भारत की सभी नदियों की विस्तृत जानकारी | Detailed information of all rivers of India in Hindi ।

भारत की प्रमुख नदियां  (major rivers of india)

आज के इस पोस्ट में भारत की प्रमुख नदियों के बारे में जानेंगे ।इतिहास साक्षी है कि मानव का विकास नदियों के किनारे हुआ है। नदियां प्रकृति की सबसे महत्वपूर्ण उपहारों में से एक है।भारत की प्रमुख नदियां major rivers of India प्रतियोगी परीक्षाओ की दृष्ठि से हमेशा से ही महत्वपूर्ण विषय बना रहा हैं. हर वर्ष भारत की प्रमुख नदियों के बारे में पुछा जाता हैं. और भारत की नदियों में विविधता ही भारत की नदियों को खास बनती हैं. हमने इस आर्टिकल में आपको भारत की प्रमुख नदियों के बारे में बताया है. भारत की प्रमुख नदियों को उत्तर भारतीय नदी तंत्र, दक्षिणी भारतीय नदी-तंत्र और पश्चिम की ओर प्रवाहित नदि तंत्र में बाटा गया हैं. इनके अंतर्गत आने वाले नदियों की विस्तृत जानकारी नीचे हैं:- 

भारत की सभी नदियों की विस्तृत जानकारी | Detailed information of all rivers of India in Hindi ।

भारत की प्रमुख नदियों को तीन भागो में बाँटा गया है- 

  • उत्तर भारतीय नदी तंत्र
  • दक्षिणी भारतीय नदी-तंत्र 
  • पश्चिम की ओर प्रवाहित नदि तंत्र 

उत्तर भारतीय नदी तंत्र:-

सिन्धु नदी(Indus River) :-

भारत की प्रमुख नदियों में सिन्धु नदी का स्थान सर्वोपरि हैं. तिब्बत में स्थित मानसरोवर झील के समीप कैलाश हिमानी इस नदी का उद्गम स्थल है। यह अपने उद्गम स्थल से आगे लद्दाख के लेह नगर से होकर बहती है। जिसमें आगे चलकर कारकोरम दर्रे के पास जास्कर नदी से मिलती है। दायीं ओर इसमें काबुल नदी मिलती है। सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 3880 किलोमीटर है। भारत में इसका प्रवाह मार्ग 1134 किलोमीटर का है इस नदी से 1,17,884 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र (भारत का) लाभान्वित होता है। सिन्धु नदी भारत और पाकिस्तान में प्रवाहित होती हुई अरब सागर में गिरती है।

सतलज नदी(Sutlej River) :- 

सतलज नदी का उद्गम कैलाश श्रेणी के दक्षिणी ढाल पर स्थित मासरोवर झील के निकट राक्षस ताल (4630 मीटर) से होता है। यही दरमा दर्रा स्थित है। सतलज सिन्धु की प्रमुख सहायक नदी है। राक्षस झील की समुद्रतल से ऊँचाई 4,630 मीटर है। भारत में इस नदी की लम्बाई 1,050 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 2,40,000 वर्ग किलोमीटर है। भाखड़ा और नांगल पर बने बांध के कारण यह नदी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। संस्कत में इसका नाम 'शतुदु' या 'शतुदी' है। 

चिनाव नदी(Chenab River) :- 

यह सिन्धु की सहायक नदियों में सर्वाधिक लम्बी है। हिमाचल प्रदेश में लाहुल में स्थित टाण्डी के समीप बारालाचा दर्रा इस नदी का उद्गम स्थल है। यहीं यह चन्द्रा एवं भागा नामक धाराओं से मिलकर बनी है। बारालाचा दर्रा की समुद्रतल से ऊँचाई 4,480 मीटर है। भारत में चिनाव नदी की लम्बाई 1,180 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 26,755 किलोमीटर है। इस नदी का नाम संस्कत में 'अस्कनी' या 'चन्दभागा' है।

पढ़ें- भारत के प्रमुख दर्रे।

रावी नदी(ravi river)  :-

भारत की प्रमुख नदियों के अंतर्गत रावी नदी भी सिन्धु की एक प्रमुख सहायक नदी है। पीरपंजाल तथा धौलाधर श्रेणियों के बीच स्थित बंगाल बेसिन इस नदी का उद्गम-स्थल है। रावी नदी पंजाब की एक छोटी नदी है। परीक्षा में यह सवाल पूछा जाता हैं की – रावी नदी को और किस नाम से जाना जाता हैं? इसका जवाब हैं - रावी नदी को लाहौर की नदी के नाम से भी जाना जाता है। बंगालह बेसिन समुद्रतल से 4.570 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भारत में रावी नदी की लम्बाई 725 किलोमीटर है और इसका अपवाह क्षेत्र 5,957 वर्ग किलोमीटर है। इस नदी का नाम संस्कत में 'परूष्णी' अथवा 'इरावती है। 

व्यास नदी(beas river)  :-

व्यास नदी सिन्धु की एक अन्य सहायक नदी है। व्यास पीरपंजाल इस नदी का उद्गम-स्थल है। पीरपंजाल की समुद्रतल से ऊँचाई 4062 मीटर है। भारत में व्यास नदी की लम्बाई 470 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 25,900 वर्ग किलोमीटर है। इस नदी का नाम संस्कत में 'विपाशा' हैं.

झेलम नदी(Jhelum River)  :- 

भारत में सिन्धु की सहायक नदियों में झेलम नदी सबसे छोटी है। जम्मू एवं कश्मीर में स्थित बेरीनाग जल-स्रोत इस नदी का उद्गम स्थल है। यह कश्मीर की एक प्रमुख नदी है। इस नदी की कुल लम्बाई 725 किलोमीटर है, जिसमें से 400 किलोमीटर भारत में स्थित है। भारत में झेलम का जल-ग्रहण क्षेत्र 28,490 वर्ग किलोमीटर है। इसका नाम संस्कत में 'वितस्ता' है। 

गंगा नदी(The River Ganges) :- 

गंगा नदी भारत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी-तंत्र है और इसके अन्तर्गत भारत का एक चौथाई से अधिक क्षेत्र आता है। इस नदी तंत्र की प्रमुख नदी गंगा है। गंगा में सहायक नदी के रूप में बायीं ओर से मिलने वाली नदियाँ हैं-रामगंगा, गोमती, घाघरा, ताप्ती. गण्डक और कोसी, जबकि दायीं ओर से आकर मिलने वाली नदियाँ हैं-यमुना, चम्बल, सिन्ध, बेतवा, केन, टोंस और सोन। 

उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री में गंगा का उद्गम स्थल है। गंगोत्री की समुद्रतल से ऊँचाई 7016 मीटर है। गंगा नदी की प्रारम्भ में दो शाखाएं हैं-भागीरथी और अलकनन्दा। भागीरथी को मुख्य शाखा माना जाता है। भागीरथी और अलकनन्दा का संगम देवप्रयाग में होता है। 

यमुना नदी(Yamuna river)  :- 

भारत की प्रमुख नदियों में यमुना नदी एकमात्र ऐसी नदी है, जो हिमालय से उतरकर गंगा में मिलती है। कुमायूँ क्षेत्र के बन्दरपूंछ शिखर पर स्थित यमुनोत्री हिमनद इस नदी का उद्गम-स्थल है। यमुनोत्री हिमनद की समुद्रतल से ऊँचाई 6,315 मीटर है। 152 किलोमीटर पर्वतीय मार्ग तय करने के बाद यह नदी कलेसर से मैदानी क्षेत्र में प्रविष्ट होती है। 

इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में यह नदी गंगा से मिल जाती है। यमुनोत्री से लेकर इलाहाबाद के बीच यमुना नदी की लम्बाई 1384 किलोमीटर है और इसका जलग्रहण क्षेत्र 3,59,000 वर्ग किलोमीटर है। चम्बल सिन्ध बेतवा और केन यन्ना की सहायक नदियाँ हैं। 

सोन नदी(Son river) :- 

सोन नदी गंगा की प्रमुख सहायक नदी है। अमरकंटक की पहाड़ी सोन नदी का उद्गम स्थल है। अमरकंटक पडाड़ी समुद्रतल से 600 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। अपने मार्ग में सोन नदी अनेक जलप्रपातों का निर्माण करती है। अमरकंटक से 780 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई यह नदी पटना के समीप रामनगर में गंगा में विलीन हो जाती है। इस नदी का जल-ग्रहण क्षेत्र 71,900 वर्ग किलोमीटर है। 

पढ़ें-भारत के 30 नदियों की सूची।

रामगंगा नदी(Ramganga River)  :- 

रामगंगा नदी गंगा में बायीं ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी है। रामगंगा उत्तरांचल के नैनीताल जिले से निकलती है। इसके उद्गम स्थल की समुद्र तल से ऊँचाई 3110 मीटर है। रामगंगा नदी पर्वतीय क्षेत्र में 144 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई शिवालिक श्रेणी में गहरी घाटी का निर्माण कर बिजनौर जिले के कालागढ़ के समीप मैदानी क्षेत्र में रामगंगा नदी प्रविष्ट होती है। और अंत में रामगंगा नदी इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में यह नदी गंगा से मिल जाती है। 

घाघरा नदी(Ghaghra River) :- 

भारत की प्रमुख नदियों में घाघरा नदी बायीं ओर से आकर मिलने वाली गंगा की प्रमुख सहायक नदी है जो कुमायूँ हिमालय के सिलम हिमानी से निकलती है। प्रारम्भ में इस नदी को शारदा या काली के नाम से जाना जाता है। पीलीभीत, खीरी, बहराइच, सीतापुर, गोण्डा, फैज़ाबाद, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़ और बलिया में प्रवाहित होती हुई बिहार के छपरा जिले में यह गंगा नदी से मिल जाती है। घाघरा नदी की लम्बाई 1080 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 1,27,500 वर्ग किलोमीटर है। इसका आधे से अधिक क्षेत्र नेपाल में पड़ता है। 

गण्डक नदी(Gandak River) :-

नेपाल और चीन की सीमा पर 7600 मीटर की ऊँचाई से निकलने वाली गण्डक नदी गंगा में बायीं और से आकर मिलने वाली सहायक नदियों में प्रमुख है। गण्डक नदी चम्पारन जिले के समीप बिहार में प्रविष्ट होती है। भारत की प्रमुख नदियों में से गण्डक नदी नदी बिहार तथा उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती हुई पटना जिले के सोनपुर के समीप गंगा में प्रविष्ट हो जाती है। काली गण्डक, बूढी गण्डक, त्रिशूली गण्डक आदि इसकी सहायक नदियाँ हैं। गण्डक नदी की लम्बाई. 425 किलोमीटर है और इस नदी का जल-ग्रहण क्षेत्र 45,800 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 9,540 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र नेपाल के अन्तर्गत है। 

गोमती नदी(gomti river) :- 

यह नदी पीलीभीत जिले के 200 मीटर ऊँचे गोमतताल से निकलती है। यह नदी पीलीभीत. खीरी, सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, सुल्तानपुर, जौनपुर, गाजीपुर में प्रवाहित होती हुई गाजीपुर में गंगा में समाहित हो जाती है।

कोसी नदी(Kosi River)  :-

कोसी नदी गंगा में बायीं ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी है। भारत की प्रमुख नदियों में से इस नदी को आरम्भिक क्षेत्र में 'अरूणा नदी के नाम से जाना जाता है, जो गोसाईनाथ के उत्तर में 6770 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। यह नदी प्रारम्भ में सात धाराओं-मिलाम्ची, भोटिया, कोसी, टाम्बाकासी, लिक्खू, दूध कोसी. अरूणा और तम्बूर में प्रवाहित होती है। इस नदी की कुल लम्बाई 730 किलोमीटर है तथा अपवाह क्षेत्र 86,900 वर्ग किमी है। इसे बिहार का शोक' (sorrow of Bihar) कहा जाता है। 

जानें- गंगा नदी के 40 रोचक तथ्य।

चम्बल नदी(Chambal River) :- 

चम्बल नदी उप-सहायक नदी है, क्योंकि यह यमुना की सहायक नदी है। मध्य प्रदेश की जनापाव पहाड़ी में 600 मीटर की ऊँचाई से यह नदी निकलती है। यह नदी कोटा, झालावाड़ (राजस्थान) भिण्ड, मोरेना (मध्य प्रदेश), आगरा तथा इटावा (उत्तर प्रदेश) होती हुई 965 किलोमीटर की दूरी तय कर इटावा के दक्षिणी भाग में यमुना नदी में समाहित हो जाती है। 

दामोदर नदी(Damodar River) :-

दामोदर नदी झारखण्ड के पलामू जिले के छोटा नागपुर पठार से निकलती है। कोनार और बाराकर इसकी सहायक नदियाँ हैं । बाराकर के मिल जाने के बाद दामोदर नदी वदाकार रूप धारण कर लेती है। लगभग 543 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह नदी हुगली में समाहित हो जाती है। दामोदर नदी का जल-ग्रहण क्षेत्र 22.000 वर्ग किलोमीटर है। भारत के प्रमुख नदियों में इसे 'बंगाल का शोक' कहा जाता है।

बेतवा नदी(Betwa River) :-

बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रैसेन जनपद के गोहारगंज के दक्षिण से निकलती है। गुना. शिवपुरी, झांसी और हमीरपुर जिले में प्रवाहित होती हुई हमीरपुर के समीप यमुना नदी से मिल जाती है। 

ब्रह्मपुत्र नदी(Brahmaputra River) :- 

ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों में जल की मात्रा के आधार पर सबसे बड़ी नदी है, किन्तु प्रवाह-क्षेत्र की दष्टि से ब्रह्मपुत्र नदी भारत की सबसे बड़ी नदी नहीं हैं। तिब्बत पठार में स्थित कैलाश पर्वत के पूर्वी ढाल पर 5150 मीटर की ऊँचाई से यह नदी निकलती है। इस नदी का प्रवाह क्षेत्र तिब्बत, बांग्लादेश और भारत में है। यह नामचाबरवा शिखर तक पूर्व दिशा में हिमालय के समानान्तर, प्रवाहित होती है, जिसे सांग-पो' (Psang Po) के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लम्बाई 2,580 किलोमीटर है, किन्तु भारत में यह मात्र 1346 किलोमीटर लम्बी है। इस नदी का कुल जल-ग्रहण क्षेत्र 5,80,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक है. जिसमें से भारत में 3,40,000 वर्ग किलोमीटर है। ब्रह्मपुत्र नदी को बांग्लादेश में जमुना कहते हैं।

दक्षिणी भारतीय नदी-तंत्र:-

दक्षिण और उत्तर की नदियों में एक मूलभूत अन्तर है-उत्तर भारत की नदियाँ बारहमासी हैं, जबकि दक्षिण भारत की नदियाँ बारहमासी नहीं हैं। बरसात के मौसम में तो उनमें पानी रहता है पर गर्मी और जाड़े के महीने में उनमें पानी का अभाव होता हैदक्षिण भारत की नदियाँ प्रायः प्रायद्वीपीय पठार से निकलती हैं और कुछ पूर्व की ओर तो कुछ पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं। पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस प्रकार की नदियों में प्रमुख:-

महानदी(Mahanadi) :- 

महानदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक के दक्षिण में सिहावा से निकलती है। आरम्भिक अवस्था में महानदी नदी उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है। सेवनाथ से मिलने के बाद यह पूर्व की ओर मुड़ जाती है और उसके बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है। सम्भलपुर के निकट वहदाकार हो जाती है और कटक के समीप बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व इसमें अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं। महानदी नदी की लम्बाई 885 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 1,32,090 वर्ग किलोमीटर है, जिनमें से लगभग 53% मध्य प्रदेश में और 46% उड़ीसा में है। 

गोदावरी नदी(Godavari River) :-

गोदावरी नदी प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे बड़ी तथा भारत की सभी नदियों में दूसरी सबसे बड़ी नदी है। यह नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले में सह्यद्रि श्रेणी से पूर्व में 1067 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित त्रयंबक स्थान से निकलती हैप्राणाहिता, इन्द्रावती, शबरी, मंजरा, पेनगंगा, वर्धा, वेनगंगाताल, मुला और पवरा इसकी सहायक नदियाँ हैं। धवलेश्वरम् के बाद गोदावरी दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है-पूर्वी शाखा गौतमी गोदावरी कहलाती है, गोदावरी नरसापुर नामक स्थान पर और वैष्णव गोदावरी नागरा नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। गोदावरी नदी की कुल लम्बाई 1465 किलोमीटर है, जबकि उसका जल-ग्रहण क्षेत्र 1,13,839 वर्ग किलोमीटर है। 

कृष्णा नदी(Krishna river) :- 

यह प्रायद्वीपीय भारत में पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली दूसरी सबसे बड़ी नदी है। जिसका उद्गम स्थल महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट में 1327 मीटर की ऊँचाई पर स्थित महाबलेश्वर से होता है। कष्णा की दस प्रमुख नदियाँ हैं । इसमें कोयला. मालप्रभा, घाटप्रभा. मूसी. पंचगंगा और दूधगंगा प्रमुख हैं। महाराष्ट्र को छोड़ने और आंध्र प्रदेश में प्रविष्ट होने के पूर्व कष्णा से भीमा मिलती है। आंध्र प्रदेश में कुर्नूल के निकट तुंगभद्रा मिलती है और हैदराबाद के दक्षिण में मूसी मिलती है। विजयवाड़ा से 65 किलोमीटर दूर पहुँचकर कष्णा के दो भाग हो जाते हैं व दक्षिणी भाग ओर भी अपने स्रोतों में बँट जाता है और अंततः मसुलीपट्टनम के समीप कष्णा समुद्र में विलीन हो जाती है। इस नदी की लम्बाई 1400 किलोमीटर और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 2,59,000 वर्ग किलोमीटर है।  

पढ़ें- भारत के झील सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य।

तुंगभद्रा नदी(Tungabhadra River) :-

तुंगभद्रा नदी कष्णा नदी-तंत्र का एक भाग होने के साथ ही एक प्रमुख नदी तंत्र भी है। पथक नदी के रूप में तुंगभद्रा की 6 सहायक नदियाँ (3 बड़ी व 3 छोटी) हैं। तुंगभद्रा का निर्माण दो श्रेणियों तुंगा' और 'भद्रा' के मिलने से होता है। 

भीमा नदी(Bhima River) :-

भीमा नदी भी कृष्णा नदी का एक भाग है और यह एक प्रमुख स्वतंत्र नदी भी है। यह दक्षिणी महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में प्रवाहित है। यह नदी विजयवाड़ा के नीचे डेल्टा का निर्माण करती है। इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 76,614 वर्ग किलोमीटर है।

सुवर्ण रेखा नदी(golden rekha river)  :-

भारत के प्रमुख नदियों केन अंतर्गत आने वाली नदियों में सुवर्ण रेखा नदी का उद्गम बिहार के छोटानागपुर का पठार पर स्थित रांची के दक्षिण-पश्चिम से होता है। यह नदी सामान्यतः पूर्व दिशा की ओर ही प्रवाहित होती है। यह सिंहभूमि (झारखण्ड), मयूरभंज (उड़ीसा) और मिदनापुर (पश्चिम बंगाल) में प्रवाहित होती है। सुवर्णरेखा नदी के लम्बाई 395 किलोमीटर है और सुवर्ण रेखा नदी का जल-ग्रहण क्षेत्र 36,300 वर्ग किलोमीटर है। 

ब्राह्मणी नदी(Brahmani River)  :-

ब्राह्मणी नदी का जन्म कोयल से होता है और गंगपुर के समीप इससे शेख नदी मिलती है। यह बोनाई, तालचर और बालासोर जिले में प्रवाहित होती है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से ब्राह्मणी में वैतरणी नदो मिलती है। वैतरणी : यह ब्राह्मणी की प्रमुख सहायक नदी है। उड़ीसा के केवनझार पठार से इस नदी का उद्गम होता है। 

पेन्नार नदी(pennar river) :-

पेन्नार नदी कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित नंदी दुर्ग पर्वत पर इस नदी का उद्गम स्थल है। इस नदी की दो शाखाएं हैं। 560 किलोमीटर लम्बी उत्तरी पेन्नार कुडप्पा, अनन्तपुर और नेल्लूर जिलों से होकर प्रवाहित होती है तथा नेल्लूर नगर के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 620 किलोमीटर लम्बी-दक्षिणी पेन्नार कर्नाटक के बैंगलोर जिले से होकर प्रवाहित होती है। तमिलनाडु के सेलम और दक्षिणी अर्काट जिलों से प्रवाहित होती हुई कुडालोर के उत्तर में बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 

कावेरी नदी(Kaveri River) :- 

कावेरी नदी कर्नाटक राज्य के कुर्ग जिले में मरकारा के निकट सह्यद्रि की ब्रह्मगिरी पहाड़ी से कावेरी नदी का उद्गम होता है। समुद्र में गिरने से पूर्व कावेरी नदी विशाल डेल्टा का निर्माण करती है। इस डेल्टा का 55% भाग तमिलनाडु में, 41% भाग कर्नाटक में और 3% भाग केरल में पड़ता है। कावेरी नदी की लम्बाई 805 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 80,290 वर्ग किलोमीटर है। कावेरी के प्रवाह मार्ग में दो बड़े जलप्रपातों का निर्माण होता है- शिवसमुद्रम् और होकेनागल। कावेरी नदी को 'दक्षिण की गंगा' कहते हैं। 

शरावती नदी(Sharavati River)  :-

इस नदी का उद्गम परिचमी घाट के एक उच्च पठार से होता है। जोग जलप्रपात' या 'गरसोपा जलप्रपात' के निर्माण के कारण शरावती नदी विश्व प्रसिद्ध है। 

ताम्रपर्णी नदी(Tamraparni River)  :-

नदी की एक विशेषता यह है कि इसका उद्गम और अन्त दोनों ही तिरूनेवेल्ली जिले में होता है। ताम्रपर्णी की कुल लम्बाई 120 किलोमीटर है और उसमें भी 24 किलोमीटर पहाड़ी ढलान पर ही है। एक समय ताम्रपर्णी नदी के आठ किलोमीटर भीतर तक समाविष्ट हो गयी थी। ताम्रपर्णी नदी मन्नार की खाड़ी में समाहित हो जाती है। 

पेरियार नदी(Periyar River) :-

पेरियार दक्षिण भारत में प्रवाहित होने वाली केरल की प्रमुख नदी है। इस नदी का उद्गम-स्थल शिवगिरी पर्वत (पश्चिम घाट) है। मदुरै के समीप पेरियार वागाई नदी से मिलती है। कोचीन के उत्तर में यह अरब सागर में मिल जाती है।

जानें- हिमालय पर्वत का महत्त्व 

पश्चिम की ओर प्रवाहित नदियाँ:-

पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियाँ डेल्टा का निर्माण नहीं करती हैं. ये एश्चुरी बनाती हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है 

नर्मदा नदी(Narmada river) :-

पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली प्रायद्वीपीय नदियों में नर्मदा सबसे बड़ी है। इस नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश की मैकाल श्रेणी की 1057 मीटर ऊँची अमरकंटक पहाड़ी है। भौगोलिक दष्टि से यह दक्षिणी भारतीय नदी है. परन्तु इसे उत्तर भारत और दक्षिण भारत का विभाजन करने वाली रेखा माना जाता है। यहाँ संगमरमर की पहाड़ियों पर जबलपुर के समीप धुआंधार' नामक जलप्रपात का निर्माण करती हैं. यही नदी भ्रंशघाटी (Rift Valley) में प्रवाहित होकर अरब सागर में एश्चुरी बनाती है। 1312 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद नर्मदा गुजरात में भडौंच के निकट कैम्बे की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी ओरसन (300किमी०) है। 

ताप्ती नदी(Tapti River)  :-

इसे 'तापी' भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के बेतूल जिले के मुल्ताई (समुद्रतल से 792 मीटर की ऊँचाई पर स्थित) में सतपुड़ा की पहाड़ी से निकलती है। सूरत के समीप एश्चुरी का निर्माण करने के बाद यह नदी खम्भात की खाड़ी में गिर जाती है। ताप्ती नदी की लम्बाई 724 किलोमीटर है और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 64,750वर्ग किलोमीटर है। .

लूनी नदी(Luni River) :-

इसका उद्गम राजस्थान के अजमेर जिले के दक्षिण-पश्चिम में स्थित अरावली में आनासागर (नाग पहाड़) से होता है। सरसुती (अमजेर में पुष्कर झील से निकलने वाली) इसकी प्रमुख सहायक नदी हैलूनी नदी 330 किलोमीटर लम्बी हैऔर इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 34,866,40 वर्ग किलोमीटर है। 

साबरमती नदी(Sabarmati River) :-

राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में जयसमन्द झील से इसका उद्गम होता है। इदार और महिकण्ठ से आने वाली सावर और हाथमती इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। साबरमती की कुल लम्बाई 300 किलोमीटर और इसका जल-ग्रहण क्षेत्र 26.63 वर्ग किलोमीटर है। यह नदी खम्भात की Page 34 + खाड़ी में विलीन हो जाती है। 1 208

माही नदी(Mahi river) :-

माही का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के बेतूल जिले से होता है। धार, रतलाम और गुजरात में प्रवाहित होती हुई यह खम्भात की खाड़ी में समाहित हो जाती है। यह नदी 560 किलोमीटर लम्बी है।

भारत की प्रमुख नदियों के बारें में हमने इस आर्टिकल में पूरी जानकारी देने की कोशिस की हैं. जिससे आपके ज्ञान में वृद्धि के साथ साथ आपको यह परीक्षा में भी मदद करेगा. भारत की प्रमुख नदियों से जुडा यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो आपको मदद मिली हो तो इसे शेयर जरूर करें. 

Read More -

0 Comments :

Post a Comment

हमें अपने प्रश्नों और सुझावों को कमेंट करके बताएं...

Cancel Reply