इंडियन आर्मी में पद और रैंक ( Posts and ranks in the Indian Army)
हेलो दोस्तों, इस आर्टिकल में इंडियन आर्मी में पद और रैंक के बारे में जानेंगे। भारत में आर्मी में भर्ती होने को लेकर युवाओं में एक अलग ही जूनून है। इंडियन आर्मी में भर्ती होने के लिए हर साल लाखो परीक्षार्थी तैयारी करते हैं। इंडियन आर्मी में पदोन्नति या भर्ती के माध्यम से अलग-अलग पद और रैंक दिए जाते हैं जिनकी शक्ति और वेतनमान में भी अंतर होता है।
- भारतीय सेना की कमानें
- नेशनल केडिट कोप्स (N.C.C.-National Cadet Corps)
- थल सेना प्रशिक्षण केंद्र
- एअर फोर्स प्रशिक्षण केन्द्र
- जल सेना प्रशिक्षण केन्द्र
- हॉस्पिटल शिप्स
- भारतीय वायुसेना के विमान
- भारतीय जहाजी बेड़े के जलयान
- भारतीय सेना के टैंक
भारतीय सेना के तीनों अंगों के कमीशण्ड ऑफीसरों की पद श्रेणी
थल सेना- जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल, मेजर जनरल, ब्रिगेडियर, कर्नल, लेफ्टिनेंट कर्नल, मेजर, केप्टन, लेफ्टिनेंट ग्रुप
वायु सेना- एअर चीफ मार्शल, एअर मार्शल, एअर वाइस मार्शल, एअर कमोडोर, केप्टन, विंग कमांडर, स्क्वाड्रन लीडर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट, फ्लाइंग ऑफीसर.
जल सेना- एडमिरल, वाइस एडमिरल, रीयर एडमिरल, कमोडोर, केप्टन, कमांडर, लेफ्टिनेंट कमांडर, लेफ्टिनेंट, सब-लेफ्टिनेंट.
पढ़ें- भारत के राष्ट्रपति।
भारतीय सेना की कमानें
भारतीय सेना की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति में निहित है, यद्यपि सुरक्षा का उत्तरदायित्व मंत्रिमण्डल का है. संगठन की दृष्टि से निम्नलिखित प्रकार भारतीय सेना विभिन्न कमानों संगठित है-
थल सेना (Army)- थल सेना सात कमानों में संगठित है- पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी केन्द्रीय प्रशिक्षण और दक्षिणी-पश्चिमी. प्रत्येक कमान लेफ्टिनेंट जनरल की हैसियत के जनरल ऑफीसर कमाडिंग-इन-चीफ के अधीन होती है.
जल सेना (Navy)- यह सेना तीन कमानों में संगठित है- (1) वेस्टर्न नेवल क मुम्बई, (2) ईस्टर्न नेवल कमांड, विशाखापत्तनम् तथा (3) सदर्न नेवल कमांड, कोचीन. - Official Website
वायु सेना (Air Force )- इसकी स्थापना सन् 1932 में हुई थी तथा आधुनिकीकरण सन् 1948 में प्रारम्भ हुआ. यह सात कमानों में संगठित है-
- वेस्टर्न कमांड,
- सेंट्रल एअर कमांड,
- ईस्टर्न एअर कमांड,
- ट्रेनिंग कमांड तथा
- में कमांड,
- दक्षिण कमांड,
- दक्षिण-पश्चिम कमांड
नेशनल केडिट कोप्स (N.C.C.-National Cadet Corps)
एन.सी.सी. का संगठन सन् 1948 में युवक-युवतियों में भारतीय प्रतिरक्षा में रुचि जाग्रत करने के लिए किया गया था. इसके तीन विभाग हैं :
(1) सीनियर विभाग,
(2) जूनियर सामान्य ज्ञान 131 विभाग,
(3) लड़कियों के विभाग का संगठन पृथक् है. एन. सी. सी. के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
i) नौजवानों के व्यक्तित्व का विकास करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना,
ii) नौजवानों में भारतीय प्रतिरक्षा के प्रति रुचि पैदा करना,
iii) उनमें आत्मसंयम और अनुशासन पैदा करना,
iv) आपातकालीन स्थिति में नागरिक सुरक्षा के लिए दल का निर्माण करना.
जानें- IPC की धाराओं का पूरा लिस्ट।
प्रादेशिक सेना
इसका संगठन प्रतिरक्षा की द्वितीय पंक्ति के रूप में सन् 1949 में किया गया. यह नागरिकों की सेना है और 18 से 35 वर्ष के शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों को इसमें भर्ती किया जाता है. प्रादेशिक सेना नागरिकों को पार्टटाइम में सैनिक शिक्षा प्रदान करने और -आपातकालीन परिस्थिति में देश की सेवा करने का अवसर प्रदान करती है. इसकी आर्मड् कोर, आर्टीलरी, इंजीनियर्स, सिगनल्स, इन्फेंटरी एवं मेडिकल कोर में वेतन और भत्ते मिलते हैं.
होमगार्डस्
अक्टूबर 1962 में चीनी आक्रमण के बाद इस संगठन का निर्माण किया गया. इसके कार्य हैं : (1) प्रतिरक्षा से सम्बन्धित आपातकालीन कार्य करना, (2) आन्तरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए पुलिस की सहायता करना, (3) हवाई हमले, आग लगने व महामारी की हालत में नागरिकों की सहायता करना अनिवार्य सेवाओं, जैसे मोटर यातायात, इंजीनियरिंग, > आग बुझाना, ब्लैक आउट का संचालन करना।
सीमा सुरक्षा बल (B.S.F.)
इसे 1 दिसम्बर, 1965 में स्थापित किया गया था. यह सेना तथा पुलिस के बीच का संगठन है, जो संकट की स्थिति में सेना को सहायता प्रदान करता है।
थल सेना प्रशिक्षण केंद्र (Army Training Center)
(1) नेशनल डिफेंस अकेडमी, खड़गवासला.
(2) इण्डियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून.
(3) राष्ट्रीय इण्डियन मिलिट्री कॉलेज, देहरादून
(4) नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली.
(5) डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज, वैलिंगटन (तमिलनाडु).
(6) आर्मड् फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे.
(7) ऑफीसर्स ट्रेनिंग स्कूल, चेन्नई (मद्रास).
(8) कॉलेज ऑफ काम्बैट, महून
(9) आर्मड् कोर सेंटर एण्ड स्कूल, अहमदनगर
(10) इनफेंटरी स्कूल, महू व बेलगाम.
(11) स्कूल ऑफ आर्टीलरी, देवलाली
(12) कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग, किर्की.
(13) मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, महू.
(14) इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस मेनेजमेंट, सिकन्दराबाद
(15) आर्मी केडेट कॉलेज, देहरादून
(16) आर्मी आर्डिनेन्स कोर स्कूल, जबलपुर.
(17) हाई आलटीट्यूड वारफेयर स्कूल, गुलमर्ग.
(18) आर्मी सर्विस कोर स्कूल, बरेली.
(19) ई. एम. ई. स्कूल, वड़ोदरा.
(20) मिलिट्री कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड मेकेनिकल इंजीनियरिंग, सिकन्दरावाद
(21) रिमाउण्ट एण्ड वेटेनरी कोर सेंटर एण्ड
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एअर फोर्स प्रशिक्षण केन्द्र (air force training center)
(1) एअर फोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज, कोयम्बटूर,
(2) एअर फोर्स अकेडमी, हैदराबाद
(3) एअर फोर्स टेक्निकल कॉलेज, जलाहली,
(4) एअर फोर्स स्कूल सांबरा, वेलगाम,
(5) फ्लाइंग इंस्पेक्टर्स स्कूल, तांबरम,
(6) ऐलीमेंटरी फ्लाइंग स्कूल, बीदर,
(7) फाइटर ट्रेनिंग एण्ड ट्रांसपोर्ट ट्रेनिंग विंग्स ऑफ दि एअर फोर्स, हाकिमपेट एवं येलहांका,
(8) इंस्टी ट्यूट ऑफ एवीएशन मेडिसिन, बंगलुरू,
(9) पैराटुपर्स ट्रेनिंग स्कूल, आगरा,
(10) नेवीगेशन सिकन्दराबाद. एण्ड सिगनल्स स्कूल, हैदराबाद,
(11) कॉलेज ऑफ एअर वारफेयर,सिंकदराबाद
जल सेना प्रशिक्षण केन्द्र (Navy Training Center)
(1) इण्डियन नेवल अकेडमी, कोचीन
(2) आई. एन. एस. आंग्रे, मुम्बई.
(3) आई. एन. एस. बलसुरा, जामनगर (गुजरात).
(4) नेवल एअर स्टेशन गरुड़, कोचीन.
(5) आई. एन. एस. वेन्दुरुथी, कोचीन.
(6) आई. एन. एस. हमला, मुम्बई.
(7) आई. एन. एस. कुण्जली, मुम्बई.
(8) आई. एन. एस. सिरकार्स, विशाखापत्तनम् (9) आई. एन. एस. शिवाजी, लोनावला (महाराष्ट्र).
(10) आई. एन. एस. चिलका, भुवनेश्वर.
(11) सेलर्स ट्रेनिंग एस्टेब्लिसमेंट डेबोलिम, गोआ. .
हॉस्पिटल शिप्स (hospital ships)
(1) आई. एन. एच. एस. संजीवनी, कोचीन.
(2) आई. एन. एच. एस. अश्विनी, मुम्बई.
(3) आई. एन. एच. एस. कल्याणी, विशाखापत्तनम्
(4) आई. एन. एच. एस. जीवन्ती, आ.
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भारतीय सेना के टैंक (Indian army tanks)
अस्त्र-शस्त्र वायुयान तथा जलयान भारतीय वायुसेना के पास भिन्न-भिन्न प्रकार के आधुनिकतम हथियार हैं, जिनमें बहुत से तो देश में ही बनाये जाते हैं. विजयन्त नामक टैंक, जिसका निर्माण स्थल आवडी है, भारत-पाक युद्ध (1971) में बहुत खरा उतरा. इसकी गति 65 किमी प्रति घंटा है और इसकी मारक क्षमता 67.2 किमी की है. दूसरे प्रकार का टैंक विकर्स (Vickers) है, जिसका निर्माण भारत में किया गया है.
अन्य प्रकार के टैंक जो भारतीय सेना के पास हैं, वे हैं (1) ए. एम. एक्स. 13 (फ्रेंच), (2) सेन्चूरियन (ब्रिटिश), . (3) पी. टी. -76 (रूसी), (4) टी-54 तथा 'टी-55 अर्जुन अर्जुन टैंक तैयार हैं. 8 अर्जुन टैंक वर्ष 2003-04 में सेना को आपूर्त कर दिए गए. इसके अतिरिक्त करना शुरू कर दी है. DRDO ने हल्के टैंक करण के उत्पादन हेतु कार्यवाही शुरू कर दी।
अर्जुन टैंक- यह भारत का प्रमुख युद्धक टैंक है, जिसके निर्माण की योजना 1974 में बनाई गयी थी. यह 1400 अश्वशक्ति के टर्बो इंजन द्वारा चालित है. जनवरी 1996 में इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया.
टी-90 एस भीष्म टैंक - यह एक अत्याधुनिक और तीसरी पीढ़ी का युद्धक टैंक है, जिसे 7 जनवरी, 2004 को चेन्नई में राष्ट्र को समर्पित किया गया.
टैंक आधारित स्वचालित तोप 'भीम' - यह अर्जुन टैंक पर आधारित स्वचालित तोप है, जिसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है. इस पर बोफोर्स तोपों की तरह 155 मिमी की 52 कैलिबर वाली आर्टिलरी गन लगाई गई है, जो 20 सेकण्ड में तीन गोले 40 और 52.5 किमी दूर तक फेंक सकती है.
अर्जुन मार्क-2 - रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-1 में सुधार करके एमबीटी अर्जुन मार्क-2 विकसित किया है. पूर्णतया स्वदेशी युद्धक टैंक अपने नए अवतार के साथ और मजबूत हो गया है. इस नए अवतार में मिसाइल फायरिंग और सर्च लेजर प्रणाली को मजबूत किया गया है।
भारतीय वायुसेना के विमान (Indian Air Force aircraft)
भारतीय वायुसेना के पास निम्नलिखित प्रकार के सैनिक विमान हैं
हंटर विमानों की भारतीय वायुसेना से विदाई 8 अक्टूबर, 2001 को हो गई है. फ्रांस से प्राप्त किए गए इन विमानों की भारतीय वायुसेना में अंतिम उड़ान 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में हुई. इन विमानों को 1957 में भारतीय में शामिल किया गया था. "
(1) मिग-21 - रूसी डिजाइन का इंटरसेप्टर,
(2) सुखोई-7 - रूसी डिजाइन का इंटरसेप्टर बमवर्षक,
(3) नेट-भारत में ही बना हल्का लड़ाकू विमान,
(4) एच. एफ. 24 ( मारूप ) - भारत में ही निर्मित
(5) एचपी. टी- 2 - भारत में ही बना प्रशिक्षण विमान,
(6) पुष्पक--भारत में ही निर्मित अति हल्का विमान,
(7) कृषक - भारत में ही निर्मित 4 सीटों का विमान,
(8) अलूउट- भारत में ही निर्मित हैलीकोप्टर,
(9) एच.जे.टी. - 16- बेसिक जैट ट्रेनर
(10) एच. एस748- परिवहन विमान (भारत में ही निर्मित),
(11) अजीत - भारतीय लड़ाकू हवाई विमान नेट में संशोधन कर नए विमान का नाम अजीत रखा गया है, (12) मिराज-2000- फ्रांस से प्राप्त लड़ाकू विमान, जिसे बाद में भारत में ही तैयार किया जाएगा,
(13) जगुआर - यह भारत ने ब्रिटेन से खरीदे हैं,
(14) मिग-29 - ये विमान रूस के बने हैं,
(15) गजराज - यह वायुसेना के भीमकाय नए ट्रांसपोर्ट विमान हैं,
(16) सुखोई-30 - रूसी डिजाइन का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान,
(17) लसर (हेलीकॉप्टर),
(18) तेजस (LCA)- स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान.
रुद्र - हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अपने ध्रुव हेलीकॉप्टर का आवश्य कतानुसार प्रोन्नयन कर तथा इसमें शस्त्र तैनात कर इसे भारतीय सेना की आवश्यकतानुसार बनाया गया है. हथियारों से लैस इन हेलीकॉप्टर को 'रुद्र' नाम दिया गया है. हाल (HAL) ने इसे 8 फरवरी, 2013 को थल सेना को सौंपा है.
चालक रहित विमान - भारत द्वारा निर्मित 'निशांत' नाम के चालकरहित विमान को भी विकसित किया गया है, जिसका सफल परीक्षण भी कर लिया गया है. एक अन्य चालकरहित विमान 'लक्ष्य', जिसका निर्माण भारत में ही किया गया है, का सफल परीक्षण 2 नवम्बर, 2000 को किया गया. 'लक्ष्य' का एक और सफल परीक्षण ओडिशा के चाँदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण (ITR) केन्द्र से 3 जनवरी, 2007 एवं 5 मार्च, 2007 को किया गया।
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भारतीय जहाजी बेड़े के जलयान (Ships of the Indian Fleet)
(1) एअरक्राफ्ट कैरियर- आई. एन. एस. विराट, जोकि ब्रिटेन से क्रय किया गया है, विमानवाहक पोत है. भारत का दूसरा विमानवाहक जहाज रूस से प्राप्त किया जा रहा है। रूसी विमानवाहक जहाज ‘एडमिरल गोर्शकोव’ के क्रय हेतु भारत और रूस के बीच समझौता हो चुका है।
(2) क्रूजर- आई. एन. एस. मैसूर, आई. एन. एस. दिल्ली, आई. एन. एस. मुम्बई.
(3) विध्वंसक - आई. एन. एस. राजपूत, रणजीत, गोमती, गोदावरी, गंगा. –
(4) पनडुब्बियाँ - खंधेरी, करंज, कलवेरी, कुरसुरार. ये सब रूस से प्राप्त की गई थीं. आई. एन. एस. शिशुमार पनडुब्बी पश्चिमी जर्मनी से प्राप्त की गई है. पोतरोधी क्लब प्रक्षेपास्त्रों से युक्त किलो क्लास पनडुब्बी आई. एन. एस. 'सिंधु शस्त्र' को 19 जुलाई, 2000 को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया है. आई.एन.एस. कुरसुगा पनडुब्बी को अब संग्रहालय में बदला जा रहा है.
(5) फ्रिगेट्स- आई.एन.एस. मैसूर, आई.एन.एस. हिमगिरि, आई.एन.एस. ब्रह्मपुत्र, व्यास, बेतवा, कृपाण, कटार, तल्खार, त्रिशूल, आई.एन.एस. उदयगिरि, आई.एन.एस. दूनागिरि एवं आई.एन.एस. तारागिरि पाँचवीं लीडर क्लास फ्रिगेट हैं. इनका निर्माण मझगाँव डॉक्स में हुआ है. खुखरी भारत-पाक युद्ध 1971 में नष्ट हो गई.
(6) माइन स्वीपर्ज- आई. एन. एस. भतकल, आई. एन. एस. कोंकन, करवर, काकीनाडा, कन्नानोर, कुदालोर, बसीन और बिमलीपटम, आई. एन. एस. बुल्सर..
(7) सर्वे-शिप्स- आई.एन. दर्शक, इनवेस्टीगेटर, जमुना, सतलज, आई.एन. एस. सर्वेक्षक. अन्य पोतों के नाम, जो भारतीय जल सेना के पास हैं आई. एन. एस. अजय, अभय, अक्षय, ध्रुवक, सिन्धुध्वज, मगर, सिन्धुराज, सिन्धुघोष, निर्भीक, आई.एन. एस. कोरा इत्यादि. प्रक्षेपास्त्रयुक्त नौका आई. एन. एस. विभूति, आई. एन. एस. विपुल व मिसाइलवाहक नौका 'नाशक' को नौसेना में शामिल किया जा चुका है. इसके अतिरिक्त आई. एन. एस. आदित्य, जोकि टैंकर है, को भी 11 अप्रैल, 2000 को सेना में शामिल कर लिया गया है. भारतीय नौसेना के विशाखापत्तनम् स्थित तकनीकी प्रतिष्ठान आई. एन. एस. इकशिला को 26 अगस्त, 2000 को राष्ट्र को समर्पित किया गया. आई. एन. एस. मुम्बई का जलावतरण 25 नवम्बर, 2000 को किया गया. इसके अतिरिक्त एस्कोर्ट शिप आई. एन. एस. क्रिच भी नौसेना में 22 जनवरी, 2001 को शामिल कर लिया गया है. अगस्त 2001 में विभिन्न खूबियों वाले दो अत्याधुनिक युद्धपोतों आई. एन. एस. कुलिश व आई. एन. एस. तरासा को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है.
आई. एन. एस. सर्वेक्षक का 14 जनवरी, 2002 को लोकार्पण किया गया. अभी 11 अप्रैल, 2002 को स्वदेश निर्मित मिसाइल पोत आई. एन. एस. प्रबल को मुम्बई में भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. butiraआई. एन. एस. सर्वेक्षक का 14 जनवरी, 2002 को लोकार्पण किया गया. अभी 11 अप्रैल, 2002 को स्वदेश निर्मित मिसाइल पोत आई. एन. Q. प्रबन को मुम्बई में भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है.
इस आर्टिकल में हमने इंडियन आर्मी में विभिन्न पद और रैंक के बारे में जाना। भारतीय युवाओं में आर्मी में भर्ती होने का अलग ही जूनून है। इसलिए इस क्षेत्र में अधिक प्रतिस्पर्द्धा भी है। भारतीय सेना में भर्ती होना अपने आप में गर्व की बात है।
उम्मीद करता हूँ कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगी ,अगर आपको आर्टिकल अच्छी लगी हो तो आर्टिकल को शेयर जरुर करें।
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