कम्प्यूटर की पूरी संरचना (Computer Architecture or Structure in Hindi)

कम्प्यूटर की पूरी संरचना (Computer Architecture or Structure)

आज के इस पोस्ट में हम कंप्यूटर की पूरी सरंचना जैसे - इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के बारे में विस्तार से जानेंगे। वर्तमान समय में कंप्यूटर की उपयोगिता बहुत अधिक बढ़ गयी है। चाहे ऑफिस हो , स्कूल हो या सामाजिक संस्थान हों।

सभी जगह कंप्यूटर की अनिवार्यता होने लगी है। कंप्यूटर से हमारी दैनिक जीवन के अधिकतर कम आसान हो गए हैं। साथ ही कंप्यूटर को एक करियर के रूप में भी देखा जाने लगा है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS,RRB, NTPC,SSC,RAILWAY,BANKING PO, BANKING CLERK, IBPS इत्यादि में कंप्यूटर से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। कम्प्यूटर की पूरी संरचना को जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें।

Computer Architecture in Hindi




कम्प्यूटर के विभिन्न भाग  एवं उनके मध्य सम्बन्ध को कम्प्यूटर की संरचना (Architecture) कहते हैं। लगभग सभी कम्प्यूटरों की संरचना एक ही तरह की होती है। 

कम्प्यूटर के प्रमुख तीन भाग होते हैं, जो निम्नलिखित हैं -

A. इनपुट यूनिट (Input Unit)

B. आउटपुट यूनिट (Output Unit)

C. सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) 



A. इनपुट यूनिट (Input Unit)

मनुष्य या किसी प्रोग्राम द्वारा दिए गए डेटा तथा निर्देशों को कम्प्यूटर में प्रविष्ट कराने के लिए जिन युक्तियों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें इनपुट युक्तियाँ (Input Unit) कहते हैं। कम्प्यूटर सिस्टम में इनपुट यूनिट के निम्नलिखित मुख्य कार्य होते हैं -

  • यूजर द्वारा दिए गए डेटा को कम्प्यूटर सिस्टम को उपलब्ध कराना।
  • यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को प्राप्त करना।
  • यूजर द्वारा दिए गए कमाण्डों को प्राप्त करना।

मुख्य इनपुट युक्तियाँ -

1. कीबोर्ड (Keyboard)

कीबोर्ड सबसे महत्त्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है। इससे कम्प्यूटर में डेटा या सूचनाएँ इनपुट कराई जाती हैं। इसमें कुंजियों (Keys) को दबाकर कोई निर्देश दिए जा सकते है।

कीबोर्ड (Keyboard)

कीबोर्ड में निम्न कुंजियों का प्रयोग किया जाता है -

वर्णमाला कुंजियाँ (Alphabet Keys) - इन कुजियों से अंग्रेजी और हिंदी अल्फाबेट के अक्षर टाइप किए जाते हैं। किसी अल्फाबेट कुंजी को अकेले दबाने पर छोटा अक्षर टाइप होता है तथा शिफ्ट बटन के साथ दबाने पर बड़ा अक्षर टाइप होता है। 

संख्या कुंजियाँ (Number Keys) - अल्फाबेट कुंजियों के ऊपर की पंक्ति में नम्बर कुंजियाँ होती हैं। इन कुंजियों से 0 से 9 तक के अंक टाइप किए जाते हैं। नम्बर्स टाइप करने के लिए कीबोर्ड में कुंजियों का एक अलग सेट भी होता है, जिसे न्यूमैरिक की-पैड (Numeric Key-Pad) कहा जाता है। जो की कीबोर्ड में दाहिने (right) तरफ होता है।

न्यूमैरिक की-पैड (Numeric Key-Pad) - यह कीबोर्ड के दाएँ भाग में कुंजियों का एक विशेष समूह होता है, जिससे केवल में न्यूमैरिक डेटा तैयार किया जाता है। इसको एक्टिवेट करने के लिए Num Lock बटन ON होना चाहिए।

एस्केप कुंजी (Escape Key) - इस कुंजी का उपयोग कुछ प्रोग्रामों से बाहर निकलने के लिए किया जाता है। Esc कंप्यूटर कीबोर्ड के ऊपरी-बाएँ कोने पर होती है।

फंक्शन कुंजियाँ (Function Keys) - F1 से F12 तक की कुंजियों को फंक्शन कुंजी कहते हैं। यह कुंजी Number Keys के उपर होता है। इनका प्रयोग कम्प्यूटर में चल रहे प्रोग्राम में परिभाषित विशिष्ट कार्यों के लिए किया जाता है।

कर्सर कण्ट्रोल कुंजियाँ (Cursor Control Keys) - इन कुंजियों पर तीर के चिह्न छपे होते हैं। किसी तीर की कुंजी को दबाने पर कर्सर उस पर छपे तीर की दिशा में एक स्थान आगे चला जाता है।

कण्ट्रोल कुंजी (Control Key) - इस कुंजी (Ctrl) का उपयोग कुछ विशिष्ट आदेश देने के लिए अन्य कुंजियों के साथ संयुक्त रूप से किया जाता है। Ctrl + C दबाने पर कोई चुनी हुई वस्तु या सामग्री क्लिप बोर्ड में Copy हो जाती है। कण्ट्रोल कुंजियों का उपयोग इसी प्रकार विभिन्न शॉर्टकट आदेश देने के लिए किया जाता है। कीबोर्ड पर दो Ctrl कुंजियाँ होती हैं। 

आल्ट कुंजी (Alt Key) - इस कुंजी का उपयोग भी कण्ट्रोल कुंजी की तरह कुछ शॉर्टकट आदेशों में किया जाता है। कीबोर्ड पर दो Alt कुंजियाँ होती हैं। 

एन्टर कुंजी (Enter Key) - इसे रिटर्न (Return) कुंजी (Key) भी कहा जाता है। यह हमारे द्वारा तैयार दिए गए किसी आदेश को कम्प्यूटर में भेजने का कार्य करती है। कीबोर्ड पर दो एन्टर कुंजियाँ होती हैं। 

शिफ्ट कुंजियाँ (Shift Keys) - इन कुंजियों का उपयोग टाइप करते समय अक्षरों को बड़ा टाइप करने या किसी कुंजी पर दो चिह्न छपे हैं, तो शिफ्ट के साथ दबाने पर ऊपर का चिह्न टाइप होता है। कीबोर्ड पर दो शिफ्ट कुंजियाँ होती हैं। 

बैक स्पेस कुंजी (Back Space Key) - इसे दबाने (click) करने पर कर्सर से बाईं ओर (left) का टैक्स्ट Delete हो जाता है। 

कैप्सलॉक कुंजी (Caps Lock Key) - इस कुंजी को एक्टिवेट कर देने पर छोट अक्षर बड़े अक्षरों में टाइप होते हैं। अतः इस कुंजी का प्रभाव केवल अल्फाबेट कुंजियों (alphabet keys) पर पड़ता है। 

अन्य कुंजियाँ (Other Keys) - कीबोर्ड पर कई अन्य कुंजियाँ भी होती हैं; जैसे - Pause Break, Print Screen, Scroll Lock, Delete, Page UP, Page Down, Home, End, Insert, Tab आदि। इनका उपयोग विशेष कार्यों के लिए होता है।



2. प्वॉइण्टिंग युक्तियाँ (Pointing Devices) 

प्वॉइण्टिंग युक्तियों का उपयोग मॉनीटर की स्क्रीन पर कर्सर या प्वॉइण्टर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है। कुछ मुख्य रूप से प्रयोग में आने वाली प्वॉइण्टिंग युक्तियाँ; जैसे-माउस, ट्रैकबॉल, जॉयस्टिक, लाइट पेन और टच स्क्रीन आदि हैं। 

(i) माउस (Mouse)

माउस एक प्रकार की Pointing Device है। इसका प्रयोग कर्सर या प्वाइण्टर को एक स्थान-से-दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए करते हैं। इसके अतिरिक्त माउस का प्रयोग कम्प्यूटर में ग्राफिक्स (Graphics) की सहायता से कम्प्यूटर को निर्देश (Instructions) देने के लिए करते हैं।

माउस (Mouse)

(ii) ट्रैकबॉल (Trackball)

ट्रैकबॉल एक प्रकार की वॉइण्टिंग युक्ति है, जिसे माउस की तरह प्रयोग किया जाता है। इसमें एक बॉल ऊपरी सतह पर होती है। इसका प्रयोग कर्सर के मूवमेण्ट (Movement) को कण्ट्रोल करने के लिए किया जाता है।

(iii) जॉयस्टिक (joystick)

यह सभी दिशाओ में भूव करती है और कर्सर के मूवमेण्ट को कण्ट्रोल करती है। जॉयस्टिक का प्रयोग फ्लाइट सिम्युनेटर ( Flight simulator ), कम्प्यूटर गेमिंग , CAD / CAM सिस्टम में किया जाता है। इसमें एक हैण्डल ( Handle ) लगा होता है, जिसकी सहायता से कर्सर के मूवमेण्ट को कण्ट्रोल करते हैं।

जॉयस्टिक (joystick)
जॉयस्टिक (joystick)

(iv) लाइट पेन (Light Pen)

लाइट पेन जो की नार्मल पेन जैसा ही होता है, एक पॉइंटिंग इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग मोबाइल या कंप्यूटर में Drawings बनाने के लिए, ग्राफिक्स बनाने के लिए और मेन्यु चुनाव के लिए करते है।

(v) टच स्क्रीन (Touch Sereen)

टच स्क्रीन एक प्रकार की इनपुट युक्ति है, जो उपयोगकर्ता से तब इनपुट लेता है जब उपयोगकर्ता अपनी अंगुलियों को कम्प्यूटर स्क्रीन पर रखता है। 

टच स्कीन का प्रयोग सामान्यतः निम्न अनुपयोगों (Applications) में किया जाता है -

  • ए टी एम (ATM) में,
  • एयरलाइन आरक्षण (Airline Reservation) में,
  • बैंक (Bank) में,
  • सुपर मार्केट (Super Market) में,
  • मोबाइल (Mobile) में।

3. बार कोड रीडर (Bar code Reader) 

Bar code Reader

बारकोड एक डिजिटल कोड होता है, इसका उपयोग पैकेजिंग वस्तु के ऊपर होता है। बार कोड काली ओर सफेद पट्टी वाली खंभे की आकृति जैसी बहुत सारी पट्टियां होती है.उनकी चौड़ाई ओर दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से इनके अंदर कुछ सूचनाएं रहती है जो हमको दिखाई नही देती है। सफेद और काली पट्टियों के नीचे कुछ अंक रहते है जैसे 0123456789012 । 

बार कोड रीडर से प्रकाश की किरण निकलती है, फिर उस किरण को बार कोड इमेज पर रखते हैं। बार कोड रीडर में एक लाइट सेन्सिटिव डिटेक्टर होता है, जो बार कोड इमेज को दोनों तरफ से पहचानता है। एक बार ये कोड पहचानने के बाद इसे सांख्यिक कोड (Numeric Code) में परिवर्तित करता है। बार कोड रीडर का ज्यादा प्रयोग सुपर मार्केट में किया जाता है, जहाँ पर बार कोड रीडर के द्वारा आसानी से किसी उत्पाद का मूल्य रीड किया जाता है। बार कोड गाढ़ी और हल्की स्याही की ऊर्ध्वाधर रेखाएँ हैं, जो सूचना के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं तथा मशीन इसे आसानी से पढ़ लेती है।

4. ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader-OMR)

Optical Mark Reader-OMR

ऑप्टिकल मार्क रीडर एक प्रकार की इनपुट युक्ति है, जिसका प्रयोग किसी कागज पर बनाए गए चिह्नों को पहचानने के लिए किया जाता है। यह कागज पर प्रकाश की किरण छोड़ता है और प्रकाश की किरण जिस चिह्न पर पड़ती है, उस चिह्न को OMR रीड करके कम्प्यूटर को इनपुट दे देता है। OMR की सहायता से विभिन्न परीक्षाओं के वस्तुनिष्ठ प्रकार (Objective Type) की उत्तर पुस्तिका की जाँच की जाती है। इसकी सहायता से हजारों प्रश्नों का उत्तर बहुत ही कम समय में आसानी से जाँचा जा सकता है।

5. ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (Optical Character Recognition-OCR) 

Optical Character Recognition

यह ओ एम आर (OMR) का ही कुछ सुधरा हुआ रूप होता है। यह केवल साधारण चिह्नों को ही नहीं, बल्कि छापे गए या हाथ से साफ-साफ लिखे गए अक्षरों को भी पढ़ लेता है। यह प्रकाश स्रोत की सहायता से कैरेक्टर की शेप को पहचान लेता है। इस तकनीक को ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (optical character recognition) कहा जाता है। इसका उपयोग पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में किया जाता है। इसका प्रयोग कई अनुप्रयोगों; जैसे-टेलीफोन, इलेक्ट्रीसिटी बिल, बीमा प्रीमियम आदि को पढ़ने में किया जाता है।

6. मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर (Magnetic Ink Character Reader-MICR) 

Magnetic Ink Character Reader

MICR सूचनाओं के आकार का परीक्षण मैट्रिक्स के रूप में करता है, उसके बाद उसे रीड करता है और रीड करने के बाद सूचनाओं को कम्प्यूटर में भेजता है। सूचनाओं में कैरेक्टर एक विशेष इंक से छपे होते हैं, जिसमें आयरन कण (Iron Particles) होते हैं, जिन्हें मैग्नेटाइज (Magnetise) किया जा सकता है। इस प्रकार की स्याही को चुम्बकीय स्याही कहते हैं। इसका प्रयोग बैंकों में चेक में नीचे छपे मैग्नेटिक एनकोडिंग संख्याओं को पहचानने और प्रोसेस करने के लिए किया जाता है।



7. स्मार्ट कार्ड रीडर (Smart Card Reader)

Smart Card Reader

स्मार्ट कार्ड रीडर एक युक्ति है, जिसका प्रयोग किसी स्मार्ट कार्ड के माइक्रो प्रोसेसर को एक्सेस करने के लिए किया जाता है।

स्मार्ट कार्ड रीडर दो प्रकार के होते हैं -

(i) मेमोरी कार्ड - मेमोरी कार्ड में नॉन-वॉलेटाइल मेमोरी स्टोरेज कम्पोनेण्ट होता है, जो डेटा को स्टोर करता है। 

(ii) माइक्रो प्रोसेसर कार्ड - माइक्रो प्रोसेसर कार्ड में वॉलेटाइल मेमोरी और माइक्रो प्रोसेसर कम्पोनेण्ट्स दोनों होते हैं।

कार्ड सामान्यतः प्लास्टिक से बना होता है। स्मार्ट कार्ड का प्रयोग बड़ी कम्पनियों और संगठनों में सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाता है। 

8. बायोमैट्रिक सेन्सर (Biometric Sensor)

इसका प्रयोग किसी व्यक्ति की उँगलियों के निशान को पहचानने के लिए करते हैं। बायोमैट्रिक सेन्सर का मुख्य प्रयोग सुरक्षा के उद्देश्य से करते हैं।

9. स्कैनर (Scanner)

स्कैनर (Scanner)

स्कैनर का प्रयोग पेपर पर लिखे हुए डेटा या छपे हुए चित्र (Image) को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए करते हैं। यह एक ऑप्टिकल इनपुट युक्ति है जो इमेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलने के लिए प्रकाश स्कैनर को इनपुट की तरह प्रयोग करता है और फिर चित्र को डिजिटल रूप में बदलने के बाद कम्प्यूटर में भेजता है। स्कैनर का प्रयोग किसी दस्तावेज (Documents) को उसके वास्तविक रूप में स्टोर करने के लिए किया जा सकता है, जिससे उसमें आसानी से कुछ बदलाव किया जा सके। 

स्कैनर निम्न प्रकार के होते हैं -

  • हैण्ड हेल्ड स्कैनर (Hand Held Scanner) 
  • फ्लैटबेड स्कैनर (Flatbed Scanner)
  • ड्रम स्कैनर (Drum Scanner)

10. माइक्रोफोन (Microphone-Mic) 

Microphone-Mic

माइक्रोफोन एक प्रकार का इनपुट युक्ति है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर को साउण्ड के रूप में इनपुट देने के लिए किया जाता है। माइक्रोफोन आवाज को प्राप्त करता है तथा उसे कम्प्यूटर के फॉर्मेट (Format) में परिवर्तित करता है, जिसे डिजिटाइज्ड साउण्ड या डिजिटल ऑडियो भी कहते हैं। माइक्रोफोन में आवाज को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए एक सहायक हार्डवेयर की आवश्यकता पड़ती है। इस सहायक हार्डवेयर को साउंड कार्ड कहते हैं। आजकल माइक्रोफोन का प्रयोग स्पीच रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (Speech Recognition Software) वाइस टाइपिंग के साथ भी किया जाता है अर्थात् इसकी सहायता से हमें कम्प्यूटर में टाइप करने की जरूरत नहीं पड़ती।

11. वेब कैमरा (Webcam or Web Camera) 

वेब कैमरा - Webcam

वेबकैम एक प्रकार की वीडियो कैप्चरिंग (Capturing) युक्ति है। यह एक डिजिटल कैमरा है जिसे कम्प्यूटर के साथ जोड़ा जाता है। इसका प्रयोग वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग और ऑनलाइन चैटिंग या टीचिंग आदि कार्यों के लिए किया जाता है।


B. आउटपुट यूनिट (Output Unit)

आउटपुट युक्ति का प्रयोग सीपीयू से प्राप्त परिणाम को देखने अथवा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आउटपुट युक्ति, आउटपुट को हार्ड कॉपी अथवा सॉफ्ट कॉपी के रूप में प्रस्तुत करती है। सॉफ्ट कॉपी वह आउटपुट होता है, जो उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर के मॉनीटर पर दिखाई देता है अथवा स्पीकर में सुनाई देता है। जबकि हार्ड कॉपी वह आउटपुट होता है, जो उपयोगकर्ता को पेपर पर प्राप्त होता है। कुछ प्रमुख आउटपुट युक्तियाँ निम्न हैं जो आउटपुट को हार्ड कॉपी या सॉफ्ट कॉपी के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

1. मॉनीटर (Monitor) 

Monitor

मॉनीटर को विजुअल डिस्प्ले युक्ति (Visual Display Device) भी कहते हैं। मॉनीटर सीपीयू से प्राप्त परिणाम को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है। मॉनीटर पर चित्र छोटे-छोटे बिन्दुओं (Dots) से मिलकर बनता है। इन बिन्दुओं को पिक्सल (Pixels) के नाम से भी जाना जाता है।

कुछ प्रमुख प्रयोग में आने वाले मॉनीटर निम्न हैं -

  1. कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube-CRT) 
  2. एल सी डी (Liquid Crystal Display-LCD)
  3. एल ई डी (Liquid/Light Emitted Diode-LED) 
  4. 3D मॉनीटर
  5. टी एफ टी (Thin Film Transistor TFT) 

2. प्रिण्टर्स (Printers) 

प्रिण्टर्स (Printers)

प्रिण्टर्स एक प्रकार का आउटपुट युक्ति है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर से प्राप्त डेटा और सूचना को किसी कागज पर प्रिण्ट करने के लिए करते हैं। यह Black and White के साथ-साथ कलर डॉक्यूमेण्ट को भी प्रिण्ट कर सकता है।

प्रिण्टर को दो भागों में बाँटा गया है -

  1. इम्पैक्ट प्रिण्टर (Impact Printer) 
  2. नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर (Non-Impact Printer)

(1) इम्पैक्ट प्रिण्टर (Impact Printer)

यह प्रिण्टर टाइपराइटर की तरह कार्य करता है। इसमें अक्षर छापने के लिए छोटे-छोटे पिन या हैमर्स होते हैं। इन पिनों पर अक्षर बने होते हैं। ये पिन स्याही से लगे हुए रीबन (Ribbon) और उसके बाद पेपर पर प्रहार करते हैं, जिससे अक्षर पेपर पर छप जाते हैं। इम्पैक्ट प्रिण्टर एक बार में एक कैरेक्टर या एक लाइन प्रिष्ट कर सकता है। ये प्रिण्टर दूसरे प्रिण्टर्स की तुलना में सस्ते होते हैं और प्रिटिंग के दौरान आवाज अधिक करते हैं, इसलिए इनका प्रयोग कम होता है।

इम्पैक्ट प्रिण्टर निम्न प्रकार के होते हैं -

  • डॉट मैट्रिक्स प्रिण्टर्स (Dot Matrix Printers)
  • डेजी व्हील प्रिण्टर्स (Daisy (Daisy Wheel Printers)
  • लाइन प्रिण्टर्स (Line Printers)
  • ड्रम प्रिण्टर्स (Drum Printers)

(2) नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर (Non-Impact Printer) 

ये प्रिण्टर कागज पर प्रहार नहीं करते, बल्कि अक्षर या चित्र प्रिण्ट करने के लिए स्याही की फुहार कागज पर छोड़ते हैं। नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर प्रिण्टिग में इलेक्ट्रोस्टैटिक केमिकल और इंकजेट तकनीकी का प्रयोग करते हैं।

नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर निम्न प्रकार के होते हैं  -

  • इंकजेट प्रिण्टर (Inkjet Printer)
  • धर्मल प्रिण्टर (Thermal Printer)
  • लेजर प्रिण्टर (Laner Printer)
  • इलेक्ट्रो मैग्नेटिक प्रिण्टर (Electru Magnetic Printer)
  • इलेक्ट्रो स्टैटिक प्रिण्टर (Electro Statie Printer)


3. प्लाटर (Plotter)

प्लाटर

प्लॉटर एक कंप्यूटर हार्डवेयर डिवाइस है जो प्रिंटर की तरह होता है जो वेक्टर ग्राफिक्स को प्रिंट करने के लिए उपयोग किया जाता है। प्लॉटर एक प्रिंटर की तुलना में बड़े ग्राफिक्स प्रिंट कर सकता है। इसमें ड्रॉइंग बनाने के लिए प्लॉटर पेन, पेन्सिल, मार्कर आदि राइटिंग टूल का प्रयोग होता है।

प्लॉटर मुख्यतः दो प्रकार के होते है -

  1. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter) 
  2. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter) 

4. हेड फोन्स (Head Phones) 

Head Phones

इस युक्ति को सिर पर पहना जा सकता है, जिससे दोनों स्पीकर कान के ऊपर आ जाते हैं। इसलिए इसकी आवाज सिर्फ इसे पहनने वाला व्यक्ति ही सुन सकता है। किसी-किसी हेड फोन हैड फोन के साथ माइक भी लगा होता है, जिससे सुनने के साथ-साथ बात भी की जा सकती है। इस उपकरण का प्रयोग प्रायः टेलीफोन ऑपरेटरों, कॉल सेण्टर ऑपरेटरों, कमेण्टेटरों आदि द्वारा किया जाता है।

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5. स्पीकर (speaker) 

computer speaker

यह एक प्रकार की आउटपुट युक्ति है, जो कम्प्यूटर से प्राप्त आउटपुट को आवाज के रूप में सुनाती है। यह कम्प्यूटर से डेटा विद्युत धारा (Electric Current) के रूप में प्राप्त करता है। कंप्यूटर या ऑडियो receiver के द्वारा यह इनपुट प्राप्त करता है। इनपुट दो प्रकार का हो सकता analog या digital, एनालॉग स्पीकर आसानी से एनालॉग electromagnetic तरंगों को ध्वनि तरंगों में बदल सकता है।

6. प्रोजेक्टर (Projector) 

Projector

इस डिवाइस का प्रयोग कम्प्यूटर से प्राप्त सूचना या डेटा को एक बड़ी स्क्रीन पर देखने के लिए करते हैं। इसकी सहायता से एक समय में बहुत सारे लोग एक समूह में बैठकर कोई परिणाम देख सकते हैं। इसका प्रयोग क्लास रूम, ट्रेनिंग या एक बड़े कॉन्फ्रेन्स हॉल में ज्यादा संख्या में दर्शक हों, जैसी जगहों पर किया जाता है।


C. सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit)

CPU Central Processing Unit

कम्प्यूटर में किए जाने वाले सभी कार्य सी पी यू (CPU) के द्वारा किए जाते हैं। यह कम्प्यूटर का वह भाग होता है, जिसमें अरिथमैटिक और लॉजिकल ऑपरेशन्स (Arithmetic and Logical operations) निष्पादित होते हैं तथा निर्देश (Instructions) डिकोड और एक्जीक्यूट किए जाते हैं। सी पी यू कम्प्यूटर के सम्पूर्ण ऑपरेशन्स (Operations) को नियन्त्रित करता है। सी पी यू को कम्प्यूटर का मस्तिष्क और माइकोप्रोसेसर कहा जाता है।

सी पी यू के प्रमुख तीन अवयव निम्न हैं -

1. कण्ट्रोल यूनिट (CONTROL Unit-CU)

यह सी पी यू का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। यह कम्प्यूटर के यू सभी भागों के कार्यों पर नजर रखता है और उनमें परस्पर तालमेल बैठाने के लिए उचित आदेश भेजता है। इसका सबसे प्रमुख और पहला कार्य यह है कि हम जिस प्रोग्राम का पालन कराना चाहते हैं, यह उसे मेमोरी में से क्रमशः पढ़कर उसका विश्लेषण (Analysis) करता है।

2. अरिथमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit-ALU) 

सी पी यू के लिए सभी प्रकार की अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़ना, घटाना, गुणा करना तथा भाग देना) और तुलनाएँ (दो संख्याओं में यह बताना कि कौन-सी छोटी या बड़ी है अथवा दोनों बराबर है) इसी अवयव में की जाती है। यह अवयव कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक परिपथों से बनी होती है, जिनमें एक ओर से कोई दो संख्याएँ भेजने पर दूसरी ओर से उनका योग, अन्तर, गुणनफल या भागफल प्राप्त हो जाता है। इसमें सारी क्रियाएँ बाइनरी पद्धति में की जाती हैं। प्राप्त होने वाली संख्याओं तथा क्रियाओं के परिणामों को अस्थायी रूप से स्टोर करने या रखने के लिए इसमें कई विशेष बाइटें होती हैं, जिन्हें रजिस्टर्स (Registers) कहा जाता है।

3. मेमोरी (memory)

मेमोरी कम्प्यूटर का वह भाग है, जिसमें सभी डेटा व प्रोग्राम स्टोर किए जाते हैं।

मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है -

  1. मुख्य मेमोरी (Main Memory) या प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)
  2. द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory) और ऑजिलयॉरि मेमोरी (Auxiliary Memory) 

(1) मुख्य मेमोरी (Main Memory) या प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory) -

  • RAM (Random Access Memory)
  • ROM (Read Only Memory)
Random Access Memory
RAM (Random Access Memory)
Read Only Memory
ROM (Read Only Memory)
जानें- MS ECXEL सारे SHORTCUT KEYS.

(2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory) और ऑजिलयॉरि मेमोरी (Auxiliary Memory) 

  • फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)
  • हार्ड डिस्क (Hard Disk)
  • मेमोरी स्टिक (Memory Stick)
  • कॉम्पैक्ट डिस्क (Compact Disk-CD)
  • डी वी डी (Digital Video Disc-DVD)
  • ब्लू-रे डिस्क (Blu-ray Disc-BD)
  • पेन/थंब/फ्लैश ड्राइव (Pen/Thumb/Flash Drive)
  • मैग्नेटिक टेप (Magnetic Tape)
Digital Video Disc
Digital Video Disc
हार्ड डिस्क (Hard Disk)
हार्ड डिस्क (Hard Disk)

आज के इस पोस्ट में हमने कम्प्यूटर की पूरी संरचना के बारे में जाना। कंप्यूटर  के बिना वर्तमान जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। कंप्यूटर सभी क्षेत्रों में अपना पैर जमा चूका है। कंप्यूटर में आप अपना भविष्य भी बना सकते हैं।इस पोस्ट में कंप्यूटर के विभिन्न पार्ट्स के बारे में भी बताया गया है। जो एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता को अवश्य जानना चाहिए।
उम्मीद करता हूँ कि कम्प्यूटर की पूरी संरचना का यह पोस्ट आपके लिये उपयोगी साबित होगी,अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।

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