कोशिका और कोशिकांग की संरचना (Structure of all parts of the Cell in Hindi)

कोशिका और कोशिकांग की संरचना | Structure of all parts of the Cell in Hindi

हेलो दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम कोशिका और कोशिका की सरंचना के बारे में जानेंगे। कोशिका (cell) चाहे मानव की हो या पादप की उसके शरीर की सबसे छोटी जीवित इकाई होती है. जिसके अन्दर भी बहुत से छोटे-छोटे भाग (कोशिकांग) होते है. इस पोस्ट में हम कोशिका की उन्ही कोशिकांगों (parts of the Cell) के बारे में विस्तार से अध्ययन करने वाले है। कोशिका से जुड़े सवाल विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसलिए इसके बारे में हमें जरुर जानना चाहिए। कोशिका के बारे में पूरी जानकारी के लिए इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।




Structure of all parts of the Cell


कोशिका संरचना (Cell structure) : कोशिका का निर्माण विभिन्न घटकों से होता है, जिन्हें कोशिकांग (Cell organelle) कहते हैं। प्रत्येक कोशिकांग एक विशिष्ट कार्य करता है। इन कोशिकांगों के कारण ही कोशिका एक जीवित संरचना है, जो जीवन सम्बन्धी सभी कार्य करने में सक्षम होती है। जीवों के सभी प्रकार की कोशिकाओं में एक ही प्रकार के कोशिकांग पाये जाते हैं।


अध्ययन की सुगमता की दृष्टि से कोशिका को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है 

  1. कोशिका झिल्ली (Cell membrane) 
  2. कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) 
  3. केन्द्रक (Nucleus)

कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) एवं केन्द्रक (Nucleus) को सम्मिलित रूप से जीवद्रव्य या प्रोटोप्लाज्य (Protoplasm) कहा जाता है।

Structure of all parts of the Cell in Hindi

picture of animal cell

     कोशिका झिल्ली (Cell membrane) : 

    • प्रत्येक कोशिका के सबसे बाहर चारों ओर एक बहुत पतली, मुलायम और लचीली झिल्ली होती है जिसे कोशिका झिल्ली या प्लाज्मा झिल्ली का प्लाज्मा मेम्ब्रेन (Plasma membrane) कहते हैं। 
    • यह झिल्ली जीवित एवं अर्द्ध पारगम्य (Semipermeable) होती है।
    • चूँकि इस झिल्ली द्वारा कुछ ही पदार्थ अंदर तथा बाहर आ-जा सकते हैं, सभी पदार्थ नहीं । 
    • अतः इसको चयनात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively permeable membrane) भी कहते हैं। 
    • पड़ती है जिसमें बीच-बीच में अनेक छिद्र उपस्थित होते हैं। 
    • कोशिका झिल्ली लिपिड (Lipid membrane) भी कहते हैं। 
    • इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदशी में यह एक दोहरी झिल्ली के रूप में दिखलायी और प्रोटीन (Protein) की बनी होती है। 
    • इसमें दो परत प्रोटीन तथा इनके बीच में एक परत लिपिड का रहता है।
    • कोशिका झिल्ली एक सीमित झिल्ली का कार्य करती है। 
    • यह कोशिका का एक निश्चित आकार बनाए रखने में मदद करती है।
    • साथ-सी-साथ यह कोशिका को यांत्रिक सहारा (Mechanical Support) भी प्रदान करती है। 
    • यह भिन्न-भिन्न प्रकार के अणुओं को बाहर निकलने एवं अंदर आने में नियंत्रण करती है। 
    • जन्तु कोशिका में यह सीलिया (Cilia), फ्लैजिला (Flagella),माइक्रोमिलाई (Microvilli) आदि के निर्माण में सहायक होता है।

    कोशिका भित्ति (Cell wall) :

    Cell wall in hindi


    • पादप कोशिकाएँ (Plant Cells) चारों ओर से एक मोटे और कड़े आवरण द्वारा घिरी रहती हैं, इसी आवरण को कोशिका भित्ति कहते हैं। 
    • कोशिका मिति मुख्यतः सेल्यूलोज (Cellulose) की बनी होती है। 
    • यह पारगम्य (Permeable) होती है।
    • सेल्यूलोज एक जटिल पदार्थ है जो पादप कोशिकाओं को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है। 
    • इसी कारण कोशिका भित्ति कड़ी और निर्जीव होती है।
    • इसमें विभिन्न प्रकार के स्थूलन (Thickenings) मौजूद होते है तथा यह अर्द्धपारगम्य (Semipermeable) नहीं होती है। 
    • यह पादप कोशिका को एक निश्चित रूप प्रदान करती है। 
    • यह पादप कोशिका को सुरक्षा तथा यांत्रिक सहारा प्रदान करती है। 
    • यह कोशिका झिल्ली की रक्षा करती है तथा कोशिका को सूखने से बचाती है।

     कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) : 

    • जीवद्रव्य (Protoplasm) का वह भाग जो कोशिका भित्ति एवं केन्द्रक के बीच होता है, उसे कोशिकाद्रव्य कहते हैं। 
    • इसमें अनेक अकार्बनिक पदार्थ (खनिज, लवण एवं जल), तथा कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व वसा) होते हैं, जो निर्जीव पदार्थ हैं। 
    • कोशिकाद्रव्य एक बहुत गाढ़ा पारभासी (Translucent) एवं चिपचिपा पदार्थ है। 
    • इसमें अनेक रचनाएँ उपस्थित होती हैं जिनके अलग-अलग कार्य होते हैं। 
    • इन रचनाओं को कोशिकांग (Cell organelle) कहते हैं। 
    • यूकैरियोटिक कोशिकाओं में कोशिकांग झिल्लीयुक्त होते हैं, जबकि प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में ये झिल्लीयुक्त नहीं होते हैं।
    • कोशिकाद्रव्य में निम्नलिखित कोशिकांग पाये जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार की उपापचयी क्रियाओं को दक्षतापूर्वक सम्पन्न करती हैं.

    अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum) : 

    • जन्तु एवं पादप कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अत्यंत सूक्ष्म, शाखित, झिल्लीदार, अनियमित नलिकाओं का घना जाल होता है। 
    • इस जालिका को अन्तःप्रद्रव्यी जालिका कहते हैं। 
    • यह लाइपोप्रोटीन की बनी होती है और कोशिकाओं में समानान्तर नलिकाओं के रूप में फैली रहती है। 
    • कोशिकाओं में इनका विस्तार कभी-कभी केन्द्रक की बाह्य झिल्ली से प्लाज्मा झिल्ली तक होता है। 

    अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (ER) दो प्रकार की होती है -

    Endoplasmic reticulum in hindi

    (i) चिकनी अन्तः प्रद्रव्यीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum or SER) :

    • इस प्रकार की अन्तःप्रद्रव्यी जालिका की झिल्ली चिकनी होती है। 
    • इसकी सतह पर राइबोसोम नहीं पाये जाते हैं।
    • ये लिपिड साव के लिए उत्तरदायी होते हैं।

    (ii) खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) : 

    • इस प्रकार की अन्तःप्रद्रव्यी जालिका की बाहरी झिल्ली के ऊपर छोटे-छोटे कण पाये जाते हैं जिन्हें राइबोसोम (Ribosome) कहते हैं। 
    • ये प्रोटीन संश्लेषण के लिए उत्तरदायी होते हैं।

    अन्तःप्रद्रव्यी जालिका अन्तः कोशिकीय परिवहन तंत्र का निर्माण करती है। चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका वसा एवं कोलेस्ट्रॉल संश्लेषण में भाग लेती है। खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (RER) प्रोटीन संश्लेषण में मदद करते हैं। अन्तःप्रद्रव्यी जालिका केन्द्रक से कोशिकाद्रव्य में आनुवंशिक पदार्थों को जाने का पथ बनाती है।यह कोशिका द्रव्य को यांत्रिक सहारा प्रदान करती है। यह कोशिका विभाजन के समय कोशिका प्लेट (Cell plate) एवं केन्द्रक झिल्ली के निर्माण में भाग लेती है। इसके कारण ही कोशिका का सतही क्षेत्र (Surface area) काफी बढ़ जाता है।

    राइबोसोम (Ribosome) :

    Ribosome in hindi

    • इसकी खोज पैलेड (Palade) ने 1955 ई. में की थी। 
    • ये ऐसे कण हैं जो केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से ही दिखाई पड़ते हैं। 
    • ये अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की झिल्लियों की सतह पर सटे होते हैं या फिर अकेले या गुच्छों में कोशिकाद्रव्य में बिखरे रहते हैं। 
    • ऐसे राइबोसोम जो गुच्छों में मिलते हैं, पॉली राइबोसोम (Polyribosome) या पॉलीसोम (Polysome) कहलाते हैं। 
    • ये रचनाएँ प्रोटीन और आर.एन.ए. (RNA) की बनी होती है। राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेता है।

     गॉल्जी उपकरण या गॉल्जीकाय (Golgi complex):

    Golgi complex in hindi


    • इसकी खोज कैमिलो गॉल्जी (Camillo Golgi) ने 1898 ई. में की थी।
    • साधारण सूक्ष्मदर्शी से देखने पर यह मुड़ी हुई छड़ या गुच्छों के समान प्रतीत होता है। 
    • पादप कोशिका में ये कोशिका द्रव्य में मुड़ी हुई छड़ के समान रचना बनाकर बिखरे रहते हैं जिन्हें डिक्टियोसोम (Dictyosomes) कहते हैं। 
    • इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखने पर ये चारों तरफ से झिल्ली से घिरी हुई अनेक समानान्तर नलिकाओं या चपटी कुंडिकाओं या सिस्टरनी (Cisternae) की समूह की तरह होते हैं।
    • कुंडिकाओं के सिरे पर छोटी-छोटी पुटिकाएँ (Vesicles) स्थित होती हैं। 
    • इसके अतिरिक्त नीचे की तरफ बड़ी-बड़ी रिक्तिकाएँ (Vacuoles) पायी जाती गॉल्जीकाय की झिल्लियों का सम्पर्क अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (ER) की झिल्लियों से रहता है। 
    • गॉल्जीकाय कुछ यूकेरियोटिक कोशिका, स्तनधारी की लाल रुधिर कणिका, जीवाणु एवं नील हरित शैवालों में नहीं पाये जाते हैं। 
    • यह कोशिका का मुख्य स्रवण (Secretory) अंगक हैं। 
    • यह लाइसोसोम एवं पेरॉक्सिसोम के निर्माण में मदद करता है। 
    • पादप कोशिका विभाजन के समय यह कोशिका प्लेट (Cell Plate) बनाने में सहायता करता है।

    लाइसोसोम (Lysosome) :

    Lysosome in hindi


    • इसकी खोज क्रिश्चियन डि-डवे (Christian de duve) ने 1958 ई. में की थी। 
    • यह बहुत ही सूक्ष्म कोशिकांग है जो छोटी-छोटी पुटिकाओं (Vesicles) के रूप में पाये जाते हैं। 
    • इसके चारों तरफ एक पतली झिल्ली होती है। 
    • इसका आकार बहुत छोटा और वैली जैसा होता है। 
    • इसमें ऐसे एंजाइम्स होते हैं जिनमें जीवद्रव्य को घुला देने या नष्ट कर देने की क्षमता रहती है। 
    • कोशिकीय उपापचय में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है तो लाइसोसोम फट जाते हैं एवं इसमें मौजूद एन्जाइम अपनी ही कोशिका को पाचित कर देते हैं। 
    • इसके परिणामस्वरूप कोशिका की मृत्यु हो जाती है। अतः इसे आत्महत्या की थैली (Suicide bag) भी कहा जाता है।
    • यह कोशिका में प्रवेश करने वाले बड़े कणों एवं बाह्य पदार्थों का पाचन करता है। 
    • यह अंतःकोशिकीय पदार्थों तथा अंगकों के टूटे-फूटे भागों को पाचित कर कोशिका को साफ करता है। 
    • यह जीवाणु एवं विषाणु से रक्षा करता है।
    • लिका विषाणु से रक्षा करता है। 

     माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) :

    Mitochondria in hindi


    • इसकी खोज अल्टमेन (Altman) नामक वैज्ञानिक ने 1886 ई. में की थी। 
    • यह कोशिकाद्रव्य में पायी जाने वाली बहुत महत्वपूर्ण रचना है जो कोशिकाद्रव्य में बिखरी रहती है। 
    • अल्टमेन ने इसे वायोब्लास्ट तथा बेण्डा ने माइटोकॉण्ड्रिया नाम - नई दिया। 
    • इसका आकार (Size) और आकृति (Shape) परविर्तनशील होता है। 
    • यह कोशिकाद्रव्य में कणों (Chondriomits), सूत्रों (Filament), छड़ों (Chondriconts) और गोलकों = इस (Chondriospheres) के रूप में बिखरा रहता है। 
    • प्रत्येक माइटोकॉण्ड्रिया एक बाहरी झिल्ली जिन एवं एक अन्तः झिल्ली से चारों ओर घिरी रहती है तथा इसके बीच में एक तरलयुक्त गुहा होती है, जिसे माइटोकॉण्ड्रियल गुहा (Mitochondrial cavity) कहते हैं। 
    • माइटोकॉण्ड्रिया की भीतरी बात झिल्ली से अनेक प्रवर्द्ध निकलकर माइटोकॉण्ड्रियल गुहा मैट्रिक्स (Matrix) में लटके रहते हैं जिन्हें क्रिस्टी (Cristae) कहते हैं। 
    • क्रिस्टी की सतह पर F, कण या ऑक्सीसोम (Oxysome) पाये जाते हैं। 
    • माइटोकॉण्ड्रिया को ऊर्जा उत्पन्न करने के कारण कोशिका का ऊर्जा गृह (Power house of the cell) कहा जाता है। 
    • इसे कोशिका का ऊर्जा गृह इसलिए कहते हैं कि 36 ATP अणु जो कि एक ग्लूकोज अणु के टूटने से बनते हैं उनमें 34 ATP (ब्स चक्र के दौरान) माइटोकॉण्ड्रिया ।

     लवक (Plastid) :

    Plastids in hindi


    • यह केवल पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं। ये कोशिकाद्रव्य में चारों ओर बिखरे रहते हैं।
    • ये आकार में मुख्यतः अंडाकार, गोलाकार या तश्तरीनुमा (Disc shaped) होते हैं। 
    • इसके अलावा ये भिन्न-भिन्न आकार जैसे-तारानुमा, फीतानुमा, कुण्डलाकार आदि भी हो सकते हैं। 
    • ये तीन प्रकार के होते हैं जो सूर्य के प्रकाश से वंचित रहते हैं। 
    • जैसे-जड़ एवं भूमिगत तनों में। यह स्टार्च कणिकाओं 

    (i) अवर्णीलवक (Leucoplasts) : 

    • यह पौधों के उन भागों की कोशिकाओं में पाया जाता एवं तेलबिन्दु को बनाने एवं संग्रहीत करने हेतु उत्तरदायी होता है। 
    • में ही बनते हैं।

    (ii) वणीलवक (Chromoplast) : 

    • ये रंगीन लवक होते हैं जो प्रायः लाल, पीले एक रंग के होते हैं।
    • ये पौधों के रंगीन भागों जैसे-पुष्प, फलाभित्ति, बीज आदि में पाये जाते ही संरचना है, क्योंकि इसी में मौजूद वर्णकों (Chlorophyll) की सहायता से प्रकाश संश्लेषण के 

    (iii) हरित लवक (Chloroplast) :

    • पौधों के लिए हरित लवक बहुत ही महत्वपूर्ण कौशिक क्रिया सम्पन्न होती है। 
    • इस कारण हरित लवक को कोशिका का रसोई घर कहा जाता है।
    • दिन लवक में पर्णहरित के अलावा कैरोटिन (Carotene) एवं जेन्थोफिल (Xanthophyll) नामक वर्णक भी पाये जाते हैं। 
    • पत्तियों का रंग पीला होने के कारण उनमें कैरोटिन का निर्माण होला है। पर्णहरित में मैग्नीशियम (Mg) धातु उपस्थित होता है।

    रसधानी (Vacuole) :

    Vacuole in hindi


    • कोशिका की रसधानियाँ (Vacuoles) चारों ओर से एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली से घिरी रहती है, जिसे टोनोप्लास्ट (Tonoplast) कहते हैं।
    • रसधानियाँ छोटी अथवा बाद हो सकती हैं। इन रसधानियों के अंदर ठोस या तरल पदार्थ भरा रहता है। 
    • जन्तु में रसधानियाँ छोटी होती हैं जबकि पादप कोशिकाओं में ये बड़ी होती हैं। 
    • पादप कोशिकाओं की रसधानियों में ‘कोशिका रस (Cell sap) भरा रहता है जो कि निर्जीव पदार्थ होता है।
    • जन्तु कोशिका में रसधानियाँ जल संतुलन का कार्य करती हैं। 
    • पादप कोशिका में ये स्फीति (Turgidity) तथा कठोरता प्रदान करती है। 
    • कुछ एक कोशिकीय जीवों में विशिष्ट रसधानियाँ कुछ अपशिए पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होती हैं। 

     तारककाय (Centrosome) :

    Centrosome in hindi


    • इसकी खोज बोवेरी ने 1888 ई. में की थी। 
    • यह केवल जन्तु कोशिका में पाया जाता है।
    • यह एक बेलन जैसी रचना के रूप में दिखती है। 
    • यह जंतु कोशिका के केन्द्रक के पास एक छोटा-सा चमकदार क्षेत्र होता है।
    • इसमें एक या दो सूक्ष्म रचनाएँ होती हैं जिन्हें सेन्ट्रिओल (Centriole) कहते हैं।
    • प्रत्येक सेन्ट्रिओल के चारों ओर धागे की तरह तारक रश्मियाँ (Astral rays) दिखायी पड़ती हैं।
    • तारककाय जन्तु कोशिका विभाजन में मदद करता है। 
    • यह कोशिका में सीलिया (Cilia) एवं फ्लैजिला (Flagella) के बनने में भाग लेता है। 
    • यह कोशिका का प्रचलन अंगक (Locomotory organelle) है। 
    • कोशिकाओं

     सूक्ष्मनलिकाएं (Microtubules) :

    Microtubules in hindi

    • ये छोटी-छोटी नलिकाकार रचनाएँ होती हैं कोशिका द्रव्य में पायी जाती हैं। 
    • यह कोशिका विभाजन के समय स्पिंडल (Spindle) के निर्माण में भाग लेती हैं। 
    • यह सेन्ट्रिओल, सीलिया, फ्लैजिला आदि के निर्माण में भी भाग लेती है। 

     केन्द्रक (Nucleus) :

    Nucleus in hindi


    • कोशिका में केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown ने 1831 ई. में की थी। 
    • कोशिका द्रव्य के बीच में एक बड़ी, गोल एवं गाढ़ी संरचना पायी जाती है केन्द्रिका जिसे केन्द्रक कहते हैं। 
    • इसके चारों ओर दोहरे परत केन्द्रिक वि की एक झिल्ली होती है, जिसे केन्द्रक कला या केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane) कहते हैं।
    • क्रोमैटिन इसमें अनेक केन्द्रक छिद्र होते हैं जिसके द्वारा केन्द्रक द्रव्य एवं कोशिका द्रव्य के बीच पदार्थों का आदान प्रदान होता है। 
    • प्रत्येक जीवित कोशिका में प्रायः एक केन्द्रक पाया जाता है, लेकिन कुछ कोशिकाओं में एक से अधिक केन्द्रक पाये जाते हैं ।
    • केन्द्रक के अंदर केन्द्रक आवरण गाढ़ा अर्द्धतरल द्रव्य भरा रहता है, जिसे केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) कहते हैं। 
    • केन्द्रकद्रव्य में महीन चित्र : केन्द्रक की संरचना धागों की जाल जैसी रचना पायी जाती है जिसे क्रोमेटिन जालिका (Chromatin network) का हैं।
    • ये डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल (DNA) एवं प्रोटीन के बने होते हैं। DNA आनुवंशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाते हैं। 
    • कोशिका विभाजन (Cell division) समय क्रोमेटिन जालिका के धागे अलग होकर कई छोटी और मोटी छडू जैसी रचना में परिवति Fore PDF Download Click Here, www pilih केन्द्रक द्रव्य
    • 349 unit), हो जाते हैं। 
    • इसे ही गुणसूत्र (Chromosomes) कहते हैं। 
    • DNA अणु में कोशिका के निर्माण एवं संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं | 
    • DNA के क्रियात्मक खण्ड को जीन (Gene) कहते हैं। अतः DNA को आनुवंशिक पदार्थ तथा जीन को आनुवंशिक इकाई (Hereditary ) कहते हैं। 
    • केन्द्रक कोशिका की रक्षा करता है और कोशिका विभाजन में भाग लेता है। 
    • यह कोशिका के अंदर सम्पन्न होनेवाली सभी उपापचयी (Metabolic) तथा रासायनिक क्रियाओं कोशिका के विकास एवं परिपक्वन् को निर्धारित करता है। 
    • यह प्रोटीन संश्लेषण हेतु आवश्यक का नियंत्रण करता है। यह कुछ जीवों में कोशिकीय जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • यह कोशिकीय आर.एन.ए.(RNA) उत्पन्न करता है।
    • केन्द्रक के अंदर केन्द्रकद्रव्य में एक छोटी गोलाकार या अंडाकार रचना पायी जाती है जिसे केन्द्रिका (Nucleolus) कहते हैं।
    • यह कम सक्रिय कोशिकाओं में छोटी होती है अथवा नहीं पायी जाती है जबकि सक्रिय स्रावी कोशिकाओं में यह बड़ी होती है। 
    • यह संख्या में एक या अनेक (कई हजार) होती है।
    • केन्द्रिका में RNA का संश्लेषण होता है। 
    • कोशिका विभाजन में केन्द्रिका का विशेष महत्व होता है।

    आज के इस पोस्ट में हमने कोशिका और कोशिकांग की संरचना के बारे में विस्तार से जाना। कोशिका शरीर की सबसे छोटी इकाई है। कोशिका से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।

    उम्मीद करता हूँ कि कोशिका और कोशिकांग की संरचना की यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी, यदि आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

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