भारत में परमाणु ऊर्जा (Nuclear Power in India)
अनुसंधान एवं विकास केन्द्र (R&D Center)
परमाणु ऊर्जा और उससे जुड़े विषयों में अनुसंधान के प्रमुख केन्द्र हैं : -
- भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC), मुम्बई
- इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र (IGCAR), कल्पाक्कम, तमिलनाडु
- राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र (RRCAT), इन्दौर
- परिवर्ती उर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र (VECC), कोलकाता
- भारत में स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (INO)
- परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (AMD), हैदराबाद
परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन सरकारी क्षेत्र के चार उपक्रम हैं :
- न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड,
- यूरेनियम कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड,
- इण्डियन रेयर अर्थस लिमिटेड,
- इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड
परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy-DAE)
परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से दिनांक 3 अगस्त 1954 को की गई थी। यह विभाग प्रधानमंत्री के अधीन होता है। इसका मुख्यालय मुम्बई, महाराष्ट्र में है।
नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम (Nuclear Power Program)
परमाणु ऊर्जा विभाग तीन चरणों में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम चला रहा है :-
- पहले चरण में दाबित गुरुजल रिएक्टरों (पीएचडब्ल्यूआर) और उनसे जुड़े ईंधन-चक्र के लिए विधा को स्थापित किया जाना है। ऐसे रिएक्टरों में प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के रूप में तथा गुरुजल को मॉडरेटर एवं कूलेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- दूसरे चरण में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर बनाने का प्रावधान है, जिनके साथ पुनरू प्रसंस्करण संयंत्र और प्लूटोनियम-आधारित ईंधन संविचरण संयंत्र भी होंगे। प्लूटोनियम को यूरेनियम 238 के विखंडन से प्राप्त किया जाता है।
- तीसरा चरण थोरियम-यूरेनियम-233 चक्र पर आधारित है। यूरेनियम-233 को थोरियम के विकिरण से हासिल किया जाता है।
भारतीय परमाणु परीक्षण (Indian nuclear test)
भारत भी परमाणु शक्तियों में संपन्न है। 8 मई 1974 को पहला भूमिगत परिक्षण स्माइलिंग बुद्धा (पोखरण-1) को भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में किया था। भारत में 11 व 13 मई 1998 को बुद्ध-स्थल पर राजस्थान के पोखरण में दो तीन परमाणु विस्फोट होने से सारे विश्व में तहलका मच गया था।
परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy)
भारत में परमाणु ऊर्जा कार्पोरेशन लिमिटेड के अधीन सात परमाणु निर्माण केन्द्र (अणु ऊर्जा बिजलीघर) चल रहे हैं। जिसमें 6780 मेगावाट विद्युत उत्पादित करने वाले 21 नाभिकीय विद्युत प्लांट (रिएक्टर) संचालित हैं। जिनमे से कुछ प्रमुख नाम -
- तारापुर - महाराष्ट्र
- रावतभाटा - राजस्थान
- कल्पक्कम - तमिलनाडु
- नरौरा - उत्तर प्रदेश,
- काकरापारा -गुजरात
- कैगा - कर्नाटक
- कुडनकुलम - तमिलनाडु
इसके अलावा कलपक्कम, काकरापार, रावतभाटा और कुडनकुलम में 6 और रिएक्टर निर्माणाधीन हैं।
नाभिकीय अपशिष्ट प्रबंधन (Nuclear Waste Management)
नाभिकीय ईधन चक्र के विभिन्न चरणों में उत्पन्न रेडियोधार्मी अपशिष्ट को कम, मध्यम तथा उच्च स्तर की श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। हर प्रकार के रेडियोधार्मी अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए कुछ ही देशों के पास है। इसे ट्रांबे में सफलतापूर्वक विकसित कर लिया गया है। परमाणु सुविधा केंद्रों पर संयंत्र कार्यरत हैं। वीट्रिफिकेशन एक जटिल तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है।
उच्च श्रेणी के अपशिष्टों का उत्पादन बहुत कम मात्रा में होता है और इन्हें वीट्रिफीकेशन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए शीशे के मैट्रिक्स में दबा दिया जाता है। इस प्रौद्योगिकी के आधार पर दो अपशिष्ट निश्चलन संयंत्र ट्रांबे और तारापुर में काम कर रहे हैं। सीमेंट मैट्रिक्स ने अपशिष्ट पर तारापुर में उच्च-स्तरीय अपशिष्ट को निरस्त करने के लिए एक आधुनिक (उन्नत) वीट्रिफिकेशन को दबा देने की एक सुविधा कलपक्कम में प्रारंभ की गई है। बार्क जूल मेल्टर प्रौद्योगिकी के आधार सिरमिक मिक्सर बना लिया है और उच्च स्तरीय अपशिष्ट के वीट्रिफिकेशन के लिए ऐसे संयंत्र लगाए प्रणाली का निर्माण कर रहा है।
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