पर्यावरण कानून और अधिनियम | Environment Laws and Acts in Hindi।

पर्यावरण कानून और अधिनियम (Environment Laws And Acts)

इस आर्टिकल में पर्यावरण कानून और अधिनियम के बारे में जानेंगे।भारत  में समय समय पर पर्यावरण  की सुरक्षा और लोगो में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए पर्यावरण कानून और अधिनियम बनाए गए  हैं. इस पर्यावरण कानून और अधिनियम (ENVIRONMENT LAWS AND Acts) के जरिये कई नियमो को लागू किया जाता हैं और इन कानून के तहत अर्थदंड और सजा का भी प्रावधान रखा जाता हैं. पर्यावरण कानून और अधिनियम के बारे में कई प्रतियोगी परीक्षाओ में भी पूछा जा चुका हैं, इस लिए यह पर्यावरण कानून और अधिनियम महत्वपूर्ण हैं.

पर्यावरण कानून और अधिनियम, Environment Laws And Acts

Table of content :-

  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (The wildlife protection Act, 1972) 
  • वन संरक्षण अधिनियम की धारा-2 ((Forest Conservation Act Session-2) 
  • वायु प्रदूषण बचाव एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 (The Air Prevention and Control of Pollution Act, 1981) 
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (The Environment Protection Act, 1986) 
  • खतरनाक अपशिष्ट पदार्थ (प्रबंधन और संचालन) नियम, 1989 (Hazardous Wastes Management and Handling Rules, 1989)
  • सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम, 1991 (The Public Liability Insurance Act, 1991) 
  • राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण अधिनियम, 1992 (The National Environment Tribunal Act, 1992)
  • ध्वनि प्रदूषण नियमन और नियंत्रण नियमावली, 2000 (The Noise Pollution Regulation and Control Rules, 2000) 
  • वनस्पति किस्मों के संरक्षण और किसानों के अधिकार अधिनियम, 2001 (Protection of Plant Varieties and Farmer's Rights Act of 2001) 
  • जैव विविधता अधिनियम, 2002 (Biodiversity Act, 2002) 
  • अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम, 2006 (Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers Act, 2006)
  • राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2016 ( (National Green Tribural Act, 2010) 

भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए निम्नलिखित कानून और अधिनियम विशेष रूप से लाए गए हैं :

1.वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (The wildlife protection Act, 1972) 

  • वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 एक वैधानिक अधिनियम है, जिसका उद्देश्य पशु पक्षियों और वनस्पतियों का संरक्षण करना है।

  • यह अधिनियम की स्थापना पौधे और पशुओं के विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए लाया गया था। इसके द्वारा वनों की कटाई और वन्य जीवों के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया है।

2.वन संरक्षण अधिनियम की धारा-2 ((Forest Conservation Act Session-2) 

  • वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधान के तहत अपराधियों को निर्धारित सजा दी जायेगी।

  • केन्द्रीय बोर्ड द्वारा दिये गए निर्देश राज्य बोर्ड के लिए अनिवार्य हैं। औद्योगिक इकाई का संचालन केन्द्रीय बोर्ड की सहमति के बिना अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में निषिद्ध है। 

  •  इस कानून का उल्लंघन दंड के रूप में कारावास भी है, जो बढ़कर तीन माह या 10,000 रु. तक या दोनों भी हो सकता है। (देखें - वन विनाश पर निबंध )

3.वायु प्रदूषण बचाव एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 (The Air Prevention and Control of Pollution Act, 1981) 

  • प्रदूषण में कमी, रोकथाम और नियंत्रण वायु की गुणवत्ता को बनाए रखना

  • वायु प्रदूषण से बचाव एवं रोकथाम के लिए बोर्ड की स्थापना करना

  • केन्द्रीय बोर्ड वायु की गुणवत्ता के लिए मानकों को स्थापित करता है। केन्द्रीय बोर्ड, राज्य बोर्डों को निर्देश, तकनीकी सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के अतिरिक्त राज्य बोर्डों के बीच हुए विवादों को भी सुलझाता है। 

  • राज्य बोर्ड औद्योगिक इकाई, ऑटोमोबाइल या अन्य स्रोतों से वायु प्रदूषण का उत्सर्जन कम करने के लिए मानकों को स्थापित कर सकता है।

  • राज्य बोर्ड को वायु प्रदूषण और उसके कार्यों से संबंधित जानकारी को एकत्रित कर उसका प्रसार करके, वायु प्रदूषण के निरीक्षणालयों (Inspectorates) के रूप में कार्य करना चाहिए।

4.पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (The Environment Protection Act, 1986) 

  • वायु, जल और जमीन के परिवेश को सुधार कर संरक्षित करना 

  • सभी जीवित प्राणियों और उनकी विशेषताओं को संकट से बचाया जाए। को 

  • मनुष्य और उनके वातावरण के बीच एक सुखद रिश्ते को बनाए रखना 

  • यह अधिनियम सरकार को शक्ति देता है कि वह दुर्घटनाओं से बचाव के लिए प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों को निर्धारित करे एवं प्रदूषण के कारण यदि ऐसी कोई दुर्घटना होती भी है तो उसके उपचारात्मक (Remedial) उपाय करे। (यह भी देखें - भारतीय हवाई अड्डो की सूची)

5.खतरनाक अपशिष्ट पदार्थ (प्रबंधन और संचालन) नियम, 1989 (Hazardous Wastes Management and Handling Rules, 1989)

  • खतरनाक अपशिष्ट पदार्थ (प्रबंधन एवं संचालन, अधिनियम, 1989 सुरक्षित संचालन, उत्पादन, प्रसंस्करण, उपचार, पैकेज, भंडारण, परिवहन, पुनर्प्रसंस्करण, संग्रह, रूपांतरण, बिक्री के प्रस्ताव, खतरनाक कचरे के विनाश और निपटान को सुनिश्चित करने के लिए अधिसूचित किया गया था। 

  • पूर्व अधिसूचना के अधिक्रमण में वर्ष 2000, 2003 और 2008 के नियमों में खतरनाक कचरों के अंतिम अधिसूचना (प्रबंधन, संचालन और सीमा पार आंदोलन) नियम में संशोधन किया गया

6.सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम, 1991 (The Public Liability Insurance Act, 1991) 

  • सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम, 1991 का उद्देश्य किसी। भी खतरनाक पदार्थ से निपटने के परिणामस्वरूप हुई किसी दुर्घटना के पीड़ितों को क्षति के लिए भुगतान प्रदान करना है।

7.राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायाधिकरण अधिनियम, 1992 (The National Environment Tribunal Act, 1992)

  • यह अधिनियम किसी खतरनाक पदार्थ के संचालन के समय उसके द्वारा हुई किसी भी दुर्घटना या क्षति के लिए मुआवजा या राहत प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है तथा उससे प्रभावित किसी व्यक्ति, सम्पत्ति या वातावरण को शीघ्र अतिशीघ्र राहत प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय पार्यावरण न्यायाधिकरण अधिनियम की स्थापना की गई थी।

8.ध्वनि प्रदूषण नियमन और नियंत्रण नियमावली, 2000 (The Noise Pollution Regulation and Control Rules, 2000) 

  • यह अधिनियम ध्वनि नियंत्रण और ध्वनि उत्पादन के स्रोतों को नियमित करने के साथ ही शोर के संबंध में व्यापक वायु की गुणवत्ता के मानकों को बनाए रखने के उद्देश्य के लिए आवश्यक माना गया है।

9.वनस्पति किस्मों के संरक्षण और किसानों के अधिकार अधिनियम, 2001 (Protection of Plant Varieties and Farmer's Rights Act of 2001) 

  • वनस्पति विविधता और किसान अधिकार अधिनियम 2001 (PPVFR अधिनियम). वनस्पति किसानों और प्रजनकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए एक वैधानिक अधिनियम है, जो किसानों को नई किस्मो की खेती के प्रोत्साहन करती है तथा इनके दायित्वों/कर्तव्यों को पूरा करने के लिए भारत ने TRIPS समझौते के अंतर्गत इस अधिनियम को लागू किया है.

  • यह अधिनियम अनुसंधान और विकास के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वनस्पति किस्मों का उत्पादन करने में मदद करता है। इस तरह के संरक्षण से बीज उद्योग की वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है, जो किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज की उपलब्धता और रोपण सामग्री की सुविधा को सुनिश्चित करेगा।

10.जैव विविधता अधिनियम, 2002 (Biodiversity Act, 2002) 

  • जैव विविधता अधिनियम, 2002 को भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए लाया गया जिसका उद्देश्य परंपरागत जैविक संसाधनों और ज्ञान के उपयोग से होने वाले लाभ के समान बंटवारे के लिए एक तंत्र प्रदान करना है। 

  • यह अधिनियम जैव विविधता पर सम्मेलन के तहत भारत के पार्टी होने के दायित्वों को पूरा करने के लिए अधिनियमित (Enacted) किया गया था। (क्या आप जानते हैं- दुनिया भर के पवित्र स्थानों के बारे में )

11.अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम, 2006 (Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers Act, 2006)

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी अधिनियम 2006 वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act), आदिवासी अधिकार अधिनियम (Tribal Rights Act) और आदिवासी भूमि अधिनियम (Tribal Land Act) के नाम से भी जाना जाता है। 

  • किन्तु औपनिवेशिक कानूनों के कारण उनके अधिकार दर्ज नहीं किए गये थे अतः यह अधिनियम उन अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वनवासियों को वन भूमि अधिकार और व्यवसाय का अधिकार देता है।

12. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2016 ( (National Green Tribural Act, 2010) 

  • राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 पर्यावरण मुद्दों से संबंधित मामलों के शीघ्र निपटान को संभालन के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण के निर्माण को सक्षम . बनाता है। 

  • यह भारत की संवैधानिक प्रावधान के अनुच्छेद 2 से लिया गया है जो भारत के नागरिक पर एक स्वस्थ पर्यावरण के लिए सही भरोसा दिलाने के तहत अधिनियमित किया गया था।

भारत में पर्यावरण कानून और अधिनियम (Environment Laws And Acts) के अंतर्गत उपयुक्त बताए गए सभी पर्यावरण कानून और अधिनियम समय-समय पर लागू किये गए हैं, 
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