विश्व की प्राचीन सभ्यताएं (ancient world civilization)
आज के इस पोस्ट में हम विश्व की प्राचीन सभ्यता के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे जिस प्रकार हम भारत की सभी प्राचीन सभ्यता को जानते हैं वैसे ही हमें विश्व की प्राचीन सभ्यता के बारे में जानना चाहिए | यह हमारे सामान्य ज्ञान के लिए भी बहुत उपयोगी हैं |
इसके आलावा अक्सर कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे-UPSC,STATE PCS,RRB,NTPC,SSC,RAILWAY,BANKING PO ,BANKING CLERK इत्यादि में पूछे जाते हैं। विश्व की प्राचीन सभ्यता यानि ancient world civilization के बारे में कई सवाल पूछे जाते हैं |
ज्यादातर छात्रो को भारत के प्राचीन सभ्यता के बारे ही पता रहता हैं इसलिए हमने आज आपको विश्व की प्राचीन सभ्यताएं (ancient world civilization) से जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारी दिया हैं |
आगे हमने आपको बताया है की विश्व की प्राचीन सभ्यता कौन सी है ? विश्व की प्राचीन सभ्यता (ancient world civilization) यह विश्व इतिहास की जानकारी हेतु महत्वपूर्ण हैं | आगे आप मिस्त्र की सभ्यता सुमेर सभ्यता का इतिहास इनके बारे में जानेंगे |
मिस्त्र की सभ्यता
- मिस्र की सभ्यता का प्रारंभ 3400 ई.पू. में हुआ।
- मिस्र को नील नदी की देन कहा गया हैमिस्र के बीच से नील नदी बहती है, जो मिस्र की भूमि को उपजाऊ बनाती है।
- यह सभ्यता प्राचीन विश्व की अति विकसित सभ्यता थीइस सभ्यता ने विश्व की अनेक सभ्यताओं को पर्याप्त रूप से प्रभावित किया है।
- सामाजिक जीवन में सदाचार का महत्व मिस्र सभ्यता से प्रसारित हुआ है।
- सामाजिक जीवन की सफलता के लिए उन्होंने नैतिक नियमों का निर्धारण किया।
- मिस्र के राजा को फराओ कहा जाता था।
- उसे ईश्वर का प्रतिनिधि तथा सूर्य देवता का पुत्र माना जाता था।
- मरणोपरान्त राजा के शरीर को पिरामिड नामक मंदिर में सुरक्षित रख दिया जाता था।
- पिरामिडों को बनाने का श्रेय फराओ के वजीर अमहोटेप को हैमिस्रवासियों को मरणोत्तर जीवन में विश्वास था। मृतकों के शवों को सुरक्षित रखने के लिए शवों पर रासायनिक द्रव्यों का लेप लगाया जाता था।
- ऐसे मृतक शरीर को 'ममी' कहा जाता था
- शिक्षा के क्षेत्र में सर्वप्रथम व्यवस्थित विद्यालयों का प्रयोग यहीं हुआ था और यहीं से अन्यत्र प्रचलित हुआ। विज्ञान के क्षेत्र में मिस्रवासी विश्व में अग्रणी समझे जाते हैं।
- रेखागणित में जितना ज्ञान उन्हें था उतना विश्व में अन्य लोगों को नहीं था।
- कैलेण्डर सर्वप्रथम यहीं तैयार हुआ। सूर्य घड़ी एवं जल घड़ी का प्रयोग भी सर्वप्रथम यहीं हुआ।
- अमहोटेप चतुर्थ (1375 ईसा पूर्व से 1358 ईसा पूर्व) मानव इतिहास का पहला सिद्धांतवादी शासक था। उसे आखनाटन के नाम से भी जाना जाता है।
मेसोपोटामिया की सभ्यता
- वर्तमान इराक अनेक सभ्यताओं का जन्मदाता रहा है।
- मिस्त्र सभ्यता के समकक्ष तथा समकालीन मेसोपोटामिया की सभ्यता विकसित हुई।
- यूनानी भाषा में मेसोपोटामिया का अर्थ नदियों के बीच की भूमि होता है।
- यह सभ्यता दजला एवं फरात नदियों के बीच के क्षेत्र में विकसित हुई।
- प्राचीन काल में दजला एवं फरात के बिल्कुल दक्षिणी भाग को सुमेर कहा जाता था।
- मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास सर्वप्रथम सुमेर प्रदेश में हुआ। सुमेर के उत्तर-पूर्व भाग को बेबीलोन (बाबुल) कहा जाता था।
- नदियों के उत्तर की उच्च भूमि का नाम असीरिया था।
- सुमेर, बेबीलोन तथा असीरिया सम्मिलित रूप से मेसोपोटामिया कहलाते थे।
सुमेरिया की सभ्यता
- सुमेरियनों ने एक बड़े ही सुसंगठित राज्य की स्थापना की।
- प्रत्येक नगर राज्य का एक राजा था, जिसे पुरोहित या पतेसी कहा जाता थाधर्म एवं मंदिरों के विशिष्ट स्थल थेदेव मंदिरों को जिगुरत कहा जाता था।
- राजा ही मंदिर का बड़ा पुरोहित होता थासुमेरियनों की महत्वपूर्ण देन लेखन-कला है।
- उन्होंने एक लिपि का आविष्कार किया, जिसे कीलाकार लिपि कहा जाता है।
- इसे वे तेज नोक वाली वस्तु से मिट्टी की पट्टियों पर लिखते थे उन्होंने ही समय मापने के लिए सर्वप्रथम 60 अंक की कल्पना की तथा चन्द्र पंचांग का प्रयोग किया।
- वृत्त के केंद्र में 360 अंश का कोण बनता है। इस माप की कल्पना भी सर्वप्रथम सुमेर के लोगों ने ही की।
बेबीलोन की सभ्यता
- सुमेरियन लोगों ने जिस सभ्यता का निर्माण किया उसी के आधार पर बेबीलोन की सभ्यता का विकास हुआ।
- निपुर इसका प्रमुख नगर था।
- बेबीलोन का प्रसिद्ध शासक हम्बुराबी (2124 ई.पू. से 2081 ई.पू.) था, जो एमोराइट राजवंश का था।
- हम्बुराबी की सबसे बड़ी देन कानूनों की संहिता है।
- हम्बुराबी विश्व का पहला शासक था, जिसने सर्वप्रथम कानूनों का संग्रह कराया।
- धर्म का महत्वपूर्ण स्थान था। लोग बहुदेववादी थे। माईक सबसे बड़ा देवता समझा जाता था।
असीरिया की सभ्यता
- हम्बुराबी के शासनकाल में यह बेबीलोनिया का सांस्कृतिक उपनिवेश था असीरिया की सबसे बड़ी देन उसकी शासन-प्रणाली है।
- असुर देवता राज्य का स्वामी माना जाता था तथा राजा उसके प्रतिनिधि के रूप में शासन करता था।
- भवन-निर्माण कला तथा चित्रकला में असीरिया ने काफी उन्नति की।
- नींव में पक्की ईंटों का तथा दीवारों में धूप में सुखाई गई ईंटों का प्रयोग किया जाता था।
चीन की सभ्यता
- ह्यांग-हो नदी को घाटी में प्राचीन चीन की सभ्यता का विकास हुआ।
- यह स्थान चीन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है।
- यह क्षेत्र विश्व के अत्यधिक उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है
- इसे 'चीन का विशाल मैदान' कहा जाता है।
- द्वांग-हो नदी को पीली नदी भी कहते हैं, इसलिए चीन की प्राथमिक सभ्यता को 'पीली नदी घाटी सभ्यता' भी कहा जाता है।
- इस दौरान चीन में वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण उन्नति हुई
- कागज एवं छपाई का आविष्कार चीन की देन है।
- भूकम्प का पता लगाने वाले यंत्र सिस्मोग्राफ का आविष्कार चीनवासियों ने ही किया था।
- ह्यांग टी (लगभग 2700 ई.पू.) की पत्नी ली-जू (Lci-Zu) ने पहले-पहल चीनी लोगों को रेशम के कीड़ों का पालन सिखाया।
- रेशम के हल्के वस्त्रों का निर्माण एवं प्रयोग सर्वप्रथम चीन में ही हुआ।
- शी-द्वांग टी (लगभग 247 ई.पू.) ने समस्त चीन को एक राजनैतिक सूत्र में आबद्ध किया।
- चीन वंश के नाम पर ही पूरे देश का नाम चीन पड़ा। राजा को वांग कहा जाता था।
- चीन में छठी शताब्दी ईसा पूर्व दार्शनिक चिंतन का उद्भव हुआ।
- दार्शनिक कन्फ्युशियस (551 ई.पू. से 479 ई.पू.) को कुंग जू या ऋषि कुंग के नाम से भी संबोधित किया जाता है। पुच्छल तारा सर्वप्रथम चीन में ही 240 ई. में देखा गया था।
- दिशासूचक यंत्र का आविष्कार चीन में ही हुआ।
- चीन के लोगों ने ही सर्वप्रथम यह पता लगाया था कि वर्ष में 365% दिन होते हैं। पेय पदार्थ के रूप में चाय का सर्वप्रथम प्रयोग चीन में ही प्रारंभ हुआ।
यूनान की सभ्यता
- यूनान की सभ्यता को यूरोपीय सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है।
- क्रीट की सध्यता प्राचीन यूनानी सभ्यता की जननी कही जाती है।
- क्रोट की राजधानी नासौस थी।
- 1200 ईसा पूर्व आर्यों की डोरियन शाखा ने यूनान में प्रवेश कर वहाँ अपना प्रभुत्व जमा लिया।
- यूनान को हेल्स भी कहा जाता था। इसलिए उसकी पुरानी सभ्यता 'हेलनिक सभ्यता' भी कहलाती है।
- पर्वतीय प्रदेश होने के कारण यूनान छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त हो गया।
- विभिन नगर राज्यों में स्पार्टा और एथेन्स अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली थे।
- स्मार्य सैन्य तंत्रात्मक राज्य था। एथेन्स में गणतंत्रात्मक पद्धति का विकास हुआ था।
- एथेन्स में 600 ईसा पूर्व में ही गणतांत्रिक शासन पद्धति के सफल प्रयोग हुए।
- 490 ई.पू. में फारस के राजा ने यूनान पर आक्रमण कर दिया।
- फलतः दोनों पक्षों में युद्ध शुरू हो गया, जो 448 ई.पू. तक चलता रहा।
- पेरिक्लीज (469 ई.पू. से 429 ई.पू.) का युग यूनान के इतिहास में स्वर्ण युग था।
- जिस युग में महान कवि होमर ने अपने दो महाकाव्यों-इलियड तथा ओडिसी, की रचना की उसे होमर युग कहा जाता हैसिकन्दर कालीन युग को हेलीनिस्टिक युग कहा जाता है |
- सिकन्दर मेसीडोनिया के राजा फिलिप द्वितीय का पुत्र थाअरस्तू ने सिकंदर को शिक्षा प्रदान की थी।
- भारत पर आक्रमण के क्रम में 326 ई.पू. में झेलम नदी के तट पर सिकंदर ने राजा पोरस को हराया था। सुकरात, प्लेटो और अरस्तू प्राचीन यूनान के प्रमुख विचारक और दार्शनिक थे।
रोम की सभ्यता
- रोम की सभ्यता का विकास यूनानी सभ्यता के अपकर्ष के बाद हुआ।
- यह यूनानी सभ्यता से प्रभावित थी। रोमन सभ्यता का केंद्र रोम नामक नगर था, जो इटली में स्थित है।
- इटली में एक उन्नत सभ्यता को विकसित करने का श्रेय एट्रस्कन नामक एक अनार्य जाति को है। रोम एवं कार्थेज के बीच (264 ई.पू. से 146 ई.पू.) एक शताब्दी से अधिक तक संघर्ष चला।
- इस बीच तीन भीषण युद्ध हुए। इन युद्धों को प्यूनिक युद्ध के नाम से जाना जाता है।
- इस युद्ध में रोम की विजय हुई। जूलियस सीजर रोम के साम्राज्य का बिना ताज का बादशाह था।
- इसकी गणना विश्व के सर्वश्रेष्ठ सेनापतियों में की जाती है। ऑगस्टस (31 ई.पू. से 14 ई.पू.) का काल रोमन सभ्यता का स्वर्ण-काल माना जाता है।
- जूलियस सीजर ने 365 दिनों का वर्ष बनाया।
- आधुनिक अस्पतालों के संगठन की कल्पना रोमन सभ्यता की देन है।
- रोमन दर्शन एवं धर्म ने विश्व सभ्यता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला । जहाँ तक धर्म का संबंध है, ईसाई धर्म का प्रसार रोम की ही देन है। रोम का पोंप कालांतर में सम्पूर्ण यूरोप की राजनीति का संचालक बन गया।
- रोम की राष्ट्रभाषा 'लैटिन' की महत्ता उसके विस्तृत प्रभाव से स्पष्ट परिलक्षित होती है।
- अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य का जो स्वरूप आज उपलब्ध है. वह लैटिन भाषा की ही देन है।
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