जीवों का वर्गीकरण (Classification of Organisms in Hindi)

जीवों का वर्गीकरण (Classification of Organisms in Hindi)

हेलो दोस्तों, इस लेख में हम जीवों के वर्गीकरण के बारे में जानने वाले हैं। जीवों को उनकी शारीरिक सरंचना ,रूप रंग एवं कार्य के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। "लीनियस को आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली का पिता कहा जाता है।" लीनियस ने अपनी पुस्तक 'सिस्टम नेचुरा' में जीवों के वर्गीकरण के बारे में लिखा है ,जो वर्तमान में सर्वाधिक मान्य है। विभिन्न परीक्षाओं में भी जीवों के वर्गीकरण से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। जीवों के वर्गीकरण के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।


Classification of Organisms in Hindi


Table of content: -

  • जीवों का वर्गीकरण (Classification of Organisms in Hindi)
  • जीवों के वर्गीकरण की श्रेणियाँ (Categories Classification of organisms)
  • जीवों के जगत (Kingdoms of Organisms in Hindi) 
  • दो जगत वर्गीकरण (Two Kingdom Classification) 
  • चार जगत वर्गीकरण (Four Kingdom Classification in Hindi) 
  • पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification in Hindi)
  • द्विनाम नामकरण पद्धति (Binomial System of Nomenclature) 
  • जाति की अवधारणा (Concept of Species) 
  • वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomic Hierarchy) 
  • पादप जगत (Plant Kingdom list)

Biological Classification in Hindi

परिचय (Introduction) :

"जन्तुओं को समानताओं तथा असमानताओं के आधार पर वर्गीकरण की पद्धति में उचित स्थान देना वर्गीकरण (Classification) कहलाता है।"

वर्गीकरण का विज्ञान वर्गिकी (Taxonomy) कहलाता है। 

जाति (Species) से जगत (Kingdom) तक प्रत्येक स्तर पर जीवों के समूहों की तुलना द्वारा विविधता का अध्ययन बायोसिस्टेमैटिक्स (Biosystematics) कहलाता है। 

पढ़ें- ग्रह क्या है।

जीवों का वर्गीकरण (Classification of Organisms in Hindi)

वर्गिकी (Taxonomy) के अन्तर्गत जीवों की पहचान, नामकरण तथा वर्गीकरण का अध्ययन किया जाता है।

  1. जगत (Kingdom)
  2. संघ (Phylum)
    • उपसंघ (Subphylum),
    • अधिवर्ग (Superclass)
  3. वर्ग (Class)
    • उपवर्ग (Subclass),
    • सहगण या कोहऑर्ट (Cohort),
    • अधिगण (Superorder)
  4. गण (order)
    • उपगण (Suborder),
    • अधिकुल (Superfamily)
  5. कुल (Family)
    • उपकुल (Subfamily),
    • आदिम जाति (Tribe)
  6. वंश (Genus)
    • उपवंश (Subgenus)
  7. जाति (Species)
    • उपजाति (Subspecies)

जीवों के वर्गीकरण की श्रेणियाँ (Categories Classification of organisms)

* टेक्सॉन (Taxon) - एक दी गयी वर्गीकरण पद्धति में किसी भी स्तर का एक वर्गिकीय समूह है, उदाहरण— ब्रेसिकेसी (Brassicaceae), सोलेनम (Solanum) आदि। 

* कैटेगरी (Category) - वर्गीकरण के विभिन्न रैंक या स्तर हैं। यह एक वर्गिकीय शब्द है और जीवित प्राणी को प्रदर्शित नहीं करती है। 

* जाति (Species) - ऐसे जीवों का समूह है जो आकारिकी दृष्टि से समान लक्षणधारी होते हैं व आपस में प्रजनन कर अपने समान अन्य जीवों को उत्पन्न करते हैं, उदाहरण मेन्जिफेरा इन्डिका (Mangifera indica) 

* वंश (Genus) - ऐसी जातियों का समूह है जो आपस में सम्बन्धित होती हैं तथा इनमें जातियों की तुलना में कम लक्षण समान होते हैं, उदाहरण- मेन्जिफेरा (Mangifera) 

* कुल (Family) - इस प्रकार के वंशो का समूह है जो आपस में एक-दूसरे से अन्य कुलों की तुलना में कही अधिक सम्भव लक्षण दर्शाते हैं, उदाहरण – मालवेसी -  (Malvaceae) 

* गण (Order) - ऐसे कुलों का समूह है जो कुछ लक्षणों में एक दूसरे से समानता दर्शाते हैं। ये लक्षण किसी कुल में सम्मिलित वंशों की तुलना में कहीं कम समान होते हैं, उदाहरण - रोजेल्स (Rosales )

* वर्ग (Class) - अनेक गणों से मिलकर बनता है, उदाहरण - डाइकोटिलीडनी ( Dicotyledonae) । 

* संघ (Phylum) या प्रभाग (Division) - कई वर्गों से मिलकर बना होता है, उदाहरण - स्पर्मेटोफाइटा (Spermatophyta)

* जगत (Kingdom) - इसके अन्तर्गत वे जीव आते हैं जो विशिष्ट सामान्य लक्षणों का समुच्चय बनाते हैं 

* जीवों का विभिन्न रासायनिक पदार्थों, द्वितीयक उपापचयी पदार्थों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर वर्गीकरण रसायन वर्गिकी (Chemotaxonomy) कहलाता है। . जैसे-कुल-चिनोपोडिएसी (Chenopodiaceae), एमरेन्थेसी (Amaranthaceae) तथा एड़जोएसी (Aizoaceaeमें बीटासाइनीन (betacyanin) वर्णक पाया जाता है। 

* पौधों के वर्गिकीय अध्ययन के लिए गणित के सामान्य सिद्धान्तों या तकनीकों का प्रयोग संख्यात्मक वर्गिकी (Numerical Taxonomy) या फिनेटिक्स (Phenatics) कहलाता है। 

* जीवों के वर्गीकरण के लिए गुणसूत्र या अन्य कोशिकीय अध्ययन से सम्बन्धित वर्गिकी साइटोटेक्सोनोमी (Cytotaxonomy) कहलाती है। 

* जन्तुओं तथा पादपों के अभिनिर्धारण (identification) के लिए तैयार की गयी योजना या व्यवस्था कुँजी (key) कहलाती है।

जानें- 20+ वैज्ञानिक कारण।

जीवों के जगत (Kingdoms of Organisms in Hindi) 

** हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates460-377 BC) एवं अरस्तू (Aristotle; 384-322 BC) ने जन्तुओं को चार मुख्य समूहों-कीट (insects), पक्षी (birds)मछली (fishes) तथा व्हेल (whales) में रखा। 

** थियोफ्रेस्टस (Theophrastus 372-287 BC) ने पौधों को वृक्ष, शाक और झाड़ी में वर्गीकृत किया। 

** जॉन रे (John Ray; 1627-1705) ने 18000 से अधिक पौधों तथा जन्तुओं का वर्णन अपनी पुस्तक “हिस्टोरिया जेनरेलिस प्लान्टेरम” (Historia Generalis Plantarum) में किया। 

दो जगत वर्गीकरण (Two Kingdom Classification) 

** दो जगत वर्गीकरण लिनियस (Linnaeus; 1758) ने दिया था। इस वर्गीकरण में सभी जीवों को पादपों अर्थात् प्रकाश संश्लेषी जीव (photosynthetic organisms) तथा जन्तुओं अर्थात् अप्रकाश-संश्लेषी जीव (non-photosynthetic organisms ) में विभाजित किया गया था। 

** यूग्लीना (Euglena) में पादप तथा जन्तु दोनों के लक्षणों की उपस्थिति, जीवाणु तथा साइनोबैक्टीरिया की अन्य जीवों से भिन्नता तथा कवकों का अप्रकाश-संश्लेषी होते हुए भी पादपों में रखना आदि के कारण यह वर्गीकरण मान्य नहीं हुआ। 

दो जगत वर्गीकरण के महत्त्वपूर्ण बिन्दु -

  1. कैरोलस लिनियस (Carolus Linnaeus) को वर्गिकी का पिता (Father of Taxonomy) कहा जाता है। 
  2. आकारीकीय लक्षणों के आधार पर पौधों का वर्गीकरण अल्फा वर्गिकी (cr-taxonony) कहलाता है। यह शब्द तुरिल (Turill; 1948) ने दिया था। 
  3. आकारीकीय लक्षणों के साथ-साथ शारीरिकी, कोशिका विज्ञान, भ्रूणिकी, आण्विक जीव विज्ञान का वर्गीकरण में प्रयोग बीटा वर्गिकी (J-taxonomy) कहलाता है। 
  4. ए पी डी कण्डोले (A P de Condolle; 1813) ने सर्वप्रथम टेक्सोनॉमी (Taxonomy) शब्द का प्रयोग किया। 
  5. नाम प्रारूप (holotype) वह नमूना है जिसे लेखक ने जाति के नामकरण के विवरण के साथ सुरक्षित रखा हो। 
  6. सम प्रारूप (isotype) नाम प्रारूप के प्रतिरूपी नमूने होते हैं। 
  7. अनुप्रारूप (paratype) वह नमूना है जो प्रथम वर्णन के नाम प्रारूप या समप्रारूप के अतिरिक्त रखा गया हो। 
  8. तुल्य प्रारूप (syntype) जाति के विवरण में लेखक द्वारा चुने गये दो या अधिक नमूने हैं। 
  9. लेक्टोप्रारूप (lectotype) वह प्रारूप है जो जाति के प्रथम विवरण या प्रकाशन में नाम प्रारूप के न दिये जाने पर बाद में मूल पादप से चुना जाता है। 
  10. पादपों के वैज्ञानिक नाम इण्टरनेशनल कोड ऑफ बोटेनिकल नॉमनक्लेचर (ICBN) तथा जन्तुओं के वैज्ञानिक नाम इण्टरनेशनल कोड ऑफ जूलोजीकल नॉमनक्लेचर (ICZN) द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।

चार जगत वर्गीकरण (Four Kingdom Classification in Hindi) 

  • कोपलैण्ड (Copeland; 1956) ने सभी जीवों को चार जगतों— माइकोटा या मोनेरा, (Mycota or Monera), प्रोटिस्टा (Protista), प्लान्टी (Plantae) तथा एनिमेलिया (Animalia) में बाँटा 
  • माइकोटा के अन्तर्गत प्रारम्भिक केन्द्रक युक्त जीव (जीवाणु तथा साइनोबैक्टीरिया) प्रोटिस्टा के अन्तर्गत शैवाल, कवक तथा प्रोटोजोआ, प्लान्टी के अन्तर्गत प्रकाश-संश्लेषी बहुकोशिकीय जीव तथा एनिमेलिया के अन्तर्गत, अप्रकाश-संश्लेषी बहुकोशिकीय जीव रखे गये। 

पाँच जगत वर्गीकरण (Five Kingdom Classification in Hindi)

आर एच व्हिटेकर ( R H Whittaker; 1969) ने कोशिका संरचना की जटिलता (यूकैरियोटिक अथवा प्रोकैरियोटिक), पोषण विधि के प्रकार तथा स्रोत (स्वयंपोषी अथवा परपोषी), शरीर संगठन की जटिलता (एककोशिकीय अथवा बहुकोशिकीय) तथा जीवन-चक्र के प्रकार (उत्पादक अथवा उपभोक्ता) के आधार पर जीवों को पाँच जगतों – मोनेरा, प्रोटिस्टा, फन्जाई, प्लान्टी तथा एनिमेलिया में विभाजित किया – 

(i) मोनेरा (Monera) 

- अविकसित केन्द्रक युक्त सभी प्रोकैरियोटिक जीव इसके अन्तर्गत आते हैं। 

- ये जीव वातावरण में विघटनकारी (decomposer) का कार्य करते हैं। 

- इनमें दृढ़ कोशिका भित्ति उपस्थित होती है। उदाहरण- जीवाणु तथा नीले-हरे शैवाल । 

(ii) प्रोटिस्टा (Protista) 

- इसमें एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीव रखे गये हैं। 

- ये स्वतन्त्र जीवी, परजीवी या स्वपोषी हो सकते हैं। उदाहरण- प्रोटोजोआ (Protozoa) डाइनोफ्लेजीलेट्स (dinoflagellates) सदस्य

(iii) प्लान्टी (Plantae)

- इसमें बहुकोशिकीय पादप रखे गये हैं।

- इनकी कोशिकाओं में सैल्यूलोस की बनी कोशिका भित्ति पायी जाती है।

- ये स्थलीय या जलीय तथा स्वंयपोषी होते हैं। उदाहरण- हरी, लाल तथा भूरी शैवाल, ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, अनावृतबीजी तथा आवृतबीजी पादप

(iv) कवक (Fungi)  

- एककोशिकीय या बहुकोशिकीय हो सकते हैं। 

- क्लोरोफिल की अनुपस्थिति के कारण परपोषी होते हैं

- इनकी कोशिका भित्ति काइटिन (chitin) की बनी होते है उदाहरण- मोल्ड्स (molds), मशरूम (mushroom), पफ बॉल (puff ballतथा ब्रेकेट कवक (bracket fungi)

(v) एनिमेलिया (Animalia) 

- इसमें यूकैरियोटिक बहुकोशिकीय जन्तु रखे गये हैं। 

- ये परपोषी जीव हैं। 

उदाहरण- हाइड्रा (Hydra), कीट, मछलियाँ, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी

जानें- 10thके बाद क्या-क्या कर सकते हैं।

द्विनाम नामकरण पद्धति (Binomial System of Nomenclature) 

  • इस पद्धति के अनुसार किसी जीव के वैज्ञानिक नाम में वंश (Genus) तथा जाति (Species) दोनों का नाम सम्मिलित होता है। 
  • इसे सर्वप्रथम गास्पर्ड बॉहिन (Gaspard Bauhin1623) द्वारा प्रयोग में लाया गया परन्तु इस पद्धति को प्रचलित करने का श्रेय कैरोलस लिनियस को जाता है। 
  • कैरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक स्पीसीज प्लान्टेरम Species Plantarumमें इसका वर्णन किया है
  • द्विनाम पद्धति में वंश के नाम का पहला अक्षर (अंग्रेजी में) बड़ा तथा जातिय नाम का पहला अक्षर छोटा लिखा जाता है और दोनों को इटेलिक (italic) करते हैं। 
  • नाम के अन्त में छोटे रूप में उस वैज्ञानिक का नाम लिखते हैं जिसने उस जाति और वंश का नाम बनाया था। उदाहरण- मेन्जिफेरा इन्डिका (Mangifera indica L)

जाति की अवधारणा (Concept of Species) 

जाति वर्गीकरण की सबसे छोटी या मूलभूत इकाई है। जाति (Species) शब्द जॉन रे (John Ray; 1686) ने प्रतिपादित किया। 

अर्नस्ट मेयर (Ernst Mayr ; 1942) द्वारा की गयी जाति की जैव अवधारणा (Biological concept of species) के अनुसार "जाति ऐसे जीवों की जनसंख्या है जो संरचना तथा कार्य में समान हो और परस्पर प्रजनन करके अपने जैसी सन्तान उत्पन्न कर सकते हो, परन्तु अन्य जातियों से प्रजनन नहीं करते हो”।

लोटसी (Lotsi; 1918) द्वारा दी गयी जाति की आनुवंशिकीय अवधारणा के अनुसार "जाति आनुवंशिक रूप से समान जीवों का समूह है। 

लिनियस द्वारा दी गयी जाति की आकारिकीय अवधारणा (Morphological concept of species) के अनुसार जाति आकारिकीय रूप से समान जीवों का समूह है 

विस्थानिक जातियाँ (Allopatric species) विभिन्न आवास या भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाली दो या अधिक जातियाँ हैं। 

समस्थानिक जातियाँ (Sympatric species) एक ही भौगोलिक परिस्थिति में पायी जाने वाली विभिन्न हैं। में पायी जाने वाली 

बहुप्ररूपी जातियाँ (Polytypic species) विभिन्न परिस्थितियों व आवासों एक ही जाति की दो या अधिक जनसंख्या हैं जिन्हें उपजातियाँ कहते हैं। 

सहोदर जातियाँ  (Sibling species) शारीरिक रूप से समान तथा पास-पास आवास में पायी जाने वाली वे जातियाँ है जिनमें परस्पर जनन नहीं होता। 

एक ही समय में पायी जाने वाली दो या अधिक जातियाँ समकालिक जातियाँ (Synchronic species), जबकि अलग-अलग समय में पायी जाने वाली दो या अधिक जातियाँ विषमकालिक जातियाँ (Allochronic Species) कहलाती है।

वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomic Hierarchy) 

* विभिन्न वर्गीकीय श्रेणियों को एक उचित उतरते हुए क्रम में व्यवस्थित करना वर्गिकी पदानुक्रम या लिनियन पदानुक्रम (Linnaean hierarchy) कहलाता है। 

वर्गीकरण की पद्धतियाँ (Systems of Classification) 

विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये वर्गीकरणों को निम्न तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है 

(i) कृत्रिम पद्धतियाँ (Artificial systems) इस पद्धति में किसी एक या कुछ लक्षणों के आधार पर जन्तुओं व पौधों के समूह तथा उपसमूह बनाये जाते हैं जैसे थियोफ्रेस्टस ने अपनी पुस्तक "हिस्टोरिया प्लान्टेरम" (Historia Plantarum) में 480 पौधों का वर्णन किया तथा स्वभाव व आकारिकी के आधार पर पौधों को शाक, झाड़ी तथा वृक्षों में विभाजित किया, जबकि लिनियस ने अपनी पुस्तक "जेनेरा प्लान्टेरम" (Genera Plantarum) में पौधों को पुष्प के आधार पर 24 वर्गों (23 पुष्पीय, 24वाँ अपुष्पीय) में विभाजित किया। लिनियस के वर्गीकरण का मुख्य आधार पुंकेसरों की संख्या, लम्बाई तथा संघ था, इसलिए इस वर्गीकरण को लैंगिक प्रकार का वर्गीकरण (sexual system of classification) भी कहते हैं। 

(ii) प्राकृतिक पद्धतियाँ (Natural systems) इसमें पौधों के वर्गीकरण के लिए सभी महत्वपूर्ण लक्षणों को आधार बनाया जाता है। पौधों की कायिक संरचना तथा जन क्रिया में समानता के आधार पर समूह व उपसमूह बनाये जाते हैं, जैसे- ए. डब्ल्यू. आइकलर (AW Eichler; 1883) ने पादप-जगत को उपजगत-क्रिप्टोगेम्स व फैनेरोगैम्स में विभाजित किया था।

बेन्थम एवं हुकर (Bentham and Hooker) का वर्गीकरण भी प्राकृतिक पद्धति पर आधारित था। 

(iii) जातिवृत्तीय पद्धतियाँ (Phylogenetic systems) इसमें पौधों को उनके विकास तथा उद्भव को ध्यान में रखकर वर्गीकृत किया जाता है अर्थात् विकास, आनुवंशिक लक्षणों तथा जनन गुणों के आधार पर समूह तथा उपसमूह बनाये जाते हैं, -एंग्लर एवं प्रेन्टल (Engler and Prantl), हचिन्सन (Hutchinson) तथा ओसबाल्ड  टिप्पो (Oswald Tippo) का वर्गीकरण

पादप जगत (Plant Kingdom list)

  1. क्रिप्टोगेम्स (Cryptogams)
    • थैलोफाइटा (Thallophyta)
      • शैवाल (Algae) 
      • कवक (Fungi) 
      • जीवाणु (Bacteria) 
      • लाइकेन (Lichen)
    • ब्रायोफाइटा (Bryophyta) 
    • टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) 
  2. फैनेरोगैम्स (Phanerogams)
    • अनावृतबीजी (Gymnosperms)
    • आवृतबीजी (Angiosperms)

इस आर्टिकल में हमने जीवों के वर्गीकरण के बारे में विस्तार से जाना। लीनियस को आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली का पिता कहा जाता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जीवों के वर्गीकरण से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

आशा करता हूँ कि जीवों के वर्गीकरण का यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।

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