चन्द्र ग्रहण - Chandra Grahan in Hindi

आपने चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) के बारे में कभी न कभी तो सुना ही होगा। तो क्या आप जानते हैं कि चन्द्र ग्रहण क्या होता है। यदि आप चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan in Hindi) के बारे में जानना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही पोस्ट में आये हैं क्यूंकि  इस पोस्ट में हम चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan in Hindi) के बारे में जानने वाले हैं।

चन्द्र ग्रहण - Chandra Grahan in Hindi


चन्द्र ग्रहण क्या है? (Lunar Eclips in Hindi)

चंद्रग्रहण इस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। 

चंद्र ग्रहण कब होता है? (When does lunar eclipse happen?)

चंद्र ग्रहण आमतौर पर पूर्णिमा की रात (Moon Night) को होता है।

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चंद्र ग्रहण कैसे लगता है? (How does a lunar eclipse occur?)

सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस प्रक्रिया में एक ऐसा समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध में आ जाते हैं और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है। इस घटना को खगोलीय घटना के रूप में चंद्रग्रहण कहा जाता है। इस ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण चन्द्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चन्द्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चन्द्र आसन्धियों के सापेक्ष चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। चाँद के इस रूप को 'ब्लड मून' भी कहा जाता है। चन्द्र ग्रहण शुरू होने के बाद ये पहले काले और फिर धीरे-धीरे सुर्ख लाल रंग में तब्दील होता है।

किसी सूर्यग्रहण के विपरीत, जो कि पृथ्वी के एक अपेक्षाकृत छोटे भाग से ही दिख पाता है, चंद्रग्रहण को पृथ्वी से रात में किसी भी भाग से देखा जा सकता है। चन्द्रमा की छाया की छोटी होने के कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चन्द्रग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है। इसके अतिरिक्त चन्द्रग्रहण को, सूर्यग्रहण के विपरीत, आँखों के लिए बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है, क्योंकि चन्द्रग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चन्द्र से भी कम होती है।

सूर्य और चंद्रमा के मध्य में जब पृथ्वी आ जाती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा, पृथ्वी  की परिक्रमा करता है। पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आने की वजह से सूर्य की किरणें चन्द्रमा पर नहीं पड़ता है।

पौराणिक कथा के अनुसार चन्द्र ग्रहण:

देवों और दानवों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें 14 रत्नों की प्राप्ति हुई जिसमे से एक अमृत कलश था। जिसके लिए यह समुद्र मंथन किया जा रहा था। इस अमृत पर किसका अधिकार होगा इस बात को लेकर देवों और दानवों के बीच बहस होने लगी। अमृत पान के इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अमृत को केवल देवों को देने के विचार से यह योजना बनाई गयी थी।

जब भगवान विष्णु मोहिनी रूप में आई तब दानव मोहिनी के रूप से आकर्षित हो गए। मोहिनी ने अमृत को देवों और दानवों में बराबर हिस्से में बांटने का प्रस्ताव दिया और देव और दानव दोनों ने इस प्रस्ताव को मान लिया। लेकिन दानव के समूह से स्वर्भानु नाम के एक दानव को यह आभास हो गया था कि हमारे साथ छल होने वाला है। तो उसने देव रूप धारण कर देवों की पंक्ति में सूर्य देव और चन्द्र देव के पास खड़ा हो गया। लेकिन जैसे ही स्वर्भानु ने अमृत पान किया सूर्य और चन्द्र देव ने उसे पहचान लिया।

यह बात उन्होंने मोहिनी रूप धारी विष्णु को बता दी जिससे क्रोधित होकर विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस पर वार किया जिससे दानव का सर धड़ से अलग हो गया। उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया।

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और चंद्र देवता द्वारा स्वर्भानु की पोल खोले जाने के कारण राहु- केतु इन दोनों देवों का दुश्मन हो गया। इसलिए वे पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को ग्रस लेता है। जिससे चन्द्र  ग्रहण होता है।

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इस पोस्ट में हमने चन्द्र ग्रहण के बारे में जाना। आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।

FAQs:-

Q. चंद्र ग्रहण कैसे होता है

Ans:- चंद्रग्रहण इस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है।

Q. चंद्र ग्रहण में सोने से क्या होता है?

Ans:- ग्रहण समय में सोने से रोगी, लघुशंका से दरिद्र, स्त्री प्रसंग से सुअर तथा उबटन लगाने से कोढ़ी होता है।

Q. चंद्र ग्रहण कैसे बनता है?

Ans:- पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो जाती है।

Q. ग्रहण का क्या महत्व है?

Ans:- ग्रहणों ने वैज्ञानिकों को सूर्य की संरचना और विस्फोटक घटनाओं को समझने में मदद की, सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के लिए सबूत खोजे, और अन्य बातों के अलावा एक नए तत्व की खोज की। 

16 MarchSTUDY POINT & CAREER

परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain)

हम जहाँ रहते हैं उसके आस पास बहुत सारे पदार्थ होते हैं। जो विभिन्न  अणुओं से मिलकर बने होते हैं। ये अणु जिनसे बनते हैं उन्हें परमाणु कहते हैं। इस आर्टिकल में हम परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain) के बारे में जानेंगे। परमाणु से सम्बंधित प्रश्न अक्सर परीक्षा में देखने को मिल जाते हैं इसलिए इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी एक विद्यार्थी को अवश्य होनी चाहिए। परमाणु से जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिये इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें।

परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain)

परमाणु (Atom)

परमाणु पदार्थ की सबसे छोटी इकाई होती है जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाई जाती है। परमाणु एक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है और रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अलग भी किया जा सकता है। ठोस, तरल, गैस सभी परमाणु से ही मिलकर बने होते हैं। पहले माना जाता था की अणुओं से मिलकर कोई भी पदार्थ है , लेकिन बाद में वैज्ञानिक खोजों से ज्ञात हुआ कि अणु से भी छोटा कण होता है जिसे परमाणु खा जाता है। किसी पदार्थ के इससे छोटे कण नहीं हो सकते हैं।

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परमाणु की सरंचना (Structure of Atom)

परमाणु जिसे अंग्रेजी में Atom कहते हैं । इसका अर्थ अविभाज्य होता है। परमाणु मुख्य रूप तीन कणों प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और  इलेक्ट्रॉन से मिलकर बने होते हैं। जिनमे से प्रोटॉन और न्यूट्रॉन  परमाणु के नाभिक में पाए जाते हैं। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन को एक साथ न्यूक्लिऑन कहा जाता है। जबकि इलेक्ट्रॉन , परमाणु के नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
प्रोटॉन एक धनावेशित कण होता है, इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कण होता है और न्यूट्रॉन आवेश हीन कण होता है।

भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने 500 ई.पू. में प्रतिपादित किया था कि किसी पदार्थ को विभाजित करते जाएँ तो अंतत: ऐसी परिस्थति आएगी कि उस पदार्थ को और विभाजित नहीं किया जा सकता । ऐसे सूक्ष्मतम कण को पामाणु कहते हैं। ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिटस एवं लियुसीपस ने सूक्ष्मतम अविभाज्य  कणों को “Atoms” कहा। जो यूनानी भाषा के atomio से लिया गया था - जिसका शाब्दिक अर्थ न काटे जाने वाला था। दर्शन शास्त्र पर आधारित इन खोजो का कोई प्रायोगिक आधार नहीं था।

परमाणु के कण

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि परमाणु  तीन कणों प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और  इलेक्ट्रॉन से मिलकर बना है। तो आगे हम इन कणों के बारे में जानेंगे।

प्रोटॉन 

प्रोटॉन परमाणु के नाभिक में पाया जाने वाला एक धनावेशित कण है। इसका द्रव्यमान 1.6726 × 10−24 ग्रा॰/1.6726 (yg/योक्टोग्राम) है जो इलेक्ट्रान के द्रव्यमान के 1,836 गुना है। एक परमाणु में प्रोटॉन की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं। प्रोटॉन की खोज 1919 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने की थी।

इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक के चारों परिक्रमा करने वाला एक कण है जो ऋणावेषित होता है। इलेक्ट्रॉन की  खोज  जे. जे. थॉमसन ने 19वीं सदी के अंत में की थी। द्रव्यमान 9.11 × 10−31 कि. ग्रा. है। परमाणु के कणों में सबसे छोटा और हल्का कण इलेक्ट्रॉन होता है।

न्यूट्रॉन 

न्यूट्रॉन, परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाला एक आवेशहीन कण है। इसका द्रव्यमान 1.6929 × 10−27 कि.ग्रा. है जो इलेक्ट्रान के द्रव्यमान के 1,839 गुना है। अंग्रेज भौतिक वैज्ञानिक जेम्स चैडविक ने 1932 में न्यूट्रॉन की खोज  की थी।

परमाणु क्रमांक(Atomic Number)

किसी पदार्थ का अंतिम अविभाज्य कण तत्व होता है। अलग अलग तत्वों का अपना एक परमाणु क्रमांक होता है। अब तक ज्ञात तत्वों की संख्या 118 है। सभी का अपना एक परमाणु क्रमांक है। परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाले प्रोटॉन की संख्या को परमाणु क्रमांक (Atomic Number) कहते हैं। इसे Z से प्रदर्शित करते हैं। रासायनिक तत्वों को उनके बढते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में विशेष रीति से सजाने से आवर्त सारणी का निर्माण होता है जिससे अनेक रासायनिक एवं भौतिक गुण स्वयं स्पष्ट हो जाते हैं।

परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass)

किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या के योग को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या (mass number in Hindi) कहते हैं। इसे A प्रदर्शित करते हैं। 

समस्थानिक (Isotopes)

परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहा जाता है। और  परमाणु में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या के योग को परमाणु द्रव्यमान कहा जाता है। जब किन्ही तत्वों के परमाणु क्रमांक समान होते हैं और परमाणु भार अलग-अलग होते हैं। तो इसे समस्थानिक कहते हैं।

समभारिक (Burdensome)

किसी तत्व का परमाणु भार एक समान हो पर परमाणु क्रमांक अलग अलग हो ऐसे तत्वों को समभारिक कहते हैं।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton's Atomic Theory)

सन 1808 में वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने प्रयोगों के आधार पर एक सिद्धांत प्रस्तुत किया। जिसे डाल्टन का परमाणु सिद्धांत कहते हैं। डाल्टन के अनुसार -
  • द्रव्य अतिसूक्ष्म अविभाज्य कणों से मिलकर बना होता है, जिसे परमाणु कहते हैं। 
  • एक तत्व के सभी परमाणु आकार, आकृति तथा द्रव्यमान आदि गुणों में समान होते हैं। जबकि भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु इन गुणों में भिन्न भिन्न होते हैं।
  • परमाणु को उत्पन्न और नष्ट नहीं किया जा सकता है।
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इस आर्टिकल में हमने परमाणु किसे कहते हैं (Parmanu Kise Kahte Hain) के बारे में जाना। जो परिक्षापयोगी दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा , अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इस आर्टिकल को शेयर जरुर करें।
15 MarchSTUDY POINT & CAREER