पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व। essential nutrients for plants
वैज्ञानिक शोधों के आधार पर पौधों के विकास के लिए कुछ जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमे कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, आयरन, क्लोरीन, बोरोन, तांबा आदि पोषक तत्व शामिल हैं। जिसके कार्यों का विवरण नीचे दिया गया हैं -
1. कार्बन (Carbon):-
- पौधे वायुमण्डल से कार्य डाइ-ऑक्साइड (CO2) लेते है।
- प्रकाश की उपस्थिति में CO2, क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण में भाग लेती है।
- इसके अलावा पौधों के अधिकांश भाग में कार्बन पाया जाता है ।
2. ऑक्सीजन (Oxygen) :-
- ऑक्सौजन (O2२) पौधों को जल से मिलती है तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पानी CO2, से मिलकर ऑक्सीजन (O2) निकालता है, तथा शर्कराओं (कार्बोहाइड्रेट) का निर्माण करता है।
3. हाइड्रोजन (Hydrogen) :-
- हाइड्रोजन पौधों की वृद्धि के लिए जल से प्राप्त होती है।
- हाइड्रोजन ऑक्सीजन से मिलकर पानी बनाती है तथा कार्वन के साथ मिलकर जटिल रासायनिक यौगिक बनाती है।
4. नाइट्रोजन (Nitrogen) :-
- नाइट्रोजन पौधों के पर्णहरिम न्यूक्लियक अम्ल, विटामिन्स, प्रोटीन, एमाइड्स, एल्केलाइड्स तथा प्रोटोप्लाज्म (जीवद्रव्य) की संरचना में भाग लेती हैं।
- पौधों में नाइट्रोजन नियन्त्रक का कार्य करती है।
- नाइट्रोजन, एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट (ATP) का एक अवयव है। नाइट्रोजन, पर्णहरित का एक मुख्य अवयव होता है ।
- इससे पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है।
- पौधे मृदा से नाइट्रोजन को अपनी जड़ों द्वारा अमोनिया आयन्स व नाइट्रेट आयन्स के रूप में ग्रहण करते हैं।
5. फॉस्फोरस (Phosphorus) :-
- फॉस्फोरस न्यूक्लियो प्रोटीन, न्यूक्लियक अम्ल, फॉयटिन तथा फास्फोलिपिड्स का प्रमुख अवयव।
- फॉस्फोरस से फलीदार फसलों की जड़ों में स्थित ग्रंथियों की संख्या तथा आकार में वृद्धि होती है,जिससे वायुमण्डलीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायता मिलती है ।
- फॉस्फोरस से फल एवं बीज जल्दी बनता है, जिससे पौधों एवं फलों में पूर्ण वृद्धि कम समय में हो जाती है अर्थात् फसल शीघ्र पक जाते है।
- फॉस्फेट की उपस्थिति में पराग निषेचन (Pollination) अच्छा होता है, जो फसल की अच्छी मात्रा के लिए आवश्यक है।
- यह नाइट्रोजन के प्रभाव को कम या उदासीन करती है।
6. पोटैशियम (Potassium) :-
- पोटैशियम कार्बोहाइड्रेट स्थानान्तरण में सहायक होता है तथा यह आयरन वाहक के रूप में भी कार्य करता है।
- पोटैशियम पौधे में रोग तथा हानिकारक दशाओं से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है।
- पोटैशियम नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की उपस्थिति में बीज के देरी या शीघ्रता से पकने के स्वभाव को सन्तुलित करता है।
- यह वाष्पोत्सर्जन द्वारा पानी की हानि को रोकने में मदद करता है।
- पोर्टेशियम कोशिका विभाजन एवं कोशिका निर्माण में सहायता करता है।
- पोटैशियम से धान्य एवं घास वाली फसलों के तने, भूसा एवं डण्ठल, प्रबल एवं कठोर बनते हैं, जिससे फसलों का गिरने का खतरा नहीं होता है।
7. कैल्शियम (Calcium) :-
- कैल्शियम पौधों के लिए अत्यन्त आवश्यक है। यह पौधों की कोशिकाओं के दीवारो के निर्माण के लिए आवश्यक है।
- कैल्शियम पौधों के मूलरोमों के विकास में सहायक है, जिससे पौधों की पोषण ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है।
- कैल्शियम कार्बोहाइड्रेट के स्थानान्तरण में सहायक है तथा पौधों को मेटाबोलिज्म में स्वतन्त्र हुए कार्बनिक अम्लों को उदासीन करता है।
- कैल्शियम फलीदार पौधों में पर्याप्त मात्रा में मिलती और प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होती हैं।
8. मैग्नीशियम (Magnesium) :-
- मैग्नीशियम क्लोरोफिल का मुख्य अवयव है जिसके बिना कोई पौधा हरा नहीं रह सकता और पौधों के भाग पीले पड़ जाते है।
- मैग्नीशियम फॉस्फोरस को ग्रहण करने तथा फॉस्फोरस स्थानान्तरण में सहायक होता है ।
- मैग्नीशियम वसीय अम्लों तथा तेलों के संश्लेषण में भी आवश्यक है।
- मैग्नीशियम वायु से CO2 लेकर पत्तियों द्वारा शर्करा निर्माण में सहायक होता है।
9. सल्फर (Sulfur) :-
- सल्फर (गन्धक) क्लोरोफिल के निर्माण में भी आवश्यक है तथा यह प्रोटोन का एक मुख्य भाग होने के कारण अत्यंत आवश्यक है।
- सल्फर के ऑक्सीकरण से सल्फ्यूरिक अम्ल बनता है तथा इसके उपयोग से मृदा की क्षारीयता दूर की जा सकती है।
- सल्फर पौधों में सुगन्धित तेलों के निर्माण में सहायक है।
- सल्फर कमी से पौधों में अनेकों रोग उत्पन्न हो जाते है।
10. आयरन (Iron) :-
- आयरन भी क्लोरोफिल निर्माण के लिए आवश्यक तत्त्व है।
- आयरन पादपों में होने वाले ऑक्सीकरण-अवकरण उत्प्रेरक का कार्य करता है।
- आयरन पौधों द्वारा नाइट्रोजन के पोषण और के संश्लेषण में सहायता करता है तथा कोशिका विभाजन में सहायक होता है।
11. मैंगनीज (Manganese) :-
- मैंगनीज अम्लीय मृदाओं में उगने वाले पौधों में अपेक्षाकृत अधिक होती है।
- मैगनीज पर्णहरिम निर्माण में सहायक होता है तथा क्रेब चक्रः क्रियाओं में आवश्यक है।
- यह ऑक्सीकरण-अवकरण में उत्प्रेरक का कार्य का है तथा नाइट्रेट के स्वांगीकरण में सहायक होता है।
12. जिंक (Zinc) :-
- जिंक क्लोरोफिल निर्माण में एक उत्प्रेरक का कार्य करता है तथा प्रोटीन, केरोटिन तथा सिट्रिक अम्लके संश्लेषण में सहायक होता है।
- जिंक काबोहाइड्रेट के रूपान्तरण में आवश्यक होता।
- जिंक मृदा में जलशोषण को बढ़ाता है।
13. कॉपर (Copper) :-
- कॉपर अप्रत्यक्ष रूप से क्लोरोफिल निर्माण तथा आयरन के उपयोग में सहायक होता है।
- कॉपर से श्वसन प्रकिया भी प्रभावित होती है।
- कॉपर क्लोरोफिल के विनाश को रोकता है।
- कॉपर पौधों में एमिनो अम्ल के साथ मिलकर एमिनो यौगिक और प्रोटीन बनाता है तथा मेटाबोलिज्म में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कॉपर पौधों में इन्डोल एसोटिक अम्ल के संश्लेषण सहायक होता है।
14. बोरोन (Boron) :-
- बोरोन पराग (Pollen) एवं प्रजनन क्रियाओं में सहायक होता है।
- बोरोन काबोहाइड्रेट के स्थानान्तरण, प्रोटीन के उपापचयन, कोशिका विभाजन व कॉटेक्स के विभाजन के लिए आवश्यक है।
- बोरोन पोटैशियम व कैल्शियन अनुपात को नियंत्रण करता है।
- बोरोन पानी के शोषण को नियन्त्रित करता है।
- बोरोन ATP, DNA, RNA, तथा पेक्टिन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है।
15. मोलिब्डेनम (Molybdenum) :-
- मोलिब्डेनम मुक्त नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए आवश्यक है तथा नाइट्रेट रिडक्टेस एंजाइम का महत्त्वपूर्ण भाग है।
16. क्लोरीन (Chlorine) :-
- क्लोरीन (एन्थोसायनिन) का संघटक पदार्थ होता है तथा रसाकर्षण दाब (Suction pressure) को बढ़ाता है।
- क्लोरीन कोशिका रस (Cell sup) में धनायन को संतुलित रखता है।
FAQs:-
1.पौधों की वृद्धि में कौन सा परिवर्तन है?
उत्तर:- पौधों की वृद्धि में रासायनिक परिवर्तन है।
आज के पोस्ट के माध्यम से पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व के बार में जाना, जो परिक्षापयोगी दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ पेड़-पौंधों की देखभाल के लिए भी जरुरी है।
उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिये उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको पोस्ट अच्छी लगे तो पोस्ट को शेयर जरुर करें।
0 Comments
हमें अपने प्रश्नों और सुझावों को कमेंट करके बताएं...