मानव हृदय की आंतरिक संरचना (Internal Structure of Human Heart in Hindi)

मानव हृदय की आंतरिक संरचना (Heart internal structure in hindi)

इस आर्टिकल में हम ह्रदय की आतंरिक सरंचना के बारे में जानेंगे। ह्रदय की आतंरिक सरंचना की जानकारी एक सामान्य व्यक्ति को भी होनी चाहिए क्योंकि ह्रदय से जुडी बीमारियाँ आजकल आम सी हो गई हैं बीमारी के इलाज के लिए इसकी सामान्य जानकारी होना भी जरुरी है साथ ही प्रतियोगी  परीक्षाओं जैसे UPSC,STATE PCS,SSC,RRB,NTPC एवं अन्य प्रवेश परीक्षाओं में भी ह्रदय की आतंरिक सरंचना से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं 

स्तनी हृदय की आंतरिक संरचना

स्तनियों का हृदय फोरेसिक कैविटी में दोनों फेफड़ों के बीच स्थित रहता है। यह तिकोना, शंक्वाकार, खोखली, रचना है जो दोहरी झिल्ली से ढंका रहता है। यह झिल्ली हृदयावरण या पेरिकार्डियम (Pericardium) कहलाता है दोनों पेरिकार्डियल झिल्ली के मध्य एक द्रव पेरिकार्डियल द्रव (Pericardial fluid) कहते हैं।

हृदय की दीवार भूरे रंग की होती है तथा इसके लम्बवत् काट (Longitudinal sectional) में देखने पर स्पष्ट रूप से तीन स्तरों में विभक्त होती है। वाहरी स्तर एपिकार्डियम (Epicardium) कहलाता है तथा संयोजी ऊतकों का बना होता है। यह स्तर हृदय को बाह्य आघातों से बचाने का कार्य करता है। मध्य स्तर मीसोकार्डियम (Mesocardium) कहलाता है।

यह स्तर हृदयक पेशियों (Cardiac muscles) की बनी होती है जिनमें ऐच्छिक तथा अनैच्छिक दोनों तरह की पेशियों के लक्षण पाये जाते हैं। सबसे भीतरी स्तर एण्डो कित कार्डियम (Endo-cardium) कहलाता है। जो कोमल तथा अत्यंत पतला होता है।

हृदय की आंतरिक संरचना:-

हृदय चार कोष्ठीय नियों होता है जो स्पष्ट सेप्टा के द्वारा आपस में पृथक् रहते हैं। स्थित ऊपरी भाग में आलिंद दायें तथा बायें कक्षों में विभक्त रहता है जो है जिनके मध्य अंतरा आलिंद सेप्टा (Inter Auricular या Septa) पाया जाता है। इसी प्रकार निलय (Ventricle) भी दोनों दायाँ एवं बायाँ दो कक्षों में बँटा होता है। इनके मध्य एक द्रव अंतरानिलय पट (Interventricular septa) पाया जाता है। दाहिने आलिंद में अग्र महाशिरा तथा पश्च महाशिरा खुलते वत् हैं जो शरीर से अशुद्ध रुधिर एकत्र कर हृदय में छोड़ते हैं। बायें आलिंद में केवल एक ही फुफ्फुसीय शिरा (Pulmonary यम vein) आकर खुलता है। जो फेफड़ों से ऑक्सीकृत शुद्ध बना रुधिर लाकर बायें आलिंद में छोड़ते हैं।

दायाँ आलिंद दाहिने निलय में दायें आलिंद निलय द्वारा (Right auriculoventricular aperture) आलिंद बायें निलय में बाये आलिंद निलय रंध्र (Left riculoventricular aperture) द्वारा खुलता है। दायें आलिंद व दायें निलय के मध्य तक त्रिदल कपाट (Tricuspid valve) पाया जाता है तथा बायें आलिंद व बायें निलय के मध्य एक द्विदल कपाट (Bicuspid valve) पाया जाता है। ये कपाट निलय से आलिंद की ओर रक्त के उल्टे प्रवाह को रोकने का कार्य करते हैं।

दाहिने निलय के अग्र बायें सिरे से फुफ्फुसीय महाधमनी (Pulmonary Aorta) निकलकर फेफड़ों को जाती है तथा बायें निलय से दैहिक महाधमनी (Systemic Aorta) निकलकर पूरे शरीर को रक्त आपूर्ति देती है। महाधमनी और निलय के बीच अर्द्ध चन्द्राकार कपाट (Semilunar valve) पाये जाते हैं जो महाधमनी से रुधिर के उल्टे प्रवाह को रोकते हैं। हृदय की दीवार में दाहिने आलिंद के ऊपरी भाग में ऊतकों का एक समूह पाया जाता है।

जिसे शिरा आलिन्द नोड (Sinu-Auricular Node -S.A. Node) कहते हैं। यह एक विद्युत् आवेग उत्पन्न करता है जो तरंग के रूप में प्रसारित होकर पेशी तन्तु से गुजरता है और पेशियों में संकुचन पैदा करता है। इसी प्रकार दूसरा पेशिय गुच्छ दोनों आलिंदो के मध्य स्थित अन्तरा आलिन्द पट (Inter auricular septa) आधार में पाया जाता है जिसे आलिंद-निलय नोड (Auriculo-ventricular Node - A.V.Node) कहते हैं। ये दोनों नोड पेशिय ऊतक, तंत्रिका तंत्र तथा तंत्रिका कोशिकाओं से निर्मित होते हैं। आलिन्द निलय नोड या A.V. Node से एक विशिष्ट प्रकार के तन्तुओं का बण्डल विकसित होता है। जिसे हिज बण्डल (His bundle) कहते हैं।

Heart internal structure in hindi

हिस बण्डल के तन्तु शाखित होकर छोटी-छोटी शाखाओं में बँटकर हृदय की संपूर्ण दीवार की पेशियों में फैले होते हैं। ये शाखाएँ पुरकिंजे फाइबर कहलाते हैं। S.A. Node से उत्पन्न आवेग A.V. Node तक पहुँचते हैं। जहाँ से ये हिज बण्डल तथा पुरकिंजें फाइबर से होकर पूरे हृदय की दीवार में फैलते हैं और हृदय की दीवार में संकुचन पैदा करते हैं। यह अवस्था सिस्टोल अवस्था (systole) कहलाती है। सिस्टोल अवस्था के बीच हृदय शिथिल होता है जिसे शिथिलन या डायस्टोल स्टेज (Diastole) कहते हैं।

एक शिथिलन तथा एक संकुचन को हृदय की एक धड़कन कहते हैं। इस प्रकार हृदय की धड़कन का नियमन पूर्णतः S.A. Node, A.V. Node तथा पुरकिंजे फाइबर द्वारा किया जाता है। यह पूरा तंत्र हृदय स्पंदन को नियंत्रित करता है। अत: S.A. Node, A.V. Node एवं हिज बण्डल व फाइबर्स को पेसमेकर तंत्र (Pacemaker System) कहते हैं।

S.A. Node, A.V. Node

आज के इस आर्टिकल में आपने हृदय की आतंरिक सरंचना से जुडी महत्वपूर्ण जानकारीओं के बारे जाना जो प्रतियोगी  परीक्षाओं की दृष्टि से एक IMPORTANT टॉपिक है साथ ही इसकी सामान्य जानकारी भी एक आम व्यक्ति को जरुर होनी चाहिए।

आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए लाभकारी साबित होगी अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो इस पोस्ट  को शेयर जरुर करें.

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