सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था | Indus Valley Civilization System in Hindi ।
सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था । Indus Valley Civilization System ।
आज के इस पोस्हट में सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था के बारे में जानेंगे। भारत का व्यवस्थित इतिहास सिंधुघाटी सभ्यता से माना जाता है।सिन्धु घाटी सभ्यता एक गुणवत्ता पूर्ण व्यवस्थाओं में से एक थी। जिसका प्रभाव वर्तमान व्यवस्थाओं में अपनाने का प्रयास किया जाता है। भारत वर्ष का इतिहास सिंधुघाटी सभ्यता से प्रारम्भ होता हैं. सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था, सिंधुघाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण अंग हैं इसके अंतर्गत हम सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था को देखते हैं जिसमे प्रमुख - राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था, धार्मिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था आता हैं.
सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था से सम्बंधित प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं साथ ही सिंधुघाटी सभ्यता हमारे प्राचीन सभ्यता से जुड़ी हुई है। इसलिए इसके बारे में जानना जरुरी है। सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था को जानने के इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।
Table of content:-
- सिंधुघाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था
- सिंधुघाटी सभ्यता की सामाजिक व्यवस्था
- सिंधुघाटी सभ्यता की धार्मिक व्यवस्था
- सिंधुघाटी सभ्यता की आर्थिक व्यवस्था
सिंधुघाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था:-
- सिंधु सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। चूंकि हड़प्पावासी वाणिज्य व्यापार की और अधिक आकर्षित थे, इसलिए ऐसा माना जाता है कि संभवतः हड़प्पा का राजनीतिक व्यवस्थाऔर शासन व्यापारी वर्ग के हाथ में था।
- व्हीलर ने सिंधु प्रदेश के लोगों के शासन को मध्यमवर्गीय जनतंत्रात्मक शासन कहा है और उसमें धर्म की भूमिका को प्रमुखता दी है।
- हटर के अनुसार मोहनजोदड़ो का शासन राजतंत्रात्मक न होकर जनतंत्रात्मक था। मैके मानते कि मोहनजोदड़ो का शासन एक प्रतिनिधि शासक के हाथ में था।
- स्टुअर्ट पिग्गट ने पुरोहित वर्ग का शासन माना हैं।
सिंधुघाटी सभ्यता की सामाजिक व्यवस्था:-
- मातृदेवी की पूजा तथा मुहरों पर अंकित चित्रों से यह स्पष्ट होता है कि सिंधु सभ्यता कालीन समाज संभवतः मातृसत्तात्मक था।
- समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार था। सिंधु सभ्यता का समाज चार वर्गों में विभाजित था- 1.योद्धा 2. पुरोहित 3. व्यापारी 4.श्रमिक ।
- श्रमिकों की स्थिति का आकलन करके व्हॉलर में दास प्रथा का अस्तित्व स्वीकार किया है। सिंधु समाज के लोग सूती और ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रयोग करते थे।
- सिधु सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन ग्रहण करते थे।
- स्त्रियाँ सौंदर्य पर काफी ध्यान देती थी। काजल, लिपिस्टिक, आइना की आदि के साक्ष्य हैं जो सभ्यता से मिले हैं।
- आभूषणों का प्रयोग स्त्री एव पुरुष दोनों करते थे। आभूषणों में चूड़ियाँ कर्णफूल, हार, अंगूठी, मनर्क आदि प्रयोग किए जाते थे।
- हड़प्पाई लोगों के मनोरंजन के साधन चौपड़ तथा पासा खेलना शिकार खेलना मछली पकड़ना पशु-पक्षियों को लड़ाना इत्यादि थे। धार्मिक उत्सव एवं समारोह समय-समय पर धूमधाम से मनाए जाते थे।
- अमीर लोग सोने चांदी हाथी दांत के हार, कंगन, अंगूठी कान के आभूषण का प्रयोग करते थे। गरीब लोग सोपियों हड्डियों ताँबे पत्थर इत्यादि के बने आभूषणों का प्रयोग करते थे। सिंधु सभ्यता के लोग मृतकों का दाह संस्कार करते थे। मृतकों को जलाने और दफनाने दोनों प्रकार के अवशेष मिलते हैं।
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सिंधुघाटी सभ्यता की धार्मिक व्यवस्था:-
- मैचव लोगों की धार्मिक मान्यता के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती, फिर भी मूर्तिकाओं मुद्भाडो आदि के आधार पर अनुमान लगाया जाता है।
- धार्मिक दृष्टिकोण का आधार लौकिक तथा व्यावहारिक था। मूर्तिपूजा का आरंभ संभवतः सैंधव सभ्यता से ही माना जाता है।
- सिंधु सभ्यता के लोग मातृदेवी पुरुष देवता (पशुपति नाथ) लिंग-योनि, पशु, जल आदि को पूजा करते थे।
- पशु पूजा के अंतर्गत कूबड़ वाला साँड़ इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर तीन मुख वाला एक पुरुष ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ है। उसके सिर पर तीन लोग हैं। उसके बाई और एक गैंडा और भैंसा तथा दाई और एक हाथी, एक व्याघ्र और एक हिरण है। इसे पशुपति शिव की संज्ञा दी गई है।
- हड़प्पा सभ्यता से स्वास्तिक और चक्र के भी साक्ष्य मिलते हैं। स्वास्तिक और चक्र सूर्य पूजा के प्रतीक थे। .
- कालीबंगा से हवन कुंड प्राप्त हुए हैं जो धार्मिक विश्वास के घोतक है। लोथल, कालीबंगा एवं बनवाली से प्राप्त अग्नि वेदिकाओं से पता चलता है कि इस सभ्यता के लोग अग्नि पूजा करते थे।
- कुछ मुद्धांडों पर नाग की आकृतियाँ प्राप्त हुई है, जिससे अनुमान लगाया जाता है कि नाग पूजा का भी प्रचलन था।
- हड़प्पा से प्राप्त एक मृणमूर्तिका के गर्भ से एक पौधा निकलता दिखाया गया है, जो उर्वरता को देवी का प्रतीक है।
सिंधुघाटी सभ्यता की आर्थिक व्यवस्था:-
- सिंधु सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान थी, किंतु पशुपालन और व्यापार भी प्रचलन में थे। इस सभ्यता के लोग जो चावल कपास व सब्जियों का उत्पादन करते थे।
- सर्वप्रथम कपास उत्पादन का श्रेय सिधु सभ्यता के लोगों को ही प्राप्त है। यूनानियों ने इसे 'सिडोन' नाम दिया। हडप्पाई लोग संभवतः लकड़ी के इलों का प्रयोग करते थे। फसल काटने के लिए पत्थर के हसियों को प्रयोग में लाया जाता था।
- पशुपालन कृषि का सहायक व्यवसाय था। लोग गाय, बैल, भैंस, हाथी ऊँट, भेड़ बकरी मूअर और कुत्ते को पालतू बनाते थे।
- वाणिज्य व्यापार बैलगाड़ी और नावों से संपन्न होता था। हड़प्पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल सैंधव काल के प्रमुख व्यापारिक नगर थे।
- सिंधु सभ्यता का व्यापार सिंधु क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था, अपितु मिस्त्र, मेसोपोटामिया और मध्य एशियाई देशों से भी होता था।
हडप्पा सभ्यता में आयात होने वाली वस्तुएँ और उनके मिलने का स्थान-
- टिन - अफगानिस्तान और ईरान से
- सोना - ईरान से
- चाँदी - अफगानिस्तान और ईरान से
- सीसा - अफगानिस्तान, राजस्थान तथा ईरान
- सेलखड़ी - गुजरात, राजस्थान तथा बलूचिस्तान
- ताँबा - बलूचिस्तान और राजस्थान के खेतड़ी से
- लाजवई - मणि, मेसोपोटामिया
सिंधुघाटी सभ्यता के अंतर्गत आने वाले सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था की सभी व्यवस्थाओ जैसे राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था, धार्मिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था को हमने जाना. उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगी हो, कृपया आप सिंधुघाटी सभ्यता की व्यवस्था की इस जानकारी को अपने सहपाठियों के साथ शेयर जरूर करें.
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