मगध साम्राज्य के राजवंश | Dynasties of Magadha Empire in Hindi।
मगध साम्राज्य के राजवंश | Dynasties of Magadha Empire।
मगध साम्राज्य में बहुत से वंशो ने राज किया. मगध साम्राज्य में चन्द्र गुप्त और अशोक जैसे प्रतापी और विख्यात राजा हुए। आज के पोस्ट में मगध साम्राज्य के राजवंश के बारे में विस्तार से जानेंगे। मगध साम्राज्य के राजवंश से सम्बंधित सवाल अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- UPSC, STATE PCS,IBPS,SSC,RRB,NTPC,RAILWAY, BANKING PO,BANKING CLERK इत्यादि में पूछे जाते हैं।अगर आप मगध साम्राज्य के राजवंश से जुड़ी पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।
मगध साम्राज्य - मगध एक क्षेत्र था. और सोलह महाजनपदों में से एक, दूसरे शहरीकरण के 'महान राज्य' जो अब दक्षिण बिहार (विस्तार से पहले) पूर्वी गंगा मैदान, उत्तर भारत में है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में वृहद्रथ ने मगध साम्राज्य की स्थापना की। जिसकी राजधानी गिरिव्रज को बनाया और बार्हद्रथ वंश (वृहद्रथ वंश) की नींव रखी। मगही या मगधी मगध की भाषा है जो अभी भी दक्षिणी बिहार में बोली जाती है। मगध साम्राज्य में समय समय पर अनके वंश हुए और अपना शासन काल पूर्ण किया.
मगध साम्राज्य में राज करने वाले वंशो के बारे में संक्षिप्त जानकारी -
1. बृहद्रथ वंश (3168 ई.पू. - 543 ई.पू.)
- बृहद्रथ वंश की स्थापना 3168 ई. पू. में बृहद्रथ के द्वारा की गई।
- बृहद्रथ वंश पौराणिक कथाओं के अनुसार मगध पर शासन करने एक राजवंश था।
- महाभारत तथा पुराणों के अनुसार जरासंध के पिता तथा चेदिराज वसु के पुत्र बृहद्रथ ने बृहद्रथ वंश की स्थापना की।
- इस वंश में दस राजा हुए जिसमें बृहद्रथ के पुत्र जरासंध एवं प्रतापी सम्राट था।
2. हर्यक वंश (बिम्बिसार वंश) (544 ई.पू. 412 ई.पू.)
- हर्यक वंश की स्थापना 544 ई. पू. में बिम्बिसार के द्वारा की गई।
- बिम्बिसार हर्यक वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था।
- जैन साहित्य में बिम्बिसार का नाम 'श्रेणिक' मिलता है।
- छठी सदी ईसा पूर्व में सोलह महाजनपदों में से एक मगध महाजनपद का उत्कर्ष एक साम्राज्य के रूप में हुआ।
- हर्यक वंश के शासक बिम्बिसार ने गिरिब्रज (राजगृह) को अपनी राजधानी बनाकर मगध साम्राज्य की स्थापना की।
3. शिशुनाग वंश (412 ई.पू. - 344 ई.पू.)
- हर्यक वंश के शासक के बाद मगध पर शिशुनाग वंश (412 ई. पू.)का शासन स्थापित हुआ।
- शिशुनाग नामक एक अमात्य हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक को पदच्युत करके मगध की गद्दी पर बैठा और शिशुनाग नामक नए वंश की नींव डाली।
- शिशुनाग ने अवन्ति तथा वत्स राज्य पर अधिकार करके उसे मगध साम्राज्य में मिला लिया।
- शिशुनाग ने वज्जियों को नियंत्रित करने के लिए वैशाली को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
- शिशुनाग ने 412 ई. पू. से 394 ई. पू. तक शासन किया।
- शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था।
4. नंद वंश (344 ई.पू. - 322 ई.पू.)
- शिशुनाग वंश के शासक कालाशोक की मृत्यु के बाद मगध पर नंद वंश नामक एक शक्तिशाली राजवंश की स्थापना हुई।
- पुराणों के अनुसार इस वंश का संस्थापक महापद्म नंद एक शूद्र शासक था। उसने 'सर्वअभावंक' की उपाधि धारण की।
- महापद्म नंद ने कलिंग के कुछ लोगों पर अधिकार कर लिया था। वहां उसने एक नहर का निर्माण कराया।
- महापद्म नंद ने कलिंग के गिनसेन की प्रतिमा उठा ली थी। उसने एकराट की उपाधि धारण की।
- नंद वंश का अतिम शासक घनानंद था, जिसे ग्रीक लेखकों ने 'अग्रमीज' कहा है।
- घनानंद के शासन काल में 325 ई. पू. में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था।
5. मौर्य वंश (321 ई.पू. – 185 ई.पू.)
- मौर्य राजवंश प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था।
- मौर्य राजवंश ने 137 वर्ष भारत में राज्य किया।
- इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री चाणक्य (कौटिल्य) को दिया जाता है।
- सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ।
- चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्यवंश का वृहद स्तर पर विस्तार हुआ।
6. शुंग वंश (185 ई.पू. – 75 ई.पू.)
- शुंग वंश की स्थापना 544 ई. पू. में पुष्यमित्र शुंग के द्वारा की गई थी।
- शुंग वंश प्राचीन भारत का एक ब्राह्मण वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया।
- इसका शासन उत्तर भारत में 185 ई.पू. से 73 ई.पू. तक यानि 112 वर्षों तक रहा था।
7. कण्व वंश (75 ई.पू. – 30 ई.पू.)
- कण्व वंश की स्थापना राजा वसुदेव ने 75 ई. पू. में की थी।
- वसुदेव अंतिम शुंग वंश के अंतिम सम्राट देवभूति का मंत्री था।
- वसुदेव ने आपने राजा की हत्या करके कण्व वंश की स्थापना की।
- वैदिक धर्म एवं संस्कृति संरक्षण की जो परम्परा शुंगो ने प्रारम्भ की थी उसे कण्व वंश ने जारी रखा।
8. सातवाहन वंश (30 ई. – 320 ई.)
- सीमुक ने सातवाहन वंश की स्थापना की था।
- पुराणों में वह सिशुक या सिन्धुक नाम से वर्णित है।
- सातवाहन राजाओं ने 300 वर्षों तक शासन किया।
9. गुप्त वंश (321 ई. – 550 ई.)
- गुप्त वंश की स्थापना श्री गुप्त ने की थी।
- इतिहासकार इस समय को भारत का स्वर्णिम युग मानते हैं।
- मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनः स्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
- गुप्त वंश का अस्तित्व इसके 100 वर्षों बाद तक बना रहा पर यह धीरे धीरे कमजोर होता चला गया।
- गुप्त वंश का अंतिम शासक विष्णुगुप्त था।
10. पाल वंश (780 ई. – 1162 ई.)
- राजा गोपाल को पाल वंश का संस्थापक तथा पहला स्वतंत्र राजा माना जाता है।
- पाल साम्राज्य मध्य कालीन "उत्तर भारत" का सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण साम्राज्य माना जाता है।
- पाल राजाओं के काल मे बौद्ध धर्म को बहुत बढ़ावा मिला।
- पाल वंश का अंतिम राजा गोविन्द पाल को माना जाता है।
आज के इस पोस्ट में मगध साम्राज्य के राजवंश के बारे में विस्तार से जाना जो प्रायः प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। मगध साम्राज्य इतिहास का एक विशाल साम्राज्य माना जाता है। परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को इसके बारे में जरुर जानना चाहिए ।
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