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सूर्य ग्रहण(Solar Eclipse)- Surya Grahan in Hindi

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आपने सूर्य ग्रहण के बारे में जरुर सुना होगा। तो क्या आप सूर्य ग्रहण के बारे में जानते हैं। अगर नहीं तो इस पोस्ट में आपको सूर्य ग्रहण के बारे में विस्तार से जानकारी मिल जाएगी। सूर्य ग्रहण एक भौगोलिक घटना है। जो सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। सूर्य ग्रहण - Surya Grahan in Hindi

सूर्य ग्रहण - Surya Grahan in Hindi

सूर्य ग्रहण कब होता है

पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा ,पृथ्वी की परिक्रमा करती है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के मध्य में आ जाती है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है।  सूर्य की रोशनी कुछ समय के लिए चंद्रमा के बीच में आने के कारण पृथ्वी पर नहीं आ पाती है। पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।

पूर्ण सूर्य ग्रहण

चन्द्रमा , सूर्य के सिर्फ़ कुछ भाग को ही ढ़क पाता है। ऐसी स्थिति को  खण्ड-सूर्य ग्रहण कहते हैं। जब चन्द्रमा,  सूर्य को पूरी तरह से  ढक लेता है, यह स्थिति पूर्ण-सूर्य ग्रहण कहलाती है। पूर्ण-सूर्य ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। अधिकतम250 किलोमीटर के दायरे में पूर्ण सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है। इस क्षेत्र के बाहर केवल खंड-सूर्य ग्रहण दिखाई देता है। पूर्ण-सूर्य ग्रहण के समय चन्द्रमा को सूर्य के सामने से गुजरने में दो घण्टे लगते हैं। चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह से, ज़्यादा से ज़्यादा, सात मिनट तक ढक सकता है। इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है।

ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण

ज्योतिष के नजर से देखा जाए तो यह अभूतपूर्व अनोखा, विचित्र ज्योतिष ज्ञान है। जो ग्रह और उपग्रहों की गतिविधियाँ एवं उनका स्वरूप स्पष्ट करता है। सूर्य ग्रहण तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा ढक जाये। इस प्रकार के ग्रहण के लिए चन्दमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृ्थ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का कुछ भाग दिखाई नहीं पड़ता है।

अमावस्या और चन्द्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होने पर सूर्य ग्रहण होता है।

सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है। जब चन्द्रमा क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न तथा दीप्त हों। चन्द्र और राहु या केतु के रेखांश बहुत निकट होने चाहिए। चन्द्र का अक्षांश लगभग शून्य होना चाहिये और यह तब होगा जब चन्द्र रविमार्ग पर या रविमार्ग के निकट हों, सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्र के कोणीय व्यास एक समान होते हैं। इस कारण चन्द सूर्य को केवल कुछ मिनट तक ही अपनी छाया में ले पाता है। सूर्य ग्रहण के समय जो क्षेत्र ढक जाता है उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहते हैं।

खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है। पूर्ण-सूर्य-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जाता है। सूर्य ग्रहण प्रमुख रूप से तीन तरह के होते हैं, पूर्ण सूर्य ग्रहण, जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी नजदीक रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के मध्य में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। दूसरा आंशिक सूर्य ग्रहण, जब चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य मे आता है, जिससे सूर्य का कुछ ही हिस्सा पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है और तीसरा वलयाकार सूर्य ग्रहण  पड़ने के दौरान जब चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत अधिक दूरी पर रहते हुए भी पृथ्वी और सूर्य के मध्य में आ जाता है और चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका हुआ नहीं नजर आता है। 

इसे भी पढ़ें- चन्द्र ग्रहण - Chandra Grahan in Hindi

वैज्ञानिक दृष्टिकोण में सूर्य ग्रहण

ग्रहण ही वह समय होता है जब ब्राह्मण्ड में अनेकों विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएँ घटित होतीं हैं जिससे कि वैज्ञानिकों को नये नये तथ्यों पर कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है। लार्कयर नामक वैज्ञानिक ने 1968 में सूर्य ग्रहण के समय पर की गई खोज के सहारे वर्ण मण्डल में हीलियम गैस की उपस्थिति का पता लगाया था।

आईन्स्टीन का यह प्रतिपादन भी सूर्य ग्रहण के अवसर पर ही सही सिद्ध हो सका, जिसमें उन्होंने अन्य पिण्डों के गुरुत्वकर्षण से प्रकाश के पडने की बात कही थी।

इस पोस्ट में हमने सूर्य ग्रहण (Surya Grahan in Hindi) के बारे में जाना। चूँकि हम पृथ्वी पर रहते हैं सूर्य हमारे लिए प्रमुख ऊर्जा का स्रोत है । अत: इस सब बातों की जानकरी हमें अवश्य होनी चाहिए।

आशा करता हूँ  कि सूर्य ग्रहण - Surya Grahan in Hindi का यह पोस्ट आपके लिए लाभकारी साबित होगा । अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

FAQs:-

Q. 2023 का पहला सूर्य ग्रहण कब है?
Ans:- साल पहला सूर्य ग्रहण (solar eclipses) 20 अप्रैल, 2023, गुरुवार को लगेगा. सूर्य ग्रहण सुबह 7:04 बजे शुरू होगा और दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा।

Q.सूर्य ग्रहण कब से है?
Ans:- साल 2023 में कुल चार ग्रहण लगेंगे, जिसमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण हैं. 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा. यह भारत में दिखाई नहीं देगा. इसके बाद 14 अक्टूबर 2023 को दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा।

Q. सूर्य ग्रहण किसके कारण होता है?
Ans:-पृथ्वी और सूर्य के बीच में चांद के आ जाने से पृथ्वी पर रोशनी नहीं पहुच पाती है जिसके कारण कुछ समय के लिए पृथ्वी का कुछ सतह दिन के उजाले में ही अंधेरा दिखने लगता है।

चन्द्र ग्रहण - Chandra Grahan in Hindi

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आपने चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) के बारे में कभी न कभी तो सुना ही होगा। तो क्या आप जानते हैं कि चन्द्र ग्रहण क्या होता है। यदि आप चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan in Hindi) के बारे में जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही पोस्ट में आये हैं क्यूंकि  इस पोस्ट में हम चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan in Hindi) के बारे में जानने वाले हैं।

चन्द्र ग्रहण - Chandra Grahan in Hindi


चन्द्र ग्रहण क्या है? (Lunar Eclips in Hindi)

चंद्रग्रहण इस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। 

चंद्र ग्रहण कब होता है? (When does lunar eclipse happen?)

चंद्र ग्रहण आमतौर पर पूर्णिमा की रात (Moon Night) को होता है।

इसे भी पढ़ें- Biology gk in hindi

चंद्र ग्रहण कैसे लगता है? (How does a lunar eclipse occur?)

सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस प्रक्रिया में एक ऐसा समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध में आ जाते हैं और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है। इस घटना को खगोलीय घटना के रूप में चंद्रग्रहण कहा जाता है। इस ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण चन्द्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चन्द्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चन्द्र आसन्धियों के सापेक्ष चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। चाँद के इस रूप को 'ब्लड मून' भी कहा जाता है। चन्द्र ग्रहण शुरू होने के बाद ये पहले काले और फिर धीरे-धीरे सुर्ख लाल रंग में तब्दील होता है।

किसी सूर्यग्रहण के विपरीत, जो कि पृथ्वी के एक अपेक्षाकृत छोटे भाग से ही दिख पाता है, चंद्रग्रहण को पृथ्वी से रात में किसी भी भाग से देखा जा सकता है। चन्द्रमा की छाया की छोटी होने के कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चन्द्रग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है। इसके अतिरिक्त चन्द्रग्रहण को, सूर्यग्रहण के विपरीत, आँखों के लिए बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है, क्योंकि चन्द्रग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चन्द्र से भी कम होती है।

सूर्य और चंद्रमा के मध्य में जब पृथ्वी आ जाती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा, पृथ्वी  की परिक्रमा करता है। पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आने की वजह से सूर्य की किरणें चन्द्रमा पर नहीं पड़ता है।

पौराणिक कथा के अनुसार चन्द्र ग्रहण:

देवों और दानवों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें 14 रत्नों की प्राप्ति हुई जिसमे से एक अमृत कलश था। जिसके लिए यह समुद्र मंथन किया जा रहा था। इस अमृत पर किसका अधिकार होगा इस बात को लेकर देवों और दानवों के बीच बहस होने लगी। अमृत पान के इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अमृत को केवल देवों को देने के विचार से यह योजना बनाई गयी थी।

जब भगवान विष्णु मोहिनी रूप में आई तब दानव मोहिनी के रूप से आकर्षित हो गए। मोहिनी ने अमृत को देवों और दानवों में बराबर हिस्से में बांटने का प्रस्ताव दिया और देव और दानव दोनों ने इस प्रस्ताव को मान लिया। लेकिन दानव के समूह से स्वर्भानु नाम के एक दानव को यह आभास हो गया था कि हमारे साथ छल होने वाला है। तो उसने देव रूप धारण कर देवों की पंक्ति में सूर्य देव और चन्द्र देव के पास खड़ा हो गया। लेकिन जैसे ही स्वर्भानु ने अमृत पान किया सूर्य और चन्द्र देव ने उसे पहचान लिया।

यह बात उन्होंने मोहिनी रूप धारी विष्णु को बता दी जिससे क्रोधित होकर विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस पर वार किया जिससे दानव का सर धड़ से अलग हो गया। उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया।

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और चंद्र देवता द्वारा स्वर्भानु की पोल खोले जाने के कारण राहु- केतु इन दोनों देवों का दुश्मन हो गया। इसलिए वे पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को ग्रस लेता है। जिससे चन्द्र  ग्रहण होता है।

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इस पोस्ट में हमने चन्द्र ग्रहण के बारे में जाना। आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

FAQs:-

Q. चंद्र ग्रहण कैसे होता है

Ans:- चंद्रग्रहण इस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है।

Q. चंद्र ग्रहण में सोने से क्या होता है?

Ans:- ग्रहण समय में सोने से रोगी, लघुशंका से दरिद्र, स्त्री प्रसंग से सुअर तथा उबटन लगाने से कोढ़ी होता है।

Q. चंद्र ग्रहण कैसे बनता है?

Ans:- पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो जाती है।

Q. ग्रहण का क्या महत्व है?

Ans:- ग्रहणों ने वैज्ञानिकों को सूर्य की संरचना और विस्फोटक घटनाओं को समझने में मदद की, सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के लिए सबूत खोजे, और अन्य बातों के अलावा एक नए तत्व की खोज की। 

परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain)

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हम जहाँ रहते हैं उसके आस पास बहुत सारे पदार्थ होते हैं। जो विभिन्न  अणुओं से मिलकर बने होते हैं। ये अणु जिनसे बनते हैं उन्हें परमाणु कहते हैं। इस आर्टिकल में हम परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain) के बारे में जानेंगे। परमाणु से सम्बंधित प्रश्न अक्सर परीक्षा में देखने को मिल जाते हैं इसलिए इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी एक विद्यार्थी को अवश्य होनी चाहिए। परमाणु से जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिये इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें।

परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain)

परमाणु (Atom)

परमाणु पदार्थ की सबसे छोटी इकाई होती है जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाई जाती है। परमाणु एक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है और रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अलग भी किया जा सकता है। ठोस, तरल, गैस सभी परमाणु से ही मिलकर बने होते हैं। पहले माना जाता था की अणुओं से मिलकर कोई भी पदार्थ है , लेकिन बाद में वैज्ञानिक खोजों से ज्ञात हुआ कि अणु से भी छोटा कण होता है जिसे परमाणु खा जाता है। किसी पदार्थ के इससे छोटे कण नहीं हो सकते हैं।

इन्हें भी जानें- Biology Gk in Hindi

परमाणु की सरंचना (Structure of Atom)

परमाणु जिसे अंग्रेजी में Atom कहते हैं । इसका अर्थ अविभाज्य होता है। परमाणु मुख्य रूप तीन कणों प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और  इलेक्ट्रॉन से मिलकर बने होते हैं। जिनमे से प्रोटॉन और न्यूट्रॉन  परमाणु के नाभिक में पाए जाते हैं। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन को एक साथ न्यूक्लिऑन कहा जाता है। जबकि इलेक्ट्रॉन , परमाणु के नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
प्रोटॉन एक धनावेशित कण होता है, इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कण होता है और न्यूट्रॉन आवेश हीन कण होता है।

भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने 500 ई.पू. में प्रतिपादित किया था कि किसी पदार्थ को विभाजित करते जाएँ तो अंतत: ऐसी परिस्थति आएगी कि उस पदार्थ को और विभाजित नहीं किया जा सकता । ऐसे सूक्ष्मतम कण को पामाणु कहते हैं। ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिटस एवं लियुसीपस ने सूक्ष्मतम अविभाज्य  कणों को “Atoms” कहा। जो यूनानी भाषा के atomio से लिया गया था - जिसका शाब्दिक अर्थ न काटे जाने वाला था। दर्शन शास्त्र पर आधारित इन खोजो का कोई प्रायोगिक आधार नहीं था।

परमाणु के कण

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि परमाणु  तीन कणों प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और  इलेक्ट्रॉन से मिलकर बना है। तो आगे हम इन कणों के बारे में जानेंगे।

प्रोटॉन 

प्रोटॉन परमाणु के नाभिक में पाया जाने वाला एक धनावेशित कण है। इसका द्रव्यमान 1.6726 × 10−24 ग्रा॰/1.6726 (yg/योक्टोग्राम) है जो इलेक्ट्रान के द्रव्यमान के 1,836 गुना है। एक परमाणु में प्रोटॉन की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं। प्रोटॉन की खोज 1919 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने की थी।

इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक के चारों परिक्रमा करने वाला एक कण है जो ऋणावेषित होता है। इलेक्ट्रॉन की  खोज  जे. जे. थॉमसन ने 19वीं सदी के अंत में की थी। द्रव्यमान 9.11 × 10−31 कि. ग्रा. है। परमाणु के कणों में सबसे छोटा और हल्का कण इलेक्ट्रॉन होता है।

न्यूट्रॉन 

न्यूट्रॉन, परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाला एक आवेशहीन कण है। इसका द्रव्यमान 1.6929 × 10−27 कि.ग्रा. है जो इलेक्ट्रान के द्रव्यमान के 1,839 गुना है। अंग्रेज भौतिक वैज्ञानिक जेम्स चैडविक ने 1932 में न्यूट्रॉन की खोज  की थी।

परमाणु क्रमांक(Atomic Number)

किसी पदार्थ का अंतिम अविभाज्य कण तत्व होता है। अलग अलग तत्वों का अपना एक परमाणु क्रमांक होता है। अब तक ज्ञात तत्वों की संख्या 118 है। सभी का अपना एक परमाणु क्रमांक है। परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाले प्रोटॉन की संख्या को परमाणु क्रमांक (Atomic Number) कहते हैं। इसे Z से प्रदर्शित करते हैं। रासायनिक तत्वों को उनके बढते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में विशेष रीति से सजाने से आवर्त सारणी का निर्माण होता है जिससे अनेक रासायनिक एवं भौतिक गुण स्वयं स्पष्ट हो जाते हैं।

परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)

किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या के योग को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या (mass number in Hindi) कहते हैं। इसे A प्रदर्शित करते हैं। 

समस्थानिक (Isotopes)

परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहा जाता है। और  परमाणु में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या के योग को परमाणु द्रव्यमान कहा जाता है। जब किन्ही तत्वों के परमाणु क्रमांक समान होते हैं और परमाणु भार अलग-अलग होते हैं। तो इसे समस्थानिक कहते हैं।

समभारिक (Burdensome)

किसी तत्व का परमाणु भार एक समान हो पर परमाणु क्रमांक अलग अलग हो ऐसे तत्वों को समभारिक कहते हैं।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton's Atomic Theory)

सन 1808 में वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने प्रयोगों के आधार पर एक सिद्धांत प्रस्तुत किया। जिसे डाल्टन का परमाणु सिद्धांत कहते हैं। डाल्टन के अनुसार -
  • द्रव्य अतिसूक्ष्म अविभाज्य कणों से मिलकर बना होता है, जिसे परमाणु कहते हैं। 
  • एक तत्व के सभी परमाणु आकार, आकृति तथा द्रव्यमान आदि गुणों में समान होते हैं। जबकि भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु इन गुणों में भिन्न भिन्न होते हैं।
  • परमाणु को उत्पन्न और नष्ट नहीं किया जा सकता है।
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इस आर्टिकल में हमने परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain) के बारे में जाना। जो परिक्षापयोगी दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इस आर्टिकल को शेयर जरुर करें।

न्यूक्लियर फिजिक्स क्या है (Nuclear Physics kya hai)

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क्या आपने कभी न्यूक्लियर फिजिक्स के बारे में सुना है। अगर नहीं तो यह पोस्ट आपके लिए ही है। क्यूंकि इस पोस्ट में हम न्यूक्लियर फिजिक्स क्या है (Nuclear Physics in hindi) के बारे में जानेंगे। न्यूक्लियर फिजिक्स फिजिक्स की ही एक शाखा है जिसमे परमाणु के नाभिक का अधययन किया जाता है। परमाणु बम , रडार, रेडियोएक्टिविटी इत्यादि के बारे में न्यूक्लियर फिजिक्स में पढ़ा जाता है जिसकी संक्षिप्त जानकारी इस पोस्ट में दी जा रही है।

Nuclear Physics kya hai

न्यूक्लियर फिजिक्स क्या है (Nuclear Physics in hindi)

नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics), भौतिकी की वह शाखा है जिसके अंतर्गत परमाणु नाभिक और उसके घटकों और अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। परमाणु पदार्थ के अन्य रूपों का भी अध्ययन किया जाता है। नाभिकीय भौतिकी, परमाणु भौतिकी से अलग है जो परमाणु का अपने इलेक्ट्रॉनों सहित समग्र रूप से अध्ययन करता है।

कोई भी पदार्थ बहुत सारे अणुओं से मिलकर बनता और अणु बहुत सारे परमाणु से मिलकर बनता है और परमाणु के बनने में भी छोटे छोटे कण होते हैं। जिन्हें हम इलेक्ट्रान ,प्रोटोन और न्यूट्रान कहते हैं। परमाणु के नाभिक में प्रोटोन और न्यूट्रान होते हैं। नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics) में इन्ही नाभिकीय कणों का अध्ययन किया जाता है। नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं Z से प्रदर्शित किया जाता है। नाभिक में उपस्थित प्रोटोन और न्यूट्रान की संख्या के योग को परमाणु भार या परमाणु द्रव्यमान कहते हैं।

परमाणु भौतिकी का इतिहास (history of nuclear physics)

परमाणु भौतिकी का इतिहास, 1896 में हेनरी बेकरेल द्वारा रेडियोधर्मिता की खोज के साथ शुरू होता है, यूरेनियम लवणों में phosphorescence की जांच करते समय पता चला।  एक साल बाद जे जे थॉमसन द्वारा इलेक्ट्रॉन की खोज एक संकेत था कि परमाणु की आंतरिक संरचना थी। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में परमाणु का स्वीकृत मॉडल जे जे थॉमसन का "प्लम पुडिंग" मॉडल था जिसमें परमाणु एक सकारात्मक रूप से आवेशित गेंद थी जिसके अंदर छोटे नकारात्मक रूप से आवेशित इलेक्ट्रॉन एम्बेडेड थे।

बाद के वर्षों में, रेडियोधर्मिता की बड़े पैमाने पर जांच की गई, विशेष रूप से मैरी क्यूरी, पियरे क्यूरी, अर्नेस्ट रदरफोर्ड और अन्य द्वारा। सदी के अंत तक, भौतिकविदों ने परमाणुओं से निकलने वाले तीन प्रकार के विकिरणों की भी खोज की थी, जिन्हें उन्होंने अल्फा, बीटा और गामा विकिरण नाम दिया था। 1911 में ओटो हैन और 1914 में जेम्स चाडविक द्वारा किए गए प्रयोगों से पता चला कि बीटा क्षय स्पेक्ट्रम असतत के बजाय निरंतर था। अर्थात्, गामा और अल्फा क्षय में देखी गई ऊर्जा की असतत मात्रा के बजाय, इलेक्ट्रॉनों को ऊर्जा की एक सतत श्रृंखला के साथ परमाणु से निकाला गया था। यह उस समय परमाणु भौतिकी के लिए एक समस्या थी, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता था कि इन क्षयों में ऊर्जा संरक्षित नहीं थी।

1903 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से बेकरेल को उनकी खोज के लिए और मैरी और पियरे क्यूरी को रेडियोधर्मिता में उनके बाद के शोध के लिए दिया गया था। रदरफोर्ड को 1908 में "तत्वों के विघटन और रेडियोधर्मी पदार्थों के रसायन विज्ञान की जांच" के लिए रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

1905 में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता के विचार को प्रतिपादित किया। जबकि बेकरेल और मैरी क्यूरी द्वारा रेडियोधर्मिता पर काम इससे पहले का है, रेडियोधर्मिता की ऊर्जा के स्रोत की व्याख्या के लिए इस खोज का इंतजार करना होगा कि नाभिक स्वयं छोटे घटकों, न्यूक्लियॉन से बना था।

नाभिकीय भौतिकी का उपयोग (Use of Nuclear Physics in hindi)

नाभिकीय भौतिकी के क्षेत्र में निरंतर शोध ने हमें विभिन्न अन्य उपयोगों को खोजने में मदद की है। उदाहरण के लिए, हमारे पास अब परमाणु चिकित्सा, परमाणु हथियार हैं और यहां तक कि कार्बन डेटिंग के संदर्भ में भूविज्ञान और पुरातत्व में इसके उपयोग भी पाए गए हैं।

एक परमाणु एक घने नाभिक से बना होता है, जिसके विन्यास के अनुसार इलेक्ट्रॉनों की परिक्रमा करने वाले कोर में न्यूट्रॉन और प्रोटॉन होते हैं। केंद्र सकारात्मक रूप से चार्ज होता है और इलेक्ट्रॉनों के आसपास के बादल एक नकारात्मक चार्ज करता है। पूरे विचार में परमाणु या तो तटस्थ हो सकते हैं या चार्ज ले सकते हैं (इस मामले में हम उन्हें आयन कहते हैं)।

कई स्थानों पर, आपने देखा होगा कि परमाणु ऊर्जा, परमाणु विखंडन और संलयन के संदर्भ में ऊर्जा उत्पादन का स्रोत है। यह आपको भ्रमित न होने दें क्योंकि वे दोनों अक्सर उपयोग किए जाते हैं और एक साथ जुड़े होते हैं। इस लेख की शुरुआत में दोनों के बीच का अंतर पहले ही बताया जा चुका है।

परमाणु भौतिकी पूरे परमाणु के साथ खुद की चिंता करता है और इलेक्ट्रॉनों के इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फ़िगरेशन को कैसे बदल सकता है। जब एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन खो देता है, तो यह सकारात्मक रूप से चार्ज (cation) हो जाता है और जब यह एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है तो यह नकारात्मक रूप से चार्ज (anion) हो जाता है।

परमाणु के मूल कण :

प्रोटॉन

  • अंग्रेज वैज्ञानिक, रदरफोर्ड ने सन् 1919 में नाइट्रोजन नाभिकों पर a-कणों का प्रहार करके प्रोटॉन की खोज की थी।
  • प्रोटॉन का द्रव्यमान (किग्रा) 1.672×1027
  • आवेश (कूलाम): 6 × 1019
  • प्रोटोन, इलेक्ट्रॉन से 1838 गुना भारी होता है।

न्यूट्रॉन

  • अंग्रेज वैज्ञानिक, चैडविक ने सन् 1932 में बेरेलियम पर ∝-कणों का प्रहार करके न्यूट्रॉन की खोज की थी।
  • द्रव्यमान (किग्रा):- 1.675×1027
  • आवेश:- 0 (आवेशहीन)
  • इसकी भेदन क्षमता अत्यधिक होती है।

इलेक्ट्रॉन

  • 1897 में अंग्रेज वैज्ञानिक, जे.जे. टॉमसन ने कैथोड किरणों के रूप में इलेक्ट्रॉन की खोज की थी।
  • द्रव्यमान (किग्रा):- 9.108×1031
  • आवेश(कूलाम)– 1.6×1019
  • इलेक्ट्रॉन सूक्ष्म कण होते हैं जो नाभिक के बाहर चारों ओर परिक्रमा करते हैं।

पोजिट्रॉन

  • पोजिट्रॉन एक धनावेशित मूल कण है, जिसका द्रव्यमान व आवेश (परिमाण में) इलेक्ट्रॉन के बराबर होता है।
  • इसे इलेक्ट्रॉन का प्रतिकण (antiparticle) कहा जाता है।

पाई-मेसोन

  • सन् 1935 में वैज्ञानिक युकावा ने पाई-मेसोन मूल कणों की खोज की थी।
  • ये कण तीन प्रकार के होते हैं- 1. उदासीन 2. धनात्मक 3. ऋणात्मक (पाई-मेसोन)
  • पाई-मेसोनअस्थायी कण होते हैं।

रेडियो एक्टिव

स्थायित्व प्राप्त करने के लिए अस्थायी नाभिक स्वत: ही ऐल्फा (α), बीटा (β) तथा गामा (λ) किरणों का उत्सर्जन करने लगते हैं।

रेडियोऐक्टिव समस्थानिक

रेडियो ऐक्टिव समस्थानिक बनाने के लिए पदार्थों को नाभिकीय रिएक्टर में न्यूट्रॉनों द्वारा किरणित (irradiated) किया जाता है। रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों का उपयोग वैज्ञानिक शोध कार्य, चिकित्सा, कृषि एवं उद्योगों में निरंतर बढ़ रहा है।

कृषि में उपयोग

रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों की विधि से पौधे के उर्वरक (fertilizer) ग्रहण करने का पता लगाया जाता है। इसे ट्रेसर विधि (tracer technique) कहते हैं।

चिकित्सा में उययोग

  • कोबाल्ट-60 एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक है, जो उच्च ऊर्जा की गामा किरणे उत्सर्जित करता है।
  • गामा किरणों की सहायता से कैंसर का इलाज किया जाता है।
  • थॉयराइड ग्रन्थि के कैंसर की चिकित्सा के लिए शरीर में रेडियोऐक्टिव आयोडीन समस्थानिक (1-131) की पर्याप्त मात्रा प्रविष्ट कराई जाती है।

कार्बन काल निर्धारण

  • जीव के अवशेषों की आयु का पता लगाया जाता है
  • जीवित अवस्था में प्रत्येक जीव कार्बन-14 (एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक) तत्व को ग्रहण करता रहता है और मृत्यु के बाद ग्रहण करना बंद हो जाता है।
  • मृत जीव में कार्बन-14 की सक्रियता को माप करके उसकी आयु ज्ञात की जाती है।

रडार (Radar)

  • रडार (Radar) का फुल फॉर्म Radio Detection and Ranging होता है।
  • रडार में सूक्ष्म तरंगों की मदद से जलयान एवं वायुयान का पता लगाया जाता है।
  • तरंगें जितने क्षेत्र की स्कैनिंग करती हैं, उसका चित्र भी रडार के पर्दे पर दिखता है।

एक्स-किरणे (X-ray)

  • एक्स-किरणों को रौंट्जन किरणे भी कहते हैं। क्यूंकि इनकी खोज रौंट्जन ने की थी।
  • तरंग-दैर्घ्य 10-10 मीटर से 10-8 मीटर होता है
  • तीव्रगामी इलेक्ट्रॉनों के किसी भारी लक्ष्य वस्तु पर टकराने से एक्स रे उत्पन्न होती है।
  • टूटी हड्डी तथा फेफड़ों के रोगों का पता लगाने में एक्स रे किरणों का प्रयोग किया जाता है।

हाइड्रोजन बम

परमाणु बम, विखण्डन अभिक्रिया पर आधारित है जबकि हाइड्रोजन बम, संलयन अभिक्रिया पर आधारित होता है।

नाभिकीय संलयन Nuclear Fusion

जब दो या अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर एक भारी नाभिक बनाते हैं तथा अत्यधिक ऊर्जा मुक्त करते हैं इसे नाभिकीय संलयन कहा जाता हैं। सूर्य से प्राप्त प्रकाश और ऊष्मा ऊर्जा का स्रोत, नाभिकीय संलयन ही है।

परमाणु बम (Atom bomb)

नाभिकीय विखण्डन क्रिया पर जब कण्ट्रोल नहीं कर पाते तो विखण्डन क्रिया की दर बहुत तीव्र होती है, जिससे कुछ ही समय में भारी विस्फोट हो जाता है। परमाणु बम में अनियंत्रित विखण्डन क्रिया होती है। सन् 1945 में पहली बार परमाणु बम का प्रयोग किया गया था।

नाभिकीय भौतिकी में खोजों ने कई क्षेत्रों में अनुप्रयोगों का नेतृत्व किया है। इसमें नाभिकीय ऊर्जा, परमाणु हथियार, चिकित्सा और चुंबकीय रेसोनेंस इमेजिंग, औद्योगिक और कृषि समस्थानिक, सामग्री इंजीनियरिंग में आयन आरोपण और भूविज्ञान और पुरातत्व में रेडियोकार्बन डेटिंग शामिल हैं। ..

इस पोस्ट में हमने न्यूक्लियर फिजिक्स क्या है (Nuclear Physics in hindi) के बारे में जाना।

आशा करता हूँ कि न्यूक्लियर फिजिक्स क्या है (Nuclear Physics in hindi) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

FAQ

>>परमाणु भौतिकी क्या है उदाहरण सहित?

उत्तर- परमाणु भौतिकी एक परमाणु के केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का अध्ययन है और उन परस्पर क्रियाओं का अध्ययन है जो उन्हें एक अंतरिक्ष में एक साथ कुछ फेम्टोमीटर (10-15 मीटर) की दूरी पर रखते हैं।

>>परमाणु भौतिकी किसने बनाई?

उत्तर- परमाणु भौतिकी से अलग एक अनुशासन के रूप में परमाणु भौतिकी का इतिहास, 1896 में हेनरी बेकरेल द्वारा रेडियोधर्मिता की खोज के साथ शुरू होता है, जिसे यूरेनियम लवणों में स्फुरदीप्ति की जांच करते समय बनाया गया था।

>>परमाणु भौतिकी का महत्व क्या है?

उत्तर- परमाणु भौतिकी हमारे जीवन में सर्वव्यापी है: हमारे घरों में धुएं का पता लगाना, कैंसर का परीक्षण और उपचार करना, और वर्जित वस्तुओं के लिए कार्गो की निगरानी करना ऐसे कुछ तरीके हैं जिनसे परमाणु भौतिकी और इसके द्वारा उत्पन्न तकनीकें हमारी सुरक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा।


Photosynthesis (प्रकाश संश्लेषण) हिंदी में | Photosynthesis in Hindi

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PHOTOSYNTHESIS IN HINDI: क्या प्रकाश संश्लेषण के बारे में जानना चाहते हैं। यदि हां,  तो आप बिल्कुल सही पोस्ट में आये हैं। जब मैंने पहली बार प्रकाश संश्लेषण के बारे में सर्च किया था तो मुझे सही जानकारी नहीं मिल पाई थी जिसका नुकसान मुझे बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में उठाना पड़ा। जैसी परेशानी मुझे हुई ऐसी परेशानी किसी और को न हो इसलिए मैंने Photosynthesis की प्रक्रिया हिंदी में | प्रकाश संश्लेषण Process in Hindi का यह पोस्ट तैयार किया है।

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) हिंदी में


Photosynthesis in Hindi


प्रकाश संश्लेषण क्या है?

मानव अपने आहार के लिए पौधों पर निर्भर होते हैं लेकिन पौधे अपना भोजन कहाँ से लेते हैं। पौधे अपना भोजन स्वयं निर्मित करते  हैं जिस प्रक्रिया द्वारा पौधे अपना भोजन निर्मित करते हैं, उसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

प्रकाश संश्लेषण जिसे अंग्रेजी में  फोटोसिन्थेसिस(Photosynthesis) कहा जाता है। फोटोसिन्थेसिस (Photosynthesis) शब्द ग्रीक भाषा के ‘फोटो’ अर्थात  'प्रकाश' और सिंथेसिस अर्थात  संश्लेषण से बना है जिसका मतलब "एक साथ रखना" होता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के सबसे प्रमुख प्रकाश है। सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) को जल से बाहर निकालते और वायुमंडल में मुक्त कर देते हैं।

प्रकाश संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिस पर पूरी पृथ्वी के जीवधारियों का जीवन निर्भर करता है। इस प्रक्रिया द्वारा हरे पौधे, शैवाल तथा हरित लवक-धारी जीवाणु, अकार्बनिक अणुओं से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं। प्रकाश संश्लेषण केवल पादपों में ही संभव है।

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया-

Photosynthesis in Hindi

पौधे द्वारा सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में  क्लोरोफिल की सहायता से कार्बन डाई ऑक्साइड और जल की क्रिया से ग्लूकोज,ऑक्सीजन और जल बनाते हैं जिसे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कहते हैं। ग्लूकोज पौधों के लिए भोजन का कार्य करती है।

6CO2 + 12H2O = C6H12O6 + 6O2 + 6H2O

प्रकाश संश्लेषण के दौरान बनने वाले कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज का पौधों द्वारा अधिकतर उपयोग पत्तियां, फूल, फल और बीज का निर्माण करने के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।

प्रकाश संश्लेषण कहाँ होता है?

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रमुख रूप से हरी पत्तियों में होती है। इसके अलावा पौधे के सभी हरे भागों में भी होती है। पत्तों में मेसोफिल कोशिकाएं होती हैं जिनमे अत्यधिक मात्रा में क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है। सामान्यत: क्लोरोप्लास्ट मेसोफिल कोशिकाओं की भित्ति के साथ पंक्तिबद्ध होता है। जिससे कि इष्टतम मात्रा में  आपतित प्रकाश प्राप्त कर सकें।  क्लोरोप्लास्ट में एक झिल्ली तंत्र होता है। जिसमें ग्रेना, स्ट्रोमा लैमेले और स्ट्रोमा तरल होता है। क्लोरोप्लास्ट में सुस्पष्ट श्रम विभाजन होता है।  झिल्ली तंत्र प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करता है और ATP और NDPH का संश्लेषण करता है। स्ट्रोमा में एंजाईमैटिक प्रतिक्रिया होती है, जो शर्करा का संश्लेषण करता है, जो बाद में स्टार्च में परिवर्तित हो जाता है। पहली वाली प्रतिक्रिया को प्रकाश अभिक्रिया किया जाता है। चूँकि यह पूर्णत: प्रकाश पर आधारित है। दूसरी प्रतिक्रिया प्रकाश अभिक्रिया के उत्पाद पर निर्भर करती है। अर्थात ATP और NDPH जो अँधेरे में संपन्न होती है, अत: इसे  अप्रकाशी अभिक्रिया कहते हैं।

प्रकाश संश्लेषी वर्णक -

किसी भी हरे पादप के पर्णवर्णकों को पेपर क्रोमेटोग्राफी द्वारा अलग कर सकते हैं। क्रोमेटोग्राफी से पता लगता है कि पत्तियों में स्थित वर्णक के कारण जो हरापन दिखाई देता है। वह किसी एक वर्णक के कारण नहीं बल्कि चार वर्णकों : क्लोरोफिल ए (क्रोमेटोग्राफी में चमकीला अथवा नीला हरा), क्लोरोफिल बी (पीला हरा), कैरोटिनॉइड्स अर्थात् कैरोटीन एवं जेन्थोफिल, जिसमें कैरोटीन नारंगी और पीले रंग के होते हैं। हरे पौधों में β-कैरोटीन प्रमुखता से पाया जाता है। जन्तु β-कैरोटीन को विटामिन-A में बदल देते हैं। जैन्थोफिल पौधों के हरे भागों में कैरोटीन के साथ पाए जाते हैं। वर्णक वे पदार्थ हैं जिनमे प्रकाश के तरंग्दैर्ध्यों को अवशोषित करने की क्षमता होती है।

प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक -

प्रकाश संश्लेषण की दर पौधों एवं फसली पादपों के उत्पादन जानने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। प्रकाश संश्लेषण कई कारकों से प्रभावित होता है। जो बाह्य तथा आंतरिक दोनों ही हो सकते हैं पादप कारकों में संख्या, आकृति, आयु तथा पत्तियों का विन्यास, पर्ण मध्योतक कोशिकाएं तथा क्लोरोप्लास्ट आंतरिक CO2 की सांद्रता और क्लोरोफिल की मात्रा आदि है। पादप अथवा आंतरिक कारक पौधे की वृद्धि तथा आनुवंशिक पुर्वानुकुलता पर निर्भर करते हैं।

बाह्य कारक हैं सूर्य का प्रकाश , ताप , CO2 की सांद्रता तथा जल। पादप की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में ये सभी कारक एक ही समय में साथ-साथ ही प्रभाव डालते हैं। यद्यपि, बहुत सारे कारक परस्पर क्रिया करते हैं तथा साथ- साथ प्रकाश संश्लेषण अथवा CO2 के योगिकीकरण को प्रभावित करते हैं। फिर भी प्राय: इनमें से कोई भी एक कारक इसकी दर को प्रभावित अथवा सीमित करने का एक मुख्य कारण बन जाता है। अत: किसी भी समय पर उपानुकुलतम स्तर पर उपलब्ध कारक द्वारा प्रकाश संश्लेषण की दर का निर्धारण होगा। वायुमण्डलीय प्रदूषक SO2, ओजोन, CO आदि प्रकाश-संश्लेषण दर को कम करता है।

प्रकाश

कम प्रकाश तीव्रता पर आपतित प्रकाश तथा CO2 यौगिकीकरण  की दर के बीच एक रेखीय सम्बन्ध है। उच्च प्रकाश तीव्रता होने पर, इस दर में कोई वृद्धि नहीं होती है, अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। इसमें ध्यान देने वाली रोचक बात यह है कि प्रकाश  संतृप्ति पूर्ण प्रकाश के 10 प्रतिशत पर होती है। छाया अथवा सघन जंगलों में उगने वाले पौधों को छोडकर प्रकाश शायद ही प्रकृति में सीमाकारी कारक हो। एक सीमा के बाद आपतित प्रकाश क्लोरोफिल के विघटन का कारण होती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है।

कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता

प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाई ऑक्साइड एक प्रमुख सीमाकारी कारक है। वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता बहुत कम है। कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता में 0.05 प्रतिशत तक वृद्धि के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड की यौगिकीकरण की दर में वृद्धि हो सकती है। लेकिन इससे अधिक की मात्रा लम्बे समय के तक के लिए हानिकारक हो सकता है।

ताप

अप्रकाशी अभिक्रिया एंजायम पर निर्भर करती है, इसलिए ताप द्वारा नियंत्रित होता है। यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया भी ताप संवेदी होता है, लेकिन उस पर प्रकाश का काफी कम प्रभाव होता है। C4 पौधे उच्च ताप पर अनुक्रिया करते हैं तथा उनमें प्रकाश संश्लेषण की दर भी ऊंची होती है। जबकि C3 पौधे के लिए इष्टतम ताप कम होता है।

जल

यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया में जल एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया अभिकारक है तथापि कारक के रूप में जल का प्रभाव पुरे पादप पर पड़ता है, न कि सीधे प्रकाश संश्लेषण पर । जल तनाव रंध्र को बंद कर देता है। अत: कार्बन डाई ऑक्साइड की उपलब्धता घट जाती है। इसके साथ ही जल तनाव से पत्तियां मुरझा जाती हैं, जिससे पत्ती का क्षेत्रफल कम हो जाता है और इसके साथ ही साथ  उपापचयी  क्रियाएं भी कम हो जाती है।

प्रकाश संश्लेषण का महत्व -

  • हरे पौधों में एक वर्णक जिसे हरितलवक कहते है, पाया जाता है। यह ऊर्जा को ग्रहण, परिवर्तित एवं स्थानांतरित करके इसे पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए उपलब्ध करा सकता है।
  • प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया में प्रकाश ऊर्जा का रूपांतरण रासायनिक ऊर्जा में होता है।
  • हरे पौधो के अलावा कोई भी जीव सौर ऊर्जा का सीधा उपयोग नहीं कर सकता है अतः सभी प्राणी अपने जीवन निर्वाह हेतु हरे पौधों पर निर्भर रहते हैं।
  • हरे पौधे अकार्बनिक पदार्थों से अपना कार्बनिक भोजन स्वयं बनाते हैं अतः उन्हें स्वपोषी कहते हैं जबकि अन्य जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते अतः उन्हें विषमपोषी कहते हैं।
  • हरे पौधे एवं इनके उत्पाद सभी जीवधारियों के मुख्य भोजन हैं। 
  • प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया के दौरान वातावरण में ऑक्सीजन मुक्त होती हैं जिससे पर्यावरण अन्य जीवों के जीवित रहने लायक बन पाता है।

इस पोस्ट में हमने Photosynthesis की प्रक्रिया के बारे में जाना। परीक्षा में पूछे जा रहे प्रश्नों की प्रकृति को ध्यान में रखकर यह पोस्ट संग्रहित किया गया है।

उम्मीद करता हूँ कि Photosynthesis की प्रक्रिया हिंदी में का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा ,अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

DNA और RNA में अंतर (DNA aur RNA me antar)

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DNA और RNA में अंतर: यह हमारे शरीर के अन्दर के ही भाग है। अगर आप पढाई कर रहे तो आपको परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस पेज में हम आपको डीएनए और आरएनए में अंतर हम दे रहें है। जिसमे से आप जितना चाहे उतना लिख सकते है।

DNA और RNA में अंतर (DNA aur RNA me antar)


DNA और RNA में अंतर (Difference between DNA and RNA in Hindi)

DNA (डीएनए) RNA (आरएनए)
DNA में डिऑक्सी राइबोस शर्करा (Deoxy Ribose Sugar) की उपस्थिति होती है। DNA में राइबोज़ शर्करा (Ribose Sugar) की उपस्थिति होती है।

डीएनए का Full Form डीऑक्सीराइबोज न्यूक्सिक्लिक एसिड (Deoxyribo Nucleic Acid) है।
आरएनए का Full Form राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribose Nucleic Acid) है।
यह न्यूक्लियोटाइड की एक लंबी श्रृंखला से मिलकर बना होता है। जिससे मिलकर DNA बनता है। यह न्यूक्लियोटाइड की छोटी श्रृंखलाओं वाले एकल-भूग्रस्त हेलिक्स हैl जिससे मिलकर आरएनए बनता है।
डीएनए की संरचना द्वी-कुंडलिक (Double Coil) होती है। आरएनए की संरचना एकल कुंडली यानी एकल-रज्जु होती है।
ऐडेनाइन का पूरक पिरिमिडीन बेस थाइमिन है।
ऐडेनाइन का पूरक पिरिडिन बेस यूरेसिल है। RNA में थाइमिन नहीं होता है।
डीएनए में पाए जाने वाले अणु अत्यधिक बड़े एवं विशाल होते हैं आरएनए में पाए जाने वाले अणु डीएनए की तुलना में सूक्ष्म एवं छोटे होते हैं।

डीएनए में पाए जाने वाली लड़ियां एक दूसरे के विमुख दिशा से सर्पाकार रूप में जुड़ी हुई रहती हैं
आरएनए में कोशिका के अणु एक लड़िय होती है।

द्वितंतुक अणु

एकल तंतुक अणु

डिऑक्सीराइबोज शर्करा युक्त

राइबोज शर्करा युक्त
DNA केवल एक कार्य करता है
RNA के कई विभेद जैसे mRNA, tRNA, TRNA के विभिन्न कार्य हैं।
DNA स्वयं द्विगुणित हो सकता है। RNA का संश्लेषण एक DNA टेम्प्लेट पर होता है।

डीएनए मुख्य केंद्रक में पाया जाता है।

आरएनए मुख्य केंद्र तथा कोशिका द्रव्य में भी पाया जाता है।

डीएनए नई कोशिकाओं और जीवो को उत्पन्न करने तथा उनकी अनुवांशिक जानकारी को एकत्रित करता है और इसको स्थानांतरित भी करता है।

आरएनए इसका प्रयोग आनुवंशिक सूचकांक को न्यूक्लियस से राईबोसोम में प्रोटीन बनाने के लिए और डीएनए की प्रतिलिपि के दिशानिर्देशों को ले जाने में किया जाता है।

डीएनए अल्ट्रावायलेट किरणों से छतिग्रस्त हो सकता है।

आरएनए पर अल्ट्रावायलेट किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

डीएनए स्वयं से प्रतिकृति है या स्वयं से ही बनता रहता है।

आरएनए स्वयं से प्रतिकृति या स्वयं से नहीं बनता है इसको आवश्यकता होने पर डीएनए से संश्लेषित किया जाता है।

इसमे एडेनिन, ग्वानिन, साइटोसिन और थाइमिन नामक चार नाइट्रोजनी क्षार होते हैं।

आरएनए में थायमीन नामक क्षार नहीं होता है उसकी जगह पर यूरेसिल नामक क्षार होता है।

डीएनए में फॉस्फेट समूह, पाँच कार्बन शुगर (स्थिर डीओक्सीराइबोज 2) और चार नाइट्रोजन बेस वाले दो न्यूक्लियोटाइड किस्म होता हैं।

आरएनए में फॉस्फेट समूह, पांच कार्बन शुगर (कम स्थिर राइबोस) और चार नाइट्रोजन बेस से युक्त एक अकेला होता है।

डी.एन.ए. की बेस पेरिंग एटी (AT) और जीसी (GC) है।
आर. एन. ए. की बेस पेरिंग ए.यू. (AU) और जीसी (GC) है।

किसी भी सेल के लिए डी.एन.ए. की मात्रा तय होती है।

किसी भी सेल के लिये आर. एन. ए. की मात्रा बदल सकती है।


यह कोशिका के नाभिक और कुछ सेल ऑर्गेनेल के अंदर होता है, लेकिन यह पौधों के मिटोकोंड्रिया और उनकी कोशिकाओं में मौजूद होता है।

यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है लेकिन उसकी नाभिक के अंदर बहुत कम पाया जाता है।

यह एक लंबी बहुलक श्रृंखला है

यह छोटा बहुलक है

डीएनए हेलिक्स ज्यामिति बी के रूप में है और अल्ट्रा वायलेट किरणों के जोखिम से क्षतिग्रस्त हो सकता है
आरएनए हेलिक्स ज्यामिति ए के रूप में है। अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा क्षति के प्रति अधिक प्रतिरोधी है।

यह क्रोमोसोम या क्रोमेटिन फाइबर के रूप में होता है।

यह राइबोसोम में होता है या इसके रूपों या प्रकारों को राइबोसोम के साथ संबंध होता है।

डीएनए की मात्रा सेल के लिए तय है।

सेल के लिए आरएनए की मात्रा बदल सकती है।

यह दो प्रकार की है: अंतर परमाणु और अतिरिक्त परमाणु।

यह चार प्रकार की है: एम-आरएनए, टी-आरएनए और आर-आरएनए

इसके पिघलने के बाद पुनर्जन्म धीमी गति से होता है
तेज होता है
डीएनए का जीवन लंबा है।

इसका जीवन छोटा है कुछ आरएनए के पास बहुत कम जीवन है, लेकिन कुछ लंबे समय तक हैं लेकिन अपने सभी जीवन में कम है।


डीएनए में साइटोसीन (cytosine), एडिनीन (adenine), ग्वानिन (guanine) एवं थायमिन (थायमिन) क्षारक होते हैं
आरएनए में साइटोसीन, एडिनीन, गवनीन एवं यूरेसिल (uracil) क्षारक होते हैं।
डीएनए एक अनुवांशिक पदार्थ होता है आरएनए के केवल कुछ विषाणुओं में ही अनुवांशिक पदार्थों की उपस्थिति होती है।
डीएनए केंद्रक के गुणसूत्रों में मौजूद होता है
आरएनए केन्द्रिका (nucleus), राइबोसोम (ribosome) व कोशिका द्रव्य (cytoplasm) में स्वतंत्र रूप में मौजूद होता है।

डीएनए के एक अणु में न्यूक्लिओटाइड्‌स (nucleotides) की संख्या अत्यधिक होती है

आरएनए के एक अणु में न्यूक्लिओटाइड्‌स की संख्या बेहद कम होती है।


डीएनए में मुख्य रूप से डीआक्सीराइबीज पेन्टोज शर्करा (deoxyribose pentose sugar) मौजूद होती है
आरएनए में पेन्टोज शर्करा (pentose sugar) पाई जाती है।


डीएनए में पाए जाने वाले अणु पुनरावृत्ति (molecule recurrence) द्वारा डीएनए एवं अनुलेखन (transcription) द्वारा आरएनए से निर्मित किए जाते हैं
आरएनए में पुनरावृत्ति व अनुलेखन की प्रक्रियाएं नहीं होती है।
डीएनए में अनुवांशिक सूचनाएं कोडित रहती हैं आरएनए में कोडित सूचनाओं का अनुवाद प्रोटीन संश्लेषण के माध्यम से होता है।

डीएनए के एक अणु में प्यूरीन्स (purines) व पिरिमिडीन्स (pyrimidines) क्षारों की मात्रा के बराबर होता है
आरएनए के एक अणु में पिरामिडीन्स व प्यूरीन्स की मात्रा बराबर नहीं होती है।


डीएनए (DNA) क्या है

किसी भी जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाया जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic acid) या डीएनए (DNA) कहते हैं। DNA प्रमुख रूप से एक न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids) होता है जिसका निर्माण न्यूक्लियोटाइड (nucleotide) के माध्यम से होता है। 

कई लोंगो का यह मानना है कि डीएनए की खोज अमेरिकी जीवविज्ञानी जेम्स वाटसन (James Watson) एवं अंग्रेजी भौतिक वैज्ञानिक फ्रांसिस क्रिक (Francis Crick) ने वर्ष 1950 के दशक में की थी। जबकि कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि वास्तव में डीएनए की खोज सर्वप्रथम 1860 में स्विस रसायनज्ञ फ्रेडरिक मिशर (Frederick Misher) के द्वारा की गई थी। डीएनए के अंतर्गत किसी भी जीव के संपूर्ण जीवन के विकास, वृद्धि, प्रजनन एवं कार्य आदि के निर्देश समाहित होते हैं। 

यह एक जटिल एवं लम्बी जंजीर की आकृति वाला अणु होता है जो किसी भी जीवित जीव जैसे मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे एवं समुद्री जीवों की अनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी प्रदान करता है। ज्यादातर जानवरों एवं पौधों में डीएनए प्रोटीन (protein) एवं राइबोन्यूक्लिक एसिड (ribonucleic acid) के साथ संकुचित संरचनाओं के रूप में उपस्थित होता है जिसे कोशिका नाभिक (cell nucleus) में रहने वाले गुणसूत्र (chromosome) के नाम से जाना जाता है। 

डीएनए के प्रकार 

डीएनए (DNA) मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं- .
  1. ए -डीएनए (A-DNA)
  2. बी -डीएनए (B-DNA)
  3. जेड -डीएनए (Z-DNA)
ए -डीएनए (A-DNA):- ए -डीएनए वह होते हैं जो समान रूप से मुख्य डीएनए के दाएं तरफ कुण्डलीकार अवस्था में होते हैं जो आकार में छोटे, चौड़े तथा एक गहरे छोटे व बड़े उथले खांच युक्त होते हैं। इसमें दोनों खांचों की गहराई लगभग एक समान होती है। यह वामावर्त कुंडलित होते हैं जिसके प्रत्येक कुंडल में 10.9/11 क्षार युग्म की उपस्थिति होती है। ए -डीएनए निर्जलित डीएनए के प्रकार का होता है जो मुख्य रूप से डीएनए को सुरक्षित रखने का कार्य करता है। इसके अलावा यह डीएनए से प्रोटीन के विलायक को भी हटाने का कार्य करता है। इसके अलावा यह कुंडलन की मुख्य अक्ष से 13 डिग्री की दूरी पर स्थित होते हैं।

बी -डीएनए (B-DNA):- बी -डीएनए में डीएनए का कुंडलित रज्जुक (coiled rope) पतला एवं लंबा होता है। इस प्रकार के डीएनए की एक खांच गहरी एवं दूसरी उथली होती है। यह डीएनए का सबसे आम प्रकार माना जाता है क्योंकि इसमें डीएनए की संरचना सामान्य शारीरिक स्थितियों के अनुसार होती है। इसके अलावा बी -डीएनए के प्रत्येक कुंडलन में 10.9/11 क्षार युग्म की भी उपस्थिति होती है एवं यह क्षार कुंडलन की मुख्य अक्ष से 2 डिग्री की दूरी पर स्थित होते हैं।

जेड -डीएनए (Z-DNA):- जेड -डीएनए में डीएनए का कुंडलित रज्जुक लंबा, पतला एवं गहरा खांच युक्त होता है। यह डीएनए के बायीं ओर जिग-ज़ैग पैटर्न (टेढ़ा-मेढ़ा दिखाई देने वाला) में उपस्थित होता है माना जाता है कि इस प्रकार का डीएनए जींस (Genes) के नियमन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दक्षिणावर्त कुंडलित होता है जिसके प्रत्येक कुंडलन में 12 क्षार युग्म की उपस्थिति होती है।

डीएनए की संरचना

डीएनए जीवित कोशिका के केन्द्रक में गुणसूत्रों के रूप में होता है। डीएनए की कुछ मात्रा माइटोकॉण्ड्रिआ में भी पाया जाता है जिसे mtDNA या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए कहा जाता है। यह एक घुमावदार सीढ़ी की तरह की रचना होती है। डीएनए का एक अणु चार अलग अलग चीज़ों से बना होता है जिन्हे न्यूक्लिओटाइड कहते हैं। इन न्यूक्लिओटाइड की रचना मुख्य रूप से नाइट्रोजन से होती है। इन न्यूक्लिओटाइड को एडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसीन कहा जाता है। इसमें डिऑक्सीरिबोज़ नमक शक्कर भी पाया जाता है। इन न्यूक्लिओटाइड को फॉस्फेट का अणु जोड़ता है। इसमें साइटोसीन और थाइमिन का एक रिंग होता है जिसे पीरिमिडीन कहा जाता है जबकि एडेनिन और गवानीन के रिंग को प्यूरिन कहा जाता है।

डीएनए के प्रमुख कार्य 

डीएनए का मुख्य कार्य सभी अनुवांशिक क्रियाओं को संचालित करना एवं सभी प्रोटीन संश्लेषण को कण्ट्रोल करना होता है। यह न्यूक्लियोटाइड कि वह श्रृंखला होती है जो सभी जीवित जीवों के विकास, कार्यप्रणाली, पुनरुत्पादन आदि कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डीएनए का प्रमुख कार्य कोशिका में सूचना का दीर्घकालिक भंडारण करना होता है। इस सूचना में कोशिका के महत्वपूर्ण घटकों जैसे प्रोटीन एवं आरएनए अणुओं का निर्माण करने के निर्देश निहित होते हैं। डीएनए कोशिका के नाभिक के अंदर संग्रहित होते हैं जिसे साइटोप्लाज्म (cytoplasm) कहा जाता है।

आरएनए क्या है

आरएनए भी अनुवांशिक होता है। एक इसमें राइबोज श्रृंखला होती है। यह कोशिकाओं के केंद्र के अतिरिक्त यह कोशिका द्रव्य में भी पाया जाता है। यह राइबोसोम कोशिकांग के समग्र भाग को बनाता है तथा इसकी संरचना एकल सूत्र संरचना होती है । आरएनए में थायमीन नामक क्षार नहीं होता है उसकी जगह पर यूरेसिल नामक क्षार होता है। आरएनए को निर्देश डीएनए से मिलता है जो कि प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है।

आरएनए के प्रकार

  1. मैसेंजर (mRNA)
  2. राइबोसोमल RNA (rRNA)
  3. ट्रांसफर RNA (tRNA)
मैसेंजर RNA (mRNA):- यह DNA में अंकित सूचनाओं को प्रोटीन संश्लेषण स्थल (Protein synthesis site) पर लाने का काम करता है। 

राइबोसोमल RNA (rRNA):- इसका निर्माण केंद्रिका (Nucleolus) में होता है। यह कोशिका में उपस्थित समस्त RNA का लगभग 80% होता है। इसका प्रमुख काम राइबोसोम के संरचनात्मक संगठन में सहायता प्रदान करना है।

ट्रांसफर RNA (tRNA):- यह सभी RNA में सबसे छोटा RNA है। इसका प्रमुख काम अमीनो अम्लों को प्रोटीन संश्लेषण स्थल पर लाना है।

आरएनए की संरचना

आरएनए की संरचना डीएनए की तरह ही होती है परंतु इसमें थायमिन (thiamine) के स्थान पर यूरेसिल (uracil) उपस्थित होता है। आरएनए में प्यूरीन दो तरह के होते हैं एक एडीनिन (adenine) और दूसरा ग्वानिन (guanine)। आरएनए की संरचना में शर्करा (sugar), फास्फेट (phosphate) एवं नाइट्रोजन बेस (nitrogenous base) के अणु आपसी सहयोग से एक न्यूक्लियोटाइड (nucleotide) बनाते हैं जो प्रमुख रूप से फाॅस्फोडायइस्टर (phosphodiester) से क्रमबद्ध होकर पॉलिन्यूक्लियोटाइड (polynucleotide) की संरचना करते हैं।

आरएनए के मुख्य कार्य

आरएनए का प्रमुख कार्य का प्रोटीन का निर्माण करना होता है। आरएनए न्यूक्लियोटाइड्स (nucleotides) का एक बहुलक होता है। आरएनए शरीर में डीएनए के जींस को नक़ल करके व्यापक रूप में आगे बढ़ाने का काम करता है। साथ ही साथ आरएनए कोशिकाओं में अन्य जेनेटिक सामग्री पंहुचाने का कार्य करता है।

इस पोस्ट में हमने DNA और RNA में अंतर (DNA aur RNA me antar) के बारे में जाना । DNA और RNA , आपके लिए जाने सुने शब्द होंगे क्यूंकि दैनिक बोलचाल में भी इसके बारे में बोलते रहते हैं। यह आनुवंशिकता से जुड़ा हुआ चीज है।

आशा करता हूँ कि DNA और RNA में अंतर (DNA aur RNA me antar) का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।  

क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi)

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Quantum Physics की जानकारी : अगर आप विज्ञान के विद्यार्थी हैं या नहीं भी हैं तो आपने क्वांटम फिजिक्स के बारे में जरुर सुना होगा, अगर नहीं भी सुना है आपको इस लेख में क्वांटम फिजिक्स के बारे में पता चल जायेगा। 

क्वांटम फिजिक्स का नाम सुनते ही विज्ञान के विद्यार्थियों के पसीने छूटने लगते हैं। क्वांटम फिजिक्स समझने के बाद रुचिकर लगने लगता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics) क्या होता है।

Quantum Physics in Hindi

क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi)

क्वांटम फिजिक्स को हिंदी में सूक्ष्म भौतिक विज्ञान कहते हैं। क्वांटम फिजिक्स भौतिक विज्ञान का वह भाग है जिसके अंतर्गत बहुत ही छोटे कणों जैसे अणु, परमाणु, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जैसे सब अटॉमिक कणों का अध्ययन किया जाता है। इन सभी कणों का आकार बहुत ही छोटा होता है। जिन्हें माइक्रोस्कोप की सहायता से देखा जा सकता है। 14 सितंबर 1900 को "मैक्स प्लांक" ने क्वांटम फिजिक्स की नींव डाली थी। इनके अनुसार प्रकाश और अन्य विद्युत् चुंबकीय विकिरण ऊर्जा (Magnetic Field ) का प्रवाह ना होकर ऊर्जा छोटे-छोटे हिस्से में चलती है। "मैक्स प्लांक" को क्वांटम फिजिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। इसी परिकल्पना को समझ कर आइंस्टाइन ने प्रकाश विद्युत प्रभाव को समझा था।

20वीं सदी तक माना जाता था कि परमाणु ब्रह्माण्ड की सबसे छोटी इकाई है सभी चींजे परमाणु से ही मिलकर बनी हैं।

लेकिन वर्ष 1900 में मैक्स प्लान्क ने ब्लेक बॉडी रेडियेशन का प्रयोग किया। इस प्रयोग में प्लान्क को एक अजीब चीज दिखी। कि परमाणु भी अन्य छोटे कणों से मिलकर बना है। उस समय प्रकाश को तरंग से मिलकर बना माना जाता था लेकिन मैक्स प्लांक ने देखा कि प्रकाश कणों की भांति व्यवहार कर रहा है।

इसी प्रयोग से प्लांक ने निष्कर्ष निकाला कि प्रकाश पूरी तरह ऊर्जा से न बनकर ऊर्जा छोटे- छोटे भागों से मिलकर बना है। ऊर्जा के इन छोटे छोटे पैकेट को क्वान्टा कहते हैं। हर क्वांटा की उर्जा निष्य होती है। यह प्रकाश की आवृत्ति ( frequency ) पर निर्भर करती है। इसे इस प्रकार प्रदर्शित करते हैं-

E = HV

जहाँ H प्लांक नियतांक (constant), E ऊर्जा (energy) और V आवृत्ति (frequency) है।

इस प्रकार क्वांटम फिजिक्स प्रारंभ हुआ । आगे चलकर बहुत सारे वैज्ञानिकों ने क्वांटम फिजिक्स में सक्रिय योगदान दिया और बहुत सारी चीजें खोजी गयी जैसे- प्रोटोन, न्यूट्रान फोटोन और इलेक्ट्रान आदि। जिनसे पता चलता है कि परमाणु सबसे छोटा कण न होकर ये कण सबसे छोटे हैं जिनसे मिलकर परमाणु बनता है।

दैनिक जीवन में जो भी ऊर्जा से चलती है और ऊर्जा क्वांटम फिजिक्स के कारण है। नए ग्रहों की खोज , सूरज का अस्त होना ,इन सभी बातों की जानकारी क्वांटम फिजिक्स के द्वारा पता चलता है। ब्रह्माण्ड के बारे में जो भी जानकारी वर्तमान में हमारे पास मौजूद है वो सब क्वांटम फिजिक्स से ही संभव हुआ है।

क्वांटम का डबल स्लिट प्रयोग (Quantum's Double Slit Experiment):

Double slit के प्रयोग से ज्ञात हुआ कि प्रकाश कण और तरंग दोनों तरह से व्यवहार करता है। 1805 में एक प्रयोग हुआ जिसमें एक बोर्ड लीया जिसके सामने प्रकाश निकालने वाल गन रखी, और बीच में दो तिराडे (Slit) वाली प्लेट रखी। अब उन्होने प्रकाश को निकाला तो देखा कि प्रकार तिराड से निकलकर बोर्ड पर पहुंच रहा है।

Quantum Double Slit Experiment

प्रयोग में देखा गया कि प्रकाश तिराड जितनी जगह में न रहकर आसपास विस्तार में फैल गया जिससे साबित हुआ कि प्रकाश तरंग का स्वभाव प्रदर्शित करता है। लेकिन प्लांक ने इसे कण का स्वभाव बताया। तब इस प्रयोग को दुबारा किया और प्लेट के पहले सेंसर रखा। इस बार देखा की प्रकार कण की भांति व्यवहार कर रहा है। इससे सिद्ध हुआ की प्रकाश तरंग और कण दोनों का व्यवहार प्रदर्शित करता है। इसे प्रकाश की द्वैती प्रकृति भी कहा जाता है।

अनिश्चितता सिद्धांत (uncertainty Principle):

क्वांटम फिजिक्स में अनिश्चितता सिद्धांत (Uncertainty Principle) वास्तव में क्या हो रहा है इससे अनभिज्ञता का आभास कराता है। हाईजेनबर्ग ने अनिश्चितता का सिद्धांत दिया।

uncertainty principle


अनिश्चितता सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु के दो गुण, जैसे उसकी स्थिति और वेग, दोनों को एक ही समय में ठीक-ठीक नहीं जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम एक इलेक्ट्रॉन की स्थिति को सटीक रूप से मापते हैं, तो हम इसकी गति को इतने सटीक रूप से नहीं जान पाएंगे। इसी सिद्धांत को हाईजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत कहते हैं।

क्वांटम इंटेंगलमेंट (quantum entanglement):

क्वांटम इंटेंगलमेंट कण ऐसे कण होते हैं जिनके गुण आपस में उलझे हुए रहते है। ऐसे में जब किसी एक के ऊपर कोई भी क्रिया की जाती है तो दूसरे इंटेंगलमेंट कण पर उसका प्रभाव होता है। कण के बीच दूरी बढ़ा देने के बाद भी यह प्रभाव बना रहता है। इसका प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि इंटेंगलमेंट कणअगर दूसरे ग्रह पर भी हो तो भी एक कण की प्रक्रिया करने पर दूसरा प्रभावित जरूर होगा। आइंस्टीन के लिए भी इसे मानना आसान नहीं रहा था। लेकिन आइंस्टीन के अनुसार यह दुनिया वास्तव मे होती है और इससे जुड़े जितने भी शोध किए हुए' हैं उनका जवाब सटीक मिलता है।

quantum entanglement

क्वांटम के कोई दो कण (electron, photon) एक दूसरे के संपर्क में आते है तो वो एक दूसरे से जुड़ जाते है।अब अगर इन दोनों कणो को एक दुसरे से अलग करते है तब भी वो एक दूसरे से जुड़े हुए ही रहते है।

जब हम उनमे से किसी एक कण पर कोई परिवर्तन करते है तो वो परिवर्तन' दूसरे कण पर भी होगा। चाहे दोनों कणो के बीच की दूरी हजारों किलोमीटर ही हो। क्वांटम फिजिक्स (Quantum physics in hindi) की इस घटना का प्रयोग करके एक फोटोन को 213 किलोमीटर दूर टेलीपोर्ट किया गया था।

इस पोस्ट में हमें क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi) के बारे में जाना। क्वांटम फिजिक्स एक बहुत ही रोचक टॉपिक है जो हमें ब्रहमांड से अनभिज्ञ तथ्यों से अवगत कराता है।

उम्मीद करता हूँ कि क्वांटम फिजिक्स (Quantum Physics in Hindi) का यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा , अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लग अहो तो इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

500+ Physics Gk Question in Hindi 2023 - भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान

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हेलो दोस्तों, इस पोस्ट में हम 500+ Physics Gk Question in Hindi 2023 - भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान के बारे में जानेंगे। अगर आप भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न एक साथ ,एक जगह में पाना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए ही है। जो विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। 500+ Physics Gk Question in Hindi 2022 का यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह है।

General Science Physics GK Question and answer in Hindi । 100 भौतिक सामान्य विज्ञान प्रश्नोत्तरी 2023 | Top 100 General Science Physics GK Question and answer in Hindi । 100 महत्त्वपूर्ण भौतिक सामान्य विज्ञान प्रश्नोत्तरी 2023

Physics GK 1000 Most Important Question Answer in Hindi

  • पारसेक (Parsec) इकाई है – दूरी की
  • वायुमण्‍डल के बादलों के तैरने का कारण है – घनत्‍व
  • समुद्र में प्‍लवन करते आइसबर्ग का कितना भाग समुद्र की सतह से ऊपर रहता है – 1/10
  • जब कोई नाव नदी से समुद्र में प्रवेश करती है तो – थोड़ी ऊपर की ओर उठ जाती है
  • पानी का घनत्‍व अधिकतम होता है – 4‍ डिग्री सेल्सियस पर
  • वस्‍तु की मात्रा बदलने पर अपरिवर्तित रहेगा – घनत्‍व
  • तैराक को नदी के मुकाबले समुद्री पानी में तैरना आसान क्‍यों लगता है – समुद्री पानी का घनत्‍व साधारण पानी से ज्‍यादा होता है
  • यदि पृथ्‍वी का द्रव्‍यमान वही रहे और त्रिज्‍या 1% कम हो जाए, तब पृथ्‍वी के तल पर ‘g’ का मान – 2% बढ़ जाएगा
  • ऊँचाई की जगहों पर पानी 100 डिग्री सेल्सियस के नीचे के तापमान पर क्‍यों उबलता है – क्‍योंकि वायुमण्‍डलीय दाब कम हो जाता है, अत: उबलने का बिन्‍दु नीचे आ जाता है।
  • कोणीय संवेग एवं रेखीय संवेग के अनुपात की विमा क्‍या होगी – M0L1T0
  • बर्नोली प्रमेय आधारित है – ऊर्जा संरक्षण पर
  • लोहे की सुई पानी की सतह पर तैरती है। इस परिघटना का कारण है – पृष्‍ठ तनाव
  • ब्‍लाटिंग पेपर द्वारा स्‍याही के सोखने में शामिल है – केशिकीय अभिक्रिया परिघटना
  • यदि हम भूमध्‍य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हैं, तो g का मान – बढ़ता है
  • शरीर का वजन – ध्रुवों पर अधिकतम होता है।
  • एक अं‍तरिक्ष यात्री पृथ्‍वी तल की तुलना में चन्‍द्र तल पर अधिक ऊँची छलांग लगा सकता है, क्‍योंकि – चन्‍द्र तल पर गुरूत्‍वाकर्षण बल पृथ्‍वी तल की तुलना में अत्‍यल्‍प है  
  • जब एक पत्‍थर को चाँद की सतह से पृथ्‍वी पर लाया जाता है, तो – इसका भार बदल जाएगा, परन्‍तु द्रव्‍यमान नहीं
  • किसी लिफ्ट में बैठे हुए व्‍यक्ति को अपना भार कब अधिक मालूम पड़ता है – जब लिफ्ट त्‍वरित गति से ऊपर जा रही हो
  • एक व्‍यक्ति पूर्णत: चि‍कने बर्फ के क्षैतिज समतल के मध्‍य में विराम स्थिति में है। न्‍यूटन के किस/किन नियम/नियमों का उपयोग करके वह अपने आपको तट तक ला सकता है – तीसरा गति नियम
  • 20 किलोग्राम के वजन को जमीन के ऊपर 1 मीटर की ऊँचाई पर पकड़े रखने के लिए किया गया कार्य है – शून्‍य जूल
  • एक व्‍यक्ति एक दीवार को धक्‍का देता है, पर उसे विस्‍थापित करने में असफल रहता है, तो वह करता है – कोई भी कार्य नहीं
  • पहाड़ी पर चढ़ता एक व्‍यक्ति आगे की ओर झुक जाता है, क्‍योंकि – शक्ति संरक्षण हेतु
  • पीसा की ऐतिहासिक मीनार तिरछी होते हुए भी नहीं गिर‍ती है, क्‍योंकि – इसके गुरूत्‍वकेन्‍द्र से जाने वाली ऊर्ध्‍वाधर रेखा आधार से होकर जाती है
  • एक ऊँची इमारत से एक गेंद 9.8 मी/सेकण्‍ड2 के एकसमान त्‍वरण के साथ गिरायी जाती है। 3 सेकण्‍ड के बाद उसका वेग क्‍या होगा – 29.4 मी/से
  • एक वस्‍तु का द्रव्‍यमान 100 किग्रा है (गुरूत्‍वजनित ge = 10ms-1) अगर चन्‍द्रमा पर गुरूत्‍वजनित त्‍वरण ge/6 है तो चन्‍द्रमा में वस्‍तु का द्रव्‍यमान होगा – 100 किग्रा
  • पावर (शक्ति) का SI मात्रक ‘वाट’ (watt) किसके समतुल्‍य है – किग्रा मी -2 से -3
  • भारहीनता की अवस्‍था में एक मोमबत्‍ती की ज्‍वाला का आकार – वही रहेगा
  • एक केशनली में जल की अपेक्षा एक तरल अधिक ऊँचाई तक चढ़ता है, इसका कारण है – तरल का पृष्‍ठ तनाव जल की अपेक्षा अधिक है
  • गुरूत्‍वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम का प्रतिपादन किसने किया – न्‍यूटन
  • ऊर्जा संरक्षण का आशय है कि – ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही विनाश
  • पास्‍कल इकाई है – तापमान की
  • 1 किग्रा/सेमी2 दाब समतुल्‍य है – 0.1 बार के
  • क्‍यूसेक से क्‍या मापा जाता है – जल का बहाव
  • किसी पिण्‍ड का भार – ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है
  • एक लिफ्ट में किसी व्‍यक्ति का प्रत्‍यक्ष भार वास्‍तविक भार से कम होता है, जब लिफ्ट जा रही हो – त्‍वरण के साथ नीचे
  • कौन-सी ऊॅंचाई भूस्थिर उपग्रहों की है – 36,000 Km
  • महान् वैज्ञानिक आर्किमिडीज किस देश से सम्‍बन्धित थे – ग्रीस
  • पानी की बूँदों का तैलीय पृष्‍ठों पर न चिपकने का कारण है – आसंजक बल का अभाव
  • तुल्‍यकारी उपग्रह घूमता है, पृथ्‍वी के गिर्द – पश्चिम से पूर्व
  • पहिये में बाल-बियरिंग का कार्य है – स्‍थैतिक घर्षण को गतिज घर्षण में बदलना
  • जल के आयतन में क्‍या परिवर्तन होगा यदि तापमान 90 Cसे गिराकर 30C कर दिया जाता है – आयतन पहले घटेगा और बाद में बढ़ेगा

Top 10 Physics Gk Question in Hindi 2023 -  भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान


  1. एक झील में तैरने वाली इम्‍पात की नाव के लिए नाव द्वारा विस्‍थापित पानी का भार कितना है – नाव के उस भाग के बराबर जो झील के पानी की सतह के नीचे है
  2. किसी कालीन की सफाई के लिए यदि उसे छड़ी से पीटा जाए, तो उसमें कौन-सा नियम लागू हो‍ता है – गति का पहला नियम
  3. सड़क पर चलने की अपेक्षा बर्फ पर चलना कठिन है, क्‍योंकि – बर्फ में सड़क की अपेक्षा घर्षण कम होता है
  4. लोलक की आवर्त काल (Time Period) – लम्‍बाई के ऊपर निर्भर करता है
  5. किसी सरल लोलक की लम्‍बाई 4% बढ़ा दी जाए तो उसका आवर्तकाल – 2% बढ़ जाएगा
  6. यदि लोलक की लम्‍बाई चार गुनी कर दी जाए तो लोलक के झूलने का समय – दोगुना होता है
  7. पेंडुलम को चन्‍द्रमा पर ले जाने पर उसकी समयावधि – बढ़ेगी
  8. एक कण का द्रव्‍यमान m तथा संवेग p है। इसकी गतिज ऊर्जा होगी – P2/2 m
  9. एक भू-उपग्रह अपने कक्ष में निरन्‍तर गति करता है ? यह अपकेन्‍द्र बल के प्रभाव से होता है, जो प्राप्‍त होता है – पृथ्‍वी द्वारा उपग्रह पर लगने वाले गुरूत्‍वाकर्षण से
  10. घड़ी के स्प्रिंग में भंडारित ऊर्जा – स्थितिज ऊर्जा

भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान Physics Gk Question in Hindi 2023 

Basic Physics Question Paper in Hindi– प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाने वाली सामान्य भौतिकी विज्ञान (Basic Physics in Hindi) संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर (Important Physics Notes pdf -Gk Facts, Physics Question Paper, Basic Physics Questions and Answers pdf) इस प्रकार है-
पढ़ें- 100+ Scientific Name (वैज्ञानिक नाम) 2023

  1. ल्‍यूमेन किसका मात्रक है – ज्‍योति फ्लक्‍स का
  2. ‘क्‍यूरी’ (Curie) किसकी इकाई का नाम है – रेडियोएक्टिव धर्मिता
  3. दाब का मात्रक है – पास्‍कल
  4. कार्य का मात्रक है – जूल
  5. प्रकाश वर्ष इकाई है – दूरी की
  6. डेसीबल किसे नापने के लिए प्रयोग में लाया जाता है – वातावरण में ध्‍वनि
  7. ऐम्पियर क्‍या नापने की इकाई है – करेन्‍ट
  8. यंग प्रत्‍यास्‍थता गुणांक का SI मात्रक है – न्‍यूटन/वर्ग मीटर
  9. मात्रकों की अन्‍तर्राष्‍ट्रीय पद्धति कब लागू की गई – 1971 ई.
  10. खाद्य ऊर्जा को हम किस इकाई में माप सकते हैं – कैलोरी
  11. विद्युत मात्रा की इकाई है – ऐम्पियर
  12. SI पद्धति में लैंस की शक्ति की इकाई क्‍या है – डायोप्‍टर
  13. कैण्‍डेला मात्रक है – ज्‍योति तीव्रता
  14. जूल इकाई है – ऊर्जा
  15. जड़त्‍व का माप क्‍या है – द्रव्‍यमान
  16. एंगस्‍ट्राम क्‍या मापता है – तरंगदैर्ध्‍य
  17. किसने न्‍यूटन से पूर्व ही बता दिया था कि सभी वस्‍तुएँ पृथ्‍वी की ओर गुरूत्‍वाकर्षण होती है – ब्रह्मगुप्‍त
  18. यदि एक पेंडुलम से दोलन करने वाली घड़ी को पृथ्‍वी से चन्‍द्रमा पर ले जाएँ, तो घड़ी होगी – सुस्‍त
  19. उत्‍पलावकता से सम्‍बन्धित वैज्ञानिक है – आर्किमिडीज
  20. वेग, संवेग और कोणीय वेग कैसी राशि है – सदिश राशि
  21. अदिश राशि है – ऊर्जा
  22. बल गुणनफल है – द्रव्‍यमान और त्‍वरण का
  23. जब कोई व्‍यक्ति चन्‍द्रमा पर उतरता है तो उसके शरीर में उपस्थित – भार घट जाता है तथा मात्रा अपरिवर्तित रहती है
  24. किसी पिण्‍ड के उस गुणधर्म को क्‍या कहते हैं जिससे वह सीधी रेखा में विराम या एकसमान गति की स्थिति में किसी भी परिवर्तन का विरोध करता है – जड़त्‍व
  25. न्‍यूटन के पहले नियम को कहते हैं – जड़त्‍व का नियम

Physics Gk Question in Hindi -  भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान

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  • कक्षा में अंतरिक्षयान में भारहीनता की अनुभूति का कारण है – कक्षा में त्‍वरण बाहरी गुरूत्‍वाकर्षण के कारण त्‍वरण के बराबर होता है।
  • न्‍यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार क्रिया तथा प्रतिक्रिया से सम्‍बद्ध बल – हमेशा भिन्‍न-भिन्‍न वस्‍तुओं पर ही लगे होने चाहिए
  • ”प्रत्‍येक क्रिया के बराबर व विपरीत दिशा में एक प्रतिक्रिया होती है।” यह है – न्‍यूटन का गति विषयक तृतीय नियम
  • जल में तैरना न्‍यूटन की गति के किस नियम के कारण सम्‍भव है – तृतीय नियम
  • दलदल में फँसे व्‍यक्ति को लेट जाने की सलाह दी जाती है, क्‍योंकि – क्षेत्रफल अधिक होने से दाब कम हो जाता है
  • बर्फ के दो टुकड़ों को आपस में दबाने पर टुकड़े आपस में चिपक जाते है, क्‍योंकि – दाब अधिक होने से बर्फ का गलनांक घट जाता है
  • पृथ्‍वी के गुरूत्‍वाकर्षण का कितना भाग चन्‍द्रमा के गुरूत्‍वाकर्षण के सबसे नजदीक है – 1/6
  • किसी पिण्‍ड के द्रव्‍यमान तथा भार में अन्‍तर होता है, क्‍योंकि – द्रव्‍यमान स्थिर रहता है, जबकि भार परिवर्तनीय होता है
  • ”किसी भी स्थिर या गतिशील वस्‍तु की स्थिति और दिशा में तब तक कोई परिवर्तन नहीं होता जब तक उस पर कोई बाह्य बल सक्रिय न हो।” यह है – न्‍यूटन का गति विषयक प्रथम नियम
  • कौन-सा नियम इस कथन को वैध ठहराता है कि द्रव्‍य का न तो सृजन किया जा सकता है और न ही विनाश – ऊर्जा संरक्षण का नियम
  • ऑटोमोबाइलों में प्रयुक्‍त द्रवचालित ब्रेक एक प्रत्‍यक्ष अनुप्रयोग है – पास्‍कल के सिद्धान्‍त
  • पदार्थ के संवेग और वेग के अनुपात से कौन-सी भौतिक राशि प्राप्‍त की जाती है – द्रव्‍यमान
  • शून्‍य में स्‍वतंत्र रूप से गिरने वाली वस्‍तुओं की/का – समान त्‍वरण होता है
  • दो वेक्‍टर (Vector) जिनका मान अलग है – उनका परिणामी शून्‍य नहीं हो सकता
  • एक हॉर्स पावर (H.P.) कितने वाट के बराबर होता है – 746 वाट
  • एक कार की गति 36 किमी प्रति घण्‍टा है। इसे मीटर प्रति सेकण्‍ड में व्‍यक्‍त करेंगे – 10 m/s
  • तूफान की भविष्‍यवाणी की जाती है, जब वायुमण्‍डल का दाब – सहसा कम हो जाए
  • अण्‍डा मृदु जल में डूब जाता है, किन्‍तु नमक के सान्‍द्र घोल में तैरता है, क्‍योंकि – नमक के घोल का घनत्‍व अण्‍डे के घनत्‍व से अधिक हो जाता है।
  • किसी व्‍यक्ति को मुक्‍त रूप से घूर्णन कर रहे घूर्णी मंच पर अपनी (को‍णीय) चाल कम करने के लिए क्‍या करना चाहिए – अपने हाथ बाहर की तरफ फैला दें।
  • 54 किमी/घण्‍टा के वेग का मान है – 15 मीटर/सेकेण्‍ड (54 X 1000 मीटर / 3600 सेकेण्‍ड = 15)
  • न्‍यूटन मीटर मात्रक है – ऊर्जा का
  • एक भूस्थिर उपग्रह अपनी कक्षा में निरन्‍तर गति करता है। यह अपकेन्‍द्र बल के प्रभाव से होता है, जो प्राप्‍त होता है – पृ‍थ्‍वी द्वारा उपग्रह पर लगाने वाले गुरूत्‍वाकर्षण से
  • स्‍वचालित कलाई घड़ि‍यों में ऊर्जा मिलती है – बैटरी से
  • जब कुएं से पानी की बाल्‍टी को ऊपर खींचते हैं तो हमें महसूस होता है कि बाल्‍टी – पानी की सतह से ऊपर भारी हो गई है।
  • भारहीनता होती है – गुरूत्‍वाकर्षण की शून्‍य स्थिति
  • एक नदी में चलता हुआ जहाज समुद्र में आता है तब जहाज का स्‍तर – थोड़ा ऊपर आएगा।
  • लोहे की कील पारे में क्‍यों तैरती है, जबकि यह पानी में डूब जाती है – लोहे का घनत्‍व पानी से अधिक है तथा पारे से कम।
  • जब एक ठोस पिण्‍ड को पानी में डुबोया जाता है, तो उसके भार में ह्रास होता है। यह ह्रास कितना होता है – विस्‍थापित पानी के भार के बराबर
  • बर्फ पानी में तैरती है, परन्‍तु ऐल्‍कोहॉल में डूब जाती है, क्‍योंकि – बर्फ पानी से हल्‍की होती है तथा ऐल्‍कोहॉल से भारी होती है।
  • चलती हुई बस जब अचानक ब्रेक लगाती है, तो उसमें बैठे हुए यात्री आगे की दिशा में गिरते हैं। इसको किसके द्वारा समझाया जा सकता है – न्‍यूटन का पहला नियम
  • रॉकेट की कार्य-प्रणाली किस सिद्धान्‍त पर आधारित होती है – संवेग संरक्षण
  • अश्‍व यदि एकाएक चलना प्रारम्‍भ कर दे तो अश्‍वारोही के गिरने की आशंका का कारण है – विश्राम जड़त्‍व
  • रेल की पटरियाँ अपने वक्रों (Curves) पर किस कारण से झुकी (bent) हुई होती है – रेलगाड़ी के भार के क्षैतिज घटक से आवश्‍यक अभिकेन्‍द्रीय बल प्राप्‍त किया जा सकता है
  • साइकिल चलाने वाला मोड़ लेते समय क्‍यों झुकता है – वह झुकता है ताकि गुरूत्‍व केन्‍द्र आधार के अन्‍दर बना रहे, वह उसे गिरने से बचाएगा
  • कोई साइकिल सवार किसी मोड़ में घूमता है, तो वह है – अंदर की ओर झुकता है।
  • क्रीम सेपरेटर में दूध में से वसा को किस कारण से अलग किया जा सकता है – अपकेन्‍द्रीय बल
  • सूर्य पर ऊर्जा का निर्माण होता है – नाभिकीय संलयन द्वारा
  • सूर्य की ऊर्जा उत्‍पन्‍न होती है – नाभिकीय संलयन द्वारा
  • पानी के एक गिलास में एक बर्फ का टुकड़ा तैर रहा है। जब बर्फ पिघलती है तो पानी के स्‍तर पर क्‍या प्रभाव होगा – उतना ही रहेगा
  • पानी से भरी डाट लगी बोतल जमने पर टूट जाएगी क्‍योंकि – जमने पर जल का आयतन बढ़ जाता है
  • लैम्‍प की बत्‍ती में तेल चढ़ता है – कैपिलरी क्रिया के कारण
  • साबुन के बुलबुले के अन्‍दर का दाब – वायुमण्‍डलीय दाब से अधिक होता है
  • जब शुद्ध जल में डिटर्जेंट डाला जाता है, तो पृष्‍ठ तनाव – घट जाता है
  • आर्किमिडीज का नियम किससे समबन्धित है – प्‍लवन का नियम
  • तेल जल के तल पर फैल जाता है, क्‍योंकि – तेल का पृष्‍ठ तनाव जल से कम है
  • द्रव की बूँद की आकृति गोलाकार होने का कारण है – पृष्‍ठ तनाव
  • वर्षा की बूँद गोलाकार होती है – सतही तनाव के कारण
  • एक द्रव बूँद की प्रकृति गोल आकार लेने की होती है, जिसका कारण है – पृष्‍ठ तना
  • स्थिर पानी में मिट्टी का तेल डालने पर मच्‍छर कम होते हैं, क्‍योंकि यह – लार्वा के सांस में बाधा डालता है
  • पानी से निकालने पर सेविंग ब्रश के बाल आपस में चिपक जाते है। इसका कारण है – पृष्‍ठ तनाव
  • स्थिर गति से जा रही खुली कार में बैठा एक बालक गेंद को हवा में सीधे ऊपर फेंकता है। गेंद गिरती है – उसके हाथ में
  • जेट इंजन किस सिद्धान्‍त पर कार्य करता है – रैखिक संवेग के संरक्षण का सिद्धान्‍त
  • दूध से मक्‍खन निकाल लेने पर – दूध का घनत्‍व घटता है
  • जब किसी वस्‍तु को पृथ्‍वी से चन्‍द्रमा पर ले जाया जाता है, तो – उसका भार घट जाता है
  • जब एक चल वस्‍तु की गति दोगुनी हो जाती है तो उसकी गतिज ऊर्जा – चौगुनी हो जाती है
  • अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में सीधे खड़े नहीं रह सकते , क्‍योंकि – वहाँ गुरूत्‍वाबर्षण नहीं होता
  • संवातक कमरे की छत के निकट लगाए जाते हैं, क्‍योंकि – साँस में छोड़ी हुई गरम हवा ऊपर उठती है और वह बाहर चली जाती है
  • हवाई जहाज में फाउन्‍टेन पेन से स्‍याही बाहर निकल आती है, क्‍योंकि – ऊँचाई बढ़ने से वायुदाब में कमी आती है
  • धक्‍का-सह प्राय: स्‍टील के बनाये जाते हैं, क्‍योंकि – उसकी प्रत्‍यास्‍थता अधिक होती है
  • चन्‍द्रमा पर वायुमण्‍डल नहीं है, क्‍योंकि – यह सूर्य से प्रकाश पाता है
  • क्रिकेट का खिलाड़ी तेजी से आती हुई बॉल को क्‍यों अपने हाथ को पीछे खींचकर पकड़ता है– बॉल विश्राम की स्थिति में आ सकती है।
  • प्रेशर कुकर में खाना जल्‍दी पकता है, क्‍योंकि – इससे पानी का क्‍वथनांक बढ़ जाता है।

Physics GK in hindi - भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान

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  • हम पृथ्‍वी के पृष्‍ठ पर सूर्य का प्रकाश प्राप्‍त करते हैं। ये प्रकाश के किस प्रकार के किरणपुंज हैं – समान्‍तर
  • माध्‍यम के तापमान में वृद्धि के साथ प्रकाश की गति – वैसी ही रहती है।
  • प्रकाश छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है, जिसे कहते हैं – फोटॉन
  • प्रकाश तरंग किस प्रकार की तरंग है – अनुप्रस्‍थ तरंग
  • प्रकाश का तरंग सिद्धान्‍त किसके द्वारा प्र‍स्‍थापित किया गया था – हाइगेन्‍स के द्वारा
  • अपवर्तक दूरबीन में क्‍या होता है – असमान फोकस दूरी के दो उत्‍तल लैंस
  • आकाश में नीला रंग प्रकट होने के साथ सम्‍बन्धित प्रकाश की परिघटना है – प्रकीर्णन
  • जब प्रकाश किरण एक माध्‍यम से दूसरे माध्‍यम में जाती है, तो इसकी – आवृत्ति समान बनी रहती है।
  • आकाश का रंग नीला प्रतीत होता है, क्‍योंकि – छोटी तरंगदैर्ध्‍य वाला प्रकाश बड़ी तरंगदेर्ध्‍य वाले प्रकाश की अपेक्षा वायुमण्‍डल में नीला प्रतीत होता है।
  • किस गुणधर्म के कारण पानी से भरे बर्तन में डुबोई गई छड़ी मुड़ी हुई प्रतीत होती है– अपवर्तन
  • पूर्ण आन्‍तरिक परावर्तन होता है, जब प्रकाश जाता है – हीरे से काँच में
  • इन्‍द्रधनुष बनने का कारण है – वायुमण्‍उल में सूर्य की किरणों का जल बूँदों के द्वारा परावर्तन
  • मृगतृष्‍णा (Mirage) उदाहरण है – पूर्ण आन्‍तरिक परावर्तन का
  • प्रकाश में ध्रुवण की घटना से य‍ह सिद्ध होता है कि प्रकाश तरंगें हैं – अनुप्रस्‍थ
  • प्रकाश विकिरण की प्रकृति होती है – तरंग एवं कण दोनों के समान
  • तरण ताल वास्‍तविक गहराई से कम गहरा दिखायी देता है। इसका कारण है – अपवर्तन
  • एक तालाब के किनारे एक मछुआरा मछली को भाले से मारने की कोशिश कर रहा है, तदनुसार उसे निशाना कैसे लगाना चाहिए – जहाँ मछली दिखायी दे उसके ऊपर
  • कपड़ों को धोते समय हम नील का प्रयोग करते हैं, उसकी – सही वर्ण संयोजन के कारण
  • पीले रंग का पूरक रंग है – नीला
  • अन्‍तर्दर्शी (Endoscop) क्‍या है – यह आहारनाल के भीतर देखने के लिए प्रयुक्‍त एक प्रकाशिक यंत्र है
  • मायोपिया से क्‍या तात्‍पर्य है – निकट दृष्टि दोष
  • हाइपरमेट्रोपिया (Hypermetropia) का अर्थ है – दूर दृष्टि दोष
  • एक आदमी 10 मीटर से अधिक दूरी की वस्‍तु स्‍पष्‍ट नहीं देख पाता है। वह किस दृष्टिदोष से पीडि़त है – मायोपिया
  • एक मनुष्‍य 1 मीटर से कम दूरी की वस्‍तु को स्‍पष्‍ट नहीं देख सकता है। वह व्‍यक्ति किस दोष से पीडि़त है – दूर दृष्टि
  • ल्‍यूमेन एकक है – ज्‍योति फ्लक्‍स का
  • दूरबीन (Telescope) क्‍या है – दूर की वस्‍तु देखने का यंत्र
  • सूर्य के प्रकाश को धरती की सतह पर पहुँचने में लगने वाला समय है, लगभग – 8.5 मिनट
  • प्रकाश की गति है – 3 x 108 m/S
  • सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का कौन-सा भाग दिखायी देता है – किरीट (कोरोना)
  • पूर्ण सूर्य ग्रहण का अधिकतम समय होता है – 250 सेकण्‍ड
  • सूर्य ग्रहण तब होता है, जब – सूर्य और पृथ्‍वी के बीच चन्‍द्रमा हो
  • प्रकाशिक तन्‍तु के आकार के बावजूद प्रकाश उनमें प्रगामी होता है, क्‍योंकि वह ऐसा यंत्र है जिससे संकेतों को एक जगह से दूसरी जगह स्‍थानांतरित किया जा सकता है। यह किस परिघटना पर आधारित है – प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन
  • प्रकाश वायु की अपेक्षा काँच में मन्‍द गति से चलता है, क्‍योंकि – वायु का अपवर्तनांक काँच के अपवर्तनांक से कम होता है
  • जब प्रकाश की तरंगें वायु से काँच में होकर गुजरती है, तब कौन से परिवर्त्‍य प्रभावित होंगे – केवल तंरगदैर्ध्‍य तथा वेग
  • जब एक व्‍यक्ति तीव्र प्रकाश क्षेत्र से अंधेरे कमरे में प्रवेश करता है, तो उसे कुछ समय के लिए स्‍पष्‍ट दिखायी नहीं देता है, बाद में धीरे-धीरे उसे चीजें दिखायी देने लगती है। इसका कारण है – आँखों का अन्‍धेरे के प्रति कुछ समय में अनुकूलित होना
  • निकट दृष्टि दोष दूर करने के लिए कौन-सा लैंस उपयोग में लाया जाता है – नतोदर / अवतल (Concave)
  • अवतल लैंस हमेशा किस प्रकार का प्रतिबिम्‍ब बनाते हैं – आभासी प्रतिबिम्‍ब
  • साबुन के पतले झाग में चमकदार रंगों का बना किस परिघटना का परिणाम है – बहुलित परावर्तन और व्‍यतिकरण
  • कार में दृश्‍यावलोकन के लिए किस प्रकार के शीशे का प्रयोग होता है – उत्‍तल दर्पण
  • यदि एक निकट-दृष्टिग्रस्‍त नेत्र का सुदूर बिन्‍दु 200 सेमी है तो लैंस की क्षमता क्‍या है – – 0.5D
  • ENT डॉक्‍टरों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला हैड मिरर का प्रकार होता है – अवतल
  • समुद्र नीला प्रतीत होता है – आकाश के परावर्तन तथा जल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण
  • अस्‍त होते समय सूर्य लाल किस कारण दिखायी देता है – प्रकीर्णन
  • इन्‍द्रधनुष में किस रंग का विक्षेपण अधिक होता है – बैंगनी
  • तारे आकाश में वास्‍तव में जितनी ऊँचाई पर होते हैं, वे उससे अधिक ऊँचाई पर प्रतीत होते है। इसकी व्‍याख्‍या किसके द्वारा की जा सकती हैं – वायुमण्‍डलीय अपवर्तन
  • किस गाड़ी के अग्रदीप से प्रकाश का शक्तिशाली समान्‍तर पुंज पाने के लिए क्‍या उपयोग में लाना चाहिए – अवतल दर्पण
  • दाढ़ी बनाने के लिए काम में लेते हैं – अवतल लैंस
  • दूर दृष्टि दोष निवारण के लिए काम में लेते है – उत्‍तल लैंस

भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान के 30 सामान्य ज्ञान हिंदी में 

  1. कार चलाते समय अपने पीछे के यातायात को देखने के लिए आप किस प्रकार के दर्पण का उपयोग करना चाहेंगे – उत्‍तल दर्पण
  2. मानव आँख की रेटिना पर कैसा प्रतिबिम्‍ब बनता है – वास्‍तविक तथा उल्‍टा
  3. किसी व्‍यक्ति का पूरा प्रतिबिम्‍ब देखने के लिए एक समतल दर्पण की न्‍यूनतम ऊँचाई होती है – व्‍यक्ति की ऊँचाई की आधी
  4. जब कोई वस्‍तु दो समान्‍तर समतल दर्पणों के बीच रखी जाती है, तो बने हुए प्रतिबिम्‍ब की संख्‍या होगी – अनन्‍त
  5. यदि किसी ऐनक के लैंस का पावर +2 डायोप्‍टर हो, तो इसके फोकस की दूरी होगी – 50 सेमी
  6. प्रकाश में सात रंग होते है। रंगों को अलग करने का क्‍या तरीका है – फिल्‍टर से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है
  7. लाल काँच को अधिक ताप पर गर्म करने पर वह दिखाई देगा – हरा
  8. प्रकाश का रंग निश्चित किया जाता है – तरंगदैर्ध्‍य द्वारा
  9. सूर्य की किरणों में कितने रंग होते हैं – 7
  10. यदि वायुमण्‍डल न हो तो पृथ्‍वी से आकाश किस रंग का दिखाई देगा – काला
  11. फोटोग्राफी में मुख्‍य रंग कौन-से होते है – लाल, नीला, हरा
  12. सबसे कम तरंगदैर्घ्‍य वाला प्रकाश होता है – बैंगनी
  13. जब प्रकाश के लाल, हरा व नीला रंगों को समान अनुपात में मिलाया जाता है, तो परिणामी रंग होगा – सफेद
  14. फोटोग्राफिक कैमरे का कौन-सा भाग आँख की रेटिना की तरह कार्य करता है – फिल्‍म
  15. कैमरे में किस प्रकार का लैंस उपयोग में लाया जाता है – उत्‍तल
  16. मानव की आँख वस्‍तु का प्रतिबिम्‍ब किस भाग पर बनाती है – कॉर्निया
  17. आइरिस का क्‍या काम होता है – आँख में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना
  18. दृष्टि पटल (Retina) पर बना प्रतिबिम्‍ब होता है – वस्‍तु से छोटा लेकिन उल्‍टा
  19. तन्‍तु प्रकाशिक संचार में संकेत किस रूप में प्रवाहित होता है – प्रकाश तरंग
  20. तारे टिमटिमाते हैं – अपवर्तन के कारण
  21. दूरबीन का आविष्‍कार किया था – गैलीलियो ने
  22. अवतल लैंस प्रयुक्‍त होता है, सुधार हेतु – निकट दृष्टि दोष
  23. यदि एक व्‍यकित दो समतल दर्पण जो 600 कोण पर आनत है, के बीच खड़ा हो तब उसे कितने प्रतिबिम्‍ब दिखेंगे – 5
  24. धूप के चश्‍में की क्षमता होती है – 0 डायोप्‍टर
  25. जिस सिद्धान्‍त पर ऑप्टिकल फाइबर काम करता है, वह है – पूर्ण आन्‍तरिक परावर्तन
  26. क्षितिज के समीप सूर्य एवं चन्‍द्रमा के दीर्घ वृत्‍ताकार दिखायी देने का कारण है – अपवर्तन
  27. श्‍वेत प्रकाश को नली में कैसे पैदा करते हैं – तन्‍तु को गर्म करके
  28. प्रकाश में सात रंग होते हैं। रंगों को अलग करने का क्‍या तरीका है – एक प्रिज्‍म से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है
  29. हमें वास्‍तविक सूर्योदय से कुछ मिनट पूर्व ही सूर्य दिखायी देने का कारण है – प्रकाश का अपवर्तन
  30. यदि साबुन के दो भिन्‍न-भिन्‍न व्‍यास के बुलबुलों को एक नली द्वारा एक-दूसरे के सम्‍पर्क में लाया जाए, तो क्‍या घटित होगा – छोटा बुलबुला और छोटा व बड़ा बुलबुला और बड़ा हो जाएगा


इसे भी जानें- 99 गजब के मनोवैज्ञानिक रोचक तथ्य।

general physics mcq questions with answers

  • ताप के सेल्सियस पैमाने पर परम शून्य ताप होता है 

Ans-    - 273 डिग्री सेंटीग्रेड 

  • कौन सा तापमान सेंटीग्रेड और फारेनहाइट दोनों मापकर्मों में एक समान है 


Ans-    - 40 डिग्री 

  • न्यूनतम संभव तापमान है 


Ans-    -273 डिग्री सेंटीग्रेड 

  • पानी का घनत्व किस तापक्रम पर अधिकतम होता है 


Ans-    4 डिग्री सेंटीग्रेड 

  • जब बर्फ को 0 डिग्री सेंटीग्रेड से 10 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया जाता है तो जल का आयतन 


Ans-    पहले कम होता है और उसके बाद बढ़ जाता है। 

  • शीशे की छण को जब भाप में रखी जाती है तो इसकी लंबाई बढ़ जाती है परंतु इसकी चौड़ाई 


Ans-    अव्यवस्थित होती है। 

  • लोलक घड़ियां गर्मियों में सुस्त हो जाती है क्यों-


Ans-    लोलक की लंबाई बढ़ जाती है जिससे इकाई दोलन में लगा हुआ समय बढ़ जाता है 

  • दो रेल पटरियों के मध्य पर एक छोटा सा स्थान क्यों छोड़ा जाता है 


Ans-    क्योंकि धातु गर्म करने पर फैलती है तथा ठंडी होने पर संकुचित होती है 

  • बोलोमीटर मापन की एक युक्ति है 


Ans-    ऊष्मीय विकिरण की

  • शीतकाल में कपड़े हमें गर्म रखते हैं क्यों-


Ans-    शरीर की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकते हैं 

  • ऊनी कपड़े सूती की अपेक्षा गर्म होते हैं क्यों


Ans-    वे ताप के अच्छे रोधक होते हैं 

  • बर्फ के दो टुकड़ों को आपस में दबाने पर टुकड़े आपस में चिपक जाते हैं-


Ans-    क्योंकि दाब अधिक होने से बर्फ का गलनांक घट जाता है 

  • पानी से भरे गिलास में बर्फ का एक टुकड़ा तैर रहा है। टुकड़े के पूरा पिघल जाने पर गिलास में पानी का तल-

Ans-    अपरिवर्तित रहता है 


  • घर में पंखा चलाने से आराम महसूस होता है क्यों- 

Ans-    हमारा पसीना तेजी से वाष्पीकृत होता है। 


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विश्व की प्रमुख फसलें सामान्य ज्ञान

भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान 2023 - Physics gk in hindi

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  • सूर्य ग्रहण कब होता है –  (अमावस्‍या)
  • उचित रीति से कटे हीरे की असाधारण चमक का आधारभूत कारण यह है कि – उसका अति उच्‍च अपवर्तन सूचकांक होता है
  • एक स्थिर चुम्‍बक हमेशा दर्शाती है – उत्‍तर-उत्‍तर तथा दक्षिण-दक्षिण
  • फ्लक्‍स घनता और चुम्‍बकीय क्षेत्र की क्षमता का अनुपात किस माध्‍यम में होता है, उसकी – पारगम्‍यता
  • चुम्‍बकीय सुई किस तरफ संकेत करती है – उत्‍तर
  • ट्रान्‍सफॉर्मर का सिद्धान्‍त आधारित है – विद्युत-चुम्‍बकीय प्रेरण के सिद्धान्‍त पर
  • ट्रान्‍सफार्मर क्‍या है – AC वोल्‍टता को घटाने और बढ़ाने में प्रयुक्‍त होता है
  • विद्युत धारा का चुम्‍बकीय प्रभाव सर्वप्रथम अवलोकित किया गया – ओरस्‍टेड द्वारा
  • ध्रुवों पर नमण कोण का मान कितना होता है – 900
  • मुक्‍त रूप से लटकी चुम्‍बकीय सुई का अक्ष भौगोलिक अक्ष के साथ कोण बनाता है – 180 का
  • मुक्‍त रूप से निलम्बित चुम्‍बकीय सुई किस दिशा में टिकती है – उत्‍तर-दक्षिण दिशा
  • चुम्‍बकीय कम्‍पास की सुई किस ओर इंगित करती है – चुम्‍बकीय उत्‍तर व चुम्‍बकीय दक्षिण
  • चुम्‍बक चुम्‍बकीय पदार्थों जैसे लोहा, निकिल, कोबाल्‍ट आदि को आकर्षित करते हैं। वे प्रतिकर्षित कर सकते हैं – प्रतिचुम्‍बकीय पदार्थों को
  • विषुवत् रेखा पर नति कोण का मान होता है – 0 डिग्री
  • एकसमान चुम्‍बकीय क्षेत्र में बल रेखाएँ होनी चाहिए – एक-दूसरे के समांतर
  • कौन विद्युत अचुम्‍बकीय है – ताँबा
  • चुम्‍बकीय याम्‍योत्‍तर और भौगोलिक याम्‍योत्‍तर के बीच के कोण को कहते है – चुम्‍बकीय दिकपात्‍
  • एक स्‍वतंत्र रूप से लटका हुआ चुम्‍बक सदैव ठहरता है – उत्‍तर-दक्षिण दिशा में
  • डायनेमो (विद्युत जनित्र) के कार्य करने का सिद्धान्‍त्‍ है – विद्युत्-चुम्‍बकीय प्रभाव
  • यदि किसी चुम्‍बक का तीसरा ध्रुव हो, तो तीसरा ध्रुव कहलाता है – परिणामी ध्रुव
  • पृथ्‍वी एक बहुत बड़ा चुम्‍बक है। इसका चुम्‍बकीय क्षेत्र किस दिशा में विस्‍तृत होता है – दक्षिण से उत्‍तर
  • लोहा का क्‍यूरी ताप होता है – 780 डिग्री सेल्सियस
  • चुम्‍बकीय क्षेत्र का मात्रक होता है – गौस
  • यदि एक चुम्‍बक को दो भागों में विभक्‍त कर दिया जाए तो – दोनों भाग पृथक्-पृथक् चुम्‍बक बन जाते
  • किसी चुम्‍बक की आकर्षण शक्ति सबसे अधिक कहाँ होती है – दोनों किनारों पर
  • किसी चुम्‍बक की आकर्षण शक्ति सबसे कम कहाँ होती है – मध्‍य में
  • स्‍थायी चुम्‍बक बनाये जाते हैं – इस्‍पात के
  • अस्‍थायी चुम्‍बक बनाये जाते हैं – नर्म लोहे के
  • ताँबा मुख्‍य रूप से विद्युत चालन के लिए प्रयोग किया जाता है क्‍योंकि – इसकी विद्युत प्रतिरोधकता निम्‍न होती है
  • शुष्‍क सेल है – प्राथमिक सेल
इस पोस्ट में हमने Physics Gk Question in Hindi 2023 -  भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान के बारे में जाना। अगर साइंस के student हैं और आप फिजिक्स पढ़ते हैं तो इस पोस्ट में दिए गए प्रश्नों जरुर कंठस्थ कर लेना चाहिए क्यूंकि ये फिजिक्स के बेसिक प्रश्न हैं।

उम्मीद करता हूँ कि 500+ Physics Gk Question in Hindi 2023 -  भौतिक विज्ञान सामान्य ज्ञान का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा, अगर आपको यह पोस्ट पसंद आये तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

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