शती)
  • माध्वाचार्य (1238 - 1317)
  • नामदेव (1270 - 1309 ; महाराष्ट्र)
  • एकनाथ - गीता पर भाष्य लिखा ; विठोबा के भक्त
  • सन्त ज्ञानेश्वर (1275 - 1296 ; महाराष्ट्र)
  • जयदेव (12वीं शताब्दी)
  • निम्बकाचार्य (13वीं शताब्दी)
  • रामानन्द (15वीं शती)
  • कबीरदास (1440 - 1510)
  • दादू दयाल (1544-1603 ; कबीर के शिष्य थे)
  • गुरु नानक (1469 - 1538)
  • पीपा (जन्म 1425)
  • पुरन्दर (15वीं शती; कर्नाटक)
  • तुलसीदास (1532 - 1623)
  • चैतन्य महाप्रभु (1468 - 1533 ; बंगाल में)
  • शंकरदेव (1449 - 1569 ; असम में)
  • वल्लभाचार्य (1479 - 1531)
  • सूरदास (1483 - 1563 ; बल्लभाचार्य के शिष्य थे)
  • मीराबाई (1498 - 1563 ; राजस्थान में ; कृष्ण भक्ति)
  • हरिदास (1478 - 1573 ; महान संगीतकार जिहोने भगवान विष्णु के गुण गाये)
  • तुकाराम (शिवाजी से समकालीन ; विठल के भक्त)
  • समर्थ रामदास (शिवाजी के गुरू ; दासबोध के रचयिता)
  • त्यागराज (मृत्यु 1847)
  • रामकृष्ण परमहंस (1836 - 1886)
  • भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद (1896 - 1977)

भक्ति आंदोलन कब शुरू हुआ

इतिहास भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में आलवारों एवं नायनारों से हुआ जो कालान्तर में (800 ई से 1700 ई के बीच) उत्तर भारत सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया। इस हिन्‍दू क्रांतिकारी अभियान के नेता शंकराचार्य थे जो एक महान विचारक और जाने माने दार्शनिक रहे।

भक्ति आंदोलन का सिद्धांत 

एक ईश्वर मेंं आस्था- ईश्वर एक है वह सर्व शक्तिमान है । बाह्य आडम्बरों का विरोध- भक्ति आंदोलन के संतों ने कर्मकाण्ड का खण्डन किया । सच्ची भक्ति से मोक्ष एवं ईश्वर की प्राप्ति होती है । सन्यास का विरोध- भक्ति आंदोलन के अनुसार यदि सच्ची भक्ति है ईश्वर में श्रद्धा है तो गृहस्थ में ही मोक्ष मिल सकता है ।

तो ये थी जानकारी भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रश्न के बारे में जहाँ हमने भक्ति आंदोलन के विशेषताएं , सिद्धांत और महापुरुष बारे में जाना | आशा करते हैं यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगी कृपया इस जानकारी को सोशल मीडिया में शेयर जरुर करें।