द्वितीय विश्व युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाएं (Important Incidents of Second World War)

द्वितीय विश्व युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाएं (Important Incidents of Second World War)

नमस्कार मित्रों, आज इस पोस्ट में हम द्वितीय विश्व युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाओं (Important Incidents of Second World War) के बारे में जानेंगे। द्वितीय विश्व युद्ध से पुरे विश्व को जान-माल का बहुत नुकसान हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर ही तैयार हो गयी थी। साम्राज्यवाद की चाह में सभी राष्ट्र अपना-अपना साम्राज्य विस्तार करना चाहते थे। इसी के फलस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध  के बीज पड़े। और अंतत: पुरे विश्व को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़े प्रश्न प्राय: प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- upsc, state pcs, rrb, ntpc, railway, banking, ibps, net/jrf  इत्यादि में पूछे जाते हैं। इसलिए द्वितीय विश्व युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाओं की इस पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ें।


द्वितीय विश्वयुद्ध : 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इसमें लगभग 100 मिलियन लोग शामिल हुए थे और 50 मिलियन लोग (दुनिया की आबादी का लगभग 3%) मारे गए थे।
Important Incidents of Second World War in hindi

द्वितीय विश्वयुद्ध : 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इसमें लगभग 100 मिलियन लोग शामिल हुए थे और 50 मिलियन लोग (दुनिया की आबादी का लगभग 3%) मारे गए थे।

द्वितीय विश्व युद्ध में क्या क्या हुआ था?

    फ्रांस का पतन :

    • जून, 1940 को जर्मनी एवं इटली ने फ्रांस पर आक्रमण कर दिया। फलतः फ्रांसीसी सत्ता ने इन दोनों के संयुक्त आक्रमण के दबाव में आत्मसमर्पण कर दिया। 
    • इसकी परिणाम यह हुई कि नाजी सेना को स्वीट्जरलैण्ड के उत्तर-पश्चिम फ्रांस के संपूर्ण भू-भाग पर नियंत्रण स्थापित करने का अधिकार मिला। 
    • इतना ही नहीं फ्रांसीसी सेनाओं का निःशस्त्रीकरण कर दिया गया। इस आक्रमण से इटली को भी लाभ तथा फ्रांस के कुछ भू-भाग इसे प्राप्त हो गये। 
    • जर्मनी के इस फ्रांसीसी विजय के फलस्वरूप ब्रिटेन में खलबली मच गई। इस स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने जनरल दी गॉल के नेतृत्व में गठित फ्रांसीसी सरकार को शीघ्र ही मान्यता दे दी और अब इसी नवगठित फ्रांसीसी सरकार ने फ्रांस के प्रतिनिधि के रूप में धुरी राष्ट्रों का सामना किया।
    देखे - प्रथम विश्वयुद्ध के बाद क्या हुआ?

    ब्रिटेन पर जर्मनी का आक्रमण : 

    • फ्रांस के आत्समर्पण के पश्चात स्वाभाविक रूप से ब्रिटेन की कठिनाइयां बढ़ गई। 
    • इसका कारण एक यह था कि फ्रांसीसी युद्ध साम्रगी जर्मनी के हाथों में आ रही थी, एवं इस युद्ध साम्रगी का प्रयोग ब्रिटेन के विरूद्ध होने की संभावना बढ़ गई थीसाथ ही, अमेरिका भी यूरोपीय तटस्थ देशों पर जर्मनी के आक्रमण से संशकित हो गया था।
    • अतः इस भय की स्थिति में अमेरिका ने ब्रिटेन को सहायता देनी शुरू कर दीएक और महत्त्वपूर्ण बात जो सामने आई वह यह थी कि जर्मनी से पराजित होकर यूरोपीय देशों की सरकारें ब्रिटेन में जाकर जर्मनी के विरूद्ध अपने देशवासियों को भड़काती रहती थीं। 
    • यही कारण था कि हिटलर ब्रिटेन के इन कृत्यों से रूष्ट था। 
    • अंततः हिटलर ने ब्रिटेन पर आक्रमण कर दिया, (जुलाई, 1940) परन्तु प्रबल ब्रिटिश प्रतिरोध के कारण ही हिटलर ने पूर्वी यूरोप पर अधिकार करने की यथेष्ट कोशिश की। 

    स्टालिनग्राड का युद्ध : 

    • स्टालिनग्राड पर अधिकार स्थापित करने के उद्देश्य से हिटलर ने 1942 में इस क्षेत्र पर आक्रमण किया परन्तु सोवियत प्रतिरोध के कारण उसे आत्मसमर्पण करना पड़ा और जर्मन सैनिकों को भारी तबाही का सामना करना पड़ा। 
    • इतना ही नहीं, स्टालिनग्राड के युद्ध में सोवियत संघ की इस सफलता के फलस्वरूप सोवियत संघ ने बाल्टिक क्षेत्र को नाजी अधिपत्य से मुक्त करते हुए बर्लिन पर कब्जा कर लिया। 
    • इस दुःखद स्थिति में हिटलर ने बर्लिन के एक बंकर में आत्महत्या कर ली।
    देखे - द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद क्या हुआ?

    पोलैण्ड पर आक्रमण :

    • जर्मनी एवं रूस के मध्य पोलैण्ड को आपस में बांट लेने संबंधी समझौतों के फलस्वरूप 1 सिंतबर 1939 को जर्मन सेना ने द्रुतगति से पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया एवं 27 सिंतबर तक पोलैण्ड ने जर्मनी के समक्ष आत्म-समर्पण कर दिया।
    • अब जर्मनी एवं रूस ने इसे आपस में बांट लिया। 
    • इस क्षेत्र में युद्ध जापान एवं अमेरिका से संबंधित था। जापान द्वारा पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थित पर्ल हॉर्बर (अमेरिका नौ सैनिक अड्डा) पर आक्रमण कर दिए जाने के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में युद्ध का आगाज हुआ। 
    • जापानी हमले के परिणामस्वरूप पर्ल हार्बर क्षेत्र के अनेक युद्धपोत नष्ट कर दिए गए। जापानी सेना अत्यंत ही तीव्र गति से सिंगापुर, हांगकांग, मलाया, बर्मा आदि पर अधिकार करते हुए बंगाल की खाड़ी तक पहुंच गई। 
    • जापानियों को इन प्रारंभिक उपलब्धियों के प्रतिक्रियास्वरूप अमेरिकी सेना ने भी कोरल एवं मिडवे द्वीप के युद्ध में जापनियों को पराजित किया।

    रूसी प्रसार : 

    • अपनी सुरक्षा हेतु रूस तीन बाल्टिक राज्यों यथा-इस्टोनिया, लाटविया एवं लिथुआनिया पर प्रभाव स्थापित करना चाहता था। 
    • इस संबंध में सितंबर-अक्टूबर (1939) में इन बाल्टिक देशों एवं सोवियत संघ के बीच पारस्परिक सहयोग की संधि हुई। 
    • इस संधि के फलस्वरूप सोवियत संघ को इन तीनों राष्ट्रों में सेना रखने की अनुमति मिल गई। इसके बदले में सोवियत संघ ने इन राष्ट्रों की प्रादेशिक अखंडता को बनाए रखने को पूर्ण आश्वासन दिया। परन्तु फिनलैंड के साथ रूस का संघर्ष हो गया। 
    • रूस अपनी सुरक्षा हेतु फिनलैंड पर भी बेहतर नियंत्रण स्थापित करना आवश्यक समझता थारूस की सैन्य कारवाई के फलस्वरूप आत्मसमर्पण करना पड़ा।
    • इसके पश्चात् होने वाली संधि के अनुसार, रूस को अपनी सुरक्षा से संबंधित सारी सुविधाएं प्राप्त हो गई।
    देखें - 200 देशों का जनसंख्या लिस्ट

    नार्वे एवं डेनमार्क पर जर्मनी का आक्रमण :

    • जर्मनी मूलत बिटेन एवं फ्रांस से युद्ध करने के लिए नार्वे एवं डेनमार्क के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना आवश्यक समझता था।
    • समस्या यह थी कि अभी तक परंपरागत रूप से ये देश तटस्थ रहे थे हिटलर ने अपनी सूझ-बूझ का परिचय देत हुए।
    • अप्रैल 1940 में नार्वे एवं डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया। अंततः नार्वे एवं डेनमार्क में नात्सी सरकार सत्तासीन हुई।

    हॉलैण्ड, बेल्जियम एवं लक्जमबर्ग पर जर्मन आक्रमण :

    • ये तीनों देश तटस्थ थेपरन्तु हिटलर ने इन तीनों देशों पर फ्रांस एवं ब्रिटेन को सहायता पहुंचाने का आरोप लगाया।
    • इन्ही आरोपी के आधार पर हिटलर ने अत्यत ही द्रुतगति से इन पर आक्रमण कर इन्हें विजित कर लिया।

    नई यूरोपीय व्यवस्था :

    • सोवियत संघ पर हिटलर के आसन्न आक्रमण की योजना की एक कड़ी के रूप में इटली एवं जापान के साथ एक त्रिदलीय समझौता हुआ। 
    • इस समझौते की मूल बातों के मूल में थी कि इन तीनों देशों ने अपने-अपने क्षेत्रों में एक-दूसरे का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया। 
    • यही व्यवस्था यूरोप की नई व्यवस्था के नाम से प्रसिद्ध हैकालान्तर में इस व्यवस्था को बुल्गारिया, रूमानिया एवं यूगोस्लाविया को भी मानते हेतु बाध्य किया। 
    • अंततः हिटलर ने यूनान को विजित कर जर्मन साम्राज्य में शामिल कर लिया।

    पश्चिमी एशिया में युद्ध :

    • प्राकृतिक संसाधन विशेष रूप से पेट्रोलियम पदार्थों से संपन्न पश्चिमी में एशियाई क्षेत्र दोनों गुटों यथा मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र दोनों के लिए थे। 
    • जर्मनी एवं इटली ये दोनों देश तेल की आवश्यकता हेतु मूल रूप से इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हुए थे जबकि ब्रिटेन हेतु स्वेज नहर थे का महत्त्व जीवन रेखा के समान था।
    • संयोगवश जर्मनी ने इराक में ब्रिटिश समर्थक सरकार को पदच्युत कर जर्मन समर्थन सरकार स्थापित की।
    • इसकी प्रतिक्रिया के रूप में ब्रिटिश सरकार ने सैन्य कार्रवाई कर इराक में पुनः ब्रिटिश समर्थक सरकार कायम की।
    • इस घटना के पश्चात् ब्रिटेन ने पश्चिमी एशिया के विस्तृत भू-भाग के अंतर्गत फिलिस्तीन, ट्रांसजॉर्डन, इराक, सीरिया तथा लेबनान पर प्रभुत्व कायम कर लिया।
    • यद्यपि अगस्त, 1939 को हुए मास्को संधि के तहत् रूस एवं जर्मनी एक-दूसरे के नजदीक आए, परन्तु रूस इस स्थिति से वाफिक थाकि जर्मनी का मूल उद्देश्य साम्यवादी सोवियत संघ का समूल नष्ट करना हैपरन्तु दाव-पेंच के बीच में सोवियत संघ एवं जापान के मध्य एक अनाक्रमण संधि हुई। 
    • संशय की इस स्थिति में जर्मनी ने रूस पर आक्रमण कर दिया। 
    • जर्मनी एवं रूस के मध्य होने वाले इस युद्ध को हिटलर ने 'धर्मयुद्ध' की संज्ञा दीइस युद्ध में इटली, रूमानिया, चेकोस्लोवाकिया आदि देश रूस के विरूद्ध शामिल हो गए। 
    • परन्तु सोवियत रूस ने दृढ़ता पूर्वक जर्मन आक्रमण का सामना किया। 
    • सोवियत रूस को इस गंभीर संकट से निजात दिलाने हेतु ब्रिटेन एवं अमेरिका तैयार हुआ तथा रूस की सहायता हेतु ब्लाडीवोस्टक एवं फ्रांस के रास्ते का उपयोग करने की बात तय हुई। 
    • इस समय फ्रांस पर जर्मन प्रभाव कायम था। 
    • अतः स्थिति में ब्रिटेन एवं रूसी सेना ने मिलकर फ्रांस पर आक्रमण किया और अंततः उस पर अधिकार कर लिया।
    • जर्मनी की सेना भी मास्को तक पहुंच गयी परन्तु रूसियों के आत्मविश्वास, जबर्दस्त ठंड का वातावरण एवं अमेरिकी सहायता के परिणामस्वरूप जर्मन सेना पीछे हटने को बाध्य हो गई।

    पश्चिमी मोर्चा : 

    • यह विचार मूल रूप से स्टालिन का थाजब रूस पर जर्मनी का आक्रमण हुआ तो एक नए मोर्चे के रूप में पश्चिमी मोर्चा खोलने की आवश्यकता अनिवार्य हो गई। 
    • पूर्वी मोर्चे पर मित्रराष्ट्रों को जर्मनी की तरफ से जबर्दस्त दबाव पड़ रहा थाइस पश्चिमी मोर्चे ने मित्रराष्ट्रों को मजबूत आधार प्रदान किया, क्योंकि इस मोर्चे के कारण जर्मनी को पश्चिमी मोर्चे पर भी मित्रराष्ट्रों का सामना करना पड़ा। 
    • पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों मोर्चे से बर्लिन पर आक्रमण किया गया। 
    • फलतः 2 मई, 1945 को जर्मनी को आत्मसमर्पण करना पड़ा। इधर जापान पर भी मित्रराष्ट्रों का दबाव बढ़ने लगा। 
    • 6 अगस्त एवं 9 अगस्त 1945 को जापान के दो शहरों क्रमशः हिरोशिमा एवं नागासाकी पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिरा गए। 
    • इस घटना के फलस्वरूप जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। 
    • अंततः हिटलर एवं मुसोलिनी की आक्रामकता, जापान की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति आदि के परिणामस्वरूप द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ 1 सितंबर, 1939 को हुआ, जिसकी समाप्ति 2 सिंतबर, 1945 को जापान के आत्मसर्पण के साथ हुई। 
    • यह एक भयंकर युद्ध था, जिसमें पहली बार परमाणु बम का उपयोग किया गया।
    आज  इस पोस्ट के माध्यम से हमने द्वितीय विश्व युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाओं  (Important Incidents of Second World War) के बारे में जाना। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा  की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है । इसलिए  इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है।

    आशा करता हूँ कि द्वितीय विश्व युद्ध की महत्त्वपूर्ण घटनाएं (Important Incidents of Second World War) की यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी, अगर आपको पोस्ट पसंद आये तो पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

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