1857 की क्रांति या भारतीय विद्रोह की खास जानकारी (Revolution of 1857 or The Indian rebellion in Hindi)

1857 की क्रांति या भारतीय विद्रोह की खास जानकारी (Special information about the Revolt of 1857 or the Indian Rebellion)

नमस्कार दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम 1857 की क्रांति या भारतीय विद्रोह की खास जानकारी  के बारे में जानेंगे। 1857 की क्रांति को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहते हैं।  1857 की क्रांति अंग्रेजी शासन को हटाने का भारतीयों का प्रथम संगठित प्रयास था। इस समय भारत का गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग एवं मुख्य सेनापति ऐनसन था। यह विद्रोह उपनिवेशवादी नीतियों एवं शोषण का परिणाम था। इस विद्रोह के कई कारण थे, जिनमें राजनीतिक, आर्थिक, प्रशासनिक, सैनिकसामाजिक एवं धार्मिक कारण सभी थे। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- upsc,state psc,rrb, ntpc, railway, banking po, banking clerk इत्यादि में 1857 की क्रांति से जुड़े प्रश्न  पूछे जाते हैं।

Revolution of 1857 (The Indian rebellion)

इस विद्रोह का तात्कालिक कारण चर्बीयुक्त कारतूसों का प्रयोग था। 1857 का विद्रोह 29 मार्च 1857 को बैरकपुर (प.बंगाल) की छावनी से प्रारंभ हुआ तथा मई, 1857 में मेरठ के सैनिकों ने भी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया। मेरठ छावनी के सैनिक मंगल पांडे ने नये कारतूसों के विरुद्ध आवाज उठायी तथा 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी गई मंगल पांडे 34 इन्फैन्ट्री राइफल के जवान थे। इसके बाद यह विद्रोह तेजी से पूरे देश में फैल गया तथा अलग-अलग स्थानों पर इसे अलग-अलग लोगों ने नेतृत्व प्रदान किया।

1857 की क्रांति या भारतीय विद्रोह की खास जानकारी -

  • इस विद्रोह की वास्तविक शुरुआत 10 मई 1857 ईको मेरठ से हुई थी। 
  • अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की नींव साल 1857 में सबसे पहले मेरठ के सदर बाजार में भड़की, जो पूरे देश में फैल गई थी।
  • इस विद्रोह के शुरू होने की पूर्व निर्धारित तिथि 31 मई, 1857 थी।
  • 10 मई 1857 में शाम पांच बजे जब गिरिजाघर का घंटा बजा, तब लोग घरों से निकलकर सड़कों पर एकत्रित होने लगे थे।
  • 9 मई 1857 को कोर्ट मार्शल में चर्बीयुक्त कारतूसों को प्रयोग करने से इंकार करने वाले 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल किया गया था।
  • 10 मई 1857 की शाम को ही इस जेल को तोड़कर 85 सैनिकों को आजाद करा दिया था।
  • दिल्ली के सम्राट बहादुरशाह जफर कर रहे थे परन्तु यह नेतृत्व औपचारिक एवं नाममात्र का था।
  • 1857 विद्रोह के अन्नेय तृत्वकर्ता - जनरल बख्त खां (सैनिक नेतृत्व ) एवं बहादुरशाह जफर (असैनिक नेतृत्व), बेगम हजरत महल एवं विरजिस कादिर, नाना साहब (अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र), रानी लक्ष्मीबाई (राजा गंगाधरराव की विधवा), तात्या टोपे, मौलवी अहमद उल्ला (मूलत: मद्रास के बाद में फैजाबाद आ गए), खान बहादुर, कुंवर सिंह (जगदीशपुर की आरा रियासत के शासक), राव तुला राम 
  • 1857 विद्रोह के केंद्र - दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, झाँसी, ग्वालियर, फैजाबाद, बरेली, बिहार और फरीदाबाद।
  • 1857 के विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों के कई प्रमुख सेनापतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ये इस प्रकार थे- 
    • 1.दिल्ली (लेफ्टिनेंट हडसन, लेफ्टिनेंट विलोवी, जॉन निकोलसन), 
    • 2. लखनऊ (जेम्स आउट्रम, हेनरी लारेंस, ब्रिगेडियर इंग्लिशहेनरी हैवलॉक, सर कोलिन कैम्पवेल), 
    • 3. झाँसी (सर ह्यू रोज), 
    • 4. कानपुर (कोलिन कैम्पबेल, सर ह्यू व्हीलर) एवं 
    • 5. बनारस (कर्नल जेम्स नील)। 
  • 1857 के इस विद्रोह की असफलता का प्रमुख कारण विद्रोहकर्ताओं में योग्य नेतृत्व एवं सामंजस्य का अभाव था। 
  • इस विद्रोह में सिंधिया, निजाम, भोपाल के नवाब आदि ने अंग्रेजों का साथ दिया था। 
  • इस विद्रोह के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत हो गया एवं ताज का शासन प्रारंभ हो गया।
  • सेना का पुनर्गठन एवं उसमें भारतीयों की संख्या में कमी की गई।
  • अंग्रेजों ने फूट डालो एवं राज करो की नीति अपना ली। 
  • इस विद्रोह के बारे में वीर सावरकर ने कहा कि "1857 का विद्रोह स्वधर्म और राजस्व के लिए लड़ा गया राष्ट्रीय संघर्ष था।" आर. सी. मजूमदार ने कहा कि "यह न तो प्रथम था, न ही राष्ट्रीय था और यह स्वतंत्रता के लिए संग्राम भी नहीं था।"
  • जॉन लारेंस एवं सीले ने कहा कि "1857 का विद्रोह सिपाही विद्रोह मात्र था।"
  • जेम्स आउटूम एवं डब्ल्यू. बी. टेलर ने कहा कि "यह अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू एवं मुसलमानों का षड्यंत्र था।" •एल. आर. रीज ने कहा कि "यह धर्मांधों का ईसाइयों के विरुद्ध षडयंत्र था।"
  • बेंजामिन डिजरैली ने कहा कि "1857 का विद्रोह सचेत संयोग से उपजा राष्ट्रीय विद्रोह था।"
  • जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि "सन् सत्तावन का विद्रोह सिपाही विद्रोह नहीं, अपितु स्वतंत्रता प्राप्ति के निमित्त भारतीय जनता का संगठित संग्राम था।"
  • विपिन चंद्र ने कहा कि "1857 का विद्रोह विदेशी शासन से राष्ट्र को मुक्त कराने का देशभक्तिपूर्ण प्रयास था।"
इस पोस्ट में हमने 1857 की क्रांति या भारतीय विद्रोह की खास जानकारी के बारे में जाना। 1857 की क्रांतिभारतीय स्वतंत्रता की सबसे बड़ी लड़ाई थी, इसलिए 1857 की क्रांति को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहते हैं। 1857 की क्रांति से जुड़े प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते हैं।


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