भारत की भूवैज्ञानिक संरचना (geological structure of india) | UPSC, RRB, Vyapam, PSC
नमस्कार दोस्तों, studypointandcareer.com में आपका स्वागत है। विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का 7वां स्थान है। भारत विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% भाग घेरता है। इसलिए भारत के भू क्षेत्र में बहुत भिन्नतायें पाई जाती हैं । आज के इस आर्टिकल में हम भारत की भूगर्भिक सरंचना (Geological Structure of India) के बारे में जानेंगे। भारत के भूगर्भिक इतिहास के अनुसार यहाँ आर्कियन एवं प्री-कैम्ब्रियन युग की चट्टानें पाई जाती हैं। अनेक परीक्षाओं में भारत की भूगर्भिक सरंचना से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। भारत की भूगर्भिक सरंचना के बारे में पूरा जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें।
भारत की भूवैज्ञानिक संरचना में मुख्यतया तीन भाग हैं-
- प्रायद्वीपीय भारत का प्राचीन भूखंड (यह गोंडवाना लैंड का भाग है),
- हिमालय पर्वत और उससे संबंधित नवीन मोड़दार पर्वत श्रेणियाँ एवं
- सिंध-गंगा का मैदान। इन तीनों भौतिक प्रदेशों का निर्माण एक के बाद एक हुआ है।
भारत की भौतिक संरचना (physical structure of india)
भारत की भौतिक संरचना में पर्वत, पठार, मैदान एवं तटीय प्रदेशों को सम्मिलित किया जाता है। भारत के संपूर्ण क्षेत्रफल का 43 प्रतिशत मैदानी, 28 प्रतिशत पठारी, 18 प्रतिशत पहाड़ी एवं 11 प्रतिशत भू-भाग पर्वतीय है।
पठार (Plateau- India)
यह देश का सबसे बड़ा भौतिक प्रदेश है। भारत का पठारी प्रदेश 16 लाख वर्ग कि.मी. में फैला एक अत्यंत प्राचीन भू-भाग है। इनका विस्तार उत्तर में राजस्थान से लेकर दक्षिण में कुमारी अंतरीप तक 1,700 कि.मी. लंबाई में और 1,400 कि. मी. की चौड़ाई तक है। इसमें अरावली, कैमूर तथा राजमहल की पहाड़ियाँ हैं।
भारत में निम्न प्रमुख पठार हैं-
- मालवा का पठार,
- छोटा नागपुर का पठार,
- बुंदेलखंड का पठार,
- दक्कन का पठार,
- मेघालय का पठार,
- तेलंगाना का पठार एवं,
- कर्नाटक का पठार,
- मध्य भारत पठार,
- मारवाड़ के पठार।
पर्वत (Mountain- India)
भारत में प्राचीन से लेकर नवीन पर्वत श्रेणियाँ तक पायी जाती हैं। प्राचीन पर्वत श्रेणियों में मुख्य रूप से अरावली, सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत हैं। अरावली सबसे प्राचीन एवं हिमालय सबसे नवीन पर्वत है। भारत के कुल क्षेत्रफल के 57 प्रतिशत भाग पर पर्वतमालाएँ फैली हुई हैं।
मैदान (Fields- India)
भारत के विशाल मैदान को निम्नलिखित उप- भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- पंजाब-हरियाणा का मैदान
- राजस्थान का मैदान
- गंगा का मैदान तथा
- ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान।
गंगा का मैदान भारत का सबसे बड़ा मैदान है।
चट्टानों का वर्गीकरण
भारत में सामान्यतया निम्न प्रकार की चट्टानें पायी जाती हैं-
- आर्कियन क्रम,
- धारवाड़ क्रम,
- कुडप्पा क्रम,
- विंध्यन क्रम,
- गोंडवाना क्रम,
- दक्कन ट्रैप्स,
- टरशियरी क्रम एवं
- नवजीव क्रम।
आर्कियन क्रमः
यह भारत का सबसे प्राचीन चट्टान समूह है, जो प्रायद्वीप के दो-तिहाई भाग (लगभग 1,87,500 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में) में फैला हुआ है। इस क्रम की चट्टाने खेदार होती हैं, किंतु इनमें जीवाश्म नहीं पाए जाते। इनका विस्तार तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार के पठारी क्षेत्र, मुख्य हिमालय के कुछ भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से में है। संगमरमर, क्वार्ट्ज, नीस, ग्रेनाइट, शिष्ट, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, फिलाइट आदि इस क्रम की चट्टानों के उदाहरण हैं।
धारवाड़ क्रमः
इस क्रम की चट्टानों की उत्पत्ति कर्नाटक के धारवाड़ और शिमोगा जिले में हुई है। इनका निर्माण आर्कियन क्रम की चट्टानों के बाद हुआ। इनमें जीवाश्मों का अभाव होता है तथा इनमें अवशेष केवल निचली घाटियों या गर्तों में ही पाए जाते हैं। इस क्रम की चट्टानें मुख्य रूप से दक्षिण दक्कन प्रदेश में उत्तरी कर्नाटक से लेकर कावेरी तट तक विस्तृत हैं। इसके अलावा ये नागपुर, जबलपुर, बालाघाट, भटिंडा, सागर, हजारीबाग, दिल्ली, गुजरात और रीवा में भी पायी जाती हैं। अरावली तथा चंपानेर इसकी प्रमुख श्रेणियाँ हैं। इनमें विभिन्न धातुयें, जैसे-सोना, सीसा, अभ्रक, कोबाल्ट, फ्लोराइट, इल्मैनाइट, ग्रेनाइट, गारनेट, एस्बेस्टस, कोरंडम, संगमरमर, ताँबा, लोहा, मैगनीज, जस्ता, टंगस्टन, क्रोमियम आदि पाये जाते हैं।
कुडप्पा क्रमः
इनका निर्माण धारवाड़ क्रम की चट्टानों के बाद हुआ। आंध्र प्रदेश के कुडप्पा जिले के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। इनका विस्तार लगभग 22,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। ये चट्टानें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा हिमालय के कुछ क्षेत्रों में पायी जाती हैं। इनमें लोहा, मैगनीज, ताँबा, निकेल, कोबाल्ट, संगमरमर, जॉस्पर, एस्बेस्टस, डायमंड, चूने का पत्थर, बालू का पत्थर और सीसा आदि मिलते हैं।
विंध्यन क्रमः
इनका निर्माण कुडप्पा क्रम की चट्टानों के बाद हुआ। इसका नामकरण विध्याल पर्वत के नाम पर किया गया है ये पूर्व में बिहार के सासाराम एवं रोहतास से लेकर पश्चिम में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र तक तथा उत्तर में आगरा से लेकर दक्षिण में होशंगाबाद तक विस्तृत हैं। इनमें चूने का पत्थर, सेलखड़ी, ताँबा, निकेल, कोबाल्ट, एस्बेस्टस, कोयला, क्वार्टजाइट आदि मिलते हैं। इन्हीं चट्टानों से हीरा (म. प्र. और गोलकुंडा) व पन्ना मिलता है।
गोंडवाना क्रम:
ये चट्टानें भारत में संकरी घाटियों में पाई जाती हैं। ये चट्टानें बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के विभिन्न भागों, यथा- दामोदर नदी की घाटी, नागपुर तक दक्कन के मुख्य पठारी भाग, कच्छ, काठियावाड़, राजमहल पहाड़ियां, महानदी की घाटी, गोदावरी नदी घाटी, वैनगंगा नदी घाटी, वर्धा नदी घाटी, पश्चिमी राजस्थान, चेन्नई, कटक, विजयवाड़ा, राजमुंदरी, तिरुचिरापल्ली और रामनाथपुरम में पायी जाती हैं। भारत का 98 प्रतिशत कोयला केवल इन्हीं चट्टानों में पाया जाता है।
दक्कन ट्रैप्स:
इनका विस्तार प्रायद्वीपीय भारत में मध्य भारत, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के 5 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्र में है। काली मिट्टी का निर्माण इन्हीं चट्टानों से हुआ है। इसमें लोहा, मैगनीज, माणिक, अगेट और एल्यूमिना आदि के अंश पाये जाते हैं। भवन व सड़कों के निर्माण में इन्हीं चट्टानों का प्रयोग किया जाता है।
टरशियरी क्रम:
इनका निर्माण काल इंयोसीन युग से लेकर प्लायोसीन युग तक है। टरशियरी चट्टानें मुख्य रूप से भारत के बाह्य प्रायद्वीपीय भाग में पाई जाती हैं। इनमें बलुआ पत्थर, चीका, लाल व पीला गेरू तथा पेट्रोल के भंडार आदि पाये जाते हैं।
नवजीव क्रमः
इनका निर्माण प्लाइस्टोसीन हिम युग में हुआ। कश्मीर घाटी एवं पुरानी जलोढ़ मृदा का निर्माण इसी काल में हुआ।
हिमालय
हिमालय पर्वत एक नवीन वलित पर्वत है, जो भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित है। हिमालय का आकार धनुषाकार है। हिमालय उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की दिशा में लगभग 2,400 किलोमीटर तक फैला है। इस पर्वत की चौड़ाई पश्चिम में 400 कि.मी. तथा पूरब में 160 कि.मी. है। पटकाई, नागा, मिजो, गारो, खासी, जयंतिया और लुशाई आदि पहाड़ियाँ हिमालय से ही संबंधित हैं। इसे नेपाल में सागरमाथा तथा चीन में क्योमोलांगमा कहते हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला के मुख्य पाँच भाग हैं- वृहत् हिमालय, लघु हिमालय और शिवालिक द्रास अथवा तिब्बत हिमालय एवं पूर्वांचल हिमालय |
- वृहत् हिमालयः अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यह सदा बर्फ से ढका रहता है, इसलिए इसे हिमाद्री भी कहा जाता है। कराकोरम श्रेणी में संसार की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी स्थित है, जिसका नाम K-2 या गॉडविन आस्टिन (8,611 मीटर) है। यह भारत की सबसे ऊँची चोटी भी है। वैसे यह पाक अधिकृत कश्मीर में है। वृहत हिमालय की औसत ऊँचाई 6,100 मीटर है। विश्व की उच्चतम चोटियाँ इस श्रेणी में स्थित हैं। कुछ प्रमुख चोटियाँ इस प्रकार हैं- एवरेस्ट (8,850 मीटर), कंचनजंगा (8,598 मीटर), धौलगिरि (8,172 मीटर), नंगा पर्वत (8.126 मीटर), नंदा देवी (7,817 मीटर) और नामचा बरवा (7,756 मीटर ) ।
- लघु हिमालयः इसकी ऊँचाई औसत 3,700 मीटर से लेकर 4,500 मीटर तक तथा चौड़ाई औसत 80 से लेकर 100 किलोमीटर तक है। इनकी प्रमुख श्रेणियाँ हैं- कश्मीर की पीर पंजाल श्रेणी और जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में विस्तृत धौलाधार श्रेणी एवं नाग हिब्बा तथा नेपाल में महाभारत श्रेणी। इसके दक्षिणी ढलानों पर ही भारत के कई पर्यटक स्थल, जैसे- नैनीताल, शिमला, मसूरी, दार्जिलिंग आदि पाये जाते हैं। इन पर्वत श्रेणियों के ढलान पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे घास के मैदानों को कश्मीर में मर्ग कहते है|
भारत के प्रमुख दर्रे
राज्य | दर्रा |
मध्य प्रदेश | असीरगढ़ |
जम्मू-कश्मीर | बनिहाल, बारालाचा चांग्ला, फोतुला, खार्दुग, लुंगालाचा, नामिका, सासेर, तांग्लांगला, जोजिला, कराकोरम, आधिल। |
हिमाचल प्रदेश | देढ़सा, रोहतांग, सिक्की ला| |
सिक्किम | दोंगरवाला, गोएचा, जलेप ला . नाथुला। |
उत्तराखंड | नामा, सिनला ट्रेल्स, थांगला, लिपु। |
अरुणाचल प्रदेश | सेला बोम्डिला |
राजस्थान | हल्दीघाटी |
केरल | पलक्काड या पालघाट। |
महाराष्ट्र | थालघाट, भोरघाट| |
- शिवालिकः यह श्रेणी लघु हिमालय के दक्षिण में समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुयी है। यह श्रेणी उप-हिमालय भी कहलाती है। इस हिमालय को अलग-अलग स्थलों पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे- जम्मू हिल- जम्मू और कश्मीर में आबोर और मिशमी- अरुणाचल प्रदेश में चूरिया मूरिया नेपाल में यह 15 से 50 किमी. चौड़ी शृंखला है। इसकी औसत ऊँचाई 600 से 1500 मी. है।
- द्रास अथवा तिब्बत हिमालय : यह महान हिमालय के उत्तर में उसके समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैले हुए हैं। इसका अधिकांश भाग तिब्बत में है, इसलिए इसे तिब्बत हिमालय भी कहते हैं। इसकी ऊँचाई 3100 किमी है। लद्दाख, जास्कर, कैलाश व कराकोरम इसकी प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ हैं।
- पूर्वांचल हिमालयः हिमालय के पूर्व में स्थित होने के कारण इसे पूर्वांचल कहा जाता है। इस हिमालय में अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर एवं मिजोरम राज्य स्थित हैं। इन्हें पूर्वी पहाड़ियाँ भी कहते हैं।
हिमालय के प्रादेशिक विभाजन के आधार पर निम्न भागों में बाँटा जाता है - पंजाब हिमालय, कुमाऊं हिमालय, नेपाल हिमालय तथा असम हिमालय।
- पंजाब हिमालयः यह सिंधु नदी और सतलज नदी के मध्य का विस्तृत भाग है, जो 560 कि. मी. की दूरी तक फैला है। इसका अधिकांश भाग हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर में है। इनकी पर्वत श्रेणियों में प्रमुख हैं- पीर पंजाल, लद्दाख, काराकोरम, धौलाधार और जॉस्कर। यहाँ पर जोजीला दर्रा भी स्थित है, जिसकी ऊँचाई 3,444 मीटर है। काँगड़ा, लाहुल और स्पीति इसकी प्रमुख घाटियाँ हैं। बड़ालच्या, बनिहाल, रोहतांग और बुर्जिल इसके प्रमुख दर्रे हैं।
शिखर | ऊँचाई (मीटर में ) |
के-2 | 8611 |
कंचनजंगा | 8,598 |
धौलागिरि | 8,172 |
नंगा पर्वत | 8,126 |
नंदा देवी | 7,817 |
माशेर ब्रम | 7, 806 |
राकापोशी | 7,788 |
नामचा बरवा | 7,756 |
सर्वोच्च भारतीय शिखर
- कुमाऊं हिमालयः यह सतलज और काली नदी के मध्य 320 कि.मी. की दूरी तक फैला है तथा उत्तराखंड में पाया जाता है। इसका पश्चिमी भाग गढ़वाल और पूर्वी भाग कुमाऊं हिमालय कहलाता है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशूल, माना, गंगोत्री, नंदादेवी तथा कामेत इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं। यमुना और भागीरथी नदी यहीं से निकलती है। नंदा देवी कुमाऊं हिमालय का सर्वोच्च शिखर है।
- नेपाल हिमालय: यह हिमालय का सबसे ऊँचा भाग है और यहीं सबसे ऊँची चोटियाँ पाई जाती हैं। यह काली नदी और तिस्ता नदी के बीच लगभग 800 कि.मी. तक फैला है। एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू, धौलगिरि तथा अन्नपूर्णा इसकी महत्वपूर्ण चोटियाँ हैं।
- असम हिमालय: यह तिस्ता नदी और दिहांग नदी के बीच 720 किलोमीटर लंबे भाग में फैला है। कुला, कांगड़ी चुमलहारी, कोबस, जांग सांगला पैहुनी और नामचा बरवा इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं। नागा, मिजो, मणिपुर, खासी, मिकिर आदि इसकी प्रमुख पहाड़ियाँ हैं। इस भाग से दिबांग, लोहित, ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ निकलती हैं।
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