मालवेसी कुल
(MALVACEAE FAMILY)
गुड़हल फूल - इसका वनस्पतिक नाम है- हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस। इस परिवार के अन्य सदस्यों में कोको, कपास, भिंडी और गोरक्षी आदि प्रमुख हैं।
वर्गीकृत स्थिति (Systematic Position):-
विभाग:- पुष्पी पादप या आङयोस्पेर्मा
वर्ग:- मग्नोलिओप्सीदा
गण:- माल्वालेस्
कुल:- माल्वासेऐ
वंश:- हीबीस्कस्
विभेदकीय लक्षण (Distinguishing features):-
वितरण (Distribution)- मालवेसी कुल को कपास कुल या भिण्डी कुल भी कहा जाता है। इस कुल के तहत लगभग 82 वंश तथा 1500 जातियाँ मिलती हैं। भारत में इसकी अनुमानतः 110 जातियाँ मिलती हैं। इस कुल के पौधे विश्व के उष्ण कटिबन्ध प्रदेशों व उपोष्ण (Subtropical) क्षेत्रों में पाये जाते हैं । कुल के सदस्य सर्वव्यापी (Cosmoplition) हैं।
स्वभाव (Habit)- इस कुल के पौधे एकवर्षीय शाक या क्षुप (Shrub) जैसे- गुड़हल तथा बहुत कम वृक्ष स्वभाव के होते हैं।
जड़ (Root) - मूसला जड़, शाखीय।
स्तम्भ (Stem) - उद्धव (Erect), बेलनाकार, ठोस, रोमिल, शाकीय बाद में काष्ठीय (Woody), शाखित (Branched) श्लेष्मिक पदार्थों (Mucilaginous substance) की उपस्थिति ।
पत्ती (Leaf) - सवृत्त अनुपर्णी (Stipulate), स्तंभिक व शाखीय (Cauline and ramal), एकान्तर (Alternate) सरल, पत्ती, बड़ी व चौड़ी, रोमिल हस्ताकार पालित या अंगुलीकार (Digitate), बहुशिरीय जालिका रूपी (Multicostate reticalate), शिरा विन्यास होता है।
पुष्पक्रम (Inflorescence)- एकल कक्षस्थ (Solitary axillany) या शीर्षस्थ (Terminal) होते हैं या ससीमाक्ष (Cymose) या असीमाक्षी (Recemose) पुष्पक्रम में होते हैं।
पुष्प (Flower) - सहपत्री (Bracteate) सहपत्रिकायुक्त, संवृत्त, पूर्ण द्विलिंगी त्रिज्या सममित (Actinomor- phic), पंचतयी (Pentamerous), जायांगधर (Hypogynous) चक्रिक (Cyclic).
अनुबाह्य दल पुंज (Epicalyx) - सहपत्रिकाएँ (Bractole) 3 से 7 होती हैं तथा मिलकर अनुबाह्य दलपुंज बनाते हैं। यह हरे रंग की व ठीक बाह्यदलपुंज के बाहर होती है।
बाह्य दलपुंज (Calyx) - 5 बाह्यदल, संयुक्त बाह्यदली (Gamosepalous), हरे रंग के कोरस्पर्शी (Valvate)
दलपुंज (Corolla)- 5 दल पृथक्दली (Polypetalous) किन्तु आधार पर पुंकेसरी नाल (Staminal tube) विन्यास। संलग्न होने के फलस्वरूप संयुक्त प्रतीत होते हैं। विन्यास या वर्तित (Twisted)।
पुमंग (Androecium) - असंख्य पुंकेसर, एकसंघी (Monadelphous) परागकोष के पुतन्तु आपस में मिलकर अण्डाशय तथा वर्तिका के चारों ओर एक पुंकेसरी नाल (Staminal Tube) बनाते हैं।
जायांग (Gynoecium) - पंचअण्डपी या बहुअण्डपी (Penta or Polycarpellary), युक्ताण्डपी (Syncarpous) अण्डाशय, उर्ध्ववर्ती (Overy superior) बहुकाष्ठाय, स्तम्भोय बीजाण्डान्यास, वर्तिका एक लम्बी पुंकेसरी नाल (Staminal tube) में होकर जाती है वर्तिकाग्र (Stigma) शाखित तथा इनकी संख्या अण्डपों की संख्या के बराबर होती है।
फल (Fruit)- शुष्क कोष्ठ विदारक संपुट (Dry loculicidal Capsule) जैसे- कपास या गुदेदार रस फल।
बीज (Seed) – बीज वृक्काकार या अण्डाकार रोमिल (Hairy) या लोमश (Wooty) होते हैं।
कुल के महत्वपूर्ण लक्षण (Impatant Feature of the family)
- स्वतंत्र पार्श्व अनुपर्ण का होना।
- एकल कक्षस्थ या कक्षस्थ साइम पुष्पक्रम एपिकैलिक्स के साथ बाह्यदल का होना।
- अनेक पुंकेसरों का एकसंधी (monioadelphous) अवस्था में होना।
- परागकोष वृक्काकार एवं एककोष्ठकोय।
- कैप्सूल या सायजोकार्पिक फल का होना।
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